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भगोड़े नेताओं से शुद्धीकरण क्या रंग लाएगा?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक लगभग 90 हजार कांग्रेसी भाजपा जौइन कर चुके हैं और यह सिलसिला लगता है तब तक चलता रहेगा जब तक कांग्रेस, खासतौर से, ब्राह्मणविहीन नहीं हो जाती. क्यों रोजरोज कांग्रेसी, खासतौर से सवर्ण और उन में भी ब्राह्मण, भाजपा में जा रहे हैं?
गरीब देशों के युवाओं को जंग में झोंक रहा है रूस
जिस दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य लामबंदी की घोषणा की, उसी दिन से रूसी युवाओं का देश से पलायन शुरू हो गया. युद्ध के मैदान में कोई नहीं जाना चाहता. लिहाजा, साजिश के तहत रूस अब गरीब देशों के युवाओं को बड़ी धनराशि देने का लालच दे कर सेना में भरती कर रहा है.
राजनीति में अदृश्य जंजीरों से बंधी महिलाएं
सावित्रीबाई फुले ने जो सोचा था कि पढ़लिख कर महिलाएं रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़ देंगी वह हो नहीं सका क्योंकि आज शिक्षित होने के बाद भी महिलाएं कलश यात्राओं में शामिल हो कर अपनी आजादी देख रही हैं. वे बेहतर प्रबंधक होते हुए भी राजनीति में महज शोपीस बन कर रह गई हैं.
सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी
हाल के कुछ सालों में भारतीय सिनेमा तेजी से बदला है. कई फिल्में सरकारपरस्त और भगवा एजेंडे वाली बनी हैं. सरकारी व भगवा एजेंडे वाली फिल्मों की लंबी कतार आगे भी देखने को मिलेगी. पर इन का भविष्य क्या है?
बीमारियों को न्योता देता मोटापा
मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?
महिलाएं हक के लिए करें नौकरी
महिलाओं व पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता आज भी व्याप्त है. देखा गया है कि जो युवती आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर होती है वह अपने निर्णय लेने में ज्यादा सक्षम होती है. लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए युवतियों का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है.
महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.
मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.
एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली
प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.
सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक आजकल न्यायपालिका के कार्यक्रमों में पूजापाठ पर बात कहने का कोई मौका ही ढूंढ़ रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अति होने लगी है जिस की कोई भी बुद्धिमान, तार्किक व व्यावहारिक आदमी अब और ज्यादा अनदेखी नहीं कर सकता.
हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ध्रुवीकरण का अब एक और दांव चल दिया है. सोचसमझ कर तारीख भी रमजान की चुनी. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से केवल कुछ गैरमुसलिमों को फायदा होगा पर आपसी मनमुटाव बढ़ेगा.
अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट
ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.
इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी
भारतीय जनता पार्टी की सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम यह कह कर लाई थी कि इस से कालाधन समाप्त होगा, मगर यह स्कीम तो भ्रष्टाचार को कानून का जामा पहना कर उसे वैध बनाने की करतूत साबित हुई. इस के तहत तमाम कंपनियों से करोड़ों रुपयों की धनउगाही की गई और बदले में उन को बड़ेबड़े धंधे दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद इस भ्रष्ट स्कीम के रहस्य खुल चुके हैं.
रिऐलिटी शोज से बौलीवुड सैलिब्रिटीज कैसे कमाते हैं इजी मनी
बौलीवुड में कलाकारों के पास पैसा कमाने का माध्यम सिर्फ फिल्म ही नहीं है, इस के अलावा भी कई तरीके हैं जिन से वे पैसा छापते हैं.
शादियों का होने लगा है फिल्मीकरण
रुपहले परदे पर जिस तरह शादी के दौरान माहौल बनाया जाता है, अब उस की नकल आम लोग करने लगे हैं. वैडिंग फोटोग्राफी के बदलाव की वजह से अब न्यू कपल्स भी सितारों की तरह जमीन पर उतरते दिख रहे हैं.
गाड़ियों में दिखाते हैं मर्दानगी
देश में मर्दानगी दिखाने के हमेशा से बहुत सारे तौरतरीके लोग अपनाते रहे हैं. आजकल बड़ी गाड़ियों और बाइक्स के जरिए सड़कों पर मर्दानगी दिखाई जाती है.
सही उम्र में कराएं एग फ्रीजिंग
अब महिलाएं बड़ी उम्र में भी एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं. वे चाहें तो उम्र की मजबूरी उन के आड़े नहीं आएगी. इस के लिए उन्हें सही उम्र में अपने एग फ्रीज कराने होते हैं. मगर यह प्रक्रिया कितनी सुरक्षित है, यह जानना भी जरूरी है.
एक दाढ़ी कई अफसाने
दाढ़ी हर कोई रख और बढ़ा सकता है, इस का मैंटेनेंस भी कोई खास ज्यादा नहीं. विद्वान और परिपक्व दिखाने में दाढ़ी मददगार साबित होती है लेकिन कभीकभार यह दिक्कतें भी देती है.
धार्मिक देन निकम्मों की संस्कृति
धर्म की दुकानदारी चलती रहे, इस के लिए तमाम पंडों ने धर्म के नाम पर रहने, खानेपीने, रहनसहन, जन्ममरण, शादी, नौकरी, रोजगार, धंधा, समाज को संचालित करने के असीम अधिकार प्राप्त कर इन्हें वास्तविक जीवन में लागू करवा दिया है, हालांकि, हमारी यह कार्यसंस्कृति महज दिखावटी महानता है. यह और कुछ नहीं, बस, निकम्मों की फौज खड़ी कर रही है.
पैसों पर लटका जीवन
वह 8 साल का था. उस के दोनों पांवों में अचानक लकवा आ गया स्थानीय डाक्टरों को दिखाया गया पर लकवा ऊपर की ओर बढ़ता गया था. धीरेधीरे हाथ चपेट में आ गए. फिर उसे प्राइवेट अस्पताल में भरती कराया. लकवा और ऊपर बढ़ने लगा. सांस भी बंद होने लगी. फिर आईसीयू में शिफ्ट किया गया और सांस की नली में छेद कर वैंटिलेटर लगा दिया गया.
राजनीति पर सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया समाज के एक हिस्से तक सीमित है. यह पूरा समाज नहीं है. फौलोअर्स वोटर नहीं होते. वोटर को अपने क्षेत्र की परेशानियों को देखने के लिए सोशल मीडिया का सहारा नहीं लेना होता. यही वजह है कि प्रभावी दिखने के बाद भी सोशल मीडिया चुनावी जीत नहीं दिला पाता है.
पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
धर्म और राष्ट्रवाद का तड़का लगा कर देशभर में सेठ रामदेव ने पतंजलि को फैलाने का काम किया. अब देश की सर्वोच्च अदालत ने उन की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को कड़ी फटकार लगाई है.
क्या रामधुन से दूर होगी बेरोजगारी
वेकैंसी सिपाही की हो या चपरासी की, इन के लिए योग्यता से अधिक डिग्रीधारक लाइन में लगे होते हैं. इस की वजह बढ़ती बेरोजगारी है. अयोध्या में भले ही राममंदिर बन गया हो, बेरोजगारों के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. सरकारी नौकरी के लिए सिपाही भरती जैसी छोटी नौकरी की परीक्षा में पेपर लीक हो रहा है. एक नौकरी को पाने के लिए 4-5 साल लग जाते हैं.
अन्नदाता की पीड़ा और किसान आंदोलन
किसानों की आय दोगुनी करने के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आई थी. आय दोगुनी तो नहीं हुई पर बड़ी संख्या में आज किसान दूसरी बार सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं. वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना चाहते हैं परंतु मामला फंसता नजर आ रहा है.
इंडिया ब्लौक क्या ले रहा है आकार
इंडिया ब्लौक ने फीनिक्स पक्षी की तरह अपने पंख दोबारा खोले तो हैं लेकिन उड़ान वह कहां तक कर पाएगा, यह कहना मुश्किल है. जिस पौराणिक माहौल में भाजपा 400 पार का दम भर रही है, लोकतांत्रिक माहौल के तहत विपक्ष उसे कितनी चुनौती दे पाएगा, यह भी अगर मुट्ठीभर सवर्णों को ही तय करना है तो यह चुनाव कतई दूसरे मुद्दों के इर्दगिर्द नहीं होने वाला.
एक कलाकार में कई प्रतिभाएं जन्मजात होती हैं
पुराने समय में फिल्मी परदे पर वही ऐक्टिंग करता था जिस में गाने की कला भी थी. बीच के दौर में प्लेबैक ने कई प्रतिभाओं के गायन कौशल को दबा दिया. सिर्फ उन की ऐक्टिंग को ही तवज्जुह मिली. लेकिन वह दौर एक बार फिर लौट रहा है जहां कलाकार अपनी तमाम कलाओं का प्रदर्शन एकसाथ कर रहे हैं.
हीरोइनों की प्लास्टिक सर्जरी और उन का निखरा रूप
प्लास्टिक सर्जरी से हीरोइनों को खूबसूरत लुक्स मिले हैं और वे अब कामयाब हैं. यही वजह है कि प्लास्टिक सर्जरी का व्यापार बढ़ता जा रहा है. हालांकि, कई बार इस का असर गलत होने पर मृत्यु तक हो सकती है.
पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक बन कर जिंदगी को संवारे
पतिपत्नी आपसी रिश्तों में एकदूसरे के पूरक बन कर आगे बढ़ें. एकदूसरे पर हावी होने के बजाय सहयोगी बनें, तभी यह रिश्ता खूबसूरती से आगे बढ़ेगा.
जिम में मसल्स बनाने के चक्कर में किडनी की बीमारी मोल ले रहे युवा
प्रोटीन पाउडर पीपी कर आज बड़ी संख्या में युवा क की बीमारी और हाई ब्लडप्रैशर का शिकार हो रहे हैं. कम उम्र में ही दिल की बीमारी और अन्य साइड इफैक्ट्स भी सामने आ रहे हैं और इस की वजह है वह प्रोटीन शेक, जो बिना डाक्टरी सलाह के लिया जा रहा है.
घर चलाने वाली महिला के काम को कम न आंकें
जब तक औरत यह नहीं समझेगी कि घर सिर्फ उस का नहीं, बल्कि उस के पति और घर के अन्य सदस्यों का भी है और उन सब को भी घर के कामों को उसी तरह करना चाहिए जैसे कि वह करती है, तब तक पितृसत्तात्मक समाज औरत को मुफ्त का मजदूर बना कर उस को रौंदता रहेगा.