भारत में महंगाई अब चर्चा का विषय नहीं रह गया है. जब भी किसी वस्तु के दाम बढ़ते है, अखबारों में सिंगल कौलम खबर छप जाती है, जो खबर कम, सूचना अधिक होती है. 1 मार्च, 2023 को सुबह के अखबारों से पता चला कि केंद्र सरकार ने घरेलू रसोई गैस की कीमत में 50 रुपए बढ़ा दिए हैं. सरकार ने इस तरह से जनता को होली का उपहार दिया. होली से पहले आम जनता को महंगाई का तगड़ा झटका लगा. पहले त्योहारों के समय सरकार जनता को राहत देने वाले काम करती थी. 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलैंडर को 50 रुपए महंगा कर दिया गया. दिल्ली में इस की कीमत 1,103 रुपए हो गई. हर शहर में इस की कीमत बढ़ गई.
घरेलू गैस के साथ ही साथ कमर्शियल सिलैंडर के दाम भी बढ़ा दिए गए. 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलैंडर के दाम में 350.50 रुपए का बड़ा इजाफा किया गया. इस के बाद दिल्ली में इस की कीमत 1,769 रुपए से बढ़ कर 2,119.5 रुपए, मुंबई में 1,721 रुपए की जगह 2,071.5 रुपए, कोलकाता में रेट 1,870 रुपए से बढ़ कर 2,221.5 रुपए और चेन्नई में 1,917 रुपए के बजाय 2,268 रुपए हो गई.
इस का असर बाजार में बिकने वाली खानेपीने की चीजों पर पड़ा. होली में सब से अधिक खोया प्रयोग में आता है. इस का उपयोग गुझिया बनाने में किया जाता है. जो खोया मार्च के पहले 3 सौ रुपए किलो मिलता था, गैस की कीमत बढ़ने के बाद 4 सौ से अधिक कीमत का हो गया.
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घरेलू रसोई गैस और कमर्शियल गैस सिलैंडर के दामों में वृद्धि को कांग्रेस ने देश की आम जनता पर गहरी चोट बताया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी के नेतृत्व में कांग्रेसी लोगों ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से निकल कर विधानसभा पर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस प्रशासन ने उन्हें विधानसभा जाने से रोक दिया. जिस के विरोध में कांग्रेसजन धरने पर बैठे.
This story is from the March Second 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the March Second 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
पुराणों में भी है बैड न्यूज
हाल ही में फिल्म 'बैड न्यूज' प्रदर्शित हुई, जो मैडिकल कंडीशन हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन पर आधारित थी. इस में एक महिला के एक से अधिक से शारीरिक संबंध दिखाने को हिंदू संस्कृति पर हमला कहते कुछ भगवाधारियों ने फिल्म का विरोध किया पर इस तरह के मामले पौराणिक ग्रंथों में कूटकूट कर भरे हुए हैं.
काम के साथ सेहत भी
काम करने के दौरान लोग अकसर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, जिस से हैल्थ इश्यूज पैदा हो जाते हैं. जानिए एक्सपर्ट से क्यों है यह खतरनाक?
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.
तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं
शादी कर के पछताने वाले हजारोंलाखों लोग मिल जाएंगे, लेकिन तलाक ले कर पछताने वाले न के बराबर मिलेंगे क्योंकि यह एक घुटन भरी व नारकीय जिंदगी से आजादी देता है. लेकिन जब सालोंसाल तलाक के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ें तो दूसरी शादी कर लेने में हिचक क्यों?
शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?
शिल्पशास्त्र में किसी इमारत की उम्र जानने की ऐसी मनगढ़ंत और गलत व्याख्या की गई है कि पढ़ कर कोई भी अपना सिर पीट ले.
रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.