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![यमयातना से मुक्ति एवं स्वर्ग व मोक्ष दायक व्रत यमयातना से मुक्ति एवं स्वर्ग व मोक्ष दायक व्रत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/UP4xCnDd41697106571714/1697106756504.jpg)
यमयातना से मुक्ति एवं स्वर्ग व मोक्ष दायक व्रत
पापांकुशा-पाशांकुशा एकादशी : २५ अक्टूबर
![आनंदस्वरूप आत्मा अपने पास है फिर भी दुःखी क्यों? आनंदस्वरूप आत्मा अपने पास है फिर भी दुःखी क्यों?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/9VKy9cpzr1697106183638/1697106565362.jpg)
आनंदस्वरूप आत्मा अपने पास है फिर भी दुःखी क्यों?
भगवान शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं :
![संसार का मोह कैसे मिटे? संसार का मोह कैसे मिटे?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/xhvc_YTuV1697106003482/1697106177166.jpg)
संसार का मोह कैसे मिटे?
किसी भक्त ने स्वामी अखंडानंदजी से पूछा : \"महाराजजी! हम संसार का मोह कैसे मिटायें? बहुत कोशिश करने पर भी मोह नहीं मिटता। कोई मार्ग बताने की कृपा कीजिये।\"
![बालक नामदेव की सर्वात्मभावना बालक नामदेव की सर्वात्मभावना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/ONJ-ghK1m1697105817971/1697105970057.jpg)
बालक नामदेव की सर्वात्मभावना
(संत नामदेवजी जयंती : २६ अक्टूबर)
![जन्मों तक भटकाती भोगासक्ति जन्मों तक भटकाती भोगासक्ति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/3Wamr8xAe1697105502766/1697105814519.jpg)
जन्मों तक भटकाती भोगासक्ति
किसी अच्छे घराने के कुटुम्ब ने किन्हीं पहुँचे हुए आत्मज्ञानी संतपुरुष को अपना ५-७ साल का बच्चा समर्पित कर दिया।
![चिंता चिता समान चिंता चिता समान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/sf6rm14fH1697105089168/1697105452326.jpg)
चिंता चिता समान
(वर्तमान के तनावग्रस्त वातावरण में ये आम उद्गार हैं कि 'हमें कुटुम्ब की, समाज की, इसकी-उसकी चिंता करनी चाहिए।' लेकिन समस्याएँ हैं कि बढ़ती ही जा रही हैं। ऐसा क्यों? इस बारे में विवेक जागृत करती पूज्य बापूजी के मुखारविंद से निःसृत एक प्रेरक कथा:)
![विवेक कीजिये विवेक कीजिये](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1470250/Tl24f6SeO1697104535259/1697105087617.jpg)
विवेक कीजिये
भगवान श्रीरामचन्द्रजी के वनवास के बाद उनका राज्याभिषेक हुआ कुछ दिन बीते न बीते कौसल्या सुमित्रा और कैकेयी–तीनों माताओं ने विचार-विमर्श करके रामजी को कहा : “पुत्र! रामराज्य तो हो गया, हमने राजमाताएँ होकर जी भी लिया है। अब वत्स! हमें अपने आत्मकल्याण के लिए वन भेजने की व्यवस्था करो।\"
![...तो आपका व्यवहार साधनामय हो जायेगा ...तो आपका व्यवहार साधनामय हो जायेगा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/1tiIl0iU61694696243914/1694696436195.jpg)
...तो आपका व्यवहार साधनामय हो जायेगा
मंगलमय संदेश
![दैवी चिकित्सा व गुरुकृपा का अद्भुत परिणाम दैवी चिकित्सा व गुरुकृपा का अद्भुत परिणाम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/-prbPguPL1694696061699/1694696231545.jpg)
दैवी चिकित्सा व गुरुकृपा का अद्भुत परिणाम
२०१७ में मुझे लीवर सिरोसिस की बीमारी हुई। उपचार चला किंतु तकलीफ पूरी तरह ठीक नहीं हुई।
![दोषबुद्धि निंदनीय क्यों? दोषबुद्धि निंदनीय क्यों?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/rrfqy6h0l1694695761741/1694696042482.jpg)
दोषबुद्धि निंदनीय क्यों?
ईर्ष्या का परम भयानक स्वरूप
![परमहंस संत भूमानंदजी के जीवन-प्रसंग परमहंस संत भूमानंदजी के जीवन-प्रसंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/3o05wTZFC1694695507285/1694695728980.jpg)
परमहंस संत भूमानंदजी के जीवन-प्रसंग
('बाहर से मूकवत्, अंदर से उतने ही सजग!’ गतांक से आगे)
![विमल विवेक जगा के परमेश्वर के माधुर्य को पा लो विमल विवेक जगा के परमेश्वर के माधुर्य को पा लो](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/9ZFLDlWFK1694695217089/1694695492782.jpg)
विमल विवेक जगा के परमेश्वर के माधुर्य को पा लो
जिस शरीर को छोड़ जाना है उसके अहं को सजाने में जिंदगी तबाह हो जाती है और जो साथ में रहना है उसको व्यक्ति पाता ही नहीं है क्योंकि विवेक की कमी है। लौकिक विवेक तो है परंतु सत्य-असत्य का विवेक नहीं है, सार-असार का विवेक नहीं है। सार के लिए प्रयत्न करें, असार से थोड़ा-सा उपराम हो जायें, सच्चाई का आसरा लें। बस, सारी बाजी जीत लें।
![प्रार्थना व दृढ़निश्चय का फल प्रार्थना व दृढ़निश्चय का फल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/QB4bQx1Ii1694694910747/1694695200633.jpg)
प्रार्थना व दृढ़निश्चय का फल
(महात्मा गांधी जयंती : २ अक्टूबर)
![मेरे सद्गुरु कृपानिधान, सिखाते व्यवहार में ऊँचा ज्ञान मेरे सद्गुरु कृपानिधान, सिखाते व्यवहार में ऊँचा ज्ञान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/IDuW8K4kK1694694531986/1694694877427.jpg)
मेरे सद्गुरु कृपानिधान, सिखाते व्यवहार में ऊँचा ज्ञान
(गतांक से आगे)
![कलंक बापूजी पर नहीं, सनातन धर्म पर लगाया है कलंक बापूजी पर नहीं, सनातन धर्म पर लगाया है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/59rTrbHlR1694694269305/1694694520378.jpg)
कलंक बापूजी पर नहीं, सनातन धर्म पर लगाया है
आशारामजी बापू को जिस प्रकार टारगेट किया गया यह किसी साधारण व्यवस्था का काम नहीं है, इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है।
![सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/Jw1144i-41694694067205/1694694264129.jpg)
सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध
श्राद्ध पक्ष : २९ सितम्बर से १४ अक्टूबर
![शिष्य का परम धर्म शिष्य का परम धर्म](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1440856/ZyvjmaH371694693649614/1694694052583.jpg)
शिष्य का परम धर्म
लाहौर निवासी भाई सुजान एक अच्छे वैद्य थे। वे लोगों का उपचार तो करते पर उनका मन अशांत और बेचैन रहता था। मन की शांति कैसे मिले इसका वे चिंतन करते रहते थे। आत्मशांति की इसी खोज ने उन्हें आनंदपुर साहिब गुरु गोविंदसिंहजी के दरबार में पहुँचा दिया। सुजानजी ने दर्शन कर मत्था टेका तो बड़ी शांति, तृप्ति मिली। उन्होंने उसी क्षण मन-ही-मन गुरु गोविंदसिंहजी को गुरु मान लिया और सोचा कि अब इन्हींके चरणों में रहूँगा।'
![आध्यात्मिक रक्षा व व्यापक प्रेम की प्रसादी प्रकटाने का दिवस आध्यात्मिक रक्षा व व्यापक प्रेम की प्रसादी प्रकटाने का दिवस](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/CHQAEppkd1691667351061/1691667770397.jpg)
आध्यात्मिक रक्षा व व्यापक प्रेम की प्रसादी प्रकटाने का दिवस
हर लक्ष्य की प्राप्ति में सर्वप्रथम आवश्यकता है ऊँचे संकल्प की, ऊँचे विचारों की
![चतुर्मास में क्या करें, क्या न करें? चतुर्मास में क्या करें, क्या न करें?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/xJAm3cd-Q1691667060933/1691667333606.jpg)
चतुर्मास में क्या करें, क्या न करें?
मिली हुई शक्ति के सदुपयोग का नाम है 'साधना'
![मनोवांछित फलप्रद एकादशी का माहात्म्य व कथा मनोवांछित फलप्रद एकादशी का माहात्म्य व कथा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/0pgcR7EzQ1691666672598/1691667050507.jpg)
मनोवांछित फलप्रद एकादशी का माहात्म्य व कथा
सच्चे हृदय से की हुई प्रार्थना भगवान अंतर्यामी जल्दी स्वीकार कर लेते हैं, सुन लेते हैं
![सुख-दुःख का संबंध वस्तुएँ मिलने - न मिलने से नहीं सुख-दुःख का संबंध वस्तुएँ मिलने - न मिलने से नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/oHNKmBjN61691650669518/1691666648492.jpg)
सुख-दुःख का संबंध वस्तुएँ मिलने - न मिलने से नहीं
जो सत्संगियों की सेवा करता है उसका अंतरात्मा संतुष्ट होता है
![उच्च शिक्षा: भ्रम व हकीकत उच्च शिक्षा: भ्रम व हकीकत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/hyFzR8BCC1691650382334/1691650645658.jpg)
उच्च शिक्षा: भ्रम व हकीकत
वासना निवृत्त करनेवाला सुख तो केवल आत्मसुख है, आत्म-ध्यान है
![सत्य का सूक्ष्म विश्लेषण सत्य का सूक्ष्म विश्लेषण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/Qp7R-HZRO1691650130460/1691650376321.jpg)
सत्य का सूक्ष्म विश्लेषण
जितना तुम सत्यनिष्ठ होओगे उतनी तुम्हारी योग्यताएँ निखरेंगी
![...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा ...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1405146/oTEv-SYCB1691649826492/1691650081832.jpg)
...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा
राग-द्वेष मनुष्य की शक्ति का ह्रास करता है
![गुरु की पूजा का महत्त्व गुरु की पूजा का महत्त्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/pBXj2vED01688983335048/1688983609540.jpg)
गुरु की पूजा का महत्त्व
(गतांक से आगे) परम सद्भागी हैं ऐसे मनुष्य !
![गुरुनिष्ठा के आगे झुक गया हाथी गुरुनिष्ठा के आगे झुक गया हाथी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/giYENamsw1688983136954/1688983328555.jpg)
गुरुनिष्ठा के आगे झुक गया हाथी
रसिकमुरारि नाम के एक महात्मा हो गये। वे बड़े ही संतसेवी और गुरुभक्त थे। अपने गुरुदेव के प्रति रसिकजी की कैसी अटूट निष्ठा व भक्तिभाव था, इससे जुड़ा उनके जीवन का एक मधुर प्रसंग उल्लेखनीय है।
![अलबेले बेला की निराली गुरुनिष्ठा अलबेले बेला की निराली गुरुनिष्ठा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/u9kLlgmgP1688982794525/1688983053710.jpg)
अलबेले बेला की निराली गुरुनिष्ठा
गुरु गोविंदसिंहजी के एक शिष्य बेला ने उनसे निवेदन किया : \"गुरुजी ! मुझे कुछ सवा दीजिये।\"
![मुझे मेरा ईश्वर मिल गया मुझे मेरा ईश्वर मिल गया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/8FA-Bf-pi1688982628785/1688982778392.jpg)
मुझे मेरा ईश्वर मिल गया
एक बार चैतन्य महाप्रभु ने अपने रघुनाथ नाम के भक्त से कहा : \"तू चिंता मत कर, मेरी शरण में आ गया है तो मेरी कृपा से जरूर ईश्वर को उपलब्ध होगा।”
![पद्मिनी एकादशी का माहात्म्य, विधि व कथा पद्मिनी एकादशी का माहात्म्य, विधि व कथा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/DQ6Icvp6b1688982261166/1688982619870.jpg)
पद्मिनी एकादशी का माहात्म्य, विधि व कथा
पद्मिनी (कमला) एकादशी : २९ जुलाई
![गुरु के प्रति प्रेम व समर्पण के आदर्श : पूज्य बापूजी गुरु के प्रति प्रेम व समर्पण के आदर्श : पूज्य बापूजी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1369860/eozJ3yM0I1688981784596/1688982238796.jpg)
गुरु के प्रति प्रेम व समर्पण के आदर्श : पूज्य बापूजी
ईश्वरप्राप्ति की ऐसी लगन, परमात्मा के प्रति ऐसा प्रेम और ऐसी तीव्र तड़प कि उसके लिए विभिन्न प्रकार की साधनाएँ कीं, तपस्या की, संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन शुरू किया लेकिन जब सद्गुरु मिले तो कुछ ही दिनों में उनके अनुभव को अपना अनुभव बनाने में सफल हो गये... जानते हैं कौन ?