लोकतंत्र में प्रधानमंत्री को जो अधिकार देश के मामले में होता है वही अधिकार राज्यों के मामलों में मुख्यमंत्रियों को होता है. भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारों के सभी 10 भाजपाई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चंगुल में हैं. एक दौर वह था कि कांग्रेस में प्रधानमंत्री पद पर किस को बैठाया जाए, इस का फैसला कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के वोटों से हुआ था.
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के लिए प्रधानमंत्री बनना आसान नहीं था. जवाहर लाल नेहरू ने इंदिरा को अपने जीतेजी सक्रिय राजनीति से दूर रखा था. अपने उत्तराधिकारी के तौर पर नेहरू ने कभी अपनी बेटी का नाम नहीं लिया. यही कारण था कि जवाहर लाल नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बन गए. 11 जनवरी, 1966 की रात ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया. गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बना दिया गया.
इस के बाद नए प्रधानमंत्री की तलाश शुरू हो गई. प्रधानमंत्री बनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज के कंधों पर आ गई. पार्टी के सामने प्रधानमंत्री बनने लायक 4 नाम थे- के कामराज, गुलजारी लाल नंदा, इंदिरा गांधी और मोरारजी भाई देसाई. गुलजारी लाल नंदा चाहते थे कि 1967 के आम चुनाव तक वे प्रधानमंत्री पद पर बनें.
इंदिरा गांधी को मिले 12 वोट
प्रधानमंत्री बनने की रेस में इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई और गुलजारी लाल नंदा आगे बढ़ रहे थे. के कामराज कांग्रेस संगठन में ही बने रहना चाहते थे. 14 जनवरी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को ले कर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई. उस बैठक में उम्मीदवारों को ले कर कोई निष्कर्ष नहीं निकला. तब कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्रियों को दिल्ली बुलाया. सभी 14 मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई जिस में से 12 ने इंदिरा गांधी को समर्थन देने की बात कही.
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