मैडिकल क्लेम के लिए अब 24 घंटे एडमिट रहना जरूरी नहीं
Sarita|January First 2024
क्लेम तो आसानी से मिलता नहीं, फिर हैल्थ इंश्योरेंस लेने से क्या फायदा? आम लोगों की स्वास्थ्य बीमा न लेने की एक बड़ी वजह यह मानसिकता भी है जो गलत नहीं है लेकिन इरडा के नए फैसले से लोगों के को उम्मीद बंधी है कि अब मैडिकल क्लेम के लिए 24 घंटे अस्पताल में भरती रहना जरूरी नहीं.
मैडिकल क्लेम के लिए अब 24 घंटे एडमिट रहना जरूरी नहीं

देश में बीमा खासतौर से स्वास्थ्य बीमा को ले कर जागरूकता नहीं है. आंकड़े इस की गवाही भी देते हैं कि महज 27 फीसदी लोगों ने ही स्वास्थ्य बीमा ले रखा है. इरडा यानी भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के एक आंकड़े के मुताबिक उस की और सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी लोग स्वास्थ्य बीमा लेने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. अब इरडा की कोशिश यह है कि जैसे यूपीआई की सुविधा पूरे देश में फैल गई है वैसे ही बीमा कंपनियों को भी अपने प्लान कुछ इस तरह बनाने चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा लें.

लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि बीमा कंपनियों के बारे में लोगों के अनुभव बहुत अच्छे नहीं हैं. क्लेम का पैसा उतनी आसानी से मिलता नहीं है जितना कि पौलिसी लेते वक्त बताया जाता है. दरअसल, बीमा कंपनियों के नियम और शर्तें बहुत ज्यादा कड़े होते हैं. इन की अधिकतर औपचारिकताएं भी गैरजरूरी होती हैं. देश में 24 बीमा कंपनियां और 34 सामान्य बीमा कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं लेकिन उन की पहुंच बहुत सीमित है.

हालांकि सरकारों की विभिन्न योजनाओं के चलते लोग इस से जुड़ रहे हैं लेकिन उन के अनुभव बहुत अच्छे नहीं हैं. एनएफएचएस-5 की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खराब गुणवत्ता के चलते लोग बीमा सहूलियत का इस्तेमाल ही नहीं करते. वहीं प्राइवेट सैक्टर की अपनी अलग दिक्कतें हैं.

दूर हुई बड़ी दिक्कत

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