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प्रसिद्ध कीट विज्ञानी डॉ. सोनी रामास्वामी
डॉ. सोनी रामास्वामी एक भारतीय अमरीकन कृषि विज्ञानी हैं। डॉ. रामास्वामी ने बैंगलुरु की विश्वविद्यालय ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसिज से 1973 में कृषि में बैचुलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की और 1976 में रटगर्स विश्वविद्यालय से कृषि कीट विज्ञान के क्षेत्र में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रटगर्स विश्वविद्यालय से ही कीट विज्ञान में पीएच. डी. की।
टमाटर बेचकर एक महीने में करोड़पति बनने वाला तुकाराम भागोजी गायकर
तुकाराम ने कहा कि पिछले 6-7 साल से वो टमाटर की खेती कर रहे हैं। इस साल भी उन्होंने 12 एकड़ पर टमाटर की खेती की।
अमृत काल में कृषि रखेगी लोगों की सेहत व जलवायु का ध्यान
पचास सालों में यह भी देखने में आया है कि जिन खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए सरकार सबसे अधिक सब्सिडी देती है और हर साल उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करती है, उनके उत्पादन की बढ़ोतरी दर खाद्य पदार्थों से कम है जिन्हें सरकार की तरफ से सब्सिडी नहीं या काफी कम मिलती है।
इक्रीसेट बीएआरआई ने मूंगफली की उन्नत किस्म लांच की
हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान इक्रीसेट और बांग्लादेश कृषि अनुसंधान संस्थान (बीएआरआई) ने बांग्लादेश में मूंगफली की एक उन्नत किस्म बीएआरआई चिनबादम-12 (ICGV 07219) जारी की है।
कृषि क्षेत्र में उभर रही आर्टीफिशीयल इंटैलीजैंस
इन प्रौद्योगिकियों में उत्पादकता और स्थिरता में सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है, लेकिन इन्हें अक्सर खंडित तकनीकी बुनियादी ढांचे, संचालन की उच्च लागत, डेटा तक पहुंच की कमी और सीमित तकनीकी विशेषज्ञता द्वारा चिह्नित किया जाता है, जबकि उनके प्रभाव के पैमाने में बाधा उत्पन्न होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा कीटनाशकों पर प्रतिबंध के लिए कई समितियां बनाने पर सवाल उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि उसे कीटनाशकों पर प्रतिबंध की समीक्षा के लिए कई समितियों का गठन क्यों करना पड़ा। पीठ ने इशारा किया कि यह सरकार द्वारा एक अनुकूल निर्णय पाने का प्रयास लगता है।
मौजूदा सीजन में पराली जलाने के मामलों को 'शून्य' करने का लक्ष्य
पराली को जलाने की घटना हर साल दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों मे वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन जाती है। इस बार केन्द्र सरकार ने पराली जलाने की समस्या को शून्य स्तर पर लाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।
पादप कार्यिकी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता, कमी के लक्षण एवं निवारण
पौधों और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा बहुत ही कम होती है, लेकिन इनका महत्व पौधे के विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों से कम नहीं होता है। यदि मृदा में को सूक्ष्म पोषक तत्व न मिले तो वह फसल बड़ी मात्रा में दिये जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का पूरा सदोपयोग नहीं कर सकते हैं।
FPO निर्माण एवं प्रबंध
किसान उत्पादक संगठन एक ऐसा उत्पादक संगठन है जिसके सदस्य सिर्फ किसान ही हो सकते हैं। कृषि एवं सहायक व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति प्राथमिक उत्पादक माने जाते हैं। कृषि, बागवानी, पशुपालन, मक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति उचित उत्पादक संगठन के सदस्य बन सकते हैं। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) एवं स्मॉल फार्मर्ज एग्रीबिजनस कनसौरटियम (SFAC) के अलावा कई कृषि क्षेत्र से जुड़े अदारे किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
बाजरा की फसल में कीटों की रोकथाम करके ले भरपूर पैदावार
बाजरा, जिसे पर्ल मिलेट भी कहा जाता है, हरियाणा राज्य की खरीफ मौसम में बोई जाने वाली मुख्य फसल है जो कि राज्य के बारानी क्षेत्र विशेषकर, हिसार, रोहतक, झज्जर, जींद, महेन्द्रगढ़, भिवानी व गुडगांव में बोई जाती है।
नींबू वर्गीय फसलों के रोग एवं उनकी रोकथाम
नींबू वर्गीय फल उष्ण उपोष्णकटिबंधीय देशों की महत्वपूर्ण फल फसल है। ये फल विटामिन सी, शर्करा, अमीनों अम्ल एवं अन्य पोषक तत्वों के सर्वोत्तम श्रोत होते हैं।
बेलगिरी फल-तथ्य व जानकारी
व बेलगिरी को बंगाली क्विंस/गोल्डन एप्पल/स्टोन एप्पल/वुड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एजिल मारमिलोस है।
शहद की मक्खियों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
मधुमक्खी के लार्वा के बेहतर जीवित रहने और प्रभावी परागण के लिए श्रमिकों की पर्याप्त आबादी में परिपक्व होने के लिए गर्म तापमान आवश्यक है। समशीतोष्ण देशों में, जलवायु परिवर्तन के कारण शुरुआती बसंत में ठंडे झटके आते हैं जो कई विकासशील श्रमिक मधुमक्खियों को मारते हैं और उनकी आबादी के निर्माण में देरी का कारण बनते हैं।
महिला सशक्तिकरण से सुधरेगी फसली व्यवस्था
महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कामयाबी के मुद्दों का समर्थन करने, एक स्वस्थ ग्रह से स्वस्थ आहार के प्रावधान के लिए कृषि उत्पादन और खाद्य प्रणाली के लचीलेपन के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण पर विचार करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद करते हैं।
फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कैसे किया जाए?
एक अध्ययन के मुताबिक, दुनिया भर के कई इलाकों में फसल पैदावार के कम होने के खतरों को कम करके आंका गया है। अध्ययन में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि, जलवायु परिवर्तन हमारे खाद्य प्रणालियों पर भारी प्रभाव डाल रहा है।
ज्वार जलवायु चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए गेहूं का विकल्प...
बढ़ती जलवायु चुनौतियों के सामने एक नए अध्ययन ने ज्वार को भारत में गेहूं के लचीले विकल्प के रूप में उजागर किया है। देश के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक के रूप में, भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत से गेहूं उत्पादन में 40% की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान ने गेहूं की गर्मी के प्रति संवेदनशीलता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पानी की आवश्यकताएँ बढ़ गई हैं और पानी का पदचिह्न भी बढ़ गया है।
शूगर रोग पर नियंत्रण करेंगे चावल
वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत के सुदूर पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली सुगंधित चावल की किस्म, जिसे जोहा चावल के नाम से जाना जाता है, न केवल टाइप 2 मधुमेह को रोकती है, बल्कि अनसैचुरेटेड या असंतृप्त फैटी एसिड से भी भरपूर होती है, जो हृदय रोग के खिलाफ काम करती है।
कीटनाशकों का अधिक प्रयोग कर रहा है पानी के स्रोतों को दूषित
दुनिया भर में हर साल खेतों में करीब 30 लाख टन कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इसमें से करीब 70,000 टन कीटनाशक जमीन के अंदर रिसकर भूजल में मिल रहा है जो जमीन के अंदर मौजूद पानी को भी जहरीला बना रहा है।
सरकार ने उत्तरी राज्यों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों में किया संशोधन
केंद्र ने कहा कि उसने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है, ताकि इन राज्यों में पराली जलाने की चुनौती से निपटने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सके।
अच्छे उत्पादन हेतु समन्वित पादप पोषक तत्व प्रबंधन
धान व गेहूं के फसल चक्र में ढेंचे की हरी खाद का प्रयोग करें। फसल चक्र में परिवर्तन करें। उपलब्धता के आधार पर गोबर तथा कूड़ा करकट का कम्पोस्ट बनाकर प्रयोग किया जाये। खेत में फसल के अवशिष्ट जैविक पदार्थों को मिट्टी में मिला दिया जाये।
बदलते भारतीय भोजन की तरफ: मीलेट्स की वापसी
मिलेट्स में पोषक तत्वों का अधिक मात्रा मौजूद होने के कारण इन्हें 'सुपर फूड' के रूप में जाना जाता है। इनमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन बी के अच्छे स्तर पाए जाते हैं। मिलेट्स का खाद्य संचार और पोषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
टमाटर की उन्नत खेती
टमाटर के फलों पर जब लाल व पीले रंग की धारियां दिखने लगें, उस अवस्था में तोड़ लेना चाहिए व कमरे में रख कर पकाना चाहिए। अधपके टमाटरों को दूर स्थानों तक भेजा जा सकता है।
जैविक खेती से गुणवत्तायुक्त उत्पादन लें
जैविक खेती मुख्यतः फसल चक्र, फसल अवशेष, पशु खाद, हरी खाद, प्रक्षेत्र खाद, कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, केंचुए की खाद, मृदा आरक्षक फसलें, खलियां तथा कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग पर स्थिर है तथा भूमि की उर्वरता को स्थिर रखने, वृद्धि पोषक तत्वों की पूर्ति करने तथा कीट व्याधियों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए जैव पीडक प्रणाली पर विश्वास रखती है।
बीज से फसल तक कृषि में खोज ढंगों का योगदान
टिकाऊ कृषि की ओर जाने के अलावा, अच्छी क्वालिटी के बीजों की खोज करना भी आवश्यक है। बीज चयन खोज विधियों में शुद्धता फसल की संपूर्ण गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करेगी। इन खोज विधियों में विशेष गुणों वाले बीजों का ध्यान पूर्वक चयन एवं प्रजनन शामिल होता है जो फसलों की कार्यकारी, उत्पादन एवं स्थिरता को बढ़ाने में सहायता करते हैं।
सब्जी उत्पादन हेतु आवश्यक सुझाव
जब सब्जियों की पैदावार ज्यादा हो और बाजार भाव गिर गया हो तो उनको संरक्षित करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। हरी सब्जियों की डिब्बाबंदी, कैनिंग आदि करके इन्हें दूर के बाजारों में भेजा जा सकता है एवं बाजार भाव अच्छा होने पर उन्हें बेचा जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन: हमारी पृथ्वी को संरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता
जलवायु परिवर्तन, एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक मुद्दा, हमारे समय की परिभाषात्मक चुनौतियों में से एक के रूप में सामने आया है। पिछले कुछ दशकों में, हमारी पृथ्वी को तापमान में महत्वपूर्ण परिवर्तन, बढ़ते तापमान, अत्याधिक मौसमी घटनाएं और अन्य पर्यावरणिक विघटनाओं का सामना करना पड़ा है। यह लेख जलवायु परिवर्तन के कारण और परिणामों पर विचार करता है और इसके प्रभावों को कम करने और हमारे भविष्य की देखभाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।
खाद्य क्षेत्र से बढ़ते उत्सर्जन से निपटने के लिए भोजन में बदलाव जरूरी
अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि पिछले 20 वर्षों में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 14 फीसदी की वृद्धि हुई है, जोकि 200 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है। रिसर्च के मुताबिक उत्सर्जन में होती इस वृद्धि के लिए मुख्य तौर पर पशु आधारित उत्पादों की बढ़ती खपत जिम्मेवार है।
सिंचाई का जलवायु परिवर्तन पर असर
शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि सिंचाई कैसे दुनिया भर में क्षेत्रीय जलवायु और पर्यावरण पर असर डालती है। अध्ययन यह भी बताता है कि सिंचाई कैसे और कहां नुकसानदायक और फायदेमंद दोनों है। अध्ययन भविष्य में पानी का स्थायी उपयोग और फसलों की उपज हासिल करने के लिए आकलन में सुधार के तरीकों की ओर भी इशारा करता है।
आहारीय तत्वों की कमी को पूरा करने वाले डॉ. नेविन एस. सक्रिमशा
डॉ. नेविन के आहार संबंधी प्रोग्रामों के कारण स्थानीय तौर पर कम मूल्य वाले भोजन पदार्थों का विकास होना शुरु हो गया। डॉ. नेविन द्वारा विकसित किये गये भोजन पदार्थों ने कई विकसित देशों की पौष्टिक आहार की कमी को पूरा किया।
अपना खुद का ईंधन बनाने वाला सफल किसान देवेंद्र परमार
श्री परमार का मानना है कि किसानों को अपने वित्त का प्रबंधन करने के लिए खुद का कौशल बढ़ाते रहना चाहिए। किसानों को हमेशा खेती के पुराने तरीकों को छोड़ कर कमाई के नए अवसरों और तरीकों की तलाश करनी चाहिए।