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आंवला फलोत्पादन की नवीनतम तकनीकी
फलों की तोड़ाई बांस की सीढ़ियों के सहारे की जाती है और फलों की छंटाई करके टोकरियों में बन्द करके विपणन के लिए बाजार भेजा जाता है। फल-उपज किस्मों पेड़ों की आयु व देख-रेख निर्भर करती है।
फर्न से बन रहे है कीटनाशक
नए पाए गए प्रोटीन कार्रवाई का एक वैकल्पिक तरीका और मौजूदा कीटनाशक तरीकों के प्रति कीट प्रतिरोध की समस्या का एक अच्छा समाधान प्रदान करते हैं। मक्का, सोयाबीन और कपास की प्रमुख वैश्विक फसलों में कीट नियंत्रण प्रमुख कीटों से सुरक्षा के लिए कीटनाशक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए बैसिलस थुरिंगिएन्सिस (बीटी) से ट्रांसजेने का उपयोग करते हैं।
गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करने के लिए नई तकनीकें
नागपुर के निदेशक वाईजी प्रसाद ने डीटीई को जानकारी दी है कि वैज्ञानिक गुलाबी सुंडी के खिलाफ प्रभावी नई जीन की खोज का प्रयास कर रहे हैं। प्रसाद का कहना है कि, 'इसके लिए उन्होंने पौधों के 8,000 नमूनों की जांच की है, ताकि ऐसे पौधों का पता लगाया जा सके जो प्राकृतिक रूप से गुलाबी सुंडी के खिलाफ प्रभावी हैं ।'
गन्ना और पराली जलाने से किसानों को हो सकती है किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी
वैज्ञानिकों को गन्ना और पराली जलाने से पैदा हुई सिलिका और किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी के बीच संबंधों का पता चला है। गौरतलब है कि किसानों और कृषि कार्यों में लगे मजदूरों में गुर्दे से जुड़ी एक रहस्यमयी बीमारी देखी गई है।
किसानों और एनजीओ के सहयोग से आईआईटी ने विकसित की चावल की नई किस्म खड़गपुर
अब किसानों को धान की खेती में नुकसान नहीं झेलना होगा। क्योंकि एक गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी (सीडब्ल्यूएस) ने आईआईटी खड़गपुर के तकनीकी हस्तक्षेप से स्वदेशी किस्म की चावल विकसित की है।
नीम आधारित जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं
किसान भाई बिना किसी खर्च के नीम आधारित जैविक कीटनाशक अपने घर पर तैयार कर सकते हैं, जो कि एकदम शुद्ध नीम आधारित जैव कीटनाशक होगा
पौष्टिकता से भरपूर सेंजना की खेती किसान के लिए मुनाफे का सौदा
सहजन, ड्रमस्टिक, मुनगा, सहिजन, सेंजना, मुरिंगा, गठीगना, सिंहफली आदि नामों से जाना जाता है। यह किसानों के लिए एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाला जाना-पहचाना पौधा है।
शहद के फायदे और उपयोग कैसे करें
शहद का उपयोग आप किसी भी रूप में करें यह आपकी सेहत के लिए उतनी ही फायदेमंद है। बस इसके इस्तेमाल से पहले यह जरुर जांच लें कि उपयोग में लाया जा रहा शहद असली है या मिलावटी, क्योंकि मिलावटी शहद खाने से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। शहद की क्वालिटी को लेकर लोग हमेशा असमंजस में रहते हैं। आपकी जानकरी के लिए बता दें कि असली शहद काफी गाढ़ा होता है और पानी में डालने पर यह आसानी से घुलता नहीं है बल्कि तली में जाकर जम जाता है जबकि नकली शहद पानी में जल्दी घुल जाता है। हालांकि शहद की शुद्धता जांचने का यह कोई निश्चित पैमाना नहीं है।
मेथी की जैविक खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
दाने के लिए उगाई गई मेथी की जैविक फसल के पौधों के ऊपर की पत्तियाँ पीली होने पर बीज के लिए कटाई करें। फल पूरी तरह सूखने पर बीज निकाल कर एवं सुखा कर साफ कर लें तथा भण्डारण करना चाहिए।
कस्टम हायरिंग सैंटर आय का बढ़िया स्रोत
मशीनें खरीदनी बहुत आसान हैं, परन्तु इन मशीनों का उचित ढंग से प्रयोग करना भी उतना ही आवश्यक है, क्योंकि मशीनों का अर्थ है ऐसे साधन जो आपके काम को आसान बनाकर आपकी आमदनी में वृद्धि करने में सहायक हों, ऐसा नहीं जो आपकी आमदनी को कम करने लग जायें।
प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी डॉ. विलियम ए. अलब्रेक्ट
डॉ. अल्ब्रेक्ट एक सम्मानित मिट्टी विज्ञानी हैं। उन्होंने यह खोज की कि प्राकृतिक ढंग से कैसे मिट्टी को बढ़िया बनाया जाये। उन्होंने पशुओं के कई रोगों के बारे में भी खोजें कीं, जो उनमें सीधी मिट्टी द्वारा या घटिया क्वालिटी के चारे द्वारा चली जाती है।
कॉर्पोरेट से कंपोस्टर बनने तक का सफर गुर रजनीश
गुर रजनीश ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की
कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से पर्ल मिलेट की किस्मों पर किया रिसर्च
बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोडक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।
खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग
क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर साल औसतन 36 लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। मतलब की यह वो जमीन है, जिस पर खेती की जा सकती थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उस पर खेती नहीं की जा रही। नतीजन धीरे-धीरे इस जमीन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक ही खेत में कई प्रकार के पौधों को उगाना एक लंबे समय से चली आ रही कृषि पद्धति है, लेकिन इसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते है।
परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित
एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आते बदलावों से परागण करने वाले कीटों में 61.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी वजह से आम, तरबूज, कॉफी और कोको जैसी उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।
बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज
बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में बर्ड फ्लू बीमारी के फैलने की घटनाएं देखी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों में बर्ड फ्लू के प्रसार को सीमित करने के लिए जीन संपादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। बर्ड फ्लू मौजूदा वक्त में एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इस बीमारी का असर जंगली पक्षियों के अलावा कृषि क्षेत्र में देखा गया है। इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी साबित हुआ है।
भारत में प्याज और राजनीति
स्थानीय बाजारों में खरीफ की फसल के देरी से आने की चिंता के कारण महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की थोक कीमतें एक सप्ताह के भीतर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई हैं।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की।
आलू की जैविक (कार्बनिक) तकनीकी खेती
आलू की जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें एक तरफ रासायनिक उत्पादों जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदीनाशी, खरपतवारनाशी तथा वृद्धि नियामक आदि के प्रयोग को हतोत्साहित करते हैं तो वही दूसरी तरफ कार्बनिक पदार्थों जैसे जैविक खादें, जैव उर्वरक, हरी खाद, फार्म के उत्पाद, जैविक फफूंदीनाशी एवं कीटनाशी तथा फसल चक्र आदि के प्रयोग पर निर्भर रहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मृदा, पौधों, पशुओं एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव को कम करने तथा फसल उत्पादकता एवं भूमि उर्वरता को निरन्तर बनाये रखना है।
गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?
रबी मौसम की फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है। गेहूं की नई-नई किस्मों के चयन, संतुलित खादों व पानी के समुचित प्रयोग से गेहूं की पैदावार में निरंतर बढ़ोतरी हुई है तथा कृषि की उन्नत तकनीकों को अपनाकर किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षों में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन किया है।
मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी की जैविक खेती के लिए किसानों को स्थानीय किस्मों की अपेक्षा अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उपज देने वाली तथा विकार रोधी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। जहां तक संभव हो प्रमाणित जैविक बीज का ही प्रयोग करें।
कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक
राया सरसों में ऐसी कोई समस्या नही है तथा इसकी कटाई फसल के पूरी तरह से पकने के बाद ही करें। कटाई के बाद भली प्रकार से सुखाने के बाद ही फसल की गहाई करें।
शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि
हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है।
डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज
गहाई के पूर्व ढेरियों पर हल्का सा पानी छिड़क देते हैं, जिससे दाने आसानी से अलग हो जाते हैं। गहाई करने के बाद भूसा अलग करके साफ बीज प्राप्त कर लिये जाते हैं।
मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं
ध्यान रखें कि पानी अधिक न होने पावे। यथा संभव स्प्रिंकलर से सिंचाई करें या खेत में स्ट्रिप बनाकर हल्की सिंचाई करना लाभकारी रहता है। अधिक सिंचाईयाँ मसूर की फसल के लिए लाभकारी नहीं रहती है। खेत में जल निकास का उत्तम प्रबन्ध होना आवश्यक रहता है।
भोजन में सब्जियों का महत्व
पत्ते वाली सब्जियाँ जैसे, पालक, सलाद, बन्दगोभी तथा विभिन्न भारतीय सब्जियाँ, जिनमें जल सेल्यूलोज व रेशे की अधिकता होती है। हरी सब्जियों से हमें सेल्यूलोज तथा क्लोरोफिल मिलते हैं जो पाचन में भी सहायक होते हैं। सब्जियों के तने, पत्तियाँ, कन्द तथा जड़े पकने पर स्पंजी हो जाती हैं जो कि न केवल भूख मिटाती हैं वरन भोजन को पाचन पथ में नीचे खिसकाने में भी सहायक होती हैं।
कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं
भारत के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन के निर्माण हेतु एक मसौदा तैयार किया है। MNRE द्वारा स्थापित समिति ने मंत्रालय के पास अपनी सिफारिशें जमा करा दी हैं और जिसे कुछ महीनों के लिये सार्वजनिक सुझावों/टिप्पणियों हेतु खुला रखा जाएगा। सौर ऊर्जा से संबंधित समस्याएं भी हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन दोपहर में अपने चरम पर होता है, लेकिन जब उसे सही समय पर संगृहीत नहीं किया जाएगा, तो रात में घरों को प्रकाश उपलब्ध नहीं होगा।
सरकार के अव्यवहारिक फैसले से किसानों व पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
पंजाब और हरियाणा में पर्यावरण हितैषी सीधी बिजाई धान को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी खरीद समय रहते करना चाहिए। किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा पहली अक्तूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने का फैसला अव्यावहारिक है। जो प्रदेश सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने वाली भूजल बचत व पर्यावरण हितैषी सीधी बिजाई धान के हित में नहीं है।