ज्यादातर लोगों को सर्दी का मौसम बहुत पसंद होता है. मगर सर्दी में जब तापमान कम हो जाता है तो हमें अपनी सेहत का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है क्योंकि इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ता है और कई तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं. डायबिटीज, हार्ट पेशेंट, श्वास रोगी और ब्रेनस्ट्रोक के पेशेंट अकसर सर्दी में परेशान होते हैं. कौमन कोल्ड भी कुछ लोगों में दिक्कत बढ़ाता है.
सर्दी में होने वाली बीमारियों और उन के बचाव के उपाय
खांसी, जुकाम यानी सामान्य सर्दी : यह एक वायरल संक्रमण है जो आप की नाक और गले को प्रभावित करता है. कभीकभी कानों पर भी असर पड़ता है. यह कुछ दिनों से ले कर कई हफ्तों तक रहता है. इस के लक्षणों में गले में खराश, सिरदर्द, सीने में जकड़न, नाक बहना, छींक आना, ठंड लगना, बदन दर्द, सिर या आंखों में भारीपन और कभीकभी हलका बुखार शामिल हैं. इस की वजह 200 से अधिक वैसे वायरस हैं जो सामान्य सर्दी का कारण बन सकते हैं. मगर सब से आम राइनोवायरस है.
यह रोग बदलते मौसम, किसी संक्रमित व्यक्ति के आप के पास खांसने या छींकने से या किसी दूषित सतह के संपर्क में आने से होता है. यह इम्यूनिटी कमजोर होने पर और संक्रमण फैलने के कारण भी हो सकता है.
फ्लू : यह इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक श्वसन रोग है. यह आम सर्दी के समान है लेकिन यह संक्रामक श्वसन रोग मुंह, नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है. बुखार 4-5 दिनों में ठीक हो जाता है पर खांसी और थकान 2 सप्ताह तक रहती है. तेज बुखार, खांसी, सिरदर्द, दस्त, शरीर में दर्द, गले में खराश आदि इस के लक्षण हैं.
सर्दी जुकाम और फ्लू से ऐसे करें बचाव
• विटामिन सी बेस्ड फूड्स लें और ऐसा भोजन करें जो रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को बढ़ाए.
• सुबह बिस्तर से उठते ही गर्म कपड़े पहनें. सैर करने या जिम जा रहे हैं तो सिर पर गर्म टोपी और हाथों में ग्लव्स पहनना न भूलें.
• फ्रिज से निकाल कर कुछ भी तुरंत न खाएं.
• नाक बंद होने पर दिन में 2 से 3 बार भाप लें. गुनगुने पानी से गरारे करें.
• खांसते या छींकते वक्त मुंह पर हाथ या रूमाल रखें.
This story is from the December First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the December First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.