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सुक्खू की साख का सवाल
भाजपा असेंबली में अपनी ताकत को बढ़ाने की फिराक में है ताकि कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाए और गिर जाए
बेदम 'स्टारडम'
फिल्मी परदे पर गरजने वाले कलाकारों की सदन में आवाज नहीं निकलती
आंबेडकर और गांधी
भारत निर्माण के दोनों युग-प्रवर्तकों में मतभेदों के बावजूद लक्ष्य के प्रति काफी स्पष्टता थी
सियासी सफर पर क्वीन
फिल्मी दुनिया के अनगिनत विवादों के बीच राजनीति में क्या गुल खिलाएंगी, देखना बाकी
सब कुछ नयाँ है
आइपीएल में इस बार बहुत सी बातें पहली बार हैं, पहली-पहली बार के ये अनुभव दर्शकों को रोमांचित भी कर रहे हैं और आनंद भी दे रहे
स्त्री स्वर, लय, थाप और थिरकन
ओडिशी नृत्यांगना निताशा नंदा ने नृत्य, गायन, वादन और पारंपरिक तथा पाश्चात्य ध्वनियों के संगम से स्त्री सशक्तीकरण का अनोखा रंग पेश किया
संवेदना विस्तार की कथा
एक धारणा है, जो इस समुदाय के प्रति होती है, एक आवरण जो इस समुदाय को घेरे रहता है। इस आवरण की वजह से कयास हैं। जहां भी कयास होते हैं, वहां परिणाम गलत होते हैं।
स्त्री नहीं समाज का संघर्ष
वरिष्ठ कवि अरुण कमल की ये पंक्तियां पुस्तक के मूल को बहुत अच्छे से परिभाषित करती है। साहित्य-समालोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक डॉ. राजीव रंजन गिरि द्वारा संपादित यह पुस्तक स्त्रीवाद पर एक सारगर्भित संकलन है।
राजधानी में विस्थापन
पलायन और विस्थापन इस दौर के सबसे ज्यादा भयावह शब्द है। वैश्विक स्तर पर कभी वर्चस्व की लड़ाई, कभी जमीन के टुकड़े पर हक, कभी सौंदर्यीकरण के नाम पर उजाड़ दिया जाना बहुत ‘साधारण’ होता जा रहा है।
राजनीतिक किस्से
राजनीति में शान्ता कुमार उच्च मूल्यों के पक्षधर नेताओं में से एक रहे हैं। 2019 में चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपने छह दशक के राजनीतिक अनुभव को पाठको के साथ साझा करने का निर्णय लिया। अब आत्मकथा के रूप में यह पुस्तक सामने है।
खोई जमीन पाने की लड़ाई
1990 और 2000 के दशक में उत्तर प्रदेश में दलित वोटों पर एकाधिकार रखने वाली और राजनीतिक चर्चा के केंद्र में रहने वाली मायावती की अगुआई वाली बहुजन समाज पार्टी के लिए ये चुनाव प्रासंगिक बने रहने की चुनौती
टूटेगा 9-2-11 फॉर्मूला
चुनावी फिजा में फिर कांग्रेस के पीछे लगा महादेव ऐप घोटाले का जिन्न
टक्कर जोरदार
पाला बदल राजनीति में सूबे के नेता भी पीछे नहीं, चुनाव से पहले अदला-बदली जोरों पर
दोनों सांसत में
सुक्खू के लिए चुनाव अग्निपरीक्षा, सरकार संकटग्रस्त, तो भाजपा जोड़तोड़ और सेलेब्रेटी के सहारे
लड़ाई कांटे की
भाजपा के लिए जीत की हैट्रिक की राह में रोड़े, कांग्रेस ने 'इंडिया' गठबंधन के तहत अपनी स्थिति मजबूत की, सीकर और नागौर की सीटें प्रतिष्ठा का प्रश्न
मराठी रंग का बोलबाला
शिवसेना और राकांपा में बड़ी टूट से लोकसभा चुनावों में लड़ाई दिलचस्प हुई, मराठी अस्मिता पर चोट भाजपा खेमे को पड़ सकती है भारी
कांग्रेसियों के भरोसे भाजपा
भाजपा भारी एंटी-इनकंबेसी की काट में लगी, तो कांग्रेस में भी जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा
उधार के उम्मीदवार पर दारोमदार
कहीं बगावत तो कहीं दल-बदल, कहीं पैराशूट उम्मीदवार तो कहीं असंतोष, चौतरफा मुकाबले में लड़ाई तगड़ी
लोकतंत्र का यह कैसा अखाडा
शायद पहली बार चुनावी मुद्दों से ज्यादा चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र
बहुमत छूने की बाजी
राजनैतिक पार्टियों और एनडीए तथा 'इंडिया' गठबंधनों के दावों के विपरीत इस बार लोकसभा चुनावों की जमीन अनिश्चित, सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए चुनाव में जीत सियासी वजूद बचाने का सवाल बना
हिरासत में मौत!
पूर्वांचल की राजनीति में बाहुबली के रूप में पहचान पाने वाले नेता का जाना सियासी भूचाल लाने के लिए काफी
मुद्दा वही, जमीन नई
कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ एएसआइ का सर्वेक्षण तो चुनावों की बेला में फिर भोजशाला - मस्जिद विवाद को नए सिरे से हवा
लंबी लड़ाई और छोटी फिल्म
एकाधिक फिल्मकारों ने क्यूबा के अंतहीन युद्ध की 'अदृश्य संभावनाओं' को अपनी विधा में उजागर किया
छोरियां छोरों से कम हैं के!
डब्लूपीएल ने साबित किया कि महिला क्रिकेट का दौर बदस्तूर आ गया है
“हिंसा में कुछ भी रचनात्मक नहीं होता"
बॉम्बे हाइकोर्ट ने 5 मार्च, 2024 को प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा के साथ-साथ हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, प्रशांत राही और पांडु नरोटे को बरी कर दिया। इनमें साईबाबा सहित पांच को कथित माओवादी संबंधों के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
"न्यायिक तंत्र में भरोसा कायम है"
हेम मिश्रा को 2013 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले से गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त वे दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से जुड़े थे। उनके ऊपर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का संदेशवाहक होने और देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया गया।
दिल्ली की हवा खराब है
हवा की गुणवत्ता पर सूची जारी होने के बाद प्रदूषित होते छोटे शहरों की चिंता के बजाय आरोप-प्रत्यारोप शुरू
"डीपफेक को पकड़ना मुश्किल"
डीपफेक वीडियो इतने एडवांस हो चुके हैं कि एक आम आदमी के लिए इसे पकड़ना लगभग नामुमकिन सा है। रूस, यूक्रेन, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के आम चुनावों में डीपफेक का खूब इस्तेमाल हुआ।
'पार्टियां करती हैं अनैतिक कटेंट की मांग'
डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल दुनिया भर के चुनावों में किया जाने लगा है। राजनैतिक पार्टियां डीपफेक बनाने वाली कंपनियों से करार कर रही हैं।
लोकतंत्र पर फेक का साया
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े और सबसे अहम चुनाव में सच के ऊपर झूठ का, असली के ऊपर नकली का साया मंडरा रहा, इस झूठ और फर्जीवाड़े को संभव बनाती है एआइ और डीपफेक की तेज विकसित होती तकनीक और कई टेक्नोलॉजी कंपनियां, क्या हैं खतरे