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कगार से वापस
शिकारियों के तीरों और गोलियों से विलुप्त हुआ, जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता 70 साल बाद 2022 में भारत लौटा
कलबज बल्लेबाज
बल्ले बोलते तो सूर्यकुमार यादव की धुआंधार बल्लेबाजी की गर्जना में सारे शोर डूब जाते. सफेद गेंद की क्रिकेट में उन्होंने बल्ले के करतबों की नई इबारतें गढ़ दी हैं
महाठग
पिछले 15 वर्ष में, सुकेश चंद्रशेखर ने कथित तौर पर एक हजार लोगों से कम से कम 500 करोड़ रुपए की ठगी की है.
फिर भी दिल है इंग्लिश्तानी
भारतीय मूल के पहले ब्रितानी प्रधानमंत्री बनकर ऋषि सुनक ने इतिहास रचा, पर अब उन्हें लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा
मान न मान मान पहलवान
हास्य अभिनेता से नेता बने मान को पंजाब में मिली शानदार जीत राज्य के लिए ही नहीं, आम आदमी पार्टी के लिए भी निर्णायक थी
बड़े बाजीगर
ठाणे के दबंग से सीएम की कुर्सी तक, शिंदे के उत्थान की गति तूफानी रही है, जिसकी बदौलत तख्तापलट करके उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा ही बदल दी
पटना में तख्तापलट
बिहार की सियासत के 'चाचा-भतीजा' नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव भाजपा को चुनौती देने के लिए पांच साल बाद एक बार फिर साथ आए
यूपी में योगी को जलवा
कई मिथकों को तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने राज्य में पुलिस सुधार का सिलसिला भी जारी रखा
विरासत की नई इबारत
साल 2022 में, पिछले दो दशकों के पहले गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मार्ग प्रशस्त करने और अभूतपूर्व पैदल जन-संपर्क अभियान शुरू करने के साथ, राहुल ने दिखा दिया कि वे अपने काम को लेकर गंभीर हैं
अव्वल आदिवासी
आदिवासी समुदाय से आने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बार-बार वंचित समुदायों के प्रति सरोकार जताती रही हैं
प्रेरक शक्ति
भारत को आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की कोशिशों की अगुआई करने से लेकर चुनावी राजनीति में भाजपा का तुरुप का पत्ता होने तक, मोदी 2022 में भी जबरदस्त ताकत रहे
"मैं अपनी टीम से हमेशा कहता हूं- संकट को कभी मत गंवाओ"
अरबपति उद्योगपति और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अदाणी इंडिया टुडे के न्यूजमेकर ऑफ द ईयर हैं. ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा के साथ बेबाक बातचीत में वे 2022 के दौरान अदाणी ग्रुप के जबरदस्त विस्तार, भविष्य के मनसूबों, बहुत-से विवादों और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने रिश्तों के बारे में भी बता रहे हैं. बातचीत के अंश:
समृद्धि का सम्राट
अपने दम पर अरबपति बने गौतम अदाणी के लिए 2022 खुद उनके पैमाने से भी असाधारण रहा, जिसमें बुनियादी ढांचे का सबसे बड़ा सौदा भी शामिल, जो देश में पहले नहीं देखा गया
ओबीसी आरक्षण ने फंसाया पेच
अगस्त 2022 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद भूपेंद्र चौधरी के सामने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव बड़ी चुनौती के रूप में थे.
उपलब्ध हैं उद्धव ठाकरे
इन दिनों उद्धव ठाकरे हर तरफ नजर आ रहे हैं. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अध्यक्ष बीते शनिवार को सामाजिक महापुरुषों पर राज्यपाल बी. एस. कोश्यारी की टिप्पणी जैसे मुद्दों के खिलाफ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के मोर्चे में भाग लेते तीन किलोमीटर से ज्यादा पैदल चले.
ज्यादा से ज्यादा देखभाल
दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) ने 27 दिसंबर को एक मॉक ड्रिल शुरू की. मकसद था देश में संक्रमणों में संभावित उछाल की तैयारी. हालांकि, अस्पताल का 450 बिस्तरों का कोविड वार्ड तब खाली था और राजधानी के 8,000 से ज्यादा कोविड बिस्तरों में से महज 14 भरे थे.
हर फन में फन्ने खां
वरुण ग्रोवर को अभी तक आप गीतकार, कॉमेडियन या पटकथा लेखक के रूप में जानते होंगे, पर हाल ही आई फिल्म कला ने बताया कि वे अभिनय भी कर सकते हैं. वे डायरेक्शन में भी उतर चुके हैं. क्या है जो वे नहीं कर सकते!
संगीत के ये नगीने
फिल्म संगीत अपने आप में एक प्रजाति है, और संदर्भों से इतर भी गीतों में एक परिवार के सदस्यों जैसी समानताएं हो सकती हैं. ऐसे में किसी फिल्म को अपनी खास चमक से सजाने वाले गीत या एल्बम किसी खजाने जैसे ही रहे हैं. पेश हैं सुनहरी तिजोरी के 10 रत्न.
कानों में रस घोलते गाने
नई सहस्राब्दी की एक संगीतप्रेमी ने बनाई ऐसे फिल्मी गीतों की फेहरिस्त, जिसने उसकी पीढ़ी वालों के दिलों को गहराई से छुआ
लटकों-झटकों की माया
बॉलीवुड के इतिहास और वर्तमान को बारीकी से दर्ज करती रहीं भावना सोमाया खुद एक प्रशिक्षित डांसर हैं, यहां वे बता रही हैं कि उनके टॉप फिल्मी नाच-गाने कौन से हैं
आंखों में जो बात है
वे अभिनेत्रियां जिनकी रूहानी रौशनी से जगमग हुआ सेल्युलॉइड
ये कंधे किरदारों के
राजकुमार हो या कंगाल, गंभीर हो या चंचल, मूक हो या वाचाल, हिंदी फिल्म के हीरो ने तरह-तरह का किरदार निभाया. पेश है सर्वश्रेष्ठ की सूची
बॉलीवुड: ये उन दिना का बात है
एक ही फिल्मकार की इतनी फिल्में निजी पसंद का हिस्सा हैं कि उनमें से चुनना बेहद तकलीफदेह काम था. मदर इंडिया या अंदाज ? प्यासा, साहिब बीबी और गुलाम या मिस्टर ऐंड मिसेज 55 ? आवारा या श्री 420 ? देवदास या दो बीघा जमीन ? 75 साल के लंबे कालखंड से 10 फिल्में चुनना स्वाभाविक रूप से नामुमकिन है. फिर भी उन ऐतिहासिक फिल्मों की फेहरिस्त प्रस्तुत है जिनका लोकप्रिय हिंदी सिनेमा पर गहरा असर पड़ा.
लाइट, कैमरा और कमाल
शानदार वक्त रहा हो या बहुत ही खराब वक्त, भारतीय सिनेमा दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस करता रहा है और वे क्वालिटी के मामले में खूब विविध भी रही हैं. इस बॉम्बे इंडस्ट्री का आउटपुट अपने प्रभाव के लिहाज से सबसे ज्यादा व्यापक रहा है. यहां पेश हैं 10 ऐसे क्रिएटर्स, जो आंधी हो या तूफान, ओले गिरें या हो महामारी, हमेशा लोगों के दिलो-दिमाग पर छाए रहेंगे. इनमें से ज्यादातर में एक समानता है, बेहतरीन मौसिकी के प्रति उनका लगाव. इसके अलावा, अपने स्टूडियो और फिल्म निर्माण बैनर तैयार करने के लिए उद्यमशीलता की भावना है. यहां 10 लोगों के चुनाव की मजबूरी के चलते इस सूची में से कुछ दिग्गजों के नाम छोड़ने के लिए आप मेरी लानत-मलामत कर सकते हैं. यश चोपड़ा, विजय आनंद, राज खोसला, शक्ति सामंत, दुलाल गुहा, असित सेन, बासु चटर्जी, श्याम बेनेगल और सई परांजपे से माफी चाहता हूं, जो बेशक सर्वकालिक महान लोगों की इस सूची में शामिल हैं.
नृत्य के दशावतार
भारतीय शास्त्रीय नृत्य का मूल सौंदर्यशास्त्र कम से कम दो सहस्त्राब्दियों में विकसित हुआ, वहीं आज हम इसके जिन विभिन्न रूपों को जानते हैं, उनके सार और स्वरूप को गढ़ने में पिछली सदी बेहद अहम रही. नृत्य को नए सिरे से परिभाषित करने वाले 10- दशावतार -कौन थे ? किनके नृत्य की पदचाप ने भारत के सांस्कृतिक इतिहास की राह ही बदल दी ? भारत के अव्वल नृत्य आलोचक - इतिहासकार अब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) को दान दे दिए गए मशहूर मोहन खोकर डांस कलेक्शन (एमकेडीसी) से दस्तावेजी प्रमाणों सहित पेश कर रहे हैं अपना चयन.
रागों के ये ऊंचे राजदार
भारतीय शास्त्रीय संगीत कोई ठोस और ठहरी हुई चीज नहीं है. सांसों के स्पंदन के साथ इसने आकार लिया है. पिछली सदी की इसकी यात्रा इसकी जीवंत गतिशीलता की गवाह रही है. वे दस नक्षत्र जिन्होंने इसका व्याकरण रचा
मंच पर उदात्त मूल्यों की तलाश
पहले भारतीय मिथकों, परंपराओं से जुड़े नाटक रचे गए और फिर कुछ आधुनिक दृष्टिकोण वाले प्रयोग हुए. भारतीय नाटकों ने सार्वभौमिकता की गहरे जाकर तलाश की है
मुल्क की प्रसव-पीड़ा का दस्तावेज
आधुनिक हिंदी उपन्यास अपनी काया में बंटवारे की लंबी छाया, आजादी के बाद का मोहभंग, राजनैतिक उथल-पुथल और जाति व्यवस्था की सचाइयां समेटे हैं
कारून का खजाना
बेहिसाब विविधताओं वाला भारत का हस्तशिल्प क्षेत्र न जाने कितने तूफान झेलकर भी फल-फूल रहा
पुराने धागों से उम्मीद का नया ताना-बाना
महामारी के दौरान स्लो और टिकाऊ फैशन की तरफ बढ़ता रुझान लंबे समय तक हाशिये पर रहे भारतीय हथकरघा क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण बन गया है