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चरागाह की स्थिति
मनुष्य पौष्टिक दाना खाते हैं और बचे पुआल से पशु गुजारा करते। चरागाह, जंगल और खेती की जमीन में से आज भी लोगों की ओर से चरागाह की उपेक्षा निरंतर जारी है। चरागाहों पर अतिरिक्त भार पड़ने का तीसरा कारण है कि हमारे यहां चारा उत्पादन की और चरागाहों के रख-रखाव की कोई ठीक योजना नहीं है। अनाज ज्यादा पैदा करने पर जोर दिया गया और फिर नकदी फसलों को भी खूब बढ़ावा मिला।
फूड प्रोसैस्सिंग में युवक किसानों के लिए संभावनायें
फूड प्रोसैस्सिंग के क्षेत्र में संभावनायों को देखते हुए युवक किसान उद्यमियों को फूड प्रोसैस्सिंग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम पी.एम.एफ.एम.ई. चलाई गई है जिसमें केन्द्र एवं राज्य सरकार 60:40 की रेशो में फंड मुहैय्या करवाएंगी।
हरी खाद के लिए आवश्यक गुण व प्रयुक्त फसलें
हरी खाद
पॉली हाउस में सब्जियों का उत्पादन
पॉली हाउस
सफेद बटन खुम्ब की अजैविक समस्याएँ, उनका कारण एवं समाधान
फसल सुरक्षा
धान के हानिकारक कीट एवं प्रबन्धन
फसल सुरक्षा
मिर्च उत्पादन की उन्नत तकनीक
मसाला फसल
मूंगफली की उन्नत खेती
तिलहनी फसल
भूमि सुधार के लिए आवश्यक हैं देसी खादें
देसी खाद भूमि की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के अलावा भूमि के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में भी सुधार करती है। इनके प्रयोग से भूमि के खाद्य तत्व संभालने की शक्ति बढ़ती है। देसी खादों का प्रयोग फसलों में प्रयोग की गई रासायनिक खादों के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
कृषि में जैव उर्वरकों की भूमिका
जैविक खाद
स्वास्थ्य योजनाओं का गोरखधंधा
स्वास्थ्य योजनाएं
धान में सूक्ष्म तत्व-जिंक को महत्व दें
पोषक प्रबंधन
टमाटर की फसल में बीमारियों की रोकथाम
फसल सुरक्षा - टमाटर
पशु आहार में दूषक पदार्थों के स्तर को घटाने हेतु अच्छी पशु पोषण पद्धतियां
पशुपालन
फूलगोभी की नर्सरी कैसे करें तैयार
फूलगोभी अपनी आकर्षक उपस्थिति, अच्छे स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-बी, विटामिन सी और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विभिन्न खनिज पाए जाते हैं।
राजमा की उन्नत खेती
दलहनी फसल - राजमा
भैंसों में गलघोटू रोग : लक्षण एवं बचाव
पशुपालन - विश्व में सबसे अधिक भैंसें भारत में पाई जाती हैं।
जैविक खेती में देसी बीजों का महत्व
देसी बीज अधिक खाद की माँग नहीं करते और किसान को इन बीजों के लिए बाजार एवं कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इस तरह पैदा की फसलों का स्वैः मंडीकरण के द्वारा मूल्य भी अधिक मिल जाता है । यह बीज स्थानीय पर्यावरण में पैदा होने के प्राकृतिक तौर पर माकूल होते हैं । कई किसान बीज उत्पादन में महारत हासिल करके बढ़िया बीज तैयार कर रहे हैं एवं बीजों की और किस्में भी तैयार कर रहे हैं।
सोलेनेसी कुल में सूत्रकृमि का प्रकोप, लक्षण एवं नियन्त्रण
फसल सुरक्षा - सोलेनेसी कुल
गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पादन पद्धति में जैविक खादों का प्रयोग
जैविक खाद
जैविक खेती के प्रसार में सरकार के कमजोर प्रयास
जैविक खेती - वर्तमान परिवेश में घरेलू एवं विश्व उपभोक्ता की जैविक कृषि उत्पादों में रुचि एवं मांग बढ़ रही है।
आम की किस्म और एकीकृत कीट प्रबंधन
फसल सुरक्षा - आम
एकीकृत रोग प्रबंधन
पौधों की बीमारियों को एक महत्वपूर्ण जैविक बाधा माना जाता है, जिससे दुनिया भर में महत्वपूर्ण फसल का नुकसान होता है। एकीकृत रोग प्रबंधन (आईडीएम), जो एक घटक रणनीति का उपयोग करने के बजाये जैविक, सांस्कृतिक, भौतिक और रासायनिक नियंत्रण रणनीतियों को समग्र रूप से जोड़ता है।
कांग्रेस घास का उन्मूलन क्यों आवश्यक हैं
सभी राज्यों में गाजर घास जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। स्कूल, कालेज के बच्चों को जागरूक करना चाहिए। रिहायशी कालोनियों और पार्कों में समूह बनाकर इसे उखाड़कर नष्ट करना चाहिये ।
जीरो बजट ( शून्य लागत ) प्राकृतिक खेती
जीरो बजट खेती
कृषि में काम करेगा आसान ड्रोन
सरकार कृषि कार्यों के लिए ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। दुनियाभर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। भारत में भी सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि बेहतर उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो।
अधिक दुग्ध उत्पादन कैसे प्राप्त करें
पशुपालन
जैविक खेती के लिये राज्य सरकार की कथनी एवं करनी में अन्तर क्यों... ?
कृषि मुद्दा
संयुक्त मत्स्य पालन एक लाभदायक व्यवसाय
संयुक्त मछली पालन में मछली के साथ उत्पाद के रूप में कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है, यह माना जाता है कि इस तरह के संयोजन से प्रणाली के सभी भागों को लाभ होता है। ज्यादातर मामलों में, मुख्य लाभार्थी मछली है जो पशु और कृषि अपशिष्ट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भोजन के रूप में उपयोग करते हैं।
आधुनिक खेती क्या है
आधुनिक खेती