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उज्जैन में पंचमहाभूत पर होगी गोष्टी
जलवायु परिवर्तन से आई समस्याओं को समझने और दुनिया को समझाने के लिए तथा भारतीय दृष्टिकोण से उसका समाधान क्या हो, इस पर हो रही है तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी
ब्रह्मपुत्र का भार, ‘भारालू' नदी
ब्रह्मपुत्र की तमाम सहायक नदियों में से सबसे बदहाल और सबसे बड़े खतरे का सबब भारालू ही है। सात शहरी वार्डों को छूकर गुजरती इस नदी में जहरीले रसायनों का स्तर खतरनाक है। भारालू नदी पर अलग-अलग एजेंसियों ने वक्त-वक्त पर चेताया है। इस पर कुछ काम भी हुआ है, परंतु सरकारी अमले और नागरिकों को इस बारे में और जागरूक होना पड़ेगा
धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर
1705 में 21 से 27 दिसम्बर की अवधि में गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों ने धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उस समय आधा पंजाब रोया था और आधा जमीन पर सोया था। खेद की बात है कि अब वही राज्य 21 से 27 दिसम्बर तक क्रिसमस मना रहा
चर्च में बगावत पादरी नाराज
सिरो-मलाबार चर्च इन दिनों आंतरिक कलह से जूझ रहा है। पोप ने प्रार्थना पद्धति में मामूली बदलाव के निर्देश दिए हैं, जिसे एर्नाकुलम-अंकामाली डायोसिस मानने को तैयार नहीं है। कुछ पादरी पुरानी प्रार्थना पद्धति छोड़ने को तैयार नहीं हैं
संस्कृति की सलामती के लिए सुधार
टीपू सुल्तान के कार्यकाल में संस्कृति से जो छेड़छाड़ की गई थी, कर्नाटक की भाजपा सरकार अब उसे सुधार रही है। राज्य के मंदिरों में होने वाली आरती पर लगे मजहबी ठप्पे को हटाया जाएगा
उपेक्षित ऐतिहासिक धरोहर
उज्जैन में नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक योगी मत्स्येंद्रनाथ की समाधि बरसों तक उपेक्षित रही। उन्हें अपना पीर बताकर मुसलमानों ने समाधि स्थल पर कब्जा कर लिया, जो लंबी लड़ाई के बाद अब हिंदुओं के पास है। हालांकि 2,000 वर्ष का इतिहास होने के बावजूद यह स्थान तकनीकी कारणों से एएसआई की सूची में नहीं है
भारत का जागता रक्षा बोध
बहुत समय नहीं हुआ, जब देश में इस बात को लेकर चर्चा होती थी कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाह बना हुआ है। अब यह स्थिति बदलती जा रही है। भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों में लंबे समय से चली आ रही कमियों को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि वह अपने उस रक्षा बोध को साकार कर रहा है, जिसकी उसे हमेशा आवश्यकता थी
.... हमने तो दिलों को जीता है
भारत विश्व का अनूठा देश है, जिसकी सॉफ्ट पावर उसकी सभ्यतागत विरासत और सांस्कृतिक कौशल पर आधारित है। भारत की छवि ऐसे सौम्य देश की है जो सैन्य शक्ति होने के बावजूद स्वभाव से आक्रामक नहीं है, जिसकी बढ़ती सैन्य शक्ति को खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है
भारतीय संस्कृति का विश्व वितान
भारत सरकार कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों में अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार करा रही है। यही नहीं, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन जैसे मुस्लिम देशों में भी ऐसे कार्य हो रहे हैं। अबूधाबी में तो नया मंदिर बन रहा है
सांस्कृतिक जागरण का जरिया बने मोदी
सदियों की परतंत्रता के बाद 1947 में देश को राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिली, किंतु सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं आई। हमारे मंदिर, मठ और तीर्थस्थल उपेक्षित ही रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्थिति को बदलने का कार्य कर रहे हैं
फिर बहेगी संस्कृति की गंगा
एक लघु भारत विश्व भर में बसा हुआ है।
...और रशीद ने गोली चला दी !
23 दिसंबर, 1926 को दिल्ली में स्वामी श्रद्धानंद की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक व्यक्ति ने कर दी थी। अब्दुल को स्वामी जी का शुद्धि आंदोलन पसंद नहीं था
गोवा मुक्ति आंदोलन के बलिदानी के
गोवा को आजाद कराने में रा. स्व. संघ के स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे ही एक निष्ठावान कार्यकर्ता थे बलिदानी राजा भाऊ महाकाल, जो गांव-गांव से सैकड़ों युवाओं को एकत्रित कर गोवा ले गए
रातों-रात बनी 'मजारें', देखते-देखते गायब
उत्तराखंड में अवैध मजारों को गिराने का काम शुरू। राज्य की सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने को ऐसी कार्रवाई जरूरी
तवांग से जुड़े हैं राजनीतिक तार
तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश चीन की सैन्य रणनीति के बजाय राजनीतिक रणनीति ज्यादा प्रतीत होती है। इससे पहले गलवान में और उससे पूर्व डोकलाम में भी भारत-चीन टकराव के साथ राजनीतिक पहलू जुड़ा दिखता है
हर आदमी को तिरंगे के सामने झुकना पड़ेगा
अटल जी ने कई अवसरों पर इस्लाम, मुसलमान और कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के छिपे इरादों को रेखांकित किया। इस संदर्भ में उनके सारगर्भित भाषणों के अंश प्रस्तुत हैं-
'धर्मनिरपेक्षता' सिर्फ नारा नहीं
एक वास्तविक ‘धर्मनिरपेक्ष' समाज बनाने का कार्य तभी पूरा होगा, जब भारतीयत्व स्वयं को प्रभावी रूप में प्रकट करेगा ताकि हम संकीर्ण आस्थाओं से ऊपर उठकर यह अनुभव कर सकें कि हम एक राष्ट्र
अयोध्या हमारे स्वाभिमान की प्रतीक
अयोध्या किसी नगर का नाम नहीं है। वह किसी मंदिर-मस्जिद विवाद की भी जगह नहीं
संसद और सर्वोच्च न्यायालय से बड़ा संविधान
अटल बिहारी वाजपेयी ने 28 फरवरी, 1970 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा न्यायपालिका के विरुद्ध मोर्चा खोलने के संदर्भ में संसद में वक्तव्य दिया था। प्रस्तुत हैं उसी वक्तव्य के अंश-
शिक्षा का रंग भगवा नहीं तो क्या हो ?
5 जनवरी, 2003 को तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी के 69वें जन्म दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संबोधन के अंश -
पाञ्चजन्य के प्रश्न अटल जी के कालजयी उत्तर
देश के पूर्व प्रधानमंत्री, सर्वप्रिय राजनेता, कवि, पत्रकार और पाञ्चजन्य के प्रथम संपादक स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का पाञ्चजन्य के साथ संवाद सदैव बना रहा। यहां तक कि पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने सबसे पहले पाञ्चजन्य को ही साक्षात्कार दिया था। संभवतः अटल जी ने पाञ्चजन्य को ही सबसे अधिक साक्षात्कार दिए। उन्हीं साक्षात्कारों में से यहां प्रस्तुत हैं चुनिंदा प्रश्न और अटल जी के कालजयी उत्तर
समाज का हित ही लेखनी का ध्येय
अटल जी ‘राष्ट्रधर्म’ और ‘पाञ्चजन्य' के प्रथम संपादक थे। पत्रकारिता छोड़ कर राजनीति में पूरी तरह रम जाने और राजनीतिक ऊंचाइयां चढ़ने के बाद भी अटल जी की न सिर्फ दृष्टि और लेखनी की धार पैनी बनी रही बल्कि पत्रकारिता के तमाम पहलुओं पर वह चिंतन भी करते थे
गुटनिरपेक्षता नहीं है तटस्थता
दुनिया अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीति का लोहा मानती है। जनता पार्टी की सरकार में वे विदेश मंत्री थे। ऐसे ही जब भी संसद में विदेशी मामलों पर चर्चा होती थी, वे अपने विचारों से लोगों को चकित कर देते थे
'थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री नहीं रहूंगा'
28 मई, 1996 को अपने मंत्रिमंडल के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस के बाद अटल जी ने चर्चा का उत्तर दिया। इस लेख की शुरुआत उनके उसी भाषण से होती है
एक कवि हृदय राजनेता
मेरे और अटल जी के बीच संबंधों में कभी स्पर्धा की भावना नहीं रही। कभी-कभी हम दोनों के विचार अलग-अलग रहे हैं। लेकिन हमने कभी ऐसे मतभेदों को बढ़ावा नहीं दिया, जिससे परस्पर विश्वास और आदर का मूल्य कम हो
नींव के पत्थर मील के पत्थर
वामपंथ की आंधी और जनसंघ भाजपा के अंध-विरोध के तूफानों को चीर कर भारत के प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में आधुनिक भारत की नींव के पत्थर रखे, और मील के पत्थर स्थापित किए
माल-ए-मुफ्त यानी फायदे का सौदा?
पहले मुफ्त सेवाएं देकर गूगल जैसी कंपनियां निःशुल्क सेवाएं देकर ग्राहकों के बीच अपना अधार बनाती हैं, फिर सेवाओं के बदले पैसे लेकर ग्राहक बनाती हैं
भारतीय भाषाओं का इंद्रधनुष
भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इस साल से विख्यात तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के जन्म दिवस को 'भारतीय भाषा दिवस उत्सव' के रूप में मनाएगी
"....ऐसा कहर आए कि आशिक इश्क भूल जाएं”
देश के अलग-अलग इलाकों से बीते कुछ समय में दर्जनों ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिनमें जिहादियों ने बर्बरता की सीमा पार की श्रद्धा के 35 टुकड़े किए गए तो कहीं किसी लड़की को जलाकर, उसके स्तन काटकर और सिर तन से जुदा कर मार डाला गया। इस राक्षसी मनोवृत्ति पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस को ऐसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए कि वह एक उदाहरण बन जाए। पाञ्चजन्य संवाददाता अश्वनी मिश्र ने उनसे इन घटनाओं के पीछे की मानसिकता, कारण आदि पर विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
नारियों ने दिखाई हिम्मत
16 सितम्बर 2022 को ईरान के इतिहास में एक बड़ा मोड़ आया। महसा की मौत ने 'मजहब को बचाने में जुटी' ईरान की कट्टर शिया सत्ता को हिला कर रख दिया है। हिजाब विरोधी आंदोलन दूर-दूर तक थमता नहीं दिख रहा