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संस्कृत साहित्य में रामकथा
संस्कृत साहित्य में रामकथा का प्रतिपादन सर्वप्रथम आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित 'रामायण' शीर्षक ग्रंथ में किया गया है। प्राचीन कथाओं के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने स्वप्न में महर्षि वाल्मीकि को दर्शन देकर उन्हें रामायण की रचना के लिए प्रेरित किया तथा यह आश्वासन भी दिया कि वे अपने काव्य में राम के चरित्र का निर्माण जिस प्रकार से करेंगे राम अपने जन्म के पश्चात् उसी प्रकार का आचरण करेंगे।
मुस्कुराने के हैं कई लाभ
कुछ लोगों को आपने देखा होगा कि वह विकट परिस्थितियों में भी सदैव मुस्कुराते रहते हैं, वहीं दूसरे कुछ लोग होते हैं जो बात-बात पर दुरवी हो जाते हैं और जीवन से शिकायते करते रहते हैं। जबकि शोध भी बताते हैं कि सदैव प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति निरोगी, स्वस्थ एवं सदैव सकारात्मक रहते हैं।
आयुर्वेद से करें पर्यावरण की रक्षा
यदि हमें प्रकृति को बचाना है तो पर्यावरण संरक्षण पर जोर देना होगा। औषधीय पेड़-पौधे लगाने होंगे। जिससे पर्यावरण दूषित होने से तो बचेगा ही, साथ ही आयुर्वेद का प्रसार भी होगा।
अपनाएं योग रहें निरोग
यूं तो योग तथा आसनों को करने के अनेक लाभ हैं तथा प्रत्येक आसन हमें किसी न किसी प्रकार के रोग से मुक्ति अवश्य दिलवाता है तो आईए जानते हैं कि कौन सा आसन हमें किस रोग से मुक्त करता है तथा उसकी विधि व क्या लाभ हैं।
ऐसे रहें ऑफिस में तनाव-मुक्त
हम अपने पूरे दिन में जितने घंटे भी अपने कार्य स्थल या ऑफिस में व्यतीत करते हैं, वो हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं, इसलिए टाह बहुत ही आवश्यक है कि हम ऑफिस में चुस्त दुरुस्त एवं तनाव मुक्त रहें। जिससे हम अपना कार्य पूरी लगन से कर पाएं ।
यज्ञ का पर्यावरण पर प्रभाव
हाल के समय में पर्यावरण को बचाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, वहीं ऐसा कहा जाता है कि यज्ञ भी पर्यावरण शुद्धि का काम करते हैं। इस विषय पर विज्ञान क्या कहता है, आइए जानते हैं लेख से।
मुद्राएं जो जो रोग मिटाएं
हाथों की दस उंगलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाने की कला को हस्त मुद्रा कहा जाता है। किस प्रकार आप अपनी उंगलियों से विभिन्न मुद्रा बनाकर स्वयं ही अपनी चिकित्सा कर सकते हैं जानते हैं लेख से।
योग एक मार्ग अनेक
परमात्मा हो या परमशांति या फिर गणित का कोई भी छोटा सा सवाल। इन तक पहुंचने के या सवाल को हल करने के भले कई मार्ग व माध्यम होते हैं परंतु इनका उत्तर एक ही होता है ऐसे ही योग की भी विभिन्न शारवाएं हैं, विभिन्न आसन और अवस्थाएं हैं परंतु सबकी मंजिल,सबकि उपलब्धि एक ही है।
सूर्यापासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ | ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं | कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा । जानें इस लेख़ से छठ पर्व की महत्ता।
सूर्य नमस्कार सूर्य आराधना के साथ व्यायाम भी
भारतीय संस्कृति की सनातन परम्परा में भगवान भास्कर का स्थान अप्रतिम है। सूर्य की किरणों में स्वास्थ्य संवर्द्धध और रोगों के नाश की भी अद्भुत शक्ति है। कैसे जानें इस लेख से। |
सीढ़ियां चढ़ें, सूप पिएं और वजन घटाएं
बढ़ते वजन और मोटापे से आज हर दूसरा व्यक्ति ग्रस्त है । वयस्क से लेकर छोटे बच्चे भी इस कतार में शामिल हैं | अस्त-व्यस्त जीवनशैली भी बढ़ते मोटापे का एक कारण है। कुछ आसान तरीकों को अपनाकर हम अपना शरीर सुडौल बना सकते हैं। कैसे, जानें इस लेख से |
सर्दियों में खाएं गाजर रहे सेहतमंद
शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बनाए रखने में लौह-तत्त्व का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। यह गाजर में उपलब्ध होता है। गाजर में आयरन व फॉस्फोरस के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड तत्त्व भी पाए जाते हैं जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। विशेषकर सर्दियों के मौसम में गाजर खाने के फायदों को जानें इस लेख से।
सकारात्मक सोच एवं शांति हेतु करें घर में पूजा-पाठ
हम ईश्वर का सान्निध्य पाने के लिए अपने घर में पूजा-पाठ का स्थल जरूर बनवाते हैं, जो हमें अहसास दिलाता है कि हमारे घर में और हमारे आसपास ईश्वर का वास है और हमें मानसिक सुकून एवं सकारात्मकता प्रदान करता है।
वास्तु के अनुसार जल का स्थान
वास्त में जल स्थान एवं दिशा का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। भूखण्ड को क्रय करने के पहले ये जानकारी जरूर लें कि इस भूखण्ड को क्रय करने के बाद भवन निर्माण करने के पहले कूप, बोरिंग या अण्डरग्राउण्ड टैंक का निर्माण करवा लेना चाहिए।
रम जाइए 'कच्छ के रण में'
गुजरात की लोक संस्कृति और परंपरा का मेल देखना हो तो आइए कच्छ के रण महोत्सव में, जहां का प्रमुर॒व आकर्षण है 'ग्रेट रण ऑफ कच्छ', जिसका नाम सुनते ही ऊंट, रेगिस्तान, रेत और रंग-बिरंगी पोशाकों से सजे-धजे स्थानीय निवासी और पर्यटकों का ध्यान आता है जो इस उत्सव को महोत्सव में बदलते हैं और इसे विश्व प्रसिद्ध बनाते हैं।
भारत में सूर्योपासना एवं सूर्य मंदिर
जीवन का आधार एवं शक्ति प्रदाता सूर्य है, ऐसा वर्णन करती अनेक ऋचाएं वेदों में आती हैं। भारतीय महाद्वीप में भी सूर्य उपासना की युगों पुरानी परंपरा के दर्शन सूर्य मंदिरों में होते हैं।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है । बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है | मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पौष्टिक एवं संतुलित आहार से पाएं दीर्घायु
तन स्वस्थ तो मन भी स्वस्थ । और यह तभी संभव है जब व्यक्ति को पौष्टिक तथा संतुलित भोजन मिले।
धार से कम न हो जीवन की रफ्तार
चाकू, सूई, तलवार भी देते हैं वास्तुदोष धारदार वस्तुएं या हथियार कई बार हमारी सुख-समृद्धि एवं वैभव की बर्बादी का कारण भी बनती हैं।
देश का भविष्य हैं बच्चे: पंडित नेहरू
14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाए या फिर नेहरू जयंती, दोनों ही एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को जितना प्रेम अपने राष्ट्र से था उतना ही राष्ट्र के भविष्य कहे जाने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चों से भी था। डालते हैं एक नजर इस आलेख से।
दान पुण्य का अक्षय फल देता अक्षय नवमी
कार्तिक शुक्ल नवम्यां तु अक्षय नवमी व्रतम् के मुताबिक हर साल की कार्तिक मास की शुक्लपक्ष को नवमी तिथि कहा जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इसमें किए जाने वाले कर्मों का फल अक्षय हो जाता है।
ताकि बनी रहे आंखों की ज्योति
यदि आंखें न हों... ये सोचकर ही दिमाग में अंधेरा छाने लगता है, आंखें हमारे शरीर का सबसे नाजुक अंग हैं। इसीलिए जरूरी है समय के साथ उनकी पूरी देख़भाल करना, जानिए कैसे ?
जब हों सर्दी जुकाम से परेशान
ठंड का मौसम आते ही सर्दी-जुकाम, बदन दर्द आदि बीमारियों से दो-चार होना पड़ता है | सावधानी बरतने व कुछ साधारण उपचार एवं खान-पान अपनाने पर इससे बचा जा सकता है तथा इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। कैसे, जानें इस लेख से।
छींक: शकुन या अपशकुन ?
यदि घर से निकलते समय छींक आ जाए या कोई सामने की ओर छींक दे तो अशुभ समझना चाहिए । यदि कोई कार्य करते हों तो उस स्थिति में न करें तो बेहतर होगा,
मुझे समझने के लिए तुम्हें दिवाना मस्ताना होना पड़ेगा ।
ओशो को समझने के लिए आपको विचार शून्य होना होगा। कुछ भूलना होगा। जब नजर पर कोई सामाजिक चश्मा न रहेगा तो ओशो आपको सामने खड़े मिलेंगे ।
सत्य-ओशो का सबसे बड़ा अपराध!
ओशो का सबसे बड़ा अपराध शायद यही रहा कि उन्होंने किसी को बरगलाया नहीं, धोरवा नहीं दिया। ऐसे व्यक्ति दुनिया में बहुत कम ही होते हैं, इसीलिए उनके रिवलाफ सामाज में दुष्प्रचार फैलाया गया। लेकिन ओशो अपने मार्ग से डिगे नहीं, ऐसे व्यक्ति को अपना आदर्श मानना बेहद कठिन और साहसिक कृत्य है।
विशाल वटवृक्ष की तरह हैं ओशो
प्रस्तुत आलेख कुटास्थानंद जी द्वारा ओशो पर दिए गए प्रवचन का संक्षिप्त रूप है। इनकी आवाज जैन मुनि तरुण सागर जी से मिलती-जुलती है जिस कारण जनमानस में यह भ्रांति है कि यह प्रवचन तरुण सागर जी का है।
विरोध को श्रद्धा में बदलने की कीमिया है ओशो में
मुकेश कुमार कवि तथा लेखक हैं। प्रारंभ में ये ओशो के विरोधी रहे। 2008 में हृदय परिवर्तित हुआ और ओशो नव-संन्यास में दीक्षा ग्रहण की, नया नाम मिला स्वामी आनंद अमितेष
विमल कीर्ति: एक सम्राट बना ओशो का चौकीदार
25 जनवरी 1947 को जन्मे राजकुमार विमल कीर्ति जर्मनी के एक सम्राट के पुत्र और ब्रिटिश प्रिंस चार्ल्स के बहनोई थे। ओशो को उन्होंने जर्मनी में सुना और परिवार सहित ओशो कम्यून, पुणे में आकर सदा के लिए बस गए।
युवा वर्ग एवं भविष्य के लिए नई दृष्टि
अकसर यह कहा जाता है कि ' भारत का युवा वर्ग राह खो बैठा है। ' वस्तुस्थिति , यद्यपि यह है कि भारत का युवा वर्ग देखता है, जानता है कि जिस राह पर वह खड़ा है वह सरासर गलत है। परंतु विडंबना यह है कि क्या गलत है और क्यों गलत है उसे वह ठीक से बता नहीं पाता है, समझा नहीं पाता है।