पास की सोसाइटी में शोभाजी रहती है. भरापूरा परिवार है, पति विनोद, बेटा रवि और बहू तानिया. रवि की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी. तानिया बड़ी हंसमुख लड़की है, यह हमें शादी के समय ही महसूस हो गया था. खूब हंसती, खिलखिलाती तानिया ने सब का मन मोह लिया था. टू बैडरूम फ्लैट में आराम से तानिया ने नए जीवन की शुरुआत की. शोभाजी हमेशा तानिया की खुलेदिल से तारीफ करतीं, कहतीं, 'तानिया के आने से घर में बेटी की कमी पूरी हो गई.
सबकुछ अच्छा चल रहा था. सालभर बाद विनोदजी गंभीर रूप से बीमार पड़े तो मैं उन्हें देखने गई. पता चला, बेटाबहू विनोदजी को ले कर डाक्टर को दिखाने गए हुए हैं. शोभाजी को हलका बुखार था तो वे नहीं गई थीं. पहले मैं ने उन के उतरे चेहरे को बुखार का असर समझा पर उन की बातों से समझ आया कि घर का माहौल तो बिलकुल बदल चुका है. शोभाजी मुझ से काफी बड़ी हैं, मैं उन्हें दीदी कहती हूं. मैं ने पूछ ही लिया, “क्या हुआ है, आप बहुत परेशान लग रही हैं?"
एक ठंडी सांस ले कर उन्होंने अपना दिल हलका कर ही लिया, “तानिया ने मुझ से बात करना बंद कर दिया है, उतनी ही बात करती है जितनी के बिना काम नहीं चलता."
मुझे एक झटका सा लगा, “क्या कह रही हो दीदी, आप दोनों की बौंडिंग तो बहुत अच्छी थी. अचानक क्या हुआ?"
“उसे मेरी जरा सी बात भी बरदाश्त नहीं."
“जैसे?"
“जरा सा टोक क्या दिया, बुरा ही मान मान गई."
"क्या टोक दिया?"
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