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![मृदा परीक्षण उद्देश्य, आवश्यकता एवं नमूना लेने का तरीका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1635532/q2QeArcie1710840256135/1710840691760.jpg)
मृदा परीक्षण उद्देश्य, आवश्यकता एवं नमूना लेने का तरीका
मिट्टी में पोषक तत्वों के स्तर की जांच करके फसल एवं किस्म के अनुसार तत्वों की सन्तुलित मात्रा का निर्धारण कर खेत में खाद एवं उर्वरक मात्रा की सिफारिश हेतु।
![कपास फसल की सिफारिशें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1635532/MaXERm5h_1710839902433/1710840233750.jpg)
कपास फसल की सिफारिशें
रेतीली, लूणी और सेम वाली भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती हैं। जमीन अच्छी प्रकार से तैयार करने के लिए 3-4 जुताईयां काफी हैं।
![थ्रेशिंग उपकरण का समायोजन, संचालन और रखरखाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1635532/aErIRHZm31710834648477/1710839894943.jpg)
थ्रेशिंग उपकरण का समायोजन, संचालन और रखरखाव
रैस्प-बार टाइप, वायर लूप टाइप और एक्सियल फ्लो टाइप थ्रेशर धान के लिए उपयुक्त हैं और ये महीन पुआल नहीं बनाते हैं। रास्पबार प्रकार के थ्रेशर का उपयोग अन्य फसलों की थ्रेशिंग के लिए किया जा सकता है, लेकिन किसान इस मशीन को पसंद नहीं करते क्योंकि यह 'भूसा' नहीं बनाती है; और इसके भारी आकार के कारण लागत बहुत अधिक है। हालांकि हैमर मिल प्रकार के थ्रेशर अच्छी गुणवत्ता वाले 'भूसा' का उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन उच्च शक्ति की आवश्यकता के कारण इसका उपयोग दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है।
![भूमि सुधार के लिए एकीकृत पोषण प्रबंधन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1635532/GamTKpXMJ1710834273174/1710834586995.jpg)
भूमि सुधार के लिए एकीकृत पोषण प्रबंधन
कृषि खोज बताती है कि फसलों से अधिक उत्पादन लेने के लिए एवं भूमि की उपजाऊ शक्ति को सदीवी बरकरार रखने के लिए रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक खादों का प्रयोग भी आवश्यक है। भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिए देसी खादों का बहुत महत्व है।
![उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/CBLQUreYE1708084812193/1708085134250.jpg)
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
अच्छी उपज के लिए प्रमाणित बीज का प्रयोग करें, जो कि अच्छे संस्थान से ही प्राप्त हो सकता है। इससे अच्छा जमाव और बीज की किस्म की उत्तमता के विषय में सुनिश्चितता होती है, साथ-साथ बीज शारीरिक बीमारियों से मुक्त होता है।
![नील हरित शैवाल एक जैविक खाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/y5_OpvpaI1708084452025/1708084807785.jpg)
नील हरित शैवाल एक जैविक खाद
एक बार जिस खेत में नील हरित काई जैविक खाद का प्रयोग किया गया हो वहां यही कोशिश रहे कि उस खेत में लगातार 3 से 4 वर्षों तकइस जैविक खाद का उपयोग होता रहे। इससे आने वाले वर्षों में इस काई के पुर्नउपचार की आवश्यकता नहीं होती। साथ ही उस भूमि की उर्वरता बनी रहती है।
![अंगूर के पौधों की काट-छांट और सधाई कैसे करें; भरपूर उत्पादन हेतु](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/BqsDe3ThW1708084036975/1708084284626.jpg)
अंगूर के पौधों की काट-छांट और सधाई कैसे करें; भरपूर उत्पादन हेतु
अंगूर की सफल बागवानी तथा अधिक फल उत्पादन हेतु बहुत कारगर है। इसमें पण्डालनुमा ढांचा बनाया जाता है। पण्डाल 6 और 10 नम्बर वाले तारों को बुनकर जालीनुमा तैयार किया जाता है और इसे लोहे या कंकरीट के खम्भों के सहारे टिकाया जाता है। तार खड़े और पड़े दोनों तरफ से 45 से 60 सैंटीमीटर की दूरी पर खींचे जाते हैं। बेलों की रोपाई 4x5 मीटर की दूरी पर करते हैं।
![बसन्त ऋतु में पशुओं की मुख्य समस्या-खुरपका मुँहपका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/Nz60KbgOU1708083799313/1708084034586.jpg)
बसन्त ऋतु में पशुओं की मुख्य समस्या-खुरपका मुँहपका
रोग से पीड़ित पशुओं के आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पशु को जो भी आ दिया जाये, वह पौष्टिक एवं मुलायम होना चाहिए। हरे चारे व गुड़ के साथ मिश्रित चावल का घूटा काफी लाभप्रद है। शीरे के साथ मिलाकर माड़ी भी चटाई जा सकती है। रोग का प्रकोप यदि अयन पर भी हो तो दूध निकालने के लिए बन साइफन का प्रयोग करना चाहिए।
![अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/UKl7aHtCp1708083530449/1708083784185.jpg)
अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें
हमारे देश में अदरक की फसल एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है। अदरक के विशिष्ट गुणों की वजह से मसाला परिवार में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन इस फसल को अनेक कीट एवं रोग और सूत्रकृमि प्रभावित करते है जिससे इसके उत्पादन पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए इन कीट एवं रोग की रोकथाम आवश्यक है। इस लेख में अदरक की फसल के प्रमुख रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
![टमाटर प्रसंस्करण: जरूरत और सम्भावनाएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/LIh0d9xJ91708083204114/1708083512930.jpg)
टमाटर प्रसंस्करण: जरूरत और सम्भावनाएं
टमाटर सब्जी की एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसका इस्तेमाल ताजा सब्जी के साथ साथ विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करने में किया जाता है जिसमें टमाटर का सूप, जूस, कैचअप, सॉस, प्यूरी और पेस्ट प्रमुख है।
![वनस्पति विज्ञानी जानकी अम्मल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/Pt9W6juvP1708083130324/1708083191888.jpg)
वनस्पति विज्ञानी जानकी अम्मल
अम्मल ने कई इंटरजैनरिक हाइब्रिड बनाए: सैकचरम एक्स जिया, सैचरम एक्स रियनथस, सैकरम एक्स इंपीटा और सैकरम एक्स सोरघम। तब से इलाहाबाद में सैंट्रल बॉटनिकल लेबोरेटरी सहित विभिन्न क्षमताओं के तहत अम्मल भारत सरकार की सेवा में थे और जम्मू में क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला में विशेष कर्तव्य पर अधिकारी थे।
![संरक्षित खेती ने खोले मुनाफे के द्वार शिशुपाल सिंह मीना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/xMPUtn69Z1708083015719/1708083126212.jpg)
संरक्षित खेती ने खोले मुनाफे के द्वार शिशुपाल सिंह मीना
श्री शिशुपाल सिंह मीना का झुकाव हमेशा सें ही खेती की ओर रहा है। इनके पास 2.5 हैक्टेयर पुश्तैनी जमीन हैं, जिसमें वह 2018 से पूर्व परम्परागत फसलें जैसे गेहूं, बाजरा, ग्वार इत्यादि ही उगा रहे थे।
![खेती से होने वाले अमोनिया उत्सर्जन को कम कर सकता है एआई मॉडल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/TK8SOmtSa1708082915034/1708083014014.jpg)
खेती से होने वाले अमोनिया उत्सर्जन को कम कर सकता है एआई मॉडल
अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने अमोनिया (एनएच 3) उत्सर्जन को लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मॉडल विकसित करके एक अहम सफलता हासिल की है। यह मॉडल कृषि से दुनिया भर में होने वाले अमोनिया उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है।
![इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियों के एकीकरण में स्मार्ट हरित कृषि](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/3x3LNR6zt1708082797478/1708082912986.jpg)
इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियों के एकीकरण में स्मार्ट हरित कृषि
मनुष्य और पशु शक्ति पर निर्भर प्राचीन प्रथाओं से लेकर आधुनिक युग तक जहां टिकाऊ, कुशल खेती की हमारी खोज में प्रौद्योगिकी एक अनिवार्य सहयोगी बन गई है, हमारी कृषि प्रथाओं ने एक लंबी यात्रा तय की है। इस प्रगति को अक्सर \"एगटेक क्रांति\" कहा जाता है, यह पारंपरिक खेती के तरीकों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के एकीकरण द्वारा संचालित अधिक नवीन, हरित कृषि प्रथाओं की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है।
![कृषि के लिए कुछ खास नहीं है अंतरिम बजट 2024 में](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/f9598gozL1708082681441/1708082794097.jpg)
कृषि के लिए कुछ खास नहीं है अंतरिम बजट 2024 में
शॉर्ट टर्म में कोल्ड चेन इंफ्रस्ट्रक्चर के लिए 18 बिलियन यूएस डॉलर का निवेश करना होगा। यह आज के समय में भारतीय रूपए के हिसाब से 149 खरब रुपए से भी ज्यादा है।
![भारत में होगा प्रयोगशाला मछली मांस विकसित](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/xAxW2t6bg1708082579756/1708082679222.jpg)
भारत में होगा प्रयोगशाला मछली मांस विकसित
सीएमएफआरआई उच्च मूल्य वाली समुद्री मछली प्रजातियों के प्रारंभिक सेल लाइन विकास पर अनुसंधान करेगा। इसमें आगे के अनुसंधान और विकास के लिए मछली कोशिकाओं को अलग करना और विकसित करना शामिल है।
![पुरखों का ज्ञान मौसम परिवर्तन के लिए होगा लाभकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/8I4bhOEji1708082481334/1708082576281.jpg)
पुरखों का ज्ञान मौसम परिवर्तन के लिए होगा लाभकारी
भले ही वैज्ञानिक रूप से हम अपने पुरखों से कहीं आगे हैं लेकिन समय के साथ उन्होंने जो समझ विकसित की थी, वो आने वाले भविष्य में भी जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे लिए मददगार साबित हो सकती है।
![बढ़ता जल संकट चिंता का विषय...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/ryBphhwkD1708082366146/1708082477622.jpg)
बढ़ता जल संकट चिंता का विषय...
साल 2020 के खरीफ सीजन से हरियाणा सरकार ने राज्य में गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए \"मेरा पानी मेरी विरासत योजना\" की शुरुआत की थी, जिसका मकसद धान की बजाये ऐसी फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित करना था, जिनको पानी की कम जरूरत होती है।
![एचएयू ने विकसित की उच्च उपज देने वाली गेहूं की नई किस्म](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/XAn81F2EW1708082280109/1708082362042.jpg)
एचएयू ने विकसित की उच्च उपज देने वाली गेहूं की नई किस्म
हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं और जौ अनुभाग ने गेहूं की एक नई किस्म WH 1402 विकसित की है।
![जायद मौसम में करें मक्के की बुवाई और भरपूर उपज लें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/ehNw0G0CI1708081903855/1708082258703.jpg)
जायद मौसम में करें मक्के की बुवाई और भरपूर उपज लें
उत्तर भारत में मक्का खरीफ ऋतु की फसल है परंतु जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। वहां पर यह जायद में अगेती फसल के रूप में इसकी खेती की जाती है।
![सहजन: प्राकृतिक औषधि गुणों का भंडार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/mGai6S7cd1708081514866/1708081893447.jpg)
सहजन: प्राकृतिक औषधि गुणों का भंडार
सहजन, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई या मुनगा आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण हैं। सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है। सहजन के पत्ते, फूल, फलियां, बीज व छाल सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है। सहजन के पत्ते एवं फलियां शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर में उपस्थित एवं विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, विटामिन सी और बी. काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सहजन की सब्जी के साथ-साथ इसकी पत्तियां भी बहुत गुणकारी होती हैं।
![मेंथा की अंतरवर्ती खेती गेहूँ के साथ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/5hZGAr_mj1708081248033/1708081502204.jpg)
मेंथा की अंतरवर्ती खेती गेहूँ के साथ
मेंथा की बुवाई 30 से. मी. आकार की कूंड़ में की जाती है। मेंथा के लिए लगभग 500 किलो सकर्स एक हैक्टेयर के लिए आवश्यक हैं। 10-12 सैं.मी. लंबाई के सकर्स को कुंड में 60-75 की दूरी पर 5-1 सैंमी की गहराई पर बुवाई की जानी चाहिए। कुंड-मेढ़ बुवाई विधि से उपज की हानि के बिना 40 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
![गर्म मैदानी क्षेत्रों में आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती एवं सेब में कटाई-छंटाई](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/x8FpIs4U91708080932364/1708081233899.jpg)
गर्म मैदानी क्षेत्रों में आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती एवं सेब में कटाई-छंटाई
गर्म मैदानी इलाकों में वर्तमान समय में आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती एवं सेब की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। वातावरण एवं तापमान के अनुरूप ये फसलें किसानों को अच्छा मुनाफा दे रहीं है। लेकिन सही समय पर और उचित तरीके से इनमें कटाई-छंटाई न की जाये तो उत्पादन सीधे तौर पर प्रभावित होता है।
![स्वैः एवं सांझा-मंडीकरण फसली विभिन्नता का मार्ग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1602775/Xrs7KbRNa1708080662107/1708080917126.jpg)
स्वैः एवं सांझा-मंडीकरण फसली विभिन्नता का मार्ग
पंजाब में हारत क्रांति की कामयाबी का मुख्य कारण मोटे तौर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार बीजों, सिफारिश किये रसायनों, खेती मशीनों एवं यंत्रों और सिंचाई को ही बताया जाता है, जबकि मंडीकरण इसकी कामयाबी का एक बहुत अहम एवं बड़ा कारण बना है। मंडी बोर्ड की ओर से हर 5-10 गाँवों के पीछे निश्चित मंडियों एवं इन मंडियों को गाँवों से जोड़ने के लिए ग्रामीण एवं लिंक सड़कें बना कर फसलों की खरीद को आसान किया गया।
![गेहूं में पीला/धारीदार रतुआ रोग के लक्षण एवं रोकथाम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/fhIf3EwX81707213129299/1707213336682.jpg)
गेहूं में पीला/धारीदार रतुआ रोग के लक्षण एवं रोकथाम
एक भी संक्रमण के परिणामस्वरूप पत्ती की लंबाई तक धारियाँ बन सकती हैं। गंभीर प्रारंभिक संक्रमण के साथ पौधों का बौना होना आम बात है।
![बहार ऋतु की मक्का की काश्त में पानी की बचत के नुक्ते](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/yTOMg9gvR1707212963536/1707213117551.jpg)
बहार ऋतु की मक्का की काश्त में पानी की बचत के नुक्ते
गेहूँ और धान के अलावा मक्का की फसल की काश्त बहुत महत्वपूर्ण है। मक्का भिन्न-भिन्न जलवायु में होने वाली महत्वपूर्ण फसल है।
![सफेद बटन मशरूम की मुख्य-मुख्य जैविक और अजैविक समस्याएँ तथा उनका निदान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/6CTbEQ0Qi1707212554395/1707212952288.jpg)
सफेद बटन मशरूम की मुख्य-मुख्य जैविक और अजैविक समस्याएँ तथा उनका निदान
सफेद बटन खुम्ब का ज्यादातर उत्पादन शरद ऋतु में किया जाता हैं बल्कि कुछ खुम्ब उत्पादक वातानुकूलित नियंत्रित कक्षों में सारा वर्ष इस मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। यह एक नकदी फसल है और दूसरी नकदी फसलों की तरह इसमें भी कुछ जैविक तथा अजैविक समस्याएँ देखी जाती हैं जिनका मशरूम उत्पादकों को ज्ञान नहीं होता। कई बार मशरूम उत्पादक को सही ज्ञान न होने से आर्थिक हानि की आशंका बनी रहती है।
![खाद्य संरक्षण का महत्व एवं हमारे दैनिक जीवन में जरूरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/yC6HmkAxR1707212172030/1707212542425.jpg)
खाद्य संरक्षण का महत्व एवं हमारे दैनिक जीवन में जरूरत
खाद्य पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित कर या अपरिवर्तित रखकर इनके पोषक तत्व एवं विटामिन को यथा संभव बनाये रखते हुए बिना विकृति के दीर्घकाल तक सुरक्षित रखने की विधियों एवं तकनीकों को परिरक्षण कहा जाता है। खाद्य-पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित करके ही हम अधिकांश परिरक्षित फलों एवं सब्जियों को लम्बे समय तक सुरक्षित उत्पादन करते हैं जैसे-जैम, जेली, कैचप, विभिन्न फल पेय, अचार, सॉस, चटनी आदि।
![पौध उत्तक संवर्धन उद्यानिकी फसल प्रवर्धन का नया आयाम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/Lg6HbIMYO1707211863070/1707212164831.jpg)
पौध उत्तक संवर्धन उद्यानिकी फसल प्रवर्धन का नया आयाम
आधुनिक युग में विभिन्न प्रकार की उपयोगी एवं उच्च कोटि के गुणों वाले उद्यानिक पौध प्रजातियों तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में पौधों के जनन द्रव्य को उत्तक संवर्धन सहायता से विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। इस तकनीक द्वारा विभिन्न उपयोगी पौधों के जनन द्रव्य को द्रव नत्रजन में - 196 डिग्री सेल्सियस पर लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
![औषधीय मशरूम और मानव स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1588821/gixp9cH861707211632956/1707211854076.jpg)
औषधीय मशरूम और मानव स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव
मशरूम प्रकृति की ओर से मनुष्टय को दिया गया एक अद्भुत जादुई उपहार है। मशरूम सदियों से विभिन्न संस्कृतियों में पारंपरिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग रहा है। भारत में औषधीय मशरूम का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है, जहां उन्हें उनके चिकित्सीय गुणों के लिए महत्व दिया जाता था।