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शिवोपासना की प्राचीनता
केदारनाथ धाम में भगवान् शिव के दर्शन करने से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। यह भी कहा गया है कि भगवान् शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से किसी एक ज्योर्तिलिंग का पूजन जो श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के उपरान्त मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
कैसे करें महामृत्युंजय मन्त्र साधना और प्रयोग
महाशिवरात्रि पर विशेष
चेतना की रात्रि है शिवरात्रि
शिवरात्रि बोधरात्रि इसीलिए है कि वह साधक को सच्चे शिव की खोज और संकट निवृत्ति, मुक्तिप्राप्ति के साधनों की तलाश में प्रवृत्त कराती है और इस खोज के दौरान साधक को ज्ञात होता है कि सच्चे शिव को जानने का संकल्प सतत साधना से ही पूरा होता है।
पूर्वाभास की शक्ति निरन्तर साधना का परिणाम
जब कभी आप निराश होंगे, तो आपको एक अद्भुत ब्रह्मनाद सुनाई देगा, जो आपको कहेगा कि आप परमात्मा के पुत्र हो । अद्भुत क्षमतावान् व्यक्ति आप पर भरोसा करेंगे।
जन्मपत्रिका में कही आप मंगली तो नहीं?
यदि इन भावों में विराजमान मंगल यदि स्वक्षेत्री हो, उच्च राशि में स्थिति हो, अथवा मित्र क्षेत्री हो, तो दोषकारक नहीं होता है।
रात्रिजागरण एवं चार प्रहर पूजा
18 फरवरी, 2023 (शनिवार)
शिव तो 'शिव' हैं
शिव को कौन नहीं जानता? निर्विकार, निराकार, सच्चिदानन्द, परमब्रह्म, परमात्मा का नाम ही शिव है।
ऑस्ट्रेलिया सीरीज में पुनः गरजेगा 'विराट!
एकादशेश की दशा में द्वितीय भावस्थ ग्रह की प्रत्यन्तर्दशा खेलों में उपलब्धिकारक है। ऐसी स्थिति में भारतऑस्ट्रेलिया की आगामी क्रिकेट शृंखला में विराट का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। उनके बल्ले से अधिक रन निकलेंगे।
नोवक जोकोविच
23 खिताबों के साथ बनेंगे सर्वकालिक महानतम खिलाडी!
विश्व की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा: विश्वास स्वरूपम्
राजस्थान के राजसमंद जिले में श्रीनाथधाम नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम् ( Statue of Belief) अवस्थित है।
ऋषि-मुनियों की तपोस्थली है ऋषिकेश
भारतीय संस्कृति की गौरवगाथा कहती पतित पावनी गंगा हिमालय की गोद से उतरकर, जिस स्थान से मैदानों की ओर बढ़ती है, उसी का नाम ‘ऋषिकेश' है। ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही इस पवित्र आध्यात्मिक तीर्थनगरी में चित्त को अपूर्व शान्ति मिलती है। नाम के अनुरूप ऋषिकेश आज भी हमारी गौरवशाली धार्मिक परम्पराओं और सांस्कृतिक पहचान को सहेजकर रखे हुए है।
सम्पाति ने की वानरों की सहायता
गंगातट पर चल रही रामकथा के 23वें दिन किष्किंधाकाण्ड के प्रसंगों का श्रोतागण आनन्द ले रहे हैं। स्वामी जी कथा को रोचक बनाते हुए श्रोतागणों को भक्तिरस का पान करवा रहे हैं। स्वयंप्रभा से विदा लेकर वानरगण हनूमान जी, अंगद, जाम्बवन्त आदि के साथ समुद्र तट पर खड़े हुए हैं। अब कथा में आगे .......
भाग्य से जीत, भाग्य से हार
भाग्य से जीत और भाग्य से हार | यानि भाग्य के चाहने से ही व्यक्ति को उसके कर्मों का सुफल मिलता है न कि प्रयासों और पुरुषार्थ करने से
महापर्व नवरात्र उपासना विधि
भगवान् राम को देवर्षि नारद जी ने रावण का वध करने और सीता को पुनः प्राप्त करने के लिए नवरात्र व्रत का उपदेश किया था। भगवान् राम तथा लक्ष्मण ने किष्किन्धा पर्वत पर आश्विन (शारदीय) नवरात्र में उपवासपूर्वक विधि-विधानपूर्वक पूजन किया।
नवरात्र रहस्य
शाक्त-दर्शन के अनुसार आदिशक्ति पराम्बा की उपासना इसलिए की जाती है, कि वे परब्रह्म से सर्वथा अभिन्न हैं।
भारत के युगदृष्टा स्वामी विवेकानन्द
प्रेरक प्रसंग - एक बार एक ईसाई पादरी ने गीता को सबसे नीचे रखकर उस पर बाइबिल, कुरान आदि धर्मग्रन्थों को रखकर स्वामी विवेकानन्द से कहा, “देखो स्वामी, तुम्हारा ग्रन्थ तो सबसे नीचे है। बाइबिल आदि अन्य धर्मों की पुस्तकें सबसे ऊपर हैं।\" हैं इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया, \"आपने ठीक कहा है, गीता ही सब धर्मग्रन्थों का मूल अर्थात् आधार है। हिन्दू धर्म के सिद्धान्त ही सब धर्मों का सार है।\" पादरी विवेकानन्द का तर्कसंगत उत्तर सुनकर चुप हो गया।
कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित चन्द्रमा के फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-186)
मकर संक्रान्ति का आध्यात्मिक रहस्य
मनुष्य के संस्कारों में आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, अर्थात् उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं, जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोड़कर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है, जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है।
भारतीय मूर्तिशिल्प में भगवान् सूर्य
मानव समाज में था। सूर्य के साक्षात् देव होने पर ही उनके मन्दिर देश के विभिन्न स्थानों पर निर्मित प्राप्त होते हैं। सूर्य नारायण प्रत्यक्ष भगवान् हैं और हमें उनके प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त होता है।
मकर संक्रान्ति एवं सूर्योपासना
अपार ऊर्जा का सृजन होता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य ब्रह्मस्वरूप हैं। नवग्रहों में प्रमुख ग्रह हैं। सूर्य का वर्ण लाल है। सूर्य के रथ में एक ही चक्र है, जो 'संवत्सर' कहलाता है। इस रथ में 12 आरे हैं, जो बारह मास के प्रतीक हैं। चक्र, शक्ति, पाश और अंकुश इनके मुख्य शस्त्र हैं।
ओज और प्रगति का पर्व मकर संक्रान्ति
भारत पर्वों और त्योहारों का देश है। यहाँ वर्षभर का कोई भी ऐसा माह नहीं होता, जिसमें कोई न कोई त्योहार नहीं पड़ता हो। इसलिए यहाँ यह उक्ति प्रसिद्ध है : 'सदा दीपावाली सालभर, सातों वार त्योहार ।' इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है 'मकर संक्रान्ति', जिसकी अपनी विशेषता है।
मन्त्र जप जीवन को व्यस्थित करता है
हम सबके जीवन में मन्त्र का प्रबल प्रभाव होता है। अपनी उन्नति इस बात पर निर्भर करती है कि हमने किन मन्त्रों का जप किया है? मन्त्र जप अपनी कुण्डली के अनुसार करें, जिससे आपको पूर्णतः लाभ मिल सके।
देवी सरस्वती के साम्य स्वरूप मिनर्वा और म्युजेज
भारतीय धर्म परिवेश में विद्या की देवी सरस्वती के समान ही मिनर्वा (रोमन देवी) और म्युजेज (ग्रीक) विद्या एवं कला की देवी के रूप में पावन एवं पूज्य स्थान रखती हैं।
माँ सरस्वती का प्राकट्य दिवस है बसन्त पंचमी
माँ! तुम ज्ञान देने वाली हो, जब चारों ओर संशय है, तो फिर हम कहाँ जाएँ? तुम्हारी छवि का ध्यान ही हमारी अज्ञानता को दूर कर देता है। शारदे ! हम एक दीप जलाते हैं और बस, इतना जानते हैं कि कहीं कोई लयबद्ध सितार बज रहा हो, तो वह भी आपकी ही उपासना है।
ज्योतिष में ग्रहों के बल का मापक षड्बल
जो ग्रह अधिक बलवान् होंगे, वह कुण्डली में जातक को अधिक फल देगा और जो बलहीन होगा। वह फल देने में कमजोर होगा अर्थात फल नहीं देगा।
पेट सम्बन्धी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है भुजंगासन
भुजंग एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है 'सर्प'। इस आसन में हमारे शरीर की आकृति फन उठाये सर्प की तरह होती है, अतः इस आसन को 'भुजंगासन' कहते हैं।
केन्द्रगत शनि से बना अद्भुत यशस्वी योग
हम बात कर रहे हैं शनि की ऐसी स्थिति की, जिसमें शनि विशेष प्रसिद्धि और राजयोग के साथ निरन्तर प्रगति पथ की ओर भी ले जा रहा है और वह स्थिति है, जब शनि केन्द्र (विशेषकर चतुर्थ एवं सप्तम भाव) में वृषभ राशि में स्थित हो। शनि वृषभ राशि में अकेला स्थित हो
विश्वकप विजेता लियोनेल मेसी
18 दिसम्बर, 2022 दोहा के स्टेडियम में लगभग 89 हजार दर्शकों के साथ करोड़ों टीवी दर्शकों की साँसें फीफा वर्ल्डकप मैच की गति के साथ-साथ ऊपरनीचे हो रही थीं।
गणेश जी का 400 साल पुराना मन्दिर, जहाँ स्वयं प्रकट हुए थे बप्पा
बात अगर मन्दिरों की करें, तो देश के इकलौते मन्दिर में समुद्र की लहरें भी दस्तक देती हैं, जिसका इतिहास *लगभग 400 साल पुराना है।
भूखे भूतों को खिलाते हैं टेस्टी खाना
15 दिन के लिए खुलता है 'नरक का द्वार'