शिमला सालभर सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है. सर्दी में जब बर्फ गिरती है तो यहां पर्यटकों की भारी भीड़ जमा हो जाती है. हिमालय के उत्तरपश्चिम में समुद्रतल से 2,130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शहर आजादी से पहले अंगरेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था. वैसे शिमला की खोज का श्रेय मेजर कैनेडी को जाता है जिन्होंने यहां पहली पक्की इमारत कैनेडी हाउस का निर्माण करवाया. बाद में लौर्ड डलहौजी जैसे विशिष्ट व्यक्तियों का यह प्रिय आवास स्थल भी बना.
शिमला 1814-16 में हुए अंगरेजगोरखा युद्ध के बाद स्थापित हुआ जब यह गोरे सिपाहियों के लिए ठंडा भ्रमणस्थल बना. 7 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा यह शहर 1865 से 1939 तक अंगरेजों की गर्मी के मौसम की राजधानी रहा.
सर्दी के मनमोहक नजारे
शिमला में अधिकतर सैलानी नववर्ष का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठे होते हैं. दिल्ली के पास होने के कारण हर वीकैंड पर शिमला टूरिस्टों के सैलाब में डूबने लगता है. हालांकि सड़कें चौड़ी हो रही हैं, कहीं फ्लाईओवर बन रहे हैं, कहीं लाइनें लग रही हैं पर जब कारों और बसों का हजूम आता है तो शिमला में बस, दोनों का शोर और पैट्रोलडीजल का धुआं दिखता है.
इस मौसम में जब यहां हर तरफ चांदी जैसी बर्फ बिछ जाती है तो यह किसी स्वप्नलोक से कम नहीं दिखता. लगता है जैसे देवदार की टहनियों पर भी बर्फ के फूल उग आए हैं. मकानों की दीवारें और छतें दूधिया रंग में रंगी दिखती हैं. सड़कें, खेत, खलिहान सबकुछ एकदम सफेद. इस पर सूर्य की किरणें पड़ते ही मन रोमांचित हो जाता है.
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