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खेत का प्राकृतिक टॉनिक हरी खाद
नसीब चौधरी।, डी पी मलिक॥, राजवीर2, विनोद कुमार3 1कृषि अर्थ शास्त्र विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विवि., हिसार 2मृदा विज्ञान विभाग, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विवि., बीकानेर 3शस्य विज्ञान विभाग, विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, जयपुर
मुफ्त योजनाएं सशक्त नहीं, अपाहिज बनाने का खेल
विनोद के. शाह, अंबिका, हास्पीटल रोड़, विदिशा 464001
किसान गेहूं की कटाई व गहाई के वक्त बरते सावधानी
संजय कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र कैथल, विनोद कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र फरीदाबाद, के. एस. अहलावत, वानिकी विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार
कृषि यंत्रों का रख-रखाव
इंजीनियर राजकुमार, कृषि विज्ञान केंद्र रामपुरा रेवाड़ी, हरियाणा
वनस्पति विज्ञानी डॉ. चार्ल्स स्पर्गु सरर्जेंट
डॉ. चार्ल्स सरजैंट एक असाधारण व्यक्ति थे। वह हमेशा बोस्टन समाज के सामाजिक मुद्दों से दूर रहते थे। वह अपने काम में मशरूफ रहते थे। उन्होंने फ्रैडरिक ला ओल्मस्टैड के साथ मिल कर लोग भलाई के लिए सड़क पर वृक्ष लगाने संबंधी कार्यों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ मशरूम की खेती करने वाले राजीव रंजन
आज उनके प्लांट से उत्पादित बटन मशरूम दूसरे राज्य के लोग भी खा रहे हैं। वह कहते हैं कि अपनी माता निर्मला के नाम से मशहूर बटन मशरूम की पहुंच विदेशों तक है, जिनमें नेपाल, बंगाल के लोगों की थाली तक मशरूम पहुंच बना चुकी है।
कार्बन निकासी को जीरो करने की कृषि में कोशिशें
कृषि-व्यवस्था और औद्योगीकृत खाद्य-सामग्री का भविष्य निरंतर संशय के दायरे में है। ऐसे समय में वैशिवक कृषि-व्यापार संबंधित उद्योग रूस-यूक्रेन युद्ध की आड़ लेते हुए खाद्य सुरक्षा आधारित नैरेटिव का इस्तेमाल फिर से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ बनाने के लिए कर रहा है।
तापमान को सहन करने वाली आईसीएआर की गेहूं की नई किस्म
गेहूं की किस्मों की बुवाई नवंबर से पहले की जाए, तो उनमें जल्दी फूल आने शुरू हो जाता है। इसका नतीजा पौधे में बायोमास के खराब संचयन के रूप में नजर आता है।
गुणवत्ता भरपूर भोजन की पूर्ति के लिए कृषि को बदलने की आवश्यकता
किसान खेती का आधार है। यह बात समझनी होगी। किसानों को फायदा और प्रतिष्ठा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि वह खेती में रुके। देश का पेट भर सके और दुनिया की अपेक्षा को भी पूरा कर सके। सरकार इस दिशा में सतत प्रयास कर रही है।
किसान भाई (FPO) के माध्यम से डेयरी उद्योग लगा कर ज्यादा मुनाफा कमाएं
हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर काफी कम होते हैं।
कागजी नींबू की खेती किस्में, देखभाल और पैदावार
नींबू फलों का एक वृहत्तम वर्ग है, जिसके अन्तर्गत मुख्य रूप से मैण्डरिन, सन्तरा, कागजी नींबू, माल्टा व चकोतरा आदि आते हैं।
तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
तिलहन उत्पादन - उत्तरप्रदेश
बजट 2023-2024 एक दृष्टि...
वर्ष 2023-2024 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा 1 फरवरी 2023 को पेश किया गया। 'अमृत काल' का यह पहला बजट था।
कृषि में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की अनदेखी नुक्सानदायक है
संपूर्ण विश्व सहित भारत के लिये इस समय सबसे बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन की है। सरकार कृषि उत्पादन एवं निर्यात के आंकड़े दिखाकर अपनी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था की दुहाई दे सकती है।
मोटे अनाज में है बहुत खूबियाँ
हमारे देश की सरकार की कोशिशों के कारण आज सारा विश्व वर्ष 2023 को मोटे अनाज वर्ष के रूप में मना रहा है।
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण प्रक्रिया महिलाओं को अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाने, बेहतर निर्णय लेने, खुद को मुखर करने और समाज और राष्ट्र के सदस्य बनने के लिए खुद को संगठित करने में मदद करेगी।
प्रकृति को बचाने के लिए जी20 देशों को हर वर्ष करना होगा निवेश
वर्तमान में जी20 देश प्रकृति-आधारित समाधानों पर हर साल करीब 9 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रहे हैं, जिसमें 2050 तक 140 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा करने की जरुरत है।
बायोचार है फसलों के लिए लाभकारी
'बायोचार' सदियों से लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक पारंपरिक कृषि पद्धति रही है। कृषि और पेड़ों का कचरा जैसे कार्बनिक पदार्थों को जलाने से बना चारकोल जैसे पदार्थ को बायोचार कहते हैं।
पशुओं को दिये जाने वाले एंटीबायोटिक मिट्टी की गुणवत्ता को पहुंचा सकते हैं नुकसान
भारत के हिमालयी इलाकों में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पशुओं में इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को प्रभावित कर सकती है। यह मिट्टी के कार्बन को खराब तरीके से प्रभावित कर सकती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन कम हो जाता है।
करोना के बाद जैविक भोजन की मांग
एक नए शोध सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने उन कई चीजों का पता लगाया है जो जैविक खाद्य उत्पादों की बात करते समय उपभोक्ता के व्यवहार और खरीदारी की आदतों पर असर डालते हैं।
जलवायु परिवर्तन का पहला शिकार हो रहे हैं किसान
चलंत मसला
गेहूं का सुरक्षित भंडारण कैसे करें ?
गेहूं उत्पादन में भारत एक अग्रणी देश है। गेहूं की अच्छी उपज के साथ इसका सुरक्षित भंडारण एक महत्वपूर्ण विषय है।
मचान या बाड़ा विधि से करें सब्जियों की खेती
मचान या बाड़ा विधि से खेती करने से किसानों को बहुत से फायदे होते हैं, गर्मियों में अगेती किस्म की बेल वाली सब्जियों को मचान विधि से लगाकर किसान अच्छी उपज पा सकते हैं।
पशुओं में होने वाली मुख्य बीमारियां तथा उपचार
दुधारू पशुओं में गलाघोंटू, लंगड़ा बुखार, मिल्क फीवर, थनैला, मुंहपकाखुरपका आदि रोग लगते रहते हैं। आज हम आपको इसके उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं।
आम की अधिक पैदावार हेतु अति उच्च सघन वृक्षारोपण प्रणाली
आम जिसे फलों का राजा भी कहा जाता है, सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला फल है।
खरीफ फसलों में कैसे करें बीजोपचार
सघन फसल पद्धति की वजह से कीट व बीमारियों में बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से किसानों को अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है।
मशरूम के पौष्टिक एवं औषधीय महत्व
मशरूम को खुम्ब, खुम्बी, पहाड़ी फूल, च्यू या कुकुरमुत्ता भी कहते हैं जो बरसात के दिनों में गले सड़े कार्बनिक पदार्थ पर अनायास ही दिखने लगता है।
प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ते कदम...
दूसरा हरित क्रांति के दौरान खाद-स्त्रों के अंधाधुंध प्रयोग से इन रसायनों के प्रभाव मानवीय शरीरों एवं जानवरों में देखने को मिल रहे हैं। आज लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से वह समझ रहे हैं कि प्राकृतिक ढंगों से पैदा किया भोजन ही उनके स्वास्थ्य को ठीक रख सकता है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। यदि हरित क्रांति से पहले दृष्टि डाली जाये तो हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या को कृषि से ही रोजगार मिल रहा था। उस समय जो पद्धतियाँ कृषि में इस्तेमाल की जा रही थीं।
धान- गेहूं फसल चक्र में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती
आज के संदर्भ में धान-गेहूं फसल चक्र में विविधीकरण की ओर प्रयास किये जा रहे हैं क्योंकि धान-गेहूं फसल चक्र के लम्बे समय से प्रचलित होने के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी, भूमिगत जल स्तर में गिरावट, खरपतवारों में प्रतिरोधकता की समस्याओं के साथ-साथ धान व गेहूं की उत्पादकता भी स्थिर हो गई है।
उत्तर-आधुनिक कृषि
परिचय : 'स्पिलओवर' पुस्तक के लेखक डेविड क्वामेन ने चेतावनी दी है : “हम पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करते हैं और हम वायरस को उनके प्राकृतिक मेजबान से अलग कर देते हैं। जब ऐसा होता है, तो उन्हें एक नए मेजबान की जरूरत होती है। अक्सर, हम यह हैं। प्राकृतिक संसाधनों के लापरवाह प्रबंधन के कारण बहुत कुछ पहले ही समाप्त हो चुका है, जिसने कृषि सहित लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है।