Modern Kheti - Hindi - 1st June 2024
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जानलेवा बैक्टीरिया साल्मोनेला फैलना एक चिंतनीय विषय
क्या आप जानते हैं कि वो कौन सी वजहें थी जिसकी वजह से दवा प्रतिरोधी साल्मोनेला बैक्टीरिया पूरी दुनिया में फैल गया। इसको लेकर की गई नई रिसर्च से पता चला है कि समय के साथ 20वीं सदी में सूअर पालन के तौर तरीकों में हुए बदलावों से दवा प्रतिरोधी साल्मोनेला बैक्टीरिया दुनिया भर में फैल गया।
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पैकिंग भोजन कैसर कारक रसान का होना चिता का विषय
भारत से विदेशों में निर्यात किए जाने वाले मसालों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों की मौजूदगी को लेकर हंगामा अभी थमा नहीं है।
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आलू की फसल को बैक्टीरियल विल्ट रोग से बचा सकता है कैल्शियम
अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि कैल्शियम, आलू के पौधों को बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग से लड़ने में मदद करता है। उनके मुताबिक कैल्शियम, इस बीमारी के प्रति आलू के पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। यह जानकारी उन किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो दुनिया भर में आलू की खेती से जुड़े हैं।
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मंगल ग्रह पर कैसे हो सकती है सब्जियों की पैदावार
अंतरिक्ष में मानव बस्तियों को आबाद करना एक ऐसा सपना है, जिसे इंसान सदियों से देख रहा है। हालांकि यह तभी मुमकिन हो सकता है, जब इसके लिए वहां पर्याप्त मात्रा में भोजन, पानी और ऑक्सीजन उपलब्ध हो। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में जांच की है कि कैसे मंगल ग्रह पर सब्जियों की पैदावार में इजाफा किया जा सकता है।
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कवर फसलों से बढ़ सकती है कृषि पैदावार
अक्सर सुरक्षा या कवर फसलों का उपयोग मुख्य फसलों की कटाई के बाद जमीन को ढकने के लिए किया जाता है। कवर फसलें क्या होती हैं? कवर फसलें नकदी फसलों से अलग होती हैं, जैसे कि मकई या सोयाबीन। मिट्टी को सुधारने के लिए फसलों का पहला काम खेत को कवर करना है। वे खेतों में मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के नुकसान से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।
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जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ
जिस तरह इंसान पृथ्वी पर बदलाव कर रहा है उन सभी कारकों से न केवल संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं, साथ ही उनमें कमी भी आ सकती है। इस अध्ययन में जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई, वो यह है कि प्राकृतिक आवासों के खत्म होने या उनमें बदलाव से संक्रामक रोगों का खतरा घट सकता है।
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गोबर और केंचुआ बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-ज्ञानेश तिवारी
रासायनिक कीटनाशकों के बुरे प्रभाव के चलते खेती-किसानी में जैविक खाद का उपयोग बढ़ा है। इसी कड़ी में वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) के इस्तेमाल का महत्व भी बढ़ा है। गोबर और केंचुआ ने शाहजहांपुर के एक प्रगतिशील युवा किसान की जिंदगी बदल कर रख दी।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कृषि विज्ञानी अरतुरी इल्मारी विरटानन
अरतुरी एक रसायन विज्ञानी थे। 1945 में उनको रसायन विज्ञान के विषय में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म 1895 में फिनलैंड के हैलसिनकी में हुआ। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई फिनलैंड के विपुरी शहर में स्थित क्लासीकल लाइसीऊम से की। उनके द्वारा चारे की फसल के रख-रखाव के लिए कई आविष्कार किये गये।
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अरण्ड एक महत्वपूर्ण एवं व्यवसायिक अखाद्य तिलहन
सिंचाई देने से अरण्ड की पैदावार में आशातीत बढ़ोतरी होती है। पानी की उपलब्धता एवं भूमि की जल धारण क्षमता के अनुरूप 3-4 सिंचाईयों से लेकर 7-8 सिंचाईयां देनी पड़ती हैं। बिजाई से 50-60 दिन एवं 80-95 दिन बाद अगर नमी की कमी हो तो सिंचाई अवश्य करें। बाद में पानी सिंचाई की उपलब्धता के अनुसार गुच्छों की कटाई के बाद गर्मी में 15-20 व सर्दी में 25-30 दिन के अन्तराल पर करते रहें।
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पपीते की खेती किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
पपीता पोषक तत्वों से भरपूर अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक जल्दी तैयार होने वाला फल है। पपीते का पके तथा कच्चे रूप में प्रयोग किया जाता है।
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धान की सीधी बिजाई
धान-गेहूं हरियाणा का मुख्य फसल चक्र है। हरियाणा में धान की फसल 15.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है। कुल धान के क्षेत्र में से दो तिहाई क्षेत्र में बासमती धान ली जाती है। राज्य में धान की सिंचाई अधिकतर टयूबवैलों के पानी पर निर्भर है और अधिकतर टयूबवैलों का पानी नमक/लवण के कारण खराब है।
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फूड प्रोसैस्सिंग मार्केटिंग में एफ.पी.ओ. की महत्ता
फूड प्रोसैस्सिंग सैक्टर में मुख्य तौर पर कृषि उत्पादन के रखरखाव अथवा शीघ्र खराब होने वाले कृषि उत्पादों, फल-सब्जियों एवं दूध इत्यादि के भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए रखरखाव से संबंधित है। भारत में अधिकतर गैर संगठित फूड प्रोसैस्सिंग उद्योगों का दबदबा है। देश में लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन संगठित, 42 प्रतिशत गैर संगठित एवं बाकी उत्पादन छोटे खिलाड़ियों से आता है।
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पशुओं के दुग्ध उत्पादन में खनिज लवणों का महत्व
खनिज लवणों की उपयुक्त मात्रा पशुओं के शारीरिक विकास, दुग्ध उत्पादन व शरीर की आंतरिक क्रियाओं को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।
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कद्दूवर्गीय व बेल वाली सब्जियों की प्रमुख बीमारियां तथा उनका नियंत्रण
कद्दूवर्गीय सब्जियों में अन्य सब्जियों की तुलना में कम कैलोरी व आसानी से पचने वाली होती हैं। इस कारण से ये सब्जियां संतुलित आहार एवं स्वास्थ के लिए भोजन में विशेष योगदान प्रदान करती हैं।
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सहभागी पौध प्रजनन किसानों के लिए एक नई उम्मीद
सहभागी पादप प्रजनन में भागीदारी (पीपीबी) दृष्टिकोण का एक मूलभूत पहलू है। इसमें पादप प्रजनकों, किसानों, शोधकर्ताओं, उपभोक्ताओं, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी संगठनों और कभी-कभी निजी क्षेत्र की संस्थाओं सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग शामिल है।
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पशु स्वास्थ्य में खनिज लवणों का योगदान
पशु के शरीर में होने वाली क्रियाओं में खनिज लवणों का महत्वपूर्ण योगदान है। पशुओं के आहार में खनिज लवणों की कमी से उनमें दूध देने की क्षमता में कमी आ जाती है। प्रजनन से संबंधित रोग व असफल प्रजनन की समस्या पैदा हो जाती है।
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मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान
किसान भाई यदि भूमि को सुधारना व कम लागत में अधिक मनाफा कमाना चाहते है, तो मृदा परीक्षण अवश्य करायें, जिससे उचित पोषक तत्व प्रबंधन (मांग आधारित) सुनिश्चित किया जा सके। इससे न केवल मृदा स्वस्थ बनी रहेगी बल्कि उत्पादन लागत में कमी आयेगी। वर्तमान भारतीय कृषि परिदृश्य में उत्पादन लागत को कम करते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है।
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अमेरिकन फाउल बुड मधुमक्खियों का एक विनाशकारी दुश्मन
मधुमक्खियां एक सामाजिक कीट हैं जो छत्ते में एक साथ रहती हैं। छत्ते के में सदस्यों के कुल तीन प्रकार है: रानी, श्रमिक और ड्रोन।
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Editor: Mehram Publications
Categoría: Business
Idioma: Hindi
Frecuencia: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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