Aha Zindagi - October 2024Add to Favorites

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आशा, उमंग, उत्साह से भरपूर अहा! ज़िंदगी का नवीनतम अंक। उत्सवों के इस महीने में पूरे जीवन को ही उत्सव जैसा बना लेने के सूत्र दे रहे हैं आमुख कथा के तीन लेख। अहा! अतिथि के रूप में अपनी कहानी सुना रहे हैं मशहूर अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन। ज़िंदगी की किताब में गायक मन्ना डे की दिलचस्प दास्तान। इनके साथ ही हमेशा की तरह प्रेरक और पठनीय सामग्री से भरपूर अंक।

उन्नति के लिए आभार

अपने जन्म के लिए, जीवन के लिए, कामकाज और सफलता के लिए, हर चीज़ के लिए आभार प्रकट करें। जब आप आभार जताते हैं तो आपको और भी आशीष व सहयोग मिलता है, जिससे जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति होती है।

उन्नति के लिए आभार

3 mins

अदायगी के रंग अनंत

74 बरस के अनंत महादेवन काफ़ी पहले ही अभिनय, निर्देशन और पटकथा लेखन में एक पुख्ता पहचान बना चुके हैं। उन्होंने व्यावसायिक और कला, दोनों तरह के सिनेमा में कामयाबी पाई है जो बिरलों को ही नसीब होती है। बावजूद इसके वे कहते हैं कि अभी अपने सपनों का दस फ़ीसदी भी हासिल नहीं किया है तो इसलिए कि नाम की तरह उनके सपनों का विस्तार भी अपार है। जिस उम्र में लोग आराम के बारे में सोचते हैं, वे शिद्दत से ऐसा काम तलाश रहे हैं जो सौ बरस तक दर्शकों के दिलों में ज़िंदा रहे। इस बार बहुआयामी प्रखर प्रतिभा के धनी अनंत महादेवन बतौर अहा ! अतिथि सुना रहे हैं अपनी कहानी।

अदायगी के रंग अनंत

10+ mins

सात वार, नौ त्योहार

सात वार, नौ त्योहार की कहावत हमारी उत्सवधर्मी संस्कृति का सार है। इसका अर्थ है आनंद मंगल होना। हमारे लिए तो हर दिन उत्सव है, पंचांग के लिहाज़ से भी और हमारी परंपरागत दिनचर्या और व्यवहार के हिसाब से भी। आधुनिक जीवन की आपाधापी और मूल्यों के बदलाव में हम भले ही कहीं और खुशियां खोजने लगे हैं, लेकिन असल आनंद तो पर्व-उत्सवों में ही है। ऐसा क्यों है, इसकी पड़ताल से वे सूत्र मिलेंगे जो आपके हर दिन को उत्सव बना देंगे।

सात वार, नौ त्योहार

6 mins

आदत छूटे तो आज़ादी मिले

बुरी आदतें तो ख़ैर त्याज्य हैं ही, पर अच्छी आदतों की भी बुरी बात यह है कि उनके चलते हम यंत्रवत हो जाते हैं, मशीन की तरह जीने लगते हैं। इसलिए आदत कैसी भी हो, उसे छोड़ना ज़रूरी है, ताकि हम अपनी स्वतंत्र हस्ती को जान पाएं।

आदत छूटे तो आज़ादी मिले

4 mins

नौ रूपों में नारी जीवन

देवी के नौ रूपों में नारी के वे सद्गुण परिलक्षित होते हैं जिनके कारण स्त्री को देवी माना गया है। इन्हीं नौ रूपों में एक स्त्री के जन्म से अंत तक के सारे रूप अभिव्यक्त होते हैं। इस तरह नवरात्र में नवदुर्गा के रूप में लोक नारी की संपूर्ण जीवनयात्रा को ही नमन करता है।

नौ रूपों में नारी जीवन

6 mins

एक नई सार्वजनिक नैतिकता

जीवित प्राणियों को वस्तु की तरह देखने वाली. उपभोक्तावादी दृष्टि आधुनिक सभ्यता का शाप है। अगर आप इस पर आवाज़ नहीं उठाएंगे तो आपसे कोई शिकायत नहीं करने वाला है। क्रूरता पर सर्वसम्मति बना ली गई है। लेकिन इससे सच नहीं छुप जाता और वह सच घृणित है।

एक नई सार्वजनिक नैतिकता

5 mins

मेरी दोस्ती मेरी फटकार

कहावत है कि जब बाप का जूता बेटे के पैर में आने लगे तो उसे मित्र मान लेना चाहिए। आज के दौर में भी अभिभावकों को किशोरवय संतानों के साथ दोस्ती कर लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या बच्चों का दोस्त बन जाना ही पर्याप्त है ? क्या सख़्ती से बात बिगड़ ही जाएगी? कब दोस्ताना रहना है और कब कठोर होना है? सवाल कई हैं और जवाब भी कोई एक नहीं है।

मेरी दोस्ती मेरी फटकार

6 mins

दांपत्य के चार रहस्य

गृहस्थी में होते हुए भी हम इसके बारे में बहुत कुछ समझ नहीं पाते। अगर ये चार चीज़ें भी जान लें तो गृहस्थी काफ़ी आसान और सुखद हो जाएगी...

दांपत्य के चार रहस्य

4 mins

कुछ तो है!

भविष्यवक्ता तो आगामी के बारे में बताते ही हैं, कभी-कभी आम लोगों को भी पूर्वाभास हो जाते हैं। हम किसी को याद करते हैं और उसी क्षण उसका फोन आ जाता है। दिल कहता है कि यात्रा टाल दो और बाद में पता चलता है कि वह गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह मानव की छठी इंद्रिय है या सामूहिक चेतना या फिर महज़ संयोग?

कुछ तो है!

7 mins

भीतर से आता है उत्सव

पर्व शब्द से ही पर्वत बना है। पहले कम ऊंची चोटी वाले, फिर उससे ऊंचे, फिर उससे ऊंचे पर्वत दिखाई देते हैं जो कहते हैं कि सही अर्थों में 'पर्व' ही है जो हमारी चेतना को उत्तरोत्तर ऊंचाई की ओर ले जाते हैं।

भीतर से आता है उत्सव

3 mins

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YayıncıDainik Bhaskar Corp Ltd.

kategoriLifestyle

DilHindi

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