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बरबाद श्रीलंका
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रवाद की आंधी पैदा की, बहुसंख्यक समुदाय में उन्माद जगाया, अच्छे दिनों के सब्जबाग दिखाए और अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत को हवा दी. नतीजा बरबादी. आखिरकार वहां की जनता ने अपने देश के किंग को कुरसी से खींच कर जमीन पर दे पटका. मगर तब तक महिंदा राजपक्षे के परिवार ने देश का जो नुकसान कर दिया उस की भरपाई करने में देश को 10-15 साल लगेंगे.
क्या करे ससुर जब नई बहू घर आए
घर में नई बहू आती है तो शुरूशुरू में परिवार में एक असहजता दिखने लगती है. खासकर ससुर, जो पहले ठसक के रहता था, को संयमित रहना पड़ता है. इस नए बदलाव से उखड़े नहीं, ऐसा होता ही है, बल्कि सामंजस्य बैठाने की कोशिश करें.
एक औरत का भ्रष्ट हो जाना
कुछ दशकों के दौरान महिलाओं ने हर फील्ड में अपने पैर जमाए हैं. वे ऊंचे ओहदों पर भी पहुंचीं. इस से महिलाओं के प्रति समाज की सोच सकारात्मक तो हुई लेकिन हालफिलहाल में सामने आई भ्रष्टाचार में महिला अधिकारियों की लिप्तता आधी आबादी के वजूद के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है.
इकलौती लड़की बूढ़े मांबाप
जिस तरह बच्चों की देखभाल के लिए पेरेंट्स की भूमिका अहम होती है उसी तरह बुढ़ापे में संतानों की भूमिका अहम हो जाती है, पर क्या हो अगर संतान इकलौती लड़की हो और उस की शादी हो गई हो ?
अलजाइमर जरूरी है दिमागी कसरत
आमतौर पर अलजाइमर की समस्या बुढ़ापे में अधिक देखने को मिलती है पर आजकल 30 वर्ष की उम्र के बाद यह समस्या युवाओं में भी दिखने लगी है. ऐसा न हो, इसलिए दिमागी कसरत जरूरी है.
हे भगवान! है भगवान ?
कुछ अच्छा हुआ तो भगवान, कुछ बुरा हुआ तो भगवान कुछ हुआ तो भगवान, कुछ नहीं हुआ तो भगवान. आखिर भगवान हर मसले के बीच में कैसे घुस गया? हर सवाल का जवाब भगवान कैसे बन गया? भगवान सच है या मुफ्तखोरों की बनाई कोरी कल्पना है? क्या भगवान पर हमारा विश्वास करना सही है? यह सब जानने व समझने के लिए पढ़ें यह लेख.
सेहत की अनदेखी न करें महिलाएं
रोजमर्रा के जीवन में महिलाओं को कई प्रकार की हैल्थ समस्याओं से जूझना पड़ता है. पुरुष तो महिलाओं की समस्याओं को मानते ही नहीं और कुछ महिलाएं खुद भी टालमटोली या हिचकिचाहट के चलते चुप रहती हैं. ये समस्याएं अगर समय रहते ठीक न हों तो खतरनाक हो जाती हैं.
शादी में खिचखिच सही डायग्नोस जरूरी
शादी के बाद लड़के वालों की तरफ से लड़की पर रोकटोक तो पहले भी थीं पर बढ़ रही धर्म की राजनीति की वजह से घरों में लड़की को धार्मिक रीतिनीति में उलझाए रखना उस के पंख कुतरने जैसा साबित हो रहा है.
वो बांझ औरत
वर्तिका ने शिखा के बांझपन के चलते उसे मनहूस कहा, पर कोरोना महामारी की दूसरी लहर में एक ऐसी घटना घटी कि वही शिखा वर्तिका के बच्चों के लिए सबकुछ बन गई.
मंदिरमसजिद पर लाखों खर्च शिक्षा सरकार के भरोसे
जिस चीज से मनुष्य जाति का भला होने वाला है वह है एक मात्र शिक्षा व ज्ञान, जो स्कूलों में मिलता है, न कि मंदिर या मसजिद में शिक्षा के बुनियादी सवालों से भटक कर आज हम मंदिरमसजिदों के फुजूल झगड़ों में उलझ गए हैं. यह मूर्खता के अलावा कुछ नहीं.
विधवाओं पर आज भी बेड़ियां
पति की मौत के बाद एक विधवा स्त्री को हर वक्त यह प्रमाणित करते रहना पड़ता है कि पति के जाने के बाद भी वह पति को ही जपती रहेगी. उस के सिवा उस की जिंदगी का कोई महत्त्व नहीं है. आखिर विधवाओं को पति के नाम पर जिंदगीभर मातमपुरसी करते रहने की बाध्यता क्यों?
मां की जिम्मेदारी अनमोल
बच्चों, खासकर, बेटी के प्रति पेरेंट्स की खास जिम्मेदारियां होती हैं पर बेटियों पर जरूरत से ज्यादा रोकटोक ठीक नहीं. ऐसे में एक मां की अनमोल जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, जिसे समझना जरूरी है.
भड़काऊ नैरेटिव की गुलामी
देश में भड़काऊ नैरेटिव हावी है ताकि सरकार सवालजवाब और जिम्मेदारियों से बच सके. धर्म और जाति अब मुख्य सवाल बना दिया गया है और रोजगार, महंगाई, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय जैसे मूल मुद्दे दरकिनार कर दिए गए हैं. भड़काऊ नैरेटिव मुसलिमविरोधी या जातिविरोधी नहीं, सिर्फ जनताविरोधी है.
बुरे दौर में भारतीय सिनेमा
आखिर क्या वजह है कि जो फिल्में समाज को आईना दिखाती थीं, अब वे अपने उद्देश्यों से भटक कर इंग्लिश माध्यम वालों के हाथों में पैसा कमाने का जरिया बन गई हैं...
तो यों होगा सफर सुहाना
जिंदगी एक सफर है सुहाना. जिंदगी के सफर को सुहाना बनाने के लिए अपनों के साथ लंबे सफर पर जाना जरूरी है. फैमिली में बच्चे हों तो सफर का मजा और भी बढ़ जाता है लेकिन साथ में जिम्मेदारी भी, इसलिए कुछ बातों का रखें ध्यान.
स्टंट है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता की बात करना आसान है, पर उसे बनाना और लागू करना दुष्कर है. एक महा देश जिस में हजारों जातियांउपजातियां बसती हैं और जिन के कट्टरपंथी धार्मिक दुकानदारों की अपनी चलती हो वहां सब को हांक कर एक से कानून के दायरे में ला बांधना भगवा सरकार का केवल स्टंट है. आज तक किसी ने इस का कोई प्रस्तावित कानून नहीं बनाया है क्योंकि यह करना आसान नहीं है.
शादी से पहले काउंसलिंग है जरूरी
शादी से पहले लड़कालड़की के बीच कई ऐसे मसले होते हैं जिन्हें सुलझाया जाना जरूरी होता है, वरना शादी के बाद वे दिक्कत खड़ी कर सकते हैं. ऐसे में मैरिज काउंसलिंग लेना एक अच्छा उपाय है.
बीआई बीमा छलावा भी हो सकता है
कारोबार की निरंतरता बनी रहे, इस के लिए विशेष सावधानियों की जरूरत होती है. लोग इस के लिए बीमा भी कराते हैं. हर बीमा फायदा दे, जरूरी नहीं, इसलिए बीमा कराते हुए उस के टर्म्स एंड कंडीशंस पर ध्यान देना जरूरी रहता है.
किराएदारों पर पुलिसिया कोड़ा
आम लोग सुकून की जिंदगी जिएं, इस के लिए तो सरकारें कुछ करती नहीं लेकिन सुकून छीनने के लिए वे बेकार के नियम कायदे कानून जरूर बनाती हैं. ऐसे में कोफ्त होना स्वाभाविक है. किराएदारों के लिए पुलिस वैरिफिकेशन कैसीकैसी परेशानियां खड़ी कर रहा है, पढ़िए इस रिपोर्ट में.
भवन निर्माण के टिप्स
भवन निर्माण में सही सूझबूझ की जरूरत होती है. एक घर तभी अच्छा लगता है जब उसे सही तरह से बनाया जाए.
धार्मिक लपेटे में मन के रोगी
आज जहां सबकुछ वैज्ञानिक और हाईटैक है वहां गरीबों और पिछड़ों से कहा जाता है कि मानसिक रोग कुछ नहीं, यह देवीदेवताओं का प्रकोप है जो जादूटोने से दूर होता है. यह तो बीमारों को और बीमार कर देता है. मानसिक रोगों से जुड़ी भ्रांतियों का समाधान यहां पेश है.
आईसाइट का गुपचुप चोर ग्लूकोमा
ग्लूकोमा आंखों की समस्या है. यह बीमारी अगर बढ़े तो आंखों की रोशनी जा सकती है, इसलिए इसे ले कर सतर्क रहने की खास जरूरत है.
घरेलू हिंसा औरतों को राहत नहीं
21वीं सदी में भी औरतें घर व बाहर उत्पीड़न और हिंसा की शिकार हो रही हैं. इन में वे औरतें तो हैं ही जो पूरी तरह से पति पर निर्भर हैं, साथ ही कमाऊ औरतें भी हैं. दिक्कत यह है कि धर्मकर्म के कार्यों से जुड़े व पूजापाठी बन महिलाओं को हिंसा पर चुप्पी साधने की शिक्षा लगातार मिल रही है.
इमरान खान भी हुए ट्रिपल ए के शिकार
पाकिस्तान में तख्ता पलट का खेल कोई नई बात नहीं है. वहां के शासक तो मिलिट्री के मोहरे रहे हैं. ऐसे में लोकतंत्र प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ पाया और कट्टरवाद पहचान बन गया. इमरान खान के साथ जो हुआ, कुछ इसी का नतीजा है और बहुत हद तक वे खुद भी जिम्मेदार हैं.
'दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे' -शरद केलकर
हकलाने के चलते शरद केलकर को उन के पहले टीवी सीरियल से बाहर का रास्ता दिखाया गया. यह बात उन के दिल पर लग गई, मेहनत इतनी की कि वह दिन आया जब ‘बाहुबली' में उन्हें प्रभास की डबिंग के लिए बुलाया गया. आज वे सफल अभिनेता हैं.
तलाक से परहेज नहीं
मुसलिम समाज में तलाक को ले कर हकीकत से ज्यादा हल्ला मचाया गया, आज मुसलिम महिलाएं पढ़लिख रही हैं, अपने अधिकार जान रही हैं.
धर्म और बेवकूफी का शिकार श्रीलंका
श्रीलंका में इन दिनों भारी उथलपुथल मची हुई है, लोग महंगाई से त्रस्त हैं और आम जनजीवन ठप है. सड़कों पर लोगों के भारी प्रदर्शन बता रहे हैं कि श्रीलंका में कुछ भी ठीक नहीं. इस स्थिति का जिम्मेदार चीन को ठहराया जा रहा है, पर जितना जिम्मेदार चीन है उस से कहीं ज्यादा राजपक्षे ब्रदर्स की नीतियां हैं.
सीयूईटी परीक्षा पिछडों पर भारी रभ ऊंचों की चतुराई
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अब दाखिले के लिए 12वीं के अंकों की जगह एंट्रेंस एग्जाम को लागू किया गया है. सतही तौर पर देखने में यह फैसला क्रांतिकारी लग रहा है, पर भीतर से यह विनाशकारी और कुछ को कमाई के अपार अवसर देने की साजिश वाला लग रहा है. इस से विश्वविद्यालयों में दाखिले तो उन्हीं के होंगे, जिन के पास पैसा है अब इस ने शिक्षा को ले कर नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं.
शहरों में गंवार
नए गंवार शहरों में बसे हैं. ये पढ़ेलिखे हैं, खुद को आधुनिक कहते हैं, पर इन के तौरतरीके ऐसे हैं कि गांव का अनपढ़ आदमी भी शरमा जाए. गंवारों की इस पौध का इलाज जरूरी है.
एलोपेसिया ग्रसित महिला का मजाक पड़ा महंगा
एलोपेसिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन इस से ग्रसित किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाना बिलकुल ठीक नहीं, जैसा औस्कर अवार्ड में देखने को मिला. आइए जानें कि क्या है एलोपेसिया.