Vivek Jyoti - July 2023Add to Favorites

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I denne utgaven

1. बिना गुरु के तुम्हें ज्ञान नहीं होगा : विवेकानन्द ३६६
2. भतरौड बिहारी मन्दिर : भगवान का लीलास्थान (राजकुमार गुप्ता) ३६९
3. अज्ञात संन्यासी से विश्वविजयी विवेकानन्द होने की यात्रा में अलमोड़ा का योगदान
(मोहन सिंह मनराल) ३७४
4. (बच्चों का आंगन) शबरी की गुरु भक्ति (संजय सिंह) ३७८
5. रामकृष्ण संघ : एक विहंगम दृष्टि (स्वामी पररूपानन्द) ३७९
6. रामकृष्ण भावधारा से क्यों जुड़े हैं? (स्वामी सत्यरूपानन्द) ३८७
7. (युवा प्रांगण) परिस्थितियों से हार न मानो (श्रीमती मिताली सिंह) ३८९
8. श्रीरामकृष्ण का आकर्षण (स्वामी अलोकानन्द) ३९१

Vivek Jyoti Magazine Description:

UtgiverRamakrishna Mission, Raipur

KategoriReligious & Spiritual

SpråkHindi

FrekvensMonthly

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

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