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जलवायु के बदलाव से घट रहा कृषि उत्पादन
भारत की आबादी तकरीबन डेढ़ अरब है. अब यह दुनिया की सब से बड़ी आबादी वाला देश हो चुका है. इस से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का दबाव भी बढ़ रहा है. बढ़ी हुई आबादी ने देश में खाद्यान्न की मांग में भी बढ़ोतरी की है.
गेहूं बीज : प्राकृतिक आपदा में भी लहलहाएगी फसल
बारिश, आंधी, तूफान, ओला जैसी प्राकृतिक आपदा आने पर सब से पहले इस का फसलों पर बुरा असर पड़ता है. हरीभरी लहलहाती खड़ी फसल तबाह हो जाती है और किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर जाता है. लेकिन अब गेहूं फसल लेने वाले किसानों के लिए गेहूं की एक खास विकसित प्रजाति मौजूद है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने विकसित किया है.
दिसंबर महीने के खास काम
अब तक उत्तर भारत में सर्दियां हद पर होती हैं. वहां के खेतों में गेहूं उगा दिए गए होते हैं. अगर गेहूं की बोआई किए हुए 20-25 दिन हो गए हैं, तो पहली सिंचाई कर दें. फसल के साथ उगे खरपतवारों को खत्म करें.
जहांगीरी घंटा साबित हुआ पीएम का शिकायत सुझाव पोर्टल - डा. राजाराम त्रिपाठी
सरकार यह कहते नहीं थकती है कि वह हर नागरिक की सहभागिता शासन में चाहती है. ऐसे में कोई विशेषज्ञ अगर मेहनत कर के कोई सार्थक सुझाव सरकार को भेजता है, तो उसे कोई श्रेय देना तो दूर उस की अभिस्वीकृति तक नहीं की जाती है. ऐसे में 'सब का साथ, सब का विकास' जैसे खोखले नारों का क्या मतलब रह जाता है?
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती
प्रदेश के किसान लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं कि राज्य में भांग की खेती को वैध घोषित कर उन की आय में बढ़ोतरी की जाए. भांग की खेती को मान्यता देने के साथ ही इस पर सरकार कड़ी निगरानी रखने की व्यवस्था भी करे, जिस से भांग की खेती का अवैध कारोबार रोका जा सके.
गन्ने की खेती को आसान बनाते यंत्र
आमतौर पर गन्ने की बोआई शरदकाल में 15 अक्तूबर से 15 नवंबर माह के बीच या वसंत के मौसम में 15 फरवरी से 15 मार्च तक की जाती है. पहले साल गन्ना बीज से फसल बोआई की जाती है, उस के बाद अगले 2 सालों तक फसल काटने के बाद ठूंठ बचते हैं, उन ढूंठों में से दोबारा अंकुरण होता है और पैदावार मिलती है. इसे पेड़ी या खूंटी फसल कहते हैं.
मैदानी इलाकों में आलू की उन्नत खेती
आलू की खेती प्रारंभिक अवस्था में पहाड़ी इलाकों में की जाती थी, धीरेधीरे आलू की खेती का विस्तार मैदानी इलाकों में भी होने लगा. पर क्या मैदानी इलाकों का आलू किसानों को मुनाफा देता है?
अधिक उत्पादन के लिए ऐसा भी किया जाना चाहिए
गरमियों में मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए.
अजोला की खेती पशुओं का पौष्टिक आहार
हमारे देश में पशुओं के लिए पौष्टिक चारे की किल्लत दिनोंदिन विकट रूप धारण करती जा रही है. ऐसे में वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता भी संभव नहीं हो पाती है. पशुपालकों को वर्ष के अधिकांश महीनों में सूखे चारे के रूप में भूसा, बाजरा व पुआल से बना चारा ही खिलाना पड़ता है. साथ ही, पशुपालकों को पौष्टिक चारे के रूप में पोषक आहार में सरसों की खली, दड़ा, दलिया इत्यादि भी देना पड़ता है, जिस पर 15 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम का खर्च आता है.
गोभीवंगीय सब्जियों की जैविक खेती
भारत में सर्दी के मौसम में गोभीवर्गीय सब्जियों में मुख्यतया फूलगोभी और पत्तागोभी की अधिक खेती की जाती है, किंतु कुछ गोभीवर्गीय सब्जियां ऐसी भी हैं, जिन की मांग भारत के बाजारों में बढ़ रही है जैसे ब्रोकली, ब्रुसेल्स स्प्राउट, लाल पत्तागोभी, चाइनीज पत्तागोभी, गांठगोभी.
टमाटर की खेती के लिए उन्नत तकनीकी
टमाटर एक ऐसी सब्जी है, जो आलू और प्याज के बाद सब से अधिक इस्तेमाल में लाई जाती है. टमाटर की फसल को साल में किसी भी मौसम में किया जा सकता है. टमाटर की खेती करने के लिए जल निकास वाली उपयुक्त मिट्टी (दोमट मिट्टी) का होना अधिक उपयोगी होता है. दोमट मिट्टी के अतिरिक्त अन्य मिट्टियों में भी इस की खेती को आसानी से किया जा सकता है, किंतु मिट्टी में उचित मात्रा में पोषक तत्त्व अवश्य होना चाहिए और मिट्टी का पीएच मान भी 6-7 के मध्य होना चाहिए.
गंवई महिलाएं चलाती हैं पुष्टाहार फैक्टरी
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के ब्लौक सल्टौआ गोपालपुर के शिवपुर गांव में गंवई और दलित औरतों ने गर्भवती, धात्री और 6 साल के आंगनबाड़ी के बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए दिए जाने वाले पुष्टाहार की फैक्टरी लगा कर न केवल अपनी माली हालत को बदल दिया है, बल्कि आज वे देश के कुपोषणमुक्त बनाने के संकल्प को भी सच कर रही हैं.
मटर के रोग और प्रबंधन
रबी की दलहनी फसलों में मटर का विशेष स्थान है. मटर का प्रयोग दाल, प्रसंस्कृत, ताजा सब्जी, चारे और हरी खाद के रूप में होता है. मटर की खेती मुख्यतया ताजा फलों के रूप में मौसमी एवं बेमौसमी सब्जी के रूप में की जाती है, परंतु इस का प्रति इकाई उत्पादन बढ़ाने में कवक, जीवाणु, विषाणु, सूत्रकृमि इत्यादि रोग बाधा पहुंचाते हैं. इस की पहचान एवं प्रबंधन करना बहुत जरूरी है.
मिलेट्स से बनाएं सेहतमंद पकवान
बाजरा, कोदो, नाचनी या रागी और कुटकी आदि मिलेट के अंतर्गत आने वाले अनाज हैं.
नवंबर महीने के खेती के काम
हमारे देश में नवंबर महीने की खास फसलें गेहूं, आलू और सरसों मानी जाती हैं. बोआई से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं और जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें. खेत में सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद डालें. अपने इलाके की आबोहवा के अनुसार बोआई के लिए किस्मों का चुनाव करें. बीज को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करने के बाद ही बोएं. बोआई सीड ड्रिल से करने पर बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अच्छी होती है.
कीवी के मिलते हैं अच्छे दाम
अगर बागबानों ने कीवी अच्छी तरह से नहीं पकाई हो तो मंडियों में इस फल को बेचना मुश्किल हो जाता है. कीवी गुणकारी फल है. अगर बगीचे में कीवी लगाई है, तो इसे बंदर, पक्षी आदि जंगली जानवर खाना पसंद नहीं करते. इस वजह से बागबान इस की पैदावार बेफिक्र हो कर करते हैं और इस फल को मंडियों तक पहुंचाने में कोई जल्दबाजी नहीं करते.
आलू की खेती और खास किस्म 'कुफरी मोहन'
आलू की किस्म 'कुफरी केंद्रीय मोहन' को आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला, हिमाचल प्रदेश ने ईजाद किया है, यह मध्यम अवधि वाली यानी 90 दिन में उगने वाली किस्म है. इस किस्म के कंद देखने में सफेद क्रीम रंग के, अंडाकार व एकरूपता लिए होते हैं.
आलू बोआई यंत्र पोटैटो प्लांटर
आलू की खेती में आजकल कृषि यंत्रों का अच्छाखासा इस्तेमाल होने लगा है. आलू बोआई के लिए पोटैटो प्लांटर है, तो आलू की खुदाई के लिए पोटैटो डिगर कृषि यंत्र है. यहां हम फिलहाल आलू बोआई यंत्र पोटैटो प्लांटर की बात कर रहे हैं.
मेथी की खेती
मेथी की फसल से अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए उन्नत किस्मों को बोना चाहिए. मेथी की बोआई अगर कृषि यंत्र से की जाए, तो खेत में खरपतवारों में कमी आने के साथ अच्छी उपज भी मिलेगी.
'लाडली रीजनल मीडिया अवार्ड'
'फार्म एन फूड' में प्रकाशित लेख पर मिला
सुपर सीडर मशीन: पराली की समस्या से मिले नजात और लाभ
सुपर सीडर के इस्तेमाल से धान की कटाई के बाद खेत में फैले हुए धान के अवशेष को जलाने की जरूरत नहीं होती है. साथ ही, धान की पराली जमीन में ही कुतर कर बिजाई करने से अगली फसल का विकास होता है, जमीन की सेहत भी बेहतर होती है और खाद संबंधी खर्च भी घटता है.
सोयाबीन किसान करें ये काम
मध्य प्रदेश के देवास के उपसंचालक कृषि आरपी कनेरिया ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन फसल लगभग 50 से 65 दिनों की है एवं फूल आने और फलियों में दाने भरने की स्थिति में है.
मछलीपालन के लिए अनुदान
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस योजना के तहत मत्स्यपालन से जुड़े किसानों अथवा मात्स्यिकी से जुड़ने के लिए इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं.
कस्टम हायरिंग सैंटर बनाएं 80 फीसदी सब्सिडी पाएं
इन दिनों पंजाब में फसलों के अवशेष का प्रबंध बेहतर ढंग से करने के लिए वातावरण अनुकूल 'सरफेस सिडर' पर सब्सिडी देने के लिए हरी झंडी दे दी है. पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित की गई इस तकनीक को फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम (सीआरएम) में शामिल किया गया है.
सवाल किसानों के मशरूम क्या है?
मशरूम, जिसे क्षेत्रीय भाषाओं में कुकुरमुत्ता, भूमि कवक, खुंभ, खुंभी, गर्जना एवं धरती के फूल आदि कई नामों से जाना जाता है. आमतौर पर बरसात के दिनों में छतरीनुमा संरचनाएं सड़ेगले कूड़े के ढेरों पर या गोबर की खाद या लकड़ी पर देखने को मिलता है, वह भी एक तरह का मशरूम ही है.
गेहूं की नई उन्नत किस्में
करनाल में जनमी 'प्रेमा', 'मंजरी', 'वैदेही', 'वृंदा' एवं 'वरुणा' इस वर्ष से खेतों में डांस करेंगी, तो बिलासपुर की 'विद्या' भी किसानों के खेतों में इठलाएगी.
पशुओं की बीमारियों से जागरूकता जरुरी
पालमपुर के डाक्टर जीसी नेगी, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु जनस्वास्थ्य एवं जानपदिक रोग विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने शोध में ऐसी बीमारियों को जाना है, जो पशुओं से इनसानों में न केवल प्रवेश कर उन्हें संक्रमित कर सकती हैं, बल्कि जानलेवा भी बन जाती हैं
यूरोप में महका मध्य प्रदेश का महुआ - मजदूरों का होगा फायदा
यूनाइटेड किंगडम की लंदन स्थित कंपनी ओफौंरैस्ट ने महुआ के कई प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैं. इन में मुख्य रूप से महुआ चाय, महुआ पाउडर, महुआ निब- भुना वगैरह मुख्य रूप से पसंद किए जा रहे हैं. ओ-फॉरेस्ट ने मध्य प्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है. इस से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा.
आखिरी सांस तक कृषि कल्याण के प्रति समर्पित
भारतीय कृषि के आधारस्तंभ प्रो. एमएस स्वामीनाथन
पंजाब की 79 मंडियां ई-नैम पोर्टल के साथ
पंजाब के वित्त, आबकारी एवं कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि इलैक्ट्रौनिक नैशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नैम) के पोर्टल के साथ जुड़ी पंजाब की 79 मंडियों के द्वारा 10,000 करोड़ रुपए के कृषि उत्पादों का ई-ट्रेडिंग के द्वारा व्यापार किया गया है.