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अब पुरुषों के साथ बढ़ता अन्याय
कई बार पुरुष चुप रह कर औरतों के शोषण का शिकार हो रहे होते हैं. शर्मिंदगी, समाज के चलते वे अपना दर्द बयां नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. वे कहां जाएं?
सांप्रदायिकता की आग में जलता मणिपुर
सौंदर्य से सजी मणिपुर की धरती आज राजनीति के चंगुल में दंगों की भेंट चढ़ चुकी है. जातीय टकराव के के बाद हत्याओं का दौर जारी है. जमीन और साधनों पर वर्चस्व की लड़ाई में प्रतिक्रिया दोनों तरफ से है, लेकिन पीछे से इन्हें सुलगाने वाली धर्म और जाति की वह राजनीति है जिसे नेता काफी समय से भुनाते आ रहे थे.
जातीय य जनगणना छत्ते को छेड़ो न
देश में अगर जातियों के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है तो जातियों के आधार पर जनगणना करने में दिक्कत क्या है, इस पर हायतौबा क्यों, आखिर किस बात का डर है और कौन डर रहा है?
बेटी
सीमा को चुभने लगा था मम्मी का बातबात पर उस की तारीफ करना और टिन्नी को उस का उदाहरण देदे कर टोकना. अभी भी बीते वक्त से चिपकी मम्मी आज और कल में फर्क नहीं करना चाहती थीं. जब यही अंतर सीमा ने मम्मी को समझाया तो वे हतप्रभ रह गईं.
गालिब असद भोपाली
मशहूर गीतकार असद भोपाली के बेटे गालिब पिछले 2 दशकों से लेखन में सक्रिय हैं. गालिब को चर्चित शो 'सीआईडी' और फिल्म 'मुंबई मिरर' के लेखन के लिए जाना जाता है.
किताबें पढ़ने के फायदे
किताबों का इंसान के जीवन में अहम योगदान होता है. उन में बातें छपी होती हैं, इसलिए वे लंबे समय तक याद रहती हैं और भविष्य में सबक सरीखी साबित होती हैं.
मानसिक बीमारी पहले समझें फिर इलाज कराएं
भारतीय परिवारों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात नहीं की जाती है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ कहते ही सवाल खड़ा कर दिया जाता है कि क्या हम पागल दिखाई दे रहे हैं. जबकि यह जरूरी नहीं कि जब व्यक्ति पूरी तरह पागल हो जाए तभी उस को मानसिक रोगी करार दिया जाए..
जब पिता को मां की याद सताए
जीवनसाथी के चले जाने का दुख बड़ा होता है, खासकर तब जब एक लंबा समय साथ गुजारा हो. अकसर ऐसे मामलों में पत्नी के जाने के बाद पति बिखर जाता है. ऐसे में जिम्मेदारी बच्चों की बनती है कि वे अपने पिता को अकेला न महसूस होने दें.
गाली नहीं सम्मान करना सीखें
भारत में गाली कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. गाली देने को गर्व और स्टाइल से जोड़ा जा रहा है. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं भी गालियां देने लगी हैं, यह जानतेसमझते भी कि लगभग सभी गालियां महिलाविरोधी हैं जो महिलाओं के यौन अंगों को टारगेट करती हैं.
स्किन के लिए लाभदायक ह्यालुरोनिक एसिड
गरमी में हमारी स्किन काफी मुरझाई हुई सी रहती है, इसलिए इस मौसम में स्किन की देखभाल करना काफी जरूरी हो जाता है.
एक्सीडेंट के बाद हाथ व पैर खोने से कैसे बचाएं
किसी बड़ी दुर्घटना के बाद अकसर कुछ गलतियां पीड़ित व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकती हैं, इतनी खतरनाक कि इस से हाथपैर तक गंवाने पड़ सकते हैं. जरूरी है कि ऐसे समय में कुछ तरह के खास बिंदु ध्यान में रखे जाएं.
ड्रग्स से कम नहीं इंटरनैट का नशा
इंटरनैट की हद से ज्यादा सर्चिंग ने बहुत सारे घरों की व्यवस्था बिगाड़ दी है. इंटरनैट हमारी सुविधा के लिए है पर इस के अत्यधिक उपयोग से लोग इंटरनैट की लत के जाल में फंसते जा रहे हैं.
धुंधलाने लगी है धर्म की राजनीति
धर्मकर्म और कट्टरवाद से ज्यादा दिनों तक राजकाज नहीं चलाया जा सकता. कर्नाटक की जनता का बहुत स्पष्ट संदेश है कि देश को ऋषिमुनियों की नहीं, बल्कि अच्छे मैनेजरों की जरूरत है. यह लोकतंत्र है जिस में देश संविधान से चलेगा, वेदपुराणों से नहीं. कभी यह गलती कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने भी की थी.
आप की संपत्ति पर सरकारी जंजीर
संविधान कहता है कि किसी को जबरन उस की संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता. यह मौलिक अधिकार में न सही पर वैधानिक व मानवाधिकार में आती है. संविधान के उलट, मौजूदा सरकारें लोगों की संपत्ति पर न केवल मनमाना बुलडोजर चला रहीं हैं बल्कि उन पर नजर रखने के लिए आधार और पैन कार्ड को मोबाइल फोन से जुड़वा भी रही हैं ताकि आप की संपत्ति पर वे नियंत्रण कर सकें. आप नोट अपने पास न रख सकें, इस के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नोटबंदी थोपी थी और अब फिर उस ने एक और नोटबदली करा डाली है.
"पैशन व लगन हो तो पैसा रुकावट नहीं बनता" - जीत
अभिनेता जीत ने वैसे तो बौलीवुड और साउथ सिनेमा में काफी काम किया है लेकिन उन्हें स्टारडम बंगाली सिनेमा से मिला है. आज वे एक निर्माता और अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं.
एसिडिटी से नजात पाएं
ऋतु मात्र 30 वर्ष की थी. कब्ज व एसिडिटी की समस्या ने उसे परेशान कर रखा था. इस वजह से न तो वह अपनी फैमिली का अच्छे से ध्यान रख पाती थी और न ही जौब पर फोकस कर पा रही थी. औफिस में पार्टी होने पर वह कोई बहाना बना कर वहां से जल्दी निकल जाती थी. घर में भी खाना खाने से बचती थी क्योंकि उस की तकलीफ बढ़ती ही जा रही थी.
बाप की ऊपरी कमाई किस को रास आई
आज के समाज में अवैध कमाई को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता है. जिन घरों में पैसा मेहनत से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार से आता है, देखा गया है कि उन घरों के बच्चों में अहंकार, जिद्दीपन, बुरी आदतें, दूसरों से असम्मानित व्यवहार और नशे की लत होना आम है.
क्लिष्ट हिंदी - कम पढ़ों के लिए साजिश
क्लिष्ट भाषा में कोई भी विषय पढ़ना आसान नहीं. बात जब क्लिष्ट हिंदी की हो तो यह न सिर्फ पाठ्यक्रमों में छात्रों को परेशान करती है बल्कि अदालती दस्तावेज, जमीन के कागज, सरकारी दस्तावेजों में क्लिष्ट हिंदी के इस्तेमाल से आम लोग भी परेशान रहते हैं. कहीं यह कम लिखेपढ़ों के खिलाफ साजिश तो नहीं?
इजराइल से सबक
इजराइल में लोकतंत्र को बचाने के लिए शुरू हुए जनआंदोलन ने पूरी दुनिया में तानाशाही रवैयों के खिलाफ एक चमक पैदा की है. इस से दुनिया के जनवादी लोगों को सबक मिला है.
युवाओं में बढ़ता सौलिड और्गन कैंसर
कैंसर सब से घातक बीमारियों में से एक माना जाता है. वैसे तो कैंसर से उम्रदराज लोग प्रभावित होते हैं लेकिन धीरेधीरे युवाओं में भी इस का फैलाव बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है.
जजों की कमी चिंताजनक
कहते हैं देर में भले मिले पर न्याय जरूर मिले. सवाल यह कि देर में क्यों मिले? भारत की न्याय प्रणाली इतनी ढीली है कि न्याय अपनेआप में अन्याय का रूप ले लेता है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट यही हाल बयां करती है.
प्राइमरी लैवल पर ट्यूशन सही या गलत
दो दशक पहले तक भारत में स्कूल की पढ़ाई के साथ अतिरिक्त ट्यूशन की आवश्यकता बच्चों को नहीं होती थी लेकिन आज बच्चा स्कूल में दाखिले के साथ ही प्राइवेट ट्यूटर के पास जाने लगता है. शिक्षण संस्थानों की नाकामयाबी और निकम्मापन न सिर्फ पेरेंट्स की जेब पर भारी पड़ रहा है। बल्कि बच्चों की सेहत व मानसिक दशा को बिगाड़ भी रहा है.
चैट जीपीटी टैक्नोलौजी के बढ़ते कदम
इंटरनैट की दुनिया में आजकल चैट जीपीटी का जोरशोर से डंका बज रहा है. इस के जितने फायदे गिनाए जा रहे हैं उतने ही भविष्य में होने वाले नुकसान भी. इस लिहाज से यह एक विवादित एप्लीकेशन बन कर उभरा है. आखिर क्या है चैट जीपीटी, जानें इस रिपोर्ट में.
धर्मकर्म में उलझी मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति
कर्नाटक के नतीजों ने एक अच्छा मैसेज यह दिया है कि अब धर्मकर्म, पूजापाखंडों की राजनीति से वोटर नजात पाना चाहता है लेकिन भाजपा इस से बाहर नहीं आ पा रही है खासतौर से मध्य प्रदेश में उसे इस का खमियाजा भुगतने को तैयार भी रहना चाहिए.
दलित शादियां - लड़कियों की चुनौतियां
पिछले 150 सालों में दलित समाज को कुरीतियों से दूर रखने के लिए शिक्षा का प्रचारप्रसार किया गया है. यह सोचा जा रहा था कि इस समाज के शिक्षित और प्रभावशाली लोग अपने समाज को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे. लेकिन राजनीति और आर्थिक रूप से संपन्न होने के बाद भी दलित समाज ऊंची जातियों के रीतिरिवाज अपना कर अपने समाज के कमजोर लोगों को अपने से नीचा दिखाने का काम कर रहा है. दलित समाज की महंगी होती शादियां इस की मिसाल हैं और हर सफल दलित लड़की के लिए नए चैलेंजेज आ रहे हैं.
"पुस्तकें पढ़ने का अपना मजा है" - प्रवीण मोरछले
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले निर्देशक प्रवीण मोरछले ने भले ही निर्देशन क्षेत्र में कदम रखने में अपना समय लगाया पर उन्होंने जिन विषयों को चुना उन में उन्होंने सामाजिक विषमताओं पर गहरी चोट की है. उन का जोर फिल्मों की विषयवस्तु पर अधिक रहता है.
हैल्दी और फ्रैश रहने के टिप्स
धूप और चिलचिलाती गरमी के कारण डिहाइड्रेशन, हिट स्ट्रोक की समस्या हो जाती है.
कर्नाटक चुनाव पलटमारों का मुकाबला
कर्नाटक के बारे में मशहूर है कि वहां किसी एक पार्टी की सरकार को मतदाता दोबारा मौका नहीं देते. वहां वोटिंग पैटर्न हर बार बदलता रहा है और वहां कोई चौथी ताकत भी नहीं है. कर्नाटक में मौजूदा शासन भाजपा का है, उस के वादों और दावों में जनता सचाई ढूंढ़ने से नहीं ढूंढ़ पा रही, ऐसे में समीकरण बदलाव की तरफ ही इशारा कर रहे हैं.
अतीक अहमद की हत्या कानून पर बुलडोजर
हिरासत में हत्या उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान है. इस से साफ लगता है कि बुलडोजर और एनकाउंटर से कानून का राज स्थापित नहीं होता. कानून के राज के लिए कानून के हिसाब से अपराध का अंत होना चाहिए.
सीने में जलन और अस्पताल का चलन
जरूरी नहीं कि सीने की हर जलन हार्ट से संबंधित समस्या हो, लेकिन कहते हैं न कि एक प्रतिशत चांस भी अगर हार्ट का बन रहा है तो डाक्टरी परामर्श लेना जरूरी हो जाता है. पर क्या हो जब यह परामर्श लेने गए हों और डाक्टर व अस्पताल इसे समस्या से अधिक पैसे ऐंठने का मौका समझ लें.