उत्तर प्रदेश में पुलिस सिपाही की उ भरती के 60,244 पदों के लिए 48 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवदेन किया था. 43 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी. इस के बाद पेपर लीक हो गया और परीक्षा निरस्त कर दी गई. अब 6 माह के बाद परीक्षा होगी. सरकार चुनाव के पहले सिपाही की भरती कर के वाहवाही करवाना चाहती थी. विपक्षी पेपर लीक को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं. चुनाव में इस का प्रभाव कम करने के लिए योगी सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर रही है.
पाप और पुण्य का हिसाब रखने वाली सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'युवाओं के साथ अन्याय राष्ट्रीय पाप के समान है.'
पुलिस भरती परीक्षा को सही तरह से आयोजित कराने के लिए योगी सरकार ने बड़ेबड़े दावे किए थे. इस के बाद भी पेपर लीक हो गया. सरकार ने पहले तो पेपर लीक की बात मानी नहीं. पेपर लीक के प्रमाण सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे और प्रयागराज व लखनऊ में अभ्यर्थियों ने धरना देना शुरू कर दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में पेपर लीक का सवाल उठा दिया.
गए थे सिपाही बनने, जाना पड़ा जेल
युवाओं को उन का समर्थन मिलते देख सरकार ने पूरे मामले की लीपापोती शुरू कर दी. सिपाही परीक्षा को रद्द कर दिया. जांच में अभ्यर्थी सत्य अमन कुमार ने पुलिस से पूछताछ में कबूला कि उस के दोस्त नीरज ने व्हाट्सऐप पर उसे परीक्षा से पहले ही पेपर भेज दिया था जिस की पर्ची उस ने तैयार की थी. पुलिस ने पूछताछ के बाद अभ्यर्थी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
लखनऊ में पकड़े गए एक अभ्यर्थी से बरामद नकल की पर्ची के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस के इंस्पैक्टर रैंक के अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करवाई. खास बात यह है कि दर्ज कराई गई तहरीर में लिखा गया कि सुनियोजित ढंग से पेपर लीक किया गया जो अपराध की श्रेणी में आता है.
भरती परीक्षा में 17 और 18 फरवरी की दूसरी शिफ्ट का पेपर लीक हुआ था. 18 फरवरी की शाम 3 से 5 की पाली में हुए प्रश्नपत्र तमाम अभ्यर्थियों के पास और कोचिंग टीचर्स के पास पहले ही पहुंच गए थे, जिसे ले कर शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर उसी समय पोस्ट भी लिखी कि पेपर लीक होने की बातें सामने आ रही हैं.
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