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बदलते यूरोप की ध्वनियां
इस साल चुनावों से गुजर रही दुनिया की आधी आबादी कुछ बदलावों का गवाह चुपचाप बन रही है तो कुछ बदलाव खुद ला रही है
'अतीत और भविष्य में उलझी सरकार वर्तमान को नकार रही'
देश के वरिष्ठ राजनेता, पूर्व विदेश तथा वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा से मौजूदा दौर के सियासी मुद्दों और आने वाले बजट पर हरिमोहन मिश्र ने खास बातचीत की। प्रमुख अंश:
हादसे की जटिल परतें
हाथरस में हुई मौतों के पीछे गरीबी, उत्पीड़न, जातिभेद से राहत की सामूहिक आकांक्षा का सवाल, मौके से रपट
परदे पर नहीं भा रहा खेल
बड़े खिलाड़ियों पर आधारित फिल्में नहीं कर पाईं अपेक्षित कमाई, फीका रहा प्रदर्शन
केरल से कान: मलयाली औरतों का झंडा
हाल में कान महोत्सव में दक्षिण के इस राज्य ने जता दिया कि महिलाओं को साथ लेकर कैसे आगे बढ़ा जाता है
17 साल बाद जीता विश्व
यह फाइनल लंबे समय बाद रोमांचकारी जीत के साथ-साथ दो श्रेष्ठ खिलाड़ियों के संन्यास के लिए भी याद किया जाएगा
महायुति में हलचल
विधानसभा चुनाव के गणित पर लोकसभा चुनाव का साया
'जल्द' की मियाद
राज्य का दर्जा और चुनाव की बाट जोह रहे लोगों को अब आश्वासन नहीं ठोस कदम चाहिए
अब सीबीआइ घोटालेबाज
मध्य प्रदेश की विधानसभा में मानसून सत्र भाजपा के लिए नर्सिंग घोटाले में 3,000 करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी का सैलाब लेकर आया
मुखिया फरार कारिंदे अंदर
पूरे भारत में फैला पेपर लीक गिरोह का जाल, ताबड़तोड़ छापों और गिरफ्तारियों के बावजूद बड़ी मछलियां पकड़ से बाहर, आंदोलनरत छात्र बेहाल
धांधली 'मॉडल'
इस देश में सरकारी परीक्षाओं के परचे लीक होते-होते अब संसद में बहस और सड़कों पर आंदोलन का बायस बन चुके हैं, सवाल व्यवस्था परिवर्तन तक आ चुका है, केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी पर जवाबदेही और संघीयता की भावना को धता बताने के सवाल उठे
मजबूत मौजूदगी
'आयरन लेडी' के नाम से ख्यात हो रहीं कल्पना सोरेन ने पति हेमंत के लिए हर तरह से सहारा बनाए रखने का काम किया
चुनाव बीता, नशा हुआ बेलौस
हर चुनाव में नशा मुद्दा बनता है, मगर उसके बाद कुछ तबादलों से कर्मकांड पूरा हो जाता है और नशे का तांडव बढ़ता जाता है
एक रिहाई सौ सवाल
विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज चौदह साल के वनवास के बाद मुक्त होकर घर पहुंच गए हैं, लेकिन उनके किए और कहे से हमने कुछ सीखा है क्या?
हुआ क्या है हिंदी को
बड़ा प्रश्न यह है कि जगह का अकाल विचारों को हिंदी में ही क्यों झेलना पड़ा
इंसानी तबाही का सामाजिक दस्तावेज
छह खंडों में छपी करीब सवा दो सौ पन्नों की इस किताब में प्रकाशित लेख हमारे समय और भविष्य का दस्तावेज हैं
देसी रोनॉल्डो की विदाई
गेंद को छकाते हुए मैदान के उस पार ले जाकर छेत्री ने भारत में फुटबॉल को रोमांचकारी बनाया
कान में मंथन
यह सिर्फ प्रचारात्मक फिल्म नहीं बल्कि शोषण को खत्म करने की सरकारी पहल की मुश्किलों को सामने लाती है
'इस अल्पमत सरकार की मियाद एक-दो साल से ज्यादा नहीं'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को यह श्रेय बदस्तूर जाता है कि उनके नेतृत्व में देश की सबसे पुरानी पार्टी में नया जोश-जज्बा उभरा और चुनावी प्रदर्शन दोगुना हो गया।
मोदी से मोहभंग!
अब लड़ाई सत्ता बचाने या गंवाने से कहीं आगे निकली, संघ और सरकार में घमासान के आसार
चौतरफा चुनौतियां
अपने समूचे राजनीतिक करियर के दौरान नरेंद्र मोदी एकतरफा बहुमत की सरकारें चलाने के आदी रहे हैं, ऐसे में गठबंधन की सरकार की राह उनके लिए कई चुनौतियां लेकर आई है, तिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भौंह तनी हुई दिखती है, तो विपक्ष पहले से कहीं ज्यादा मजबूत
नई सरकार, पुरानी 'लीक'
सरकार कमजोर हो चाहे मजबूत, परचे लीक होना शाश्वत सच बन चुका है, केंद्र में नई सरकार बनते ही नीट-यूजी के घोटाले का साया उसके सिर पर है और लाखों युवाओं की मेहनत दांव पर
खानदान खारिज
बारामुला में इंजीनियर राशिद की जीत और उमर तथा महबूबा की हार के मायने
आदिवासी झटका
झारखंड आदिवासियों के भाजपा से विमुख होने का अहम क्षेत्र बनकर उभरा और 2024 का जनादेश अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा के सफाए का फैसला सुना गया।
तीन दशक बाद गर्म हवा
जनादेश 2024 सरहदी सूबे पंजाब में सत्ता विरोध और संघवाद का एक अलग स्वरूप लेकर आया है।
नई सियासी पौध
राजनीति के राष्ट्रीय मंच पर फिलहाल तो पुराने चेहरे ही नमूदार हैं। नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार, शिवराज सिंह चौहान और ऐसे ही तमाम परिचित चेहरों में अब भी इतनी ताकत बच रही है कि वे हमारे सामूहिक जीवन और संवैधानिक व्यवस्थाओं का कबाड़ा कर सकें, लेकिन इतना भी निराश होने की जरूरत नहीं है।
उत्तर नहीं, मैं प्रश्न हूं...
आम चुनाव के नतीजों में भाजपा के बहुमत से चूक जाने का सबसे बड़ा कारण अकेले उत्तर प्रदेश है, पर ऐसा हुआ कैसे
रोमांच चला अमेरिका
भारत-पाकिस्तान का मैच दुनिया के किसी भी कोने में हो, दर्शकों के लिए रोमांच की सामग्री हमेशा तैयार रहती है
कदम दर कदम भारत
प्रतिष्ठित कान फिल्म महोत्सव में देश की तरक्की की यात्रा अभूतपूर्व और अविस्मरणीय रही है
पुराने हुए 'नवीन'
ढलती उम्र और बाहरी को सत्ता सौंपने की अफवाहों की कीमत