CATEGORIES
Categories
![खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/NpqteqrDG1698924750508/1698924855500.jpg)
खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग
क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर साल औसतन 36 लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। मतलब की यह वो जमीन है, जिस पर खेती की जा सकती थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उस पर खेती नहीं की जा रही। नतीजन धीरे-धीरे इस जमीन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
![पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/u2wNb0lii1698924590759/1698924715437.jpg)
पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक ही खेत में कई प्रकार के पौधों को उगाना एक लंबे समय से चली आ रही कृषि पद्धति है, लेकिन इसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते है।
![परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/qrEuYIF4u1698924507384/1698924587408.jpg)
परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित
एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आते बदलावों से परागण करने वाले कीटों में 61.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी वजह से आम, तरबूज, कॉफी और कोको जैसी उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।
![बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/RK8E3C4_J1698924387099/1698924504613.jpg)
बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज
बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में बर्ड फ्लू बीमारी के फैलने की घटनाएं देखी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों में बर्ड फ्लू के प्रसार को सीमित करने के लिए जीन संपादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। बर्ड फ्लू मौजूदा वक्त में एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इस बीमारी का असर जंगली पक्षियों के अलावा कृषि क्षेत्र में देखा गया है। इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी साबित हुआ है।
![भारत में प्याज और राजनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/Krv1fNwle1698924051280/1698924212450.jpg)
भारत में प्याज और राजनीति
स्थानीय बाजारों में खरीफ की फसल के देरी से आने की चिंता के कारण महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की थोक कीमतें एक सप्ताह के भीतर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई हैं।
![रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/5i1GpDmNL1698923918452/1698924047484.jpg)
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की।
![आलू की जैविक (कार्बनिक) तकनीकी खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/apB8-G-Ov1698923674698/1698923904520.jpg)
आलू की जैविक (कार्बनिक) तकनीकी खेती
आलू की जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें एक तरफ रासायनिक उत्पादों जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदीनाशी, खरपतवारनाशी तथा वृद्धि नियामक आदि के प्रयोग को हतोत्साहित करते हैं तो वही दूसरी तरफ कार्बनिक पदार्थों जैसे जैविक खादें, जैव उर्वरक, हरी खाद, फार्म के उत्पाद, जैविक फफूंदीनाशी एवं कीटनाशी तथा फसल चक्र आदि के प्रयोग पर निर्भर रहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मृदा, पौधों, पशुओं एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव को कम करने तथा फसल उत्पादकता एवं भूमि उर्वरता को निरन्तर बनाये रखना है।
![गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/-JOJZcuvL1698923180768/1698923669438.jpg)
गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?
रबी मौसम की फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है। गेहूं की नई-नई किस्मों के चयन, संतुलित खादों व पानी के समुचित प्रयोग से गेहूं की पैदावार में निरंतर बढ़ोतरी हुई है तथा कृषि की उन्नत तकनीकों को अपनाकर किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षों में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन किया है।
![मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/WrJ6ifQFc1698922916063/1698923171291.jpg)
मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी की जैविक खेती के लिए किसानों को स्थानीय किस्मों की अपेक्षा अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उपज देने वाली तथा विकार रोधी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। जहां तक संभव हो प्रमाणित जैविक बीज का ही प्रयोग करें।
![कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/YZnRzTUX21698922678151/1698922885904.jpg)
कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक
राया सरसों में ऐसी कोई समस्या नही है तथा इसकी कटाई फसल के पूरी तरह से पकने के बाद ही करें। कटाई के बाद भली प्रकार से सुखाने के बाद ही फसल की गहाई करें।
![शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/QxHZnEHth1698922476173/1698922665203.jpg)
शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि
हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है।
![डेयरी पशुओं का चुनाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/FD95iKdA81698922136113/1698922421697.jpg)
डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
![ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/H9e4mnTIK1698921807689/1698922107357.jpg)
ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज
गहाई के पूर्व ढेरियों पर हल्का सा पानी छिड़क देते हैं, जिससे दाने आसानी से अलग हो जाते हैं। गहाई करने के बाद भूसा अलग करके साफ बीज प्राप्त कर लिये जाते हैं।
![मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/Wa7R-OBA11698921433051/1698921795027.jpg)
मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं
ध्यान रखें कि पानी अधिक न होने पावे। यथा संभव स्प्रिंकलर से सिंचाई करें या खेत में स्ट्रिप बनाकर हल्की सिंचाई करना लाभकारी रहता है। अधिक सिंचाईयाँ मसूर की फसल के लिए लाभकारी नहीं रहती है। खेत में जल निकास का उत्तम प्रबन्ध होना आवश्यक रहता है।
![भोजन में सब्जियों का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/_BQieIETg1698921118955/1698921410501.jpg)
भोजन में सब्जियों का महत्व
पत्ते वाली सब्जियाँ जैसे, पालक, सलाद, बन्दगोभी तथा विभिन्न भारतीय सब्जियाँ, जिनमें जल सेल्यूलोज व रेशे की अधिकता होती है। हरी सब्जियों से हमें सेल्यूलोज तथा क्लोरोफिल मिलते हैं जो पाचन में भी सहायक होते हैं। सब्जियों के तने, पत्तियाँ, कन्द तथा जड़े पकने पर स्पंजी हो जाती हैं जो कि न केवल भूख मिटाती हैं वरन भोजन को पाचन पथ में नीचे खिसकाने में भी सहायक होती हैं।
![कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1492114/H_nA6piph1698920584889/1698921096379.jpg)
कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं
भारत के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन के निर्माण हेतु एक मसौदा तैयार किया है। MNRE द्वारा स्थापित समिति ने मंत्रालय के पास अपनी सिफारिशें जमा करा दी हैं और जिसे कुछ महीनों के लिये सार्वजनिक सुझावों/टिप्पणियों हेतु खुला रखा जाएगा। सौर ऊर्जा से संबंधित समस्याएं भी हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन दोपहर में अपने चरम पर होता है, लेकिन जब उसे सही समय पर संगृहीत नहीं किया जाएगा, तो रात में घरों को प्रकाश उपलब्ध नहीं होगा।
![सरकार के अव्यवहारिक फैसले से किसानों व पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/Zt_XlUNz81697545598025/1697545706495.jpg)
सरकार के अव्यवहारिक फैसले से किसानों व पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
पंजाब और हरियाणा में पर्यावरण हितैषी सीधी बिजाई धान को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी खरीद समय रहते करना चाहिए। किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा पहली अक्तूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने का फैसला अव्यावहारिक है। जो प्रदेश सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने वाली भूजल बचत व पर्यावरण हितैषी सीधी बिजाई धान के हित में नहीं है।
![रूबर्ब की उन्नत उत्पादन तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/QcIJrm1Jy1697543585934/1697545592018.jpg)
रूबर्ब की उन्नत उत्पादन तकनीक
'रूबर्ब और पाई पौधा', जिसे रयूम रैपोंटिकम एल के नाम से भी जाना जाता है और यह पॉलीगोनेसी परिवार का सदस्य है। डिप्लोइड (2n = 2x = 22), टेट्राप्लोइड (2n = 4x = 44), या हेक्साप्लोइड (2n = 6X = 66) रूम प्रजातियां तीन संभावित रूप हैं। लंबे, मोटे पत्ते का डंठल, जिसे अक्सर पेटीओल कहा जाता है, का उपयोग पाई और सॉस बनाने के लिए किया जाता है।
![कृषि से जुड़ी आबादी को मिले विकास का फायदा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/el6V9z23w1697543388028/1697543569439.jpg)
कृषि से जुड़ी आबादी को मिले विकास का फायदा
सरकार साल में दो बार, रबी और खरीफ सीजन के लिए अलग-अलग घोषित करती है, भी हमेशा सवालों के घेरे में रही है। जबकि सीएसीपी उत्पादन लागत और समग्र मांग पूर्ति की स्थिति के लिए अखिल भारतीय भारित औसत के आधार पर कीमतें तय करता है और वैश्विक कीमतों को भी देखता है, इस पद्धति पर लगातार सवाल उठे हैं।
![बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/HWjoVsdO71697542932503/1697543384030.jpg)
बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व
वातावरण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि यह विशेष तरीके से वनस्पतियों के प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक परंपरागत तकनीक है और इसका वैज्ञानिक प्रमाण मान्यता से बाहर हो सकता है। यदि आप इसे अपने उद्यम में आजमाना चाहते हैं, तो सलाह प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ से मिलना सुनिश्चित करें।
![रागी श्रीअन्न: स्वास्थ्य लाभ और मूल्य वर्धित उत्पाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/ftxuAle8X1697542272840/1697542926118.jpg)
रागी श्रीअन्न: स्वास्थ्य लाभ और मूल्य वर्धित उत्पाद
फिंगर मिलेट (एलुसीन कोराकाना), जिसे रागी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण श्रीअन्न है जो कर्नाटक में बड़े पैमाने पर और कुछ हद तक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और गोवा में उगाया जाता है।
![कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/1kxrr3-qn1697541734446/1697541993461.jpg)
कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं
भारत की उत्तरोत्तर बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता पारंपरिक ऊर्जा-स्त्रोतों के लिए एक कठिन चुनौती है। इस दिशा में प्रकृति सुलभ सौर ऊर्जा एक बड़ी और प्रभावी भूमिका निभा सकती है। जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में परिवर्तन महत्वपूर्ण है। भारत ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के महत्व को पहचाना है।
![मौसम की अनिश्चितकालीन संकटों से बचाएगा 'मेघदूत'](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/lVD_tglCD1697541503285/1697541719118.jpg)
मौसम की अनिश्चितकालीन संकटों से बचाएगा 'मेघदूत'
भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि तकनीक के सहारे उन्नत खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके। डिजिटल इंडिया के तहत खेतीबाड़ी एवं उनसे जुड़ी तमाम योजनाओं, परियोजनाओं एवं सूचनाओं को किसानों तक पहुंचाना भी सरकार की उसी प्राथमिकता का हिस्सा है।
![बागवानी विज्ञानी डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/m80WiSC2y1697541050312/1697541486036.jpg)
बागवानी विज्ञानी डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट
डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट अठारहवीं एवं उन्नीसवीं सदी के अग्रणी माहिरों में से एक थे। उन्होंने उस समय पौधों पर मनोवैज्ञानिक प्रयोग भी किये। उन्होंने अंकुरित हो रहे पौधों पर गुरुत्वकर्षण के प्रभाव के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी बताया कि वृक्षों को काटने से वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ता है। उनका अनुभव करने का उद्देश्य पूरी तरह से व्यवहारिक था।
![अनाज उत्पादन में 6.5 प्रतिशत का योगदान करते हैं केंचुए](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/MMH9S8YJp1697540869358/1697541046446.jpg)
अनाज उत्पादन में 6.5 प्रतिशत का योगदान करते हैं केंचुए
कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी (सीएसयू) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, केंचुए वैश्विक खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर साल दुनिया भर में पैदा होने वाले लगभग 6.5 प्रतिशत अनाज की उपज और 2.3 प्रतिशत फलियों में योगदान करते हैं। सीएसयू शोधकर्ताओं के इन नए अनुमानों का मतलब है कि केंचुए सालाना 14 करोड़ मीट्रिक टन भोजन का उत्पादन कर सकते हैं, मोटे तौर पर विश्व के चौथे सबसे बड़े उत्पादक रूस द्वारा हर साल उगाए गए अनाज जैसे - चावल, गेहूं, राई, जई, जौ, मक्का और बाजरा की मात्रा के बराबर है।
![पर्यावरण के लिहाज से कितना सही है कृषि में प्लास्टिक का उपयोग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/KJut5d2Gb1697540059609/1697540157834.jpg)
पर्यावरण के लिहाज से कितना सही है कृषि में प्लास्टिक का उपयोग
इसमें कोई शक नहीं कि आधुनिक कृषि प्लास्टिक पर बहुत ज्यादा निर्भर है। यही वजह है कि हर साल करीब 1.25 करोड़ टन प्लास्टिक कृषि क्षेत्र में खप जाती है। लेकिन इसके पर्यावरण पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं यह लम्बे समय से एक बड़ा सवाल रहा है।
![कीट अनाज उत्पादन में डालते हैं योगदान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/x7BcsaV0m1697539955662/1697540054967.jpg)
कीट अनाज उत्पादन में डालते हैं योगदान
मानवजनित बदलावों से पूरे भारत में आक्रामक प्रजातियों की कब्जा करने की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। अन्य पर्यावरणीय कारणों के प्रभाव को मोटे तौर पर सूखी और नमी वाली प्रणालियों में अलग किया जा सकता है।
![भारत में कीटों से फसलों को होता है दो लाख करोड़ का नुकसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/AiZlLKHH51697539835833/1697539953274.jpg)
भारत में कीटों से फसलों को होता है दो लाख करोड़ का नुकसान
क्रॉपलाइफ इंडिया ने अपनी 43वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान क्रॉपलाइफ इंडिया और यस बैंक की नॉलेज रिपोर्ट जारी की गई।
![टर्बो-चार्ज्ड प्रकाश संश्लेषण फसलों को तेजी से बढ़ने में करेगा सहायता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/z0sXkfOpz1697539707333/1697539833299.jpg)
टर्बो-चार्ज्ड प्रकाश संश्लेषण फसलों को तेजी से बढ़ने में करेगा सहायता
टर्बो-चार्ज प्रकाश संश्लेषण एक अवधारणा है जो पौधों में उनकी वृद्धि और फसल की पैदावार में सुधार के लिए प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बढ़ाने को संदर्भित करती है। पौधे और साइनोबैक्टीरिया दोनों प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा में बदलने के लिए रुबिस्को का उपयोग करते हैं, जो आवश्यक जीवन घटकों को उत्पन्न करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
![जीएम सरसों फेल, बीज के लिए पूरा नहीं कर रही मानक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1473127/IpPoKDCIN1697539468923/1697539703308.jpg)
जीएम सरसों फेल, बीज के लिए पूरा नहीं कर रही मानक
पिछले कुछ सालों से जीएम सीड्स यानि जैनेटिकली मॉडिफाइड बीज को लेकर हंगामा मचा हुआ है। जीएम के समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि इससे देश में सरसों का उत्पादन बढ़ जाएगा।