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ईश्वर के सोलह कलाओं से युक्त होते हैं पूर्णावतार
भारतीय संस्कृति में सोलह कलाओं और सोलह शृंगार का बड़ा महत्त्व है। पौराणिक ग्रन्थों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को बारह कला और योगेश्वर श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का ज्ञाता कहा गया है।
झूठ पर झूठ और तथ्यहीन वक्तव्य
देश में वनवासी बनाम आदिवासी राजनीति के केन्द्र में आ गए हैं। भारत जोड़ों यात्रा पर निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी मध्यप्रदेश पहुँच गए।
स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में माँ की महिमा
माँ की मधुर स्मृतियाँ–१
राजगुरु
बोधकथा अपरिग्रह
स्वामी विवेकानन्द को नयी पहचान दी राजस्थान ने
स्वामी विवेकानन्द का राजस्थान से विशेष सम्बन्ध रहा, इसमें खेतड़ी नरेश अजीत सिंह से उनकी आत्मीयता सर्वविदित है।
लक्ष्य - वेध
बाल स्तम्भ
गण संस्कृति-यज्ञ संस्कृति
“हम भारतवासी, पूरी गम्भीरता से भारत को एक सार्वभौम, लोकतान्त्रिक गणराज्य के रूप में संगठित करने का संकल्प करते है।\" भारत के संविधान की मूल प्रस्तावना की यह प्रारम्भिक पंक्तियाँ हैं।
सुभाषचन्द्र बोस के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानते थे।
केन्द्र भारती का २५वां वर्ष
केन्द्र भारती - २५वां वर्ष
जबलपुर में विवेकानन्द जयन्ती समारोह
विवेकानन्द जयन्ती के अवसर पर जबलपुर नगर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
विवेकानन्द सन्देश यात्रा का सफल आयोजन
सम्पूर्ण राजस्थान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों को जन-जन मे स्थापित करने का आह्वान
हमारी अस्मिता का प्रतीक सोमनाथ
कन्हैयालाल मुंशी गुजरात की पहचान बताते हुए कहते हैं कि, “गुजरात एक भावुक लेकिन जीवित संस्कारी व्यक्तित्व है।
सोमनाथ दृढ़ संकल्प, धर्म- इतिहास और विजय का प्रतीक
गुजरात के समुद्र तट पर, वेरावल के पास बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में विजय, शौर्य और धर्म का प्रतीक है सोमनाथ।
जय सोमनाथ सोमनाथ का स्थापत्य
श्रीमती दीपा महेश दलाल, श्रीमती जानकी शैलेष वैद्य
सोमनाथ को समर्पित वीर योद्धा हमीरजी गोहिल
अतीत की यादों को भुलाकर, भविष्य की चिन्ता छोड़, वर्तमान का आनंद लेता, तन से योद्धा, मन से फकीर, युवा राजकुमार थे हमीरजी।
सोमनाथ हिन्दुत्व के पुन: निर्माण का प्रतीक
हिन्दू प्रजा की आस्था का प्रतीक भगवान सोमनाथ का मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है।
महारानी अहिल्या बाई होल्कर
भारत में नारी की भूमिका प्राचीन के अर्वाचीन समय में ममतामयी 'माँ' के रूप में रही है।
सोमनाथ
लोकजीवन, इतिहास और प्राचीन अर्वाचीन साहित्य में
प्रभास - सोमनाथ : भारत की आध्यात्मिक अस्मिता का अमर मानबिंदु
सोमनाथ भारतमाता का आध्यात्मिक मानविन्दु है। भगवान आदि शंकराचार्य ने बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में उसे प्रथम स्थान दिया है।
नन्हा सैनिक
( वीर बालक पर आधारित बाल कहानी )
धैर्य
लंदन के 'इण्डिया हाउस' भवन में इस समय सन्नाटा खिंचा हुआ था। भारतमाता को गुलामी से मुक्त कराने का सपना देखने वाले कई क्रांतिकारी उस बड़े कक्ष में उपस्थित थे। सबकी दृष्टि उस १६ वर्ष के तरुण पर थी जो दिखने में किसी धनी परिवार के राजकुमार जैसा लग रहा था।
वीर बालक एकनाथ
“मैं जो चाहता हूँ, वह है लोहे की मांसपेशियाँ और फौलाद की स्नायु (नसें), जिनके भीतर ऐसा मन वास करता हो जो कि वज्र के समान पदार्थ का बना हो। बल, पुरुषार्थ, क्षात्रवीर्य और ब्रह्मतेज ।” स्वामी विवेकानन्द की भारत के युवाओं से यही अपेक्षा थी। वे कहते थे, “बल ही जीवन है; दुर्बलता ही मृत्यु”। विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक माननीय श्री एकनाथजी रानडे का जीवन स्वामीजी के इस सन्देश का प्रकटीकरण है। बाल्यकाल से ही एकनाथजी के जीवन में 'लोहे की मांसपेशियाँ, फौलाद की नसें तथा वज्र समान मन' का दर्शन होता है। बचपन में उनको 'नाथ' कहकर बुलाया जाता था।
खुदीराम बोस का पराक्रम
खुदीराम का जन्म ३ दिसम्बर, १८८६ को मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था।
वीर बालिका मैना
१८५७ की क्रान्ति में अनेक हुतात्माओं ने अपने आपको मातृभूमि की बलिवेदी पर स्वतंत्रता के लिए बलिदान कर दिया। इनमें बड़े, बूढ़, नौजवान, प्रौढ़, बच्चे, स्त्री-पुरुष सभी आते हैं। राजा, महाराजा, किसान, मजदूर, सिपाही, कामगार, सभी वर्गों के लोगों ने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया।
वीर बालिका कनकलता
कनकलता का जन्म सन् १६२४ के दिसम्बर माह में तेजपुर जिला छयद्वार में हुआ था। उनके पिता का नाम घनकान्त बरुवा था। उनकी माँ के देहान्त के बाद कनकलता की देखभाल उनकी मौसी और नानी ने की थी।
मेरा नाम आजाद
प्रसंग नाट्य
बहादुर बालक शिवाजी
माता जीजाबाई ने नन्हें बालक शिवाजी को रामायण में से लव कुश की कहानी सुनाकर पूछा, “क्यों बेटा, यह कहानी तुझे कैसी लगी?”
वीर बालिका काली बाई
राजस्थान को वीरों की धरती भी कहा जाता है। लेकिन यहाँ केवल वीर पुरुष ही पैदा नहीं हुए बल्कि वीर बालिकाएं भी जन्मी थीं। ऐसी ही एक वीर गुरुभक्त बालिका के बारे में बताते हैं जिसे आधुनिक युग का एकलव्य कहा जाता है। इस भील बालिका का नाम है‘काली बाई कलासुआ'।
स्वातंत्र्य समर के गुमनाम बालवीर
सन १८५७ से आरम्भ हुए भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में जहाँ चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस, लाला लाजपतराय, रानी लक्ष्मीबाई, ठाकुर खुशालसिंह जैसे अनेक महानायकों ने 'वन्दे मातरम्' कहते हुए भारतमाता के चरणों में अपने प्राण न्योछावर कर दिये, वहीं अनेक बालवीर भी मातृभूमि की आजादी को अपना लक्ष्य बनाकर स्वातंत्र्य समर में कूद पड़े।
वीर बालक केशव
पुण्यभूमि भारत पर असंख्य जन्मजात राष्ट्रभक्तों का जन्म हुआ जिन्होंने अपने शौर्य, पराक्रम, मातृभक्ति, राष्ट्रीयता तथा बुद्धि चातुर्य से राष्ट्रविरोधियों को न मात्र अचम्भित ही किया वरन उनके अत्याचारों का प्रतिकार कर समाज में व्याप्त उनके भय को समाप्त कर सुनहरे भविष्य की छवि भी प्रस्तुत की। ऐसे ही एक वीर बालक थे केशव।