CATEGORIES
Kategoriler
சித்தர்கள் அருளிய வாசியோகம்!
இந்த பூமியில் பிறக்கும் ஒவ்வொரு மனிதனும், தனது முற்பிறவிகளில் மற்ற வர்களுக்கும், குடும்ப உறவுகளுக்கும், செய்த பாவ- சாப- புண்ணியங்களுக்கு தக்கபலன்களை அனுபவித்து வாழ்ந்து, கர்மவினைகளைத் தீர்த்து முடிக்கவே பிறக்கின்றார்கள்.
இறைவனை அறிந்துகொள்வது எப்படி?
ஸ்ரீ ராமானுஜர் கோபுரத்தில் ஏறி மக்களுக்கு போதித்தது என்ன?
மும்பையின் அன்னையாக அருள் பாலிக்கும் மும்பாதேவி!
மும்பாதேவி மந்திர்... இந்த ஆலயம் மஹாராஷ்டிரா மாநிலத்தில் இருக்கிறது.
பிள்ளையார் அருளால் பிரகாச வாழ்க்கை பெற்றோம்!
மதுரை பைக்காரா ரயில்வே கேட் அருகில் உள்ள அழகு சுந்தரம் நகர் நான்காவது தெருவில் உள்ள இல்லத்தில் மதுரை எல்.ஐ.சி.யில் வளர்ச்சி அதிகாரி - டெவலப் மெண்ட் ஆபீசராக நூற்றி முப்பது முகவர்களுக்கு தலைமை ஏற்று அவர்கள் 'பாலிசி கேன்வாசிங்' செய்வதற்கு வழி நடத்தி வரும் கடந்த 25 வருடங்களாக 'டீம் லீடராக’ மதுரை கோட்டத்தில் 'நம்பர் ஒன்' அணியாக புகழ் பெற்று வெற்றிநடை போட்டு வரும் கம்பீர மாமனிதர் T.N.ராதா கிருஷ்ணன் அவர்களை அவருடைய துணைவியார் P.ஜீவாகுமாரி உடன் இருக்க சந்தித்து இருவரின் தெய்வீக பக்தி ஈடுபாடுகள், தெய்வ சக்தி அற்புதங்களால் மெய்சிலிர்க்க வைத்த சம்பவங்கள் பற்றி கேட்டோம்.
പിതൃബലിയുടെ മഹത്വം
ആചാരം....
ഗ്രഹബാധകൾ അപകടകാരികൾ
മെഡിക്കൽ അസ്ട്രോളജി...2
കാര്യസാദ്ധ്യം നൽകും മാണിക്യപുരത്തപ്പൻ
ഭക്തി
വിവാഹതടസ്സം മാറാൻ ഉമാമഹേശ്വര പൂജ
ലഘുപരിഹാരങ്ങൾ...
गुरुद्वार की उन कसौटियों में छुपा था कैसा अमृत!
लौकिक जीवन में उन्नत होना हो चाहे आध्यात्मिक जीवन में, निष्काम भाव से किया गया सेवाकार्य मूलमंत्र है।
शिष्य गुरु-पद का अधिकारी कब बनता है?
गुरुपूर्णिमा निकट आ रही है। इस अवसर पर ब्रह्मानुभवी महापुरुषों द्वारा अपने शिष्यों की गढ़ाई और सत्शिष्यों द्वारा ऐसी कसौटियों में भी निर्विरोधता, अडिग श्रद्धा-निष्ठा और समर्पण युक्त आचरण का वृत्तांत सभी गुरुभक्तों के लिए पूर्ण गुरुकृपा की प्राप्ति का राजमार्ग प्रशस्त करनेवाला एवं प्रसंगोचित सिद्ध होगा।
मनोमय कोष साक्षी विवेक
(पिछले अंक में आपने 'पंचकोष-साक्षी विवेक' के अंतर्गत 'प्राणमय कोष साक्षी विवेक' के बारे में जाना। उसी क्रम में अब आगे...)
एकमात्र सुरक्षित नौका
सद्गुरु के ये लक्षण हैं। यदि आप किसी व्यक्ति में इन लक्षणों को पाते हैं तो आप उसे तत्काल अपना गुरु स्वीकार कर लें। सच्चे गुरु वे हैं जो ब्रह्मनिष्ठ तथा श्रोत्रिय होते हैं।
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
महात्मा बुद्ध कहा करते थे : ‘“आनंद ! सत्संग सुनने इतने लोग आते हैं न, ये लोग मेरे को नहीं सुनते, अपने को ही सुन के चले जाते हैं।”
सर्वपापनाशक तथा आरोग्य, पुण्यपुंज व परम गति प्रदायक व्रत
१७ जुलाई को देवशयनी एकादशी है। चतुर्मास साधना का सुवर्णकाल माना गया है और यह एकादशी इस सुवर्णकाल का प्रारम्भ दिवस है। ऐसी महिमावान एकादशी का माहात्म्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
बड़ा रोचक, प्रेरक है शबरी के पूर्वजन्म का वृत्तांत
एक बार एक राजा रानी के साथ यात्रा करके लौट रहा था। एक गाँव में संत चबूतरे पर बैठ सत्संग सुना रहे थे और ५-२५ व्यक्ति धरती पर बैठकर सुन रहे थे।
एक राजपुत्र की आत्मबोध की यात्रा
पराशरजी अपने शिष्य मैत्रेय को आत्मज्ञानबोधक उपदेश देते हुए एक राजपुत्र की कथा सुनाते हैं :
गुरुमूर्ति के ध्यान से मिली सम्पूर्ण सुरक्षा
अनंत-अनंत ब्रह्मांडों में व्याप्त उस परमात्म-चेतना के साथ एकता साधे हुए ब्रह्मवेत्ता महापुरुष सशरीर ब्रह्म होते हैं। ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम्... ऐसे चिन्मयस्वरूप गुरु के पूजन से, उनकी मूर्ति के ध्यान से शिष्य के अंतः स्थल में उनकी शक्ति प्रविष्ट होती है, जिससे उसके पूर्व के मलिन संस्कार नष्ट होने लगते हैं और जीवन सहज में ही ऊँचा उठने लगता है।
गुरुभक्ति की इतनी भारी महिमा क्यों है?
धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः । धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता ॥
गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन
यदि ग्रह गोचराष्टक वर्ग में 4 या अधिक रेखाओं वाली राशि पर गोचर कर रहा है, तो जिन-जिन कक्षाओं में उस राशि को शुभ रेखाएँ प्राप्त हुई हैं, उन कक्षाओं के स्वामी ग्रह के जन्मपत्रिका में भावों और नैसर्गिक कारकत्वों से सम्बन्धित शुभफलों की प्राप्ति होती है।
सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल
प्रत्येक मनु के काल को मन्वन्तर कहा जाता है। प्रत्येक मन्वन्तर में देवता, इन्द्र, सप्तर्षि और मनु पुत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे ही मन्वन्तर बदलता है, तो मनु भी बदल जाते हैं और उनके साथ ही सप्तर्षि, देवता, इन्द्र आदि भी बदल जाते हैं।
हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?
मूल रूप से 'जयन्ती' शब्द ' जन्मदिवस' या 'जन्मोत्सव' के रूप में प्रयुक्त नहीं होता था, परन्तु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के एक भेद के रूप में कृष्ण जयन्ती से चलते हुए यह शब्द अन्य देवी-देवताओं के जन्मतिथि के सन्दर्भ में भी प्रयुक्त होने लगा।
पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा
गंगा दशमी न केवल पूजा-पाठ और अध्यात्म तक सीमित रहना चाहिए वरन् इसके साथ-साथ हमें गंगा नदी के संरक्षण और गंगा जल जैसे पक्षों पर शोध की दिशा में भी आगे बढ़ना चाहिए।
शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र अति प्राचीन काल से जाना जाता है। सिद्धान्त, संहिता तथा होरा नामक तीन स्कन्धों से युक्त इसे 'वेदों का नेत्र' कहा गया है। वैसे तो वेद के दो नेत्र होते हैंस्मृति और ज्योतिष।
पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल
आखिर ऐसा क्या है कि इतना प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में गहरे गुँथे हुए शब्द हैं। 'व्रत' का अर्थ होता है, 'संकल्प हैं। लेना' अर्थात् अपने मन और शरीर की आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हुए स्वयं को संयमित करना।
मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ
आरोग्य की दृष्टि से शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक व्याधियों की भी मुख्य भूमिका रहती है।
തിന്മ വിതച്ച് തിന്മ കൊയ്തെടുക്കുന്നവർ
നന്മകൾ വിതച്ചാൽ മാത്രമേ നമുക്ക് നന്മകൾ കൊയ്യാൻ കഴിയുകയുള്ളു.
പ്രപഞ്ച ചൈതന്യം
മലയാലപ്പുഴ ക്ഷേത്രം, ചെട്ടി ക്കുളങ്ങര ക്ഷേത്രം എന്നീ ക്ഷേത്ര ങ്ങളോട് ഏറെ സാമ്യമുള്ള ശ്രീലകമാണ് കടയ്ക്കാട് ശ്രീലകവും. ചെട്ടിക്കുളങ്ങര, മലയാലപ്പുഴ ക്ഷേത്രങ്ങൾക്ക് ഏകദേശം മദ്ധ്യത്തിലായിട്ടാണ് കടയ്ക്കാട് ദേവി ക്ഷേത്രം സ്ഥിതി ചെയ്യുന്നതും.
നമസ്തേ എന്നാൽ എന്ത്?
' നമസ്തേ' എന്നാൽ 'എന്റേതല്ല, സർവ്വതും ഈശ്വരസമമായ അങ്ങയുടേത്' എന്നാണ്
ത്രിമൂർത്തി സംഗമം
കേരളത്തിലെ ഭക്തിചരിത്രത്തിൽ അപൂർവ്വ സ്ഥാനം വഹിക്കുന്ന ക്ഷേത്രമാണ് തിരുവേഗപ്പു റ മഹാക്ഷേത്രം. ക്ഷേത്രഘടനയിലും ഐതിഹ്യമഹത്വത്തിലും വേറിട്ടുനിൽക്കുന്നതാണ് ഈ മതിൽക്കകം. മൂന്ന് മഹാക്ഷേത്രങ്ങൾ, മൂന്ന് കൊടിമരങ്ങൾ ഈ മതിൽക്കകത്ത് കാണാം. പട്ടാ പി വളാഞ്ചേരി പാതയിൽ കുന്തിപ്പുഴയുടെ കരയിലായിട്ടാണ് തിരുവേഗപ്പുറ ക്ഷേത്രം നില കൊള്ളുന്നത്. ഐതിഹ്യകഥകൾ പിന്നിക്കെട്ടിച്ചേർത്ത ഭക്തഹാരമാണ് ഈ ക്ഷേത്രചരിത്രം.