'दिल की किताब कोरी है', 'किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुम ने, मगर कोई चेहरा क्या तुम ने पढ़ा है...' हिंदी फिल्मों के ऐसे कई गाने किताबों के जरिए ही प्यार की गहराई को, प्रेमी जोड़े एकदूसरे को जाहिर करते आ रहे हैं. यह सभी जानते भी हैं. लेकिन आज फिल्मों के साथसाथ लोगों ने भी किताबों को पढ़ना कम कर दिया है. इसी वजह से विश्व में लोगों के बीच में किताब पढ़ने के सिलसिले को जारी रखने के लिए हर साल 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे मनाया जाता है.
बचपन में पहले पेरैंट्स बच्चों को किताबें पढ़ने पर जोर दिया करते थे, क्योंकि किताबें पढ़ना अच्छी बात मानी जाती है. इस से बच्चे में एकाग्रता, याद्दाश्त, नई खोज को जानने की इच्छा आदि विकसित हुआ करती है. पैरेंट्स से ले कर डाक्टर, टीचर्स और लाइब्रेरियन तक, सभी हमें यही एडवाइस करते थे कि हमें बुक्स पढ़नी चाहिए. बुक्स इंसान की हैल्थ और वैलनैस के लिए भी फायदेमंद होती हैं.
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पुराणों में भी है बैड न्यूज
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रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.