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अब अमेरिका में भी कर रहे हैं किसान आत्महत्याएं
केवल भारत में ही आत्महत्या नहीं कर रहे हैं, बल्कि यहां से हजारों किलोमीटर दूर अ देश अमेरिका में भी किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। अमेरिका में बिना किसी शोर शराबे के एक किसान की मौत के खिलाफ लड़ाई ने अब और तेजी पकड़ ली है।
कुप्रबंधन के कारण बढ़ रहा है पानी का संकट
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत में जल संकट, जल संसाधनों की कमी के कारण नहीं बल्कि उसके कुप्रबंधन के कारण है।
मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति जैसी गलती तो नहीं दोहरा रहे हैं हम!
मोटे अनाजों की ऐसी कई किस्में भी हैं जिन्हें बायोफोर्टिफिकेशन तकनीकों के माध्यम से विकसित किया गया है। इसके तहत प्रजनन और संकरन तकनीकों के माध्यम से बीजों में पोषक तत्वों को बढ़ाया जाता है।
कृषि गतिविधियों को सैटेलाइट से मॉनीटर करेगा कृषि मैपर ऐप
कौन-से खेत में, कौन-सी फसल हो रही है, कहां ज्यादा है-कहां कम। कहां बर्बादी है, कहां फायदा है, इसका अवलोकन कर सकेंगे। इसके आधार पर किसानों को सलाह दी जा सकेगी कि इस बार किस हिस्से में खेती करना है, कहां नहीं।
धान रोपाई का नया विकल्प ढूंढने की जरूरत
दुनियाभर में जल बचाने की कोशिशें जारी हैं। जल संरक्षण एक नागरिक के तौर पर भी हमारा दायित्व है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (7) के मुताबिक, हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है- वनों, झीलों, नदियों, भूजल और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना।
बेमौसमी बारिश परेशान अन्नदाता
राज्यों की सरकारों ने किसानों के आंसू पोछने की घोषणा भी कर दी है। उदाहरणार्थ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रभावित किसानों की बर्बाद हुई फसलों की विशेष गिरदावरी कराकर शीघ्र रिपोर्ट तलब की है ताकि उन्हें मुआवजा देने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जा सके। इसी तरह सबसे बड़े प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी किसानों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।
एग्रीटेक स्टार्टअप की बढ़ रही संख्या
बीते आठ-नौ साल में केंद्र सरकार की ओर से लगातार ये कोशिश रही है कि देश की ताकत उभरकर दुनिया के राजनीतिक मंच पर आए। हमारे देश के किसान, नौजवान, स्टार्टअप इत्यादि की ताकत को नियोजित तरीके से उभारकर लक्ष्य साधकर काम किया जाए।
ग्रामीण तालाबों में मछली पालन कैसे करें?
हरियाणा में मछली पालन के मुख्य स्रोत मानसून के पानी को सिंचाई एवं दैनिक उपयोग के लिए एकत्रित करने हेतु बनाए गए छोटे एवं बड़े तालाब हैं। मानसून की अनिश्चितता एवं कृषि कार्यों की आवश्यकता के अनुरूप राज्य के तालाबों में पानी का भराव एवं ठहराव की स्थिति भी अनिश्चित रहती है। ऐसी अवस्था में राज्य में मछली पालन हेतु पद्धति का निर्धारण पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर किया जाना उचित होता है।
गोमूत्र सुरक्षित नहीं है इंसानों की सेहत के लिए...
ताजा बिना डिस्टिल्ड गौमूत्र मानव सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है। हालांकि शोधकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि इस अध्ययन में डिस्टिल्ड गौमूत्र सुरक्षित है या नहीं इस पर अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है।
टिकाऊ खेती ही समाधान करेगी पंजाब के कृषि संकट
पंजाब हमेशा हरित क्रांति का प्रतीक रहा है।
थ्रिप्स के खतरे का मुकाबला करने के लिए मिर्च का नया हाईब्रिड बीज विकसित किया
मिर्च की फसल में देश के दक्षिणी भागों में अन्य थ्रिप्स प्रजातियों के विपरीत उत्तर पूर्व मानसून की भारी वर्षा के कारण टी. परविस पिनस का भारी संक्रमण देखा गया।
कृषि में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता
कृषि परियोजनाओं की मदद से महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। ऐसे में विशेषज्ञों ने नीतिगत स्तर पर सम्पत्ति, टैक्नॉलॉजी व संसाधनों की सुलभता में व्याप्त खाई को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि कृषि-खाद्य क्षेत्र में महिलाओं का सशक्तीकरण महत्वपूर्ण है।
किसान, प्रकृति और आपदा
कभी सब्जी बर्बाद होती है, कभी फसल बर्बाद होती है, कभी घुन का हमला होता है, कभी ओलावृष्टि होती है, तो कभी आंधी तुफान किसान की तबाही का कारण बनती है।
शहद मार्केटिंग के बदलते हुए मानक
जब यह घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों शहद की मार्केट की बात आती है तो मूल्य और मात्रा दोनों महत्वपूर्ण पहलू हैं। एक स्वस्थ प्राकृतिक मिठास के रूप में, सामान्य बीमारियों के लिए एक पुराने घरेलू उपचार के रूप में एक भोजन सामग्री के रूप में एवं मिठाईयों में भी शहद का औद्योगिक एवं घरेलू प्रयोग में एक विलक्षण स्थान है।
पशुओं में लगने वाले रोगों का टीकाकरण और उनके बचाव
रोग में पशु के कंधे या पुट्ठे की मांसपेशियों में गैस भरी सुजन हो जाती है, जिसके कारण पशु लंगड़ाने लगते हैं। इसमें बुखार होने से पशुओं की मौत भी हो जाती है।
महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में बढ़ता रोजगार
कोविड-19 महामारी के बाद के दौर में महाराष्ट्र में रोजगार की स्थिति में काफी सुधार दिखा है।
पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व
खनिज मिश्रणों को बाजार से आसानी से खरीदा जा सकता है। यह अलग अलग कंपनी के अलग-अलग नाम से आते हैं उन्हीं के अनुसार इनकी कीमत भी होती है। अगर किसान इस मिश्रण को पशु के युवावस्था से पहले ही चारे में उन्हें प्रदान करें तो उनका सर्वांगीण विकास होता है
जलवायु परिवर्तन समझना आज के समय की जरूरत
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा अनियमित होने की सम्भावना है। भारत के काफी क्षेत्र में वर्षा आधारित कृषि की जाती है। यदि ऐसा हुआ तो इस सारे क्षेत्र में कृषि करना असंभव हो जाएगा। इस समय भी मानसूनी क्षेत्रों में या तो ज्यादा बारिश होने से बाढ़ आ रही है या बारिश न होने से सूखे जैसी हालात हो रही हैं।
प्रसिद्ध खरपतवार विज्ञानी स्टीफन मौस
स्टीफन मौस को उनके द्वारा अपनी टीम के साथ मिलकर रोथमस्टैंड में रजिस्टैंस टैस्ट विकसित करने के लिए दिया गया है। इस टैस्ट से खरपतवारों की खरपतवारनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को नापा जा सकता है। इस तकनीक द्वारा खरपतवार पर खरपतवारनाशक के कम या अधिक प्रभाव को नापा जा सकता है।
एग्रीटेक स्टार्टअप से भारत होगा मजबूत
भारत में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के वाहक हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। ये बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करते हैं।
भारत में पहली बार गिर गाय का 'क्लोन' किया तैयार
गिर गाय, अन्य गाय की नस्लों के अपेक्षा, बहुत अधिक सहनशील होती है जो अत्यधिक तापमान व ठण्ड आसानी से सहन कर लेती है और विभिन्न ऊष्ण कटिबन्ध रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। इसी कारण, हमारे यहां की देशी गायों का ब्राजील, अमेरिका, मैक्सिको, और वेनेजुएला में बहुत मांग हैं
सैकिंडों में होगी दूध की क्वालिटी चैक
परीक्षण से यह पाया गया है कि इस विधि में दूध घटकों के बजाये अभिकर्मक केवल विशिष्ट मिलावट के साथ प्रक्रिया करते हैं। इसलिए, यह विश्लेषणात्मक उपकरण तरल खाद्य सुरक्षा की निगरानी में मदद कर सकता है।
वृक्षों के साथ-साथ होगी मशरूम की खेती
आबादी बढ़ने के साथ बढ़ती खाद्य जरूरतें कृषि पर तेजी से दबाव डाल रहीं हैं। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से कहीं ज्यादा कृषि भूमि की मांग बढ़ रही है। नतीजन वनों का तेजी से विनाश किया जा रहा है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस समस्या का एक उपाय सुझाया है, जिसके अनुसार पेड़ों के साथ-साथ मशरूम की खेती न केवल लाखों लोगों को पेट भर सकती है साथ ही इसकी मदद से जलवायु परिवर्तन की समस्या को भी कम किया जा सकता है। देखा जाए तो यह मशरूम कार्बन को कैप्चर करने का भी काम करते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कम हो सकता है 47 प्रतिशत चावल का उत्पादन
जलवायु परिवर्तन के कारण खेती को हो रहे नुकसान का मामला 21 मार्च 2023 को सदन में उठाया।
विकास के सतत लक्ष्यों को हासिल करने के लिये जरूरी है टिकाऊ फूड वैल्यू चेन्स
फार्म्स और फर्म्स की पूरी श्रृंखला और उनकी सिलसिलेवार समन्वित मूल्य-स -संवर्द्धन गतिविधियां जो इस ढंग से तयशुदा कच्चा कृषि माल पैदा करती हैं और उन्हें तयशुदा खाद्य उत्पादों (जिन्हें अंतिम उपभोक्ताओं को बेचा जाता है और इस्तेमाल के बाद निपटा दिया जाता है) में बदलती हैं, ताकि शुरू से अंत तक मुनाफा हो, समाज को व्यापक रूप से फायदा मिले और प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी क्षरण नहीं हो ... टिकाऊ फूड वैल्यू चेन की यह परिभाषा खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा दी गयी है।
मूंगफली-सोया के उत्पादों की तकनीक सीफेट ने की विकसित
छीली हुई मूंगफली को कुछ देर के लिए हल्के गर्म पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद मूंगफली को एक मशीन में डाला जाता है, जहां मूंगफली के ऊपर से लाल रंग वाला छिलका उतारा जाता है।
जैविक भोजन की बढ़ती मांग....
कृषि में प्रयोग किये जाते रसायन के बुरे प्रभावों ने भिन्न-भिन्न देशों के कुछ उपभोक्ताओं की मानसिकता में बदलाव किया है और वे स्वास्थ्य के कारण अधिक मूल्य देकर जैविक पदार्थ उत्पाद खरीद रहे हैं। नीति निर्माता भी एक बढ़िया पर्यावरण निर्माण की कोशिशें करने के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था उत्पन्न करने एवं मिट्टी स्वास्थ्य की पुनः स्थापना के लिए जैविक कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं।
मक्के की फसल के प्रमुख रोग एवं नियंत्रण
लोकेश यादव, विशाल गांधी व पूजा, पादप रोग विभाग चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार-125004
अजोला एक उपयोग अनेक
राजर्षि रॉयबर्मन, राहुल सिंह, शैलेन्द्र शर्मा, राजेश और जे.पी.शर्मा
अधिक उत्पादन के लिए सब्जियों की स्वस्थ पौध
सब्जियों की स्वस्थ पौध ही भरपूर पैदावार का आधार होती है। जब पौध एक से डेढ़ इंच की होते ही जड़ गलन (डैम्पिंग आफ) बीमारी से ग्रसित हो जाती है, तथा क्यारियों से लगभग 80 प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते हैं। कृषकों को सब्जियों की स्वस्थ पौध उगाने की वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए, ताकि क्यारियों से एक पौधा भी नष्ट न होने पाये।