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फूलों की गंध को पहचानने की क्षमता कम हुई मधुमक्खियों में
एक नए शोध के मुताबिक, ओजोन प्रदूषण फूलों से निकलने वाली फूलों की गंध को काफी हद तक बदल देता है, जिसने मधुमक्खियों की कुछ मीटर की दूरी से गंध पहचानने की क्षमता को 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है।
भारत में बढ़ रहा सूखे का प्रकोप
एक तरफ जहां पहले कम बारिश के चलते जून और जुलाई के दौरान बुआई में देरी हुई थी। वहीं अब वे बारिश की कमी के चलते फसलों के विफल होने या उसमें गिरावट की आशंका को लेकर चिंतित हैं।
8 देशों के किसान जलवायु परिवर्तन को एक बड़ी चुनौती मानते हैं
बायर कंपनी द्वारा किए गए 'फार्मर वॉयस' सर्वेक्षण में भारत सहित आठ देशों के किसानों ने हाल के वर्षों में मौसम में कुछ बदलाव की सूचना दी है।
रासायनिक कीटनाशकों का नियमन जरूरी
हमारी पारम्परिक खेती, अपने बीज और देशी नुस्खे फसल को सुरक्षित और जहर होने से बचाने में सक्षम हैं। इसलिए इंसान की सेहत, अन्न की पौष्टिकता, जमीन की उर्वरता और पानी के अमरत्व को बनाये रखने के लिए रासायनिक कीटनाशकों पर नियंत्रण अनिवार्य हो गया है।
प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी - डॉ. विलियम ए. अलब्रैक्ट
मिट्टी की कम होती उपजाऊ शक्ति के मामलों के बारे में उन्होंने ढूंढा कि यह सब प्राकृतिक वस्तुओं की कमी, महत्वपूर्ण तत्वों की कमी एवं आवश्यक खनिजों की कमी के कारण होता है। इनकी कमी वाली भूमि में फसलें कम होती हैं। फसलों की गुणवत्ता में भी कमी होती है।
खेती में नया प्रयोग करने वाले बाड़मेर के युवा किसान - विक्रम सिंह
युवा किसान विक्रम सिंह ने खेती में कुछ नया करने की सोची और अब उनके खेत में आलू की बंपर पैदावार हुई तो यह साबित भी हो गया। इसी कारण विक्रम सिंह की चर्चा चारों तरफ जारी है।
अल नीनो का खेती पर पड़ेगा प्रभाव जलवायु के अनुरूप ढालें किसान
एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में भारत में अचानक सूखा पड़ने की घटनाओं में वृद्धि होगी। इसका फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा।
वैज्ञानिक तकनीकों से बढ़ सकता है कृषि उत्पादन
किसानों को इस डिजिटल क्रांति के मूल में रखते हुए, समावेशी तक किफायती पहुंच की सुविधा प्रदान करके ऐसा करने की आवश्यकता है।
अफ्रीकी देशों में कृषि को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
दुनिया के खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र में अफ्रीका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, अफ्रीकी आर्थिक एकीकरण पर बी20 इंडिया एक्शन काउंसिल के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा कि इस महाद्वीप को कृषि के लिए अपनाया जाना चाहिए और यह पूरी दुनिया को बदल सकता है। 'दुनिया की 60% कृषि योग्य और फिर भी बंजर भूमि अफ्रीका में है। आपको बस बीज फेंकना है और फसल उग आएगी। वहां जमीन इतनी उपजाऊ है, फिर भी वह नहीं किया जा रहा है,' मित्तल, जो भारती एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा।
सिंथेटिक कीटनाशकों का हरित विकल्प विकसित किया
बैंगन पूरे एशिया में उगाई जाने वाली व्यापक रूप से खाई जाने वाली सब्जी है। यह पूरे क्रूर कीटों के हमलों के प्रति संवेदनशील है, जिससे उपज का भारी नुकसान होता है। एक भारतीय शोध दल ने दिखाया है कि कैसे बैंगन का जन्मजात नियंत्रण तंत्र और इसका जैव कीटनाशक शूट एंड फ्रूट बोरर (एसएफबी) कीट से निपटने में मदद कर सकता है।
किसान के कितने काम आ रहा है किसान क्रेडिट कार्ड
'तीन लाख रुपए तक कृषि ऋण के लिए सभी तरह के सेवा शुल्क जैसे प्रोसैस्सिंग फीस, इंस्पेक्शन चार्ज, लेजर फोलियो चार्ज पर छूट है। साथ ही, एक लाख रुपए के बजाए अब छोटी अवधि के लिए 1.60 लाख रुपए तक का कृषि ऋण बगैर किसी गिरवी के होगा।' किसानों को सहज और सुलभ कृषि ऋण के एक सवाल पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में यह जवाब 14 दिसंबर, 2021 को दिया था।
राष्ट्रीय जैविक नीति में सुधार करेगी सरकार
भारत में जैविक खेती के नाम पर रासायनिक खेती का काम लंबे समय से होता आ रहा है। इतना ही नहीं, ऑर्गेनिक फूड की जगह लोग रासायनिक खाद की मदद से उपजाई गई फसलों को खाते आ रहे हैं।
कपास की सुरक्षित खेती, वैज्ञानिक तरीकों से ही होती
कपास एक अत्यंत महत्वपूर्ण नकदी फसल है। यह वातावरण, मृदा एवं कीटों के प्रति एक संवेदनशील फसल है। कपास की कृषि प्रक्रिया में छोटी सी चूक भी कम लाभ या हानि होने की संभावनाओं को बढ़ा देती है। कपास की खेती में उचित खनिज पोषण, खरपतवार नियंत्रण, कीट नियंत्रण एवं रोग नियंत्रण ही कपास की खेती को सुरक्षित एवं लाभप्रद बनाता है।
आलू की खेती से पाएं अधिकाधिक लाभ
आलू की खेती अधिकतर कंद लगाकर की जाती है। एक सफल फसल के लिए किस्मों की शुद्धता और स्वस्थ बीज कंद प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। कंद बीज रोग रहित, अच्छी तरह से अंकुरित और प्रत्येक का वजन 30-40 ग्राम होना चाहिए। रोपण के लिए संपूर्ण बीज कंद का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
जलवायु अनुकूल कृषि पर वैश्विक कार्रवाई समय की मांग
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न हितधारकों से जलवायु लचीला कृषि सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करने का आह्वान किया। \"जलवायु लचीले कृषि पर जी20 तकनीकी कार्यशाला\" के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, करंदलाजे ने कहा कि कृषि सबसे संवेदनशील क्षेत्र है और जलवायु परिवर्तन से काफी प्रभावित है जो पहले से ही जी20 देशों को प्रभावित कर रहा है क्योंकि कृषि क्षेत्र पर प्रभाव पहले से ही है। महसूस किया जा रहा है।
बढ़ रही वैश्विक गर्मी मानवता के लिए चेतावनी
भारत जलवायु अनुकूल कृषि हासिल करने की अपनी क्षमता को मजबूत करने के लिए ज्ञान, अनुभव और संसाधनों को साझा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि कृषि के लिए जलवायु जोखिमों को कार्रवाई योग्य पैमाने पर चिह्नित करना आवश्यक है।
महिलाओं का कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान
भूमि प्रबंधन में महिलाएं बहुत योगदान देती हैं। वे वनों से खाद तैयार करती हैं। भारतीय महिलाओं ने चिपको और अप्पिको जैसे वनों की सुरक्षा के लिए कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाएं किसान जानती हैं कि पानी की गुणवत्ता का संरक्षण कैसे किया जाता है।
ऐक्वाकल्चर तथा हाइड्रोपोनिक्स का अनोखा मिश्रण - ऐक्वापोनिक्स
हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं जिसमें जीवन केवल पृथ्वी पर सम्भव है। पृथ्वी पर वे सभी संसाधन उपलब्ध हैं जो जीवन यापन के लिए अनिवार्य हैं जैसे जल, वायु, कृषि इत्यादि।
मूंगफली में पाया जाने वाला टिक्का और जड़ गलन रोग की पहचान एवं बचाव
मूंगफली तिलहनी फसलों के रुप में ली जाने वाली प्रमुख फसल है। मूंगफली की खेती मुख्य रूप से रेतीली एवं कछारी भूमियों में सफलतापूर्वक की जाती है।
डेयरी फार्मिंग में बायपास फैट का महत्व
हरियाणा में डेयरी पशु खासकर भैंसें उच्च फैट वाले दूध का मुख्य स्रोत है। प्रारंभिक दूध उत्पादन के दौरान और शरीर के रखरखाव के लिए आवश्यक ऊर्जा की जरूरत होती है, जो आहार से उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा से अधिक होती है जिसके कारण नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है जिस कारण शरीर के संरक्षित फैट का इस्तमाल करना पड़ता है।
बीज उद्योग की चटपटी खबरें (प्रथम कड़ी) महाराष्ट्र में लागू होगा ई.सी.एक्ट
बीज कानून एवं उर्वरक कानून दोनों केन्द्र के कानून हैं और राज्य इनमें कुछ भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता। हाँ, कुछ संशोधन करने का सुझाव दे सकता है और यदि वह संशोधन हो जाता है तो महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगा।
एक आदर्श सोसायटी है लांबड़ा कांगड़ी सोसायटी
आर्थिक, समाजिक और कृषि की चुनौतियों को हल करने के सक्षम है यह लांबड़ा कांगड़ी की सोसायटी। ऐसी सफल और आदर्श सोसायटियां किसी बाहरले तत्व द्वारा नहीं चलाई जा रही हैं, बल्कि गाँव वासियों द्वारा गाँव के विकास के लिये चलाई जा रही हैं।
पशुपालन के बेहतर उपाय
पशुपालन का अभ्यास चुनौतियों और बाधाओं से भरा हुआ है। इन चुनौतियों का समाधान करके और स्थायी प्रथाओं को लागू करके, हम कृषि और पर्यावरण प्रबंधन के बीच अधिक सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। इस आलेख में इन्ही चुनौतियों के समाधान और स्थाई प्रथाओं को लागू करने संबंधी उपायों की चर्चा विस्तार में की गयी है।
गन्ने की फसल के प्रमुख रोग, लक्षण एवं उनकी रोकथाम
गन्ने का पोक्काबोइंग रोग लक्षण: गन्ने का पोक्काबोइंग रोग, जिसे साधारण भाषा में सब्सिडी रोग भी कहा जाता है, एक पौधों का संक्रामक रोग है जो खेती की महत्वपूर्ण फसलों में पाया जाता है। यह रोग गन्ने के पौधों को प्रभावित करके उनके पत्तों, डंठलों और फूलों में कमजोरी और काले दागों का कारण बनता है।
कांग्रेस घास: एक विदेशी खरपतवार
कांग्रेस घास मनुष्यों और पशुधन आबादी के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। खरपतवार के पराग कण एलर्जी पैदा करने वाले होते हैं, जिससे मनुष्यों में ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, राइनाइटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, हे फीवर, साइनसाइटिस, सामान्य सर्दी, गर्दन में दर्द और यहां तक कि अवसाद भी होता है। खरपतवार के बार-बार संपर्क में आने से जिल्द की सूजन, एक्जिमा, पैलेटोंसिस और गैंग्रीन हो जाते हैं।
धान का ब्राउन प्लांटहॉपर कैसे डालता है प्रभाव?
धान में खेत की परिस्थितियों में उगाया गया ब्रीडिंग स्टेशन, टीएनएयू। शोधकर्ताओं ने पर वर्णक्रमीय आकलन भी किया बीपीएच के संक्रमण के बाद पौधे।
बीज व पौधों में जैव विविधता बढ़ाने की आवश्यकता
जलवायु और भू-वैज्ञानिक इतिहास दोनों ही नव और पुरापाषाणवाद को प्रभावित करते हैं, लंबे समय में जलवायु स्थिरता पुरापाषाणवाद की गम्भीरता और समुद्री द्वीपों की अलग-अलग प्रकृति और उनके अनोखे भू-वैज्ञानिक इतिहास को नव-स्थानीयवाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है।
आम होती महंगाई से कृषि कारोबार के उदारीकरण का सपना बिखरा
सरकार ने वर्ष 2020 में जब कृषि क्षेत्र के उत्पादों के कारोबार को आर्थिक सुधारों का जामा पहनाते हुए तीन कृषि कानूनों को लागू करने का फैसला लिया तो शायद उसे दूर-दूर तक इस बात की उम्मीद नहीं थी कि तीन वर्ष के भीतर ही देश में कृषि उत्पादों के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) जैसे सख्त कानून के प्रावधानों को लागू करना पड़ेगा।
पी.ए.यू. ने भूमि रहित काश्त में स्वदेशी हाईब्रिड हाईड्रोपोनिक्स तकनीक में नेशनल पेटैंट किया हासिल
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को कृषि अनुसंधान के कार्यों में तब बड़ी सफलता देखने को मिली जब इसके वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की हाईब्रिड हाईड्रोपोनिक्स तकनीक को नेशनल पेटैंट हासिल हुआ।
मछली पूंग तैयार करने के लिए उचित प्रबंधन
मछली पालन में अच्छा उत्पादन एवं लाभ बीज की गुणवत्ता, मछली प्रजनन की सफलता एवं ब्रूडर मछलियों के सही पालन-पोषण पर निर्भर करता है। ब्रूडस्टाक के साथ-साथ यदि मछली के बीज की सांभ-संभाल वैज्ञानिक ढंगों से न की जाये तो अधिकतर बीज नर्सरी तालाब में ही दम तोड़ देते हैं।