पिछले साल दीवाली के इन्हीं दिनों में कर्नाटक की भाजपा सरकार पर लगा यह आरोप काफी सुर्खियों में रहा था कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए राज्य के कुछ पत्रकारों को मिठाई के डब्बों के साथ एक से ढाई लाख रुपए तक नकद भिजवाए थे. तब न केवल मीडिया बल्कि सोशल मीडिया पर भी मीम्स और प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई थी. यूजर्स ने जम कर बसवराज बोम्मई को ट्रोल किया था. मामले में दिलचस्पी और हैरत तब और बढ़ी थी जब कुछ पत्रकारों द्वारा दीवाली उपहार या रिश्वत में मिला पैसा वापस कर देने की खबरें आई थीं.
कांग्रेस इस मुद्दे पर दिल्ली से ले कर बेंगलुरु तक हमलावर रही थी और सकपकाए मुख्यमंत्री सफाई देते रह गए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई तो सहज लगा था कि दाल में कुछ तो काला था.
बात आईगई हो गई लेकिन दीवाली के तोहफों के एक और स्याह सच के साथ वह यह भी उजागर कर गई कि उपहाररूपी रिश्वतखोरी केवल सरकारी महकमों में ही आम नहीं है, मीडिया भी इस का हिस्सा है क्योंकि अपनी पहुंच और हैसियत के मुताबिक वह काफीकुछ बना और बहुतकुछ बिगाड़ भी सकती है. मीडिया की घटती विश्वसनीयता किसी सुबूत की मुहताज नहीं रह गई है लेकिन यह मामला एक शक को यकीन में बदल गया था कि क्यों दीवाली पर तोहफों के लेनदेन का रिवाज बढ़ रहा है.
उपहार उल्लू सीधा करने का जरिया
दीवाली पर उपहार देना बेहद आम बात है लेकिन अब यह रिश्वतखोरी का दूसरा नाम हो गया है क्योंकि मौका भी होता है, मौसम भी होता है और दस्तूर तो है ही. एक स्वस्थ परंपरा को भी कैसे घूसखोरी और घूसखोरों ने अपना उल्लू सीधा करने का जरिया बना लिया है, बड़े पैमाने पर इस की एक मिसाल अब से कोई 7 साल पहले तब सामने आई थी जब तत्कालीन केंद्रीय वित्त सचिव हसमुख अधिया को किसी ने दीवाली के तोहफे में सोने के 2 बिस्कुट भिजवाए थे. यह राज खुद हसमुख आधिया ने ही खोला था कि उन के राजस्व सचिव रहते किसी ने इतनी बड़ी घूस देने की हिमाकत की.
This story is from the November First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
एक गलती ले डूबी इन ऐक्टर्स को
फिल्म कलाकारों का पूरा कैरियर उन की इमेज पर टिका होता है. दर्शक उन्हें इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वे अपना आइकन मानने लग जाते हैं मगर जहां रियल लाइफ में इस इमेज पर डैंट पड़ता है वहां वे अपने कैरियर से हाथ धो बैठते हैं.
शादी से पहले खुल कर करें बात
पतिपत्नी में किसी तरह का झगड़ा हो हीन, इस के लिए शादी के बंधन में बंधने से पहले दोनों पार्टनर्स हर विषय पर खुल कर बात करें चाहे अरेंज मैरिज हो रही हो या हो लव मैरिज. वे विषय क्या हैं और बातें कैसे व कहां करें, जानें आप भी.
सुनें दिल की धड़कन
सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो फौरन कार्डियोलोजिस्ट से हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष
जिन मातापिता के पास सिर्फ बेटे ही होते हैं वे घर में बहू के आने के बाद बहुत खुश होते हैं. बहू में वे बेटी की कमी को पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में ससुर के साथ बहू के रिश्ते बहुत अच्छे हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बाप की ज्यादा लाड़ली होती हैं.
डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई
आजकल शादीशुदा युवाओं की लाइफस्टाइल में डिंक कपल्स का चलन बढ़ गया है. इस में दोनों कमा कर आज में जीते हैं पर बच्चे, परिवार और बिना जिम्मेदारियों के साथ. यह चलन खतरनाक भी हो सकता है.
प्रसाद पर फसाद
प्रसाद में मांसमछली वगैरह की मिलावट की अफवाह के के बाद भी तिरुपति के मंदिर में भक्त लड्डू धड़ल्ले से चढ़ा रहे हैं. इस से जाहिर होता है कि यह आस्था का नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दुकानदारी का मसला है.
आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत सरकारों को अब एससी और एसटी आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की छूट होगी. इस फैसले ने आरक्षण की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. इस से जाति आधारित आरक्षण की मांग और भी जटिल हो जाएगी, जिस से देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए कानूनों में 2-3 ने ही सामाजिक परिदृश्य को बदला. राजीव गांधी को सामाजिक मामलों की ज्यादा चिंता नहीं थी, यह साफ है.
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.
क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली
फिल्मों की दीवाली अब पहले जैसी नहीं रही. दीवाली का त्योहार अब बड़े बजट की फिल्मों के लिए कलैक्शन का दिन भी नहीं रहा. इस मौके पर फिल्में आती तो हैं लेकिन बुरी तरह पिट जाती हैं. फिल्मी हस्तियों व आम लोगों के लिए दीवाली फीकी होती जा रही है.