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डिप्रैशन से कैसे करें डील
डिप्रैशन किसी को भी हो सकता है, जरूरी यह है कि इस से डील कैसे किया जाए. बहुत से लोग डिप्रेशन में गलत तरीकों को अपना कर खुद को और भी खराब स्थिति में धकेल लेते हैं, ऐसे में जरूरत है सही दिशा की.
गोल्ड सेविंग सोचसमझ कर
सोने पर निवेश इसलिए शुरू से सुरक्षित माना जाता रहा है कि इस से निवेशक को बेचने पर नुकसान नहीं उठाना पड़ता. सोने पर कई तरह की स्कीम्स भी चल पड़ी हैं. ऐसी ही एक गोल्ड सेविंग स्कीम भी है.
युवा आंखों में बीमारियां
आजकल छोटी उम्र से ही बच्चों व युवाओं की नजरें कमजोर होने लगी हैं. इस का एक कारण जैनेटिक है लेकिन अधिकतर मामलों में गलत रहनसहन व खानपान जिम्मेदार है. ऐसे में सही ट्रीटमैंट जरूरी है.
ज्योति मौर्य के बहाने महिलाएं निशाने पर
ज्योति मौर्य व आलोक मौर्य का मामला आमतौर पर घटित होने वाला धोखेबाजी का है, जो हर गली के लगभग हर चौथे मकान की कहानी है जिस में आमतौर पर पुरुषमहिला दोनों लिप्त पाए जाते हैं, फिर इस पर इतना हंगामा क्यों है?
भ्रामक है स्कूलों में धार्मिक शिक्षा
जिन स्कूलों को छात्रों की शैक्षिक जागृति और पाखंड से मुक्ति का वाहक बनना चाहिए वहां बेमतलब धार्मिक कर्मकांड छात्रों से करवाए जा रहे हैं. स्कूलों को धार्मिक संकेतों से जोड़ने से वहां पढ़ने वाले छात्र अंधविश्वासों और पाखंडों से कभी मुक्त नहीं हो सकते.
कुछ हाथों में पूंजी गई और लोकतंत्र का खात्मा
आज पूंजी का चंद धन्ना सेठों के हाथों में सिमटना कोई रहस्य नहीं रह गया है और न यह रहस्य है कि राजनीति और कौर्पोरेट के खिलाड़ी जनता के खिलाफ इस खेल में शामिल हैं. अफसोस इस बात का है कि इस पर कम सोचा जा रहा है.
पौलिटिक्स में कैरियर करोडों में खेलें लाखों को पीछे चलाएं
अब जब दूसरे क्षेत्रों में कैरियर पीछे हो रहे हैं, राजनीति में कैरियर बनाने का काफी स्कोप है. इस का मतलब यह नहीं कि किसी नेता के आगेपीछे भागने और जिंदाबाद व मुर्दाबाद के लगाने से भविष्य बन जाएगा. इस क्षेत्र में सही सफलता पाने के कुछ उसूल हैं, जानिए आप भी और राजनीति से लाखोंकरोड़ों भी कमाइए और नाम भी.
रूस में आधी अधूरी म्यूटिनी कट्टरपंथियों को सही संदेश
एक तरफ युद्ध दूसरी तरफ 'वैगनर ग्रुप' से बगावत की गुंजाइश ने पुतिन को कमजोर नेताओं में शामिल कर दिया है. 'वैगनर ग्रुप' ने पूरी दुनिया के कट्टरपंथियों को सबक सिखाया है कि वह उन के खिलाफ भी बगावत कर सकता है जो उन की मदद करते हैं.
लेटरल के नाम पर कुलीनों की डायरैक्ट एंट्री
भाजपा सरकारों का संदेश है कि आरक्षण समाप्त ही किया जाएगा और जो विरोध करेगा उन्हें उन्हीं की जातियों की पुलिस से पिटवाया जाएगा. लेटरल एंट्री सुबूत है कि अधिकतर अफसर तो ऊंची जातियों के ही रहेंगे और पिछड़े, दलित युवा, खासतौर पर युवतियां भूल जाएं कि उन्हें कभी आरक्षण का लाभ मिलेगा या साष्टांग प्रणाम करने के बावजूद कोई हक मिलेगा.
बीमारू राज्यों में शादी लड़कियों की न क्यों
37 साल में बीमारू राज्यों में जाति और धर्म के नाम पर सत्ता बदलती रही. नेता व अफसर मौज करते रहे. जनता दकियानूसी और रूढ़िवादी विचारों में फंस कर वोट करती है. अब नई उम्र की लड़कियों के लिए जब शादी के रिश्ते इन बीमारू राज्यों से आते हैं तो वे शादी के लिए तैयार नहीं होतीं, क्योंकि इन राज्यों में आधुनिक सुविधाओं और लाइफस्टाइल का अभाव है.
“जब मेरे गाने को लोगों का प्यार मिलता है तभी मुझे खुशी मिलती है" अमन त्रिखा
अमन त्रिखा का संगीत से दूरदूर का नाता नहीं था, लेकिन उन के गायक बनने का किस्सा दिलचस्प है. एक समय उन्होंने बौलीवुड के टौप चार्टबस्टर दिए. कैसी रही अमन की जर्नी, जानिए आप भी.
धर्मार्दी फिल्म आदिपुरुष विवाद में
धार्मिक लोग जो पिछले 9 वर्षों से खुद को राष्ट्रवादी बताने लगे हैं, वे धर्म के नाम पर भी खासा पैसा बना रहे हैं. इसे वे अपना हक मानते हैं पर यह मजबूरी भी है ताकि लोगों में धर्म को ले कर उबाऊपन न आए, नहीं तो धंधा बंद हो जाएगा. 'आदिपुरुष' ऐसी ही फिल्म है जो बनाई तो इस कारण गई थी कि लोग भरभर कर देखें और पैसा बटोरने के साथ नवयुवाओं को धर्म का पाठ भी पढ़ाए पर दाल गल नहीं पाई.
मोटापे की सर्जरी
भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. आमतौर पर मोटापा कम करने के लिए डाइट को प्राथमिकता दी जाती है लेकिन बहुत सी ऐसी सर्जरियां हैं जिस से मोटापे की समस्या को कम किया जा सकता है.
गैस पर खाना बनाने का जोखिम
भारत में रसोई गैस का इस्तेमाल घरों में आम है, किंतु रसोई गैस के कई खतरे हैं जिन से लोग अनजान हैं. क्या हैं वे खतरे, जानें इस रिपोर्ट में.
पढ़ाई पर करें खर्च दहेज पर नहीं
पिता अपने बच्चों पर बराबर खर्चा करता है, फर्क यह है कि एक तरफ बेटे की पढ़ाई पर तो दूसरी तरफ बेटी की शादीदहेज पर खर्च होता है. आखिर क्यों दहेज के लिए पैसे खर्च किए जाएं, लड़की को पढ़ालिखा कर इतना सक्षम क्यों न बनाया जाए कि वह काबिल महिला बने न कि काबिल पत्नी.
जीवन चलते रहने का नाम
जीवन सदैव आगे बढ़ने का नाम है, फिर चाहे राहों में मुश्किलें आएं या न आएं. मंजिल सुकून दे सकती है पर उस मंजिल के लिए तय किया रास्ता बहुतकुछ सिखाता है.
छात्रों की आत्महत्याओं से सहमी शिक्षानगरी कोटा
कोटा में हर साल हजारों छात्र इंजीनियर्स व डाक्टर्स बनने का सपना लिए पहुंचते हैं लेकिन वहां छात्रों का संघर्ष सिर्फ पढ़ाई कर खुद को तैयार करना नहीं, बल्कि मानसिक तनाव से भी लड़ना होता है. आखिर क्यों कई छात्र इस संघर्ष में फेल हो जाते हैं.
युवा मुसलमान प्रशासनिक सेवाओं में क्यों नहीं आते ?
सरकारी क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर मुसलमानों की संख्या उंगली पर गिनने लायक है, न सेना में उन की संख्या , दिख रही है और न पुलिस में किसी अन्य विभाग में भी जनसंख्या के अनुपात में बहुत ही कम मुसलिम सलैक्ट हो रहे हैं. आखिर इस की क्या वजहें हैं?
पाइल्स के मरीज शरमाएं नहीं सलाह लें
खानपान को ले कर बरती गई लापरवाही जब पाइल्स बन कर सामने आ जाए तो शरमाने के बजाय डाक्टर्स से सलाह लें और इस बीमारी से नजात पाएं.
कमाऊ बच्चों की देरी से शादी जिम्मेदार कौन
जिन बच्चों पर घर की आर्थिक जिम्मेदारी बढ़ जाती है उन की बढ़ शादी देर से होती है. वजह, पेरेंट्स का बच्चे पर निर्भर हो जाना और शादी के बाद इस सहारे के खत्म हो जाने का डर. लेकिन देरी से शादी के नुकसान बहुत हैं जिन्हें वे नहीं समझ पाते.
मृत्युभोज मौत का जश्न और लूट
लोगों को शादी समारोह की तरह मृत्युभोज पर लाखों रुपए खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है, भले ही इस के लिए कर्जा क्यों न लेना पड़े. मृत्युभोज पंडों द्वारा हिंदुओं पर थोपा गया वह संस्कार है जिस में मौत पर शोक नहीं, जश्न मनाया जाता है.
जैक डोर्सी के इंटरव्यू पर उठते सवाल
सरकार किस कदर मीडिया को अपने पिंजरे में कैद करना चाहती है, इस की एक और बानगी हाल ही में ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी के दिए इंटरव्यू से सामने आई है. भारत में मीडिया के हालात कैसे हैं, इस बारे में तमाम रिपोर्ट्स बता रही हैं. यह स्थिति आम नागरिकों के लिए बहुत ही घातक है.
अमेरिका चीन की भिड़ंत और भारत
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी अब रिकोर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. ऐसे में अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं. चीन को टक्कर देने के लिए अमेरिका भारत को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है. वह लगातार भारत को चीन के खिलाफ भड़काने की कोशिश में जुटा है. लेकिन क्या भारत उस की मंशा को समझ रहा है?
"जैंडर के आधार पर बेटे की परवरिश कभी न करे मां” सुष्मिता मुखर्जी
अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने छोटे परदे के 'करमचंद’ शो से अभिनय की शुरुआत की. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. आज उन्हें इंडस्ट्री में 40 से अधिक साल हो गए हैं. इस मौके पर उन्होंने अपनी जर्नी साझा की.
अकेले रहें मस्त रहें
अकेलापन झेलना आसान नहीं, क्याक्या नहीं सहना पड़ता. यदि सही तरह से खुद को व्यवस्थित किया जाए तो अकेलेपन का आनंद लिया जा सकता है.
खानपान से ऐसे दिखें जवां
महिलाओं के बेडौल शरीर को देख कर अकसर उन के पति भी उन से दूरी बना लेते हैं. लेकिन उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है. वे सही डाइट से परफैक्ट फिगर पा सकती हैं और फिर से पति की चहेती बन सकती हैं.
क्यों बढ़ रही बढ़ पृथ्वी की धड़कन
वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के केंद्र में बदलाव आ रहे हैं. सोचिए क्या होगा जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमना बंद कर दे. कहीं यह किसी बड़ी आपदा का संकेत तो नहीं?
अमेरिका प्रवास ढेरों समस्याएं
भारत के युवाओं का सपना होता है कि वे विदेश जाकर डौलरों में पैसा कमाएं. इस के लिए वे कोशिशें करते रहते हैं. लेकिन विदेश में रहनेबसने की समस्याओं व जटिलताओं का हिसाब वे कम ही लगा पाते हैं.
रिश्तों की डोर टूटने न दें
रिश्तों की डोर भले नाजुक होती हैं पर अगर इसे तराशा जाए, इस पर लगातार काम किया जाए और विश्वास बनाया जाए तो यह टूट नहीं सकती.
ऐसे दूर करें एग्जाम की टेंशन
बहुत बार अच्छा पढ़नेलिखने वाला स्टूडेंट पूरी तैयारी करने के बावजूद रिजल्ट में उतने मार्क्स नहीं ला पाता जितना वह डिजर्व करता है. इस का असल कारण एग्जाम पैटर्न को ठीक से नहीं समझ पाने और उस अनुसार तैयारी न करने के चलते होता है. कैसे, जानिए इस लेख में.