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पति जब बहक जाए
बहुत बार पति की ओछी हरकतों से पत्नी को जगहजगह शर्मिंदा होना पड़ता है. अकसर पतियों की नजरें हर महिला के शरीर पर होती हैं. मर्द अपने व्यवहार में जितनी शालीनता, मर्यादा बरतें उतनी ही उन की अपनी पत्नियों के साथ रिश्तों की खुशबू बनी रहती है.
“मुझे महिलाओं की शिक्षा पर जोर देना है" शीतल चौधरी
नवनिर्वाचित पार्षद दिल्ली नगर निगम
असाध्य बीमारियां टोटके नहीं ट्रीटमैंट है कारगर
आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति के जानकार घरघर में हैं और सोशल मीडिया की मेहरबानी से इन की संख्या दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ रही है. इस के चलते कई छोटीबड़ी बीमारियों में रोगी प्राथमिकता में आयुर्वेद को रखता है जिस कारण उसे लेने के देने पड़ जाते हैं.
राष्ट्रपति की चिंता देश में बढ़ती जेलों की संख्या
एक तरफ भारत सरकार यह दावा करती है कि देश तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर है, हर युवा हाथ को काम मिल रहा है तो दूसरी ओर जेलों की संख्या बढ़ाए जाने की बातें उठ रही हैं. इन दो विरोधाभासी बातों पर सवाल खड़ा कर के संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार की ऐसी रग को दबा दिया है कि उस में छटपटाहट लाजिमी है.
बुलडोजर राज पौराणिक नीति
बुलडोजर इमारतों पर ही नहीं बल्कि लोगों की आजादी सहित कला और फिल्मों पर भी चल रहा है क्योंकि मौजूदा सरकार बुलडोजर को एक विचार की शक्ल में भी स्थापित कर चुकी है. इस बवंडर में वास्तविक मुद्दे दोयम दर्जे के और दोयम दर्जे के मुद्दे वास्तविक लगने लगते हैं. इमारतों वाले बुलडोजरों पर गुवाहटी हाईकोर्ट के फैसले ने सरकारों की मंशा पर पानी तो फेर दिया है लेकिन विध्वंसक विचारों वाला बुलडोजर बेकाबू है जैसे पुराणों में भस्म करने का श्राप देते थे वैसे ही बुलडोजर विध्वंस करने की सजा दे रहे हैं.
कसक
बहुत सालों बाद इंदु की आंखों में खुशी के आंसू थे. इंदु ने अपने अकेलेपन में खुशियां तलाश ली थीं. उसे समझ आ गया था कि शादी ही सबकुछ नहीं बल्कि खुश रहना भी एक कला है, चाहे आप अकेले खुश रहें या फिर किसी के साथ शादी के बंधन में बंध कर.
भारत भूमि युगे युगे
भड़ास निकालना जयराम का भी हक है पर वे हड़बड़ाहट में यह भूल गए कि कैरेट कीमती धातुएं नापने की इकाई है.
"संगीत के पतन के लिए संगीतकार और निर्देशक जिम्मेदार हैं" - रोहित शर्मा
शुरुआती समय की उठापटकों के बाद रोहित शर्मा आज सफल संगीतकारों में गिने जाते हैं. वे अपने काम को गहराई से करने में यकीन रखते हैं. उन्होंने कई सफल फिल्मों का संगीत दिया है.
कैंपस पौलिटिक्स जरूरी है
यह वह वक्त था जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह गुजरात में चुनावप्रचार के दौरान खुलेआम मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को इस बाबत बधाई दे चुके थे कि उन्होंने द्वारका में कथित अवैध मजारें तुड़वा दीं.
तो प्रोपगंडा है 'द कश्मीर फाइल्स'
जिस के बाद फिल्म को ले कर उन की बात सच साबित हो गई जो फिल्म के रिलीज होते कह रहे थे कि फिल्म वैमनस्य पैदा करने के मकसद से बनाई गई है.
कहानी
कुम्लक थी तो एक अच्छी लेखिका मगर जब मैगजीन में प्रकाशित होने के लिए उस ने एक कहानी भेजी तो उस पर बैन लगा दिया गया. आखिर क्या गलती की थी उस ने?
कुछ भी करा सकता है पैसा
कहते हैं न, पैसे के आगे कोई सगा नहीं. ठीक ऐसे ही आज का समाज बन चुका है. पैसे के लोभ में बच्चे अपने मांबाप को घर से निकालने से ले कर मार डालने तक से परहेज नहीं कर रहे.
बच्चों को पढ़ाई के साथ स्किल्स भी सिखाएं
जीवन में पढ़ाई की बहुत अहमियत है, इस से आप जानकारी में हासिल करते हैं पर पढ़ाई के साथसाथ उन व्यावहारिक स्किल्स का होना जरूरी है जो आप के नागरिक होने और बेहतर कैरियर के लिए बेहद जरूरी हैं.
दोस्त जब बन जाएं दुश्मन
जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छे दोस्तों का साथ जरूरी है, मगर जब वही दोस्त राह में कांटे बिछाने लगें तो क्या करें?
युवा बच्चों की डोर थामे रहें मातापिता
बच्चे बहुत बार मातापिता से मिली आजादी का गलत इस्तेमाल कर बैठते हैं. ऐसे में जरूरी है कि मांबाप बच्चों को इतनी भी आजादी न दें कि वे उन्हीं से कटने लगें, उन की डोर अपने हाथों थामे रहें.
महिलाओं में मोटापे की वजह
नए दौर में युवाओं के काम का एनवायरमैंट कुरसी पर बैठने वाला अधिक हो गया है. इस मौडर्न लाइफ स्टाइल के साथ अस्वास्थ्यकर खुराक, भारी स्टार्चयुक्त भोजन, फलों तथा सब्जियों रहित खाना और शारीरिक श्रम का अभाव उन्हें मोटापे की तरफ धकेल रहा है.
पार्टनर झूठ बोले तो भी उस से अलग न हों
हर व्यक्ति कहीं न कहीं झूठ का सहारा लेता ही है. झूठ एक यूनिवर्सल सच है, लेकिन झूठ बोलने की सीमा क्या हो, किस परिस्थिति में झूठ बोला गया, यह ज्यादा मैटर करता है. अब सवाल यह कि अगर पार्टनर ही झूठा निकले तो उसे डील कैसे किया जाए, क्या उसे छोड़ दिया जाए?
धर्म के मामले में कट्टर अनुयायी नुकसान में
धार्मिक कट्टरता व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है. व्यक्ति इन चक्करों में समय और अनापशनाप पैसा बरबाद करता है. इस की जड़ में तमाम धर्म हैं जहां से निकल कर कर्मकांड अंधविश्वास का रूप ले लेते हैं. ऐसे में जरूरी है कि साइंटिफिक टैंपरामैंट बनाया जाए.
महिलाओं ने हिला दीं ईरानी सत्ता की जड़ें
ईरान की औरतों के लिए मोरल पुलिस के खत्म हो जाने से मुश्किलें कम हो जाएंगी, यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि अभी यह साफ नहीं है कि हिजाब पहनने की अनिवार्यता से औरतों को आजादी मिली है या नहीं. फिर भी सलाम है ईरान की औरतों को जिन्होंने अपने हिजाब को क्रांति की पताका बना दिया और धार्मिक कट्टरता एवं जुल्म के खिलाफ फतह हासिल की.
टैक्नोलौजी बराबरी का मौका देती है लेकिन...
टैक्नोलोजी ने जिंदगी कितनी आसान और सुविधाजनक कर दी है, यह चारों तरफ दिखता है लेकिन अफसोस तब होता है जब टैक्नोलौजी को भी भगवान की देन मानते हुए इस का श्रेय भी उसे ही दिए जाने की साजिश धर्म के ठेकेदार करते हैं. क्या है यह षड्यंत्रकारी मानसिकता?
"आपस में प्यार से न रह पाना पर्यावरण के लिए क्षति है” सृष्टि लखेरा
सृष्टि 10 सालों से फिल्मी दुनिया से जुड़ी हुई हैं और पहाड़ों के दर्द को समझती हैं. पहाड़ों से लगातार खाली हो रहे गांव जैसे संवेदनशील विषय को निर्देशक सृष्टि लखेरा ने फिल्म के जरिए बताने की कोशिश की है.
दोनों तरफ से आग
बीवी के असमय गुजर जाने के बाद अकेले रह रहे श्यामजी का दिल कामवाली लक्ष्मी पर आ गया. एक दिन मौका पा कर उन्होंने उस का हाथ पकड़ लिया और बैडरूम की ओर ले जाने लगे...
पतिपत्नी में जब हो विचारों का भेद
यह सच है कि विचारों के भेद आपस में टकराव पैदा करते हैं पर बात जब जीवनसाथी के विचारों से भेद की हो तो समस्या ज्यादा खड़ी हो जाती है.
एलिवेटेड सड़कों से गरीब बस्तियों को छिपाया
ट्रैफिक की समस्या से छुटकारा पाने का आसान उपाय एलिवेटेड सड़कें भले हों पर इन सड़कों ने अमीरीगरीबी की एक और समस्या पैदा की है जिस बारे में लोग सोच नहीं पा रहे.
न्यूज चैनल नहीं धार्मिक चैनल
आज मुख्यधारा के अधिकतर न्यूज चैनल जनता के हितों की खबरें दिखाने की जगह धर्म और सत्ता पक्ष का प्रचार करने में जुटे हैं. यह बिना सरकार, नेताओं और पूंजीपतियों के संभव नहीं. ऐसा कर के वे देश के लोकतंत्र को खाई में धकेलने का काम ही कर रहे हैं.
जिद्दी बच्चों से कैसे निबटें
जिद्दी बच्चे चाहे छोटे हों या बड़े, उन से डील करना पेरेंट्स के लिए बहुत बड़ा चैलेंज होता है. बच्चा अगर शुरू से जिद्दी है तो डेली लाइफ की चीजें, जैसे सोना, खाना या नहाना उन के साथ रोज का एक युद्ध बन जाता है.
गिरता बाजार डरना जरूरी
केंद्र सरकार की आर्थिक (कु)नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था दिनोंदिन गिरती जा रही है जिसे कंट्रोल करना फिलहाल अब उस के खुद के वश में भी नहीं है. वहीं, अपनी तानाशाही प्रवृत्ति के चलते सत्ता पर काबिज भगवा सरकार विशेषज्ञों से सलाह लेने से भी हिचक रही है. ऐसे में देशवासियों को चौकन्ना होना बहुत जरूरी हो गया है.
नरक पुराण
धर्म की दुकानदारी के 2 बड़े प्रोडक्ट काल्पनिक स्वर्ग व काल्पनिक नर्क हैं. नर्क का इतना वीभत्स चित्रण धार्मिक साहित्य में है कि लोग इस के बारे में सुन कर कांप उठते हैं और यातनाओं से बचने के लिए दानदक्षिणा यानी घूस देने को आसानी से तैयार हो जाते हैं. दुकान चलती रहे, इसलिए कोई इन ढकोसलों का विरोध नहीं करता.
हिंदी में मैडिकल की पढ़ाई केवल स्टंट
मैडिकल पढ़ाई का कचरा हिंदी की आड़ ले कर किए जाने का विमोचन हो चुका है. भगवा गैंग नहीं चाहता कि अब और काबिल डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक पैदा हों क्योंकि उस का काम तो अर्धशिक्षितों से चलता है. इस फैसले के चलते मैडिकल की डिग्री हलकी होने जा रही है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस की कोई पूछपरख नहीं रह जाएगी.
यूनिफौर्म सिविल कोड न यूनिफौर्म होगा न सिविल होगा न कोड होगा सिर्फ लौलीपौप होगा
विवाह, उत्तराधिकार और विवाह विच्छेद यानी तलाक के मसलों को हल करने के लिए यूनिफौर्म सिविल कोड को बनाने का शिगूफा लंबे समय से छोड़ा जा रहा है, जबकि इन मसलों को हल करने के लिए स्पैशल मैरिज एक्ट यानी विशेष विवाह कानून देश में 1954 से लागू है. ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करना बेमानी है. जरूरत यह है कि स्पैशल मैरिज एक्ट को ही माना जाए और बाकी विवाह कानूनों की मान्यता खत्म कर दी जाए. इस के बाद यूनिफौर्म सिविल कोड जैसे किसी कानून की जरूरत नहीं रहेगी.