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क्यों मनाते हैं भैया दूज?
दीपावली के पंच पर्यों में एक है भैया दूज। भाईबहन के प्यार भरे रिश्ते का यह पर्व भारत में अनेक नामों से जाना जाता है। भैया दूज क्यों मनाया जाता है, साथ ही क्या है इसका महत्त्व? आइए जानते हैं लेख से।
कैसे करें दिवाली पूजन?
दीपावली का पर्व खुशियों व रोशनी का पर्व है तथा हम इसे बड़ी धूमधाम से भी मनाते हैं पर क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार पर विधिपूर्वक लक्ष्मी पूजन करके आप अपनी खुशियां चौगुनी कर सकते हैं। आइए हम सभी लक्ष्मी पूजन की सही विधि जानते हैं, जिससे दीपावली के अवसर पर जगमगाती रोशनी के साथ-साथ आप पर लक्ष्मी जी की कृपा हो जाए और आपके जीवन में धन की वर्षा होने लगे।
कार्तिक मास और दीपदान
हमारे धर्म में बहुत सी मान्यताएं-परंपराएं तथा विधि-विधान शामिल हैं एक ऐसी ही परंपरा है कार्तिक मास में दीपदान की जो न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है।
भारतीय संस्कृति एवं परंपरा में नवरात्रि का महत्त्व
पहली शैलपुत्री कहलावे, दूसरी ब्रह्मचारिणी मन भावें, तीसरी चंद्रघंटा शुभनाम, चौथी कुष्मांडा सुखधाम, पांचवीं देवी स्कंदमाता, छठी कात्यायनी विख्याता, सातवीं कालरात्रि महामाया, आठवीं महागौरी जगजाया, नवमी सिद्धिदात्रि जग जानें, नवदुर्गा के नाम बखाने।
अयोध्या-अपराजेय आस्था की नगरी
श्री राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड इस सदी की प्रमुखतम महत्त्वपूर्ण धार्मिक-राजनैतिक घटना मानी जाती है लेकिन सच तो यह है कि अयोध्या, जिसका अर्थ ही है वह स्थल जिसके विरूद्ध कभी युद्ध न किया जा सके', उसका हृदय स्थल सदियों से ध्वंस एवं निर्माण का इतिहास रचते रहे हैं।
पूजा में पूजन सामग्री का महत्त्व
यूं तो पूजा मन की आस्था का भाव है उसके लिए किसी सामग्री विशेष की नहीं श्रद्धा की जरूरत होती है, फिर भी व्यावहारिक तौर पर यदि किसी पूजा को पूर्ण, सही व संपन्न करने या कहें तो वह पूजा बिना पूजन सामग्री के अधूरी कहलाती है। कौन सी है पूजन की वह सामग्रियां तथा क्या है उसका महत्त्व? जानिए इस लेख से।
नवरात्रों में शक्तिपीठों के दर्शन
हिन्दू धर्म में नवरात्रों का विशेष महत्त्व है। ऐसे में लोग मां के शक्तिपीठों के दर्शन की कामना करते हैं परंतु समय के अभाव एवं जिम्मेदारियों तथा महंगाई के चलते कई लोग इससे वंचित रह जाते हैं। तो आइए इस लेख के माध्यम से मां के उन सभी शक्तिपीठों का दर्शन करें।
ऑनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट
कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने भारत में बच्चों की जिंदगी बदल दी। पहले बच्चों के कंधों पर किताबों से भरे बैग का बोझ होता था, लेकिन अब ये बोझ कंधों से उनके दिमाग तक पहुंच गया है और ये बोझ है ऑनलाइन पढ़ाई का।
व्रतों पर रखें अपने वजन पर नजर
अधिकतर लोग सोचते हैं कि व्रतों के विधि अनुसार पालन करने से, उस दौरान लिया गया आहार वजन को कम करता है। क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं? यदि हां तो निम्न लेख पर नजर डालें,कहीं परिणाम उल्टा तो नहीं हो रहा?
महान दार्शनिक, शिक्षाविद् एवं कुशल प्रशासक डॉ.राधाकृष्णन
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन उन विद्वानों में से एक थे जो बहुतायत मानवीय गुणों एवं अद्भुत प्रतिभा के जगह एक महान भारतीय दार्शनिक के रूप में चिरस्थायी हैं। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के बाद यदि कोई भी भारतीय दार्शनिक ने पूर्व की दार्शनिक मान्यताओं को पश्चिम में यथोचित जगह दिलाने हेतु काम करके एक नवीन विचार धारा का निरुपण किया, तो वे डॉ. राधाकृष्णन ही थे।
संकट हरण है अनंत चतुर्दशी व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान अनंत की पूजा की जाती है । व्रत का संकल्प लेकर अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस व्रत को करने से संकटों का नाश और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
श्राद्ध की महिमा और महत्त्व
शास्त्रों के मुताबिक, मनुष्य के लिए तीन ऋण बताये गए हैं पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि व तीसरा पितृ ऋण। इनमें पितृ ऋण को श्राद्ध या पिंडदान करके उतारना आवश्यक है क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्यता तथा सुख-सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किए, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक होता है।
गणेश चतुर्थी का व्रत एवं पूजन विधि
पूजन से पूर्व की तैयारीगणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें। आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है। गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ कर के करें।
घातक रोग है अल्जाइमर
अल्जाइमर वर्तमान समय की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है। यह एक मानसिक रोग है जिसके होने पर सोचने और याद रखने की क्षमता कमजोर होती है। आइए लेख में इस पर विस्तार से चर्चा करें।
तुलसी माला की महिमा
भारतीय संस्कृति विभिन्न मान्यताओं, परम्पराओं, विश्वासों और सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाजों से परिपूर्ण है। इस संस्कृति जैसी कोई अन्य मिसाल सम्पूर्ण विश्व में मिलना मुश्किल है। इसी संस्कृति के बहुत से मांगलिक प्रतीकों में एक अभिन्न अंग है 'तुलसी माला'।
एलोवेरा के अचूक औषधीय गुण
एलोवेरा का प्रयोग आज के समय में जेल, जूस एवं अन्य रूपों में भरपूर तरीके से किया जाता है, इसके भीतर व्याप्त गुण इसे एक गुणकारी, चमत्कारी औषधि बनाते हैं।
मद्यपान-दुखों की खान
दस रुपये से दस हजार रुपये तक रोज खर्च करने वाले करीब चालीस करोड़ से भी अधिक भारतीय शराब, सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, गुटखा, गांजा, भांग, पान मसाला, ब्राउन शुगर, स्मैक, अफीम, चरस, हेरोइन जैसी चीजों के आदती हैं।
अष्टविनायक की आराधना
महाराष्ट्र में अष्टविनायक को कौन नहीं जानता, लेकिन विदर्भ के अष्टविनायक मंदिर के बारे में बहुत कम लोग ही बता पाएंगे। जानें विदर्भ के अष्टविनायक को विस्तार से।
हिन्दी का बढ़ता चलन
वर्षों से अपने ही देश मे उपेक्षित राष्ट्र भाषा हिन्दी अब सरहदों को तोड़ते हुए सात समुद्र पार भी अपनी धाक जमाने पहुंच रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियों के बोर्डरूम से लेकर ऑस्कर के मंच तक हिन्दी का इस्तेमाल देवा-सुना जा सकता है।
वैदिक युग में राष्ट्र-ध्वज
हमारे यहां राष्ट्रीय ध्वज की चर्चा वैदिक काल में भी हुई है। मंत्रों के अनुसार उन दिनों राष्ट्रीय ध्वज का रंग लाल होता था तथा उस पर श्वेत रंग में सूर्य का चिह्न अंकित होता था। राष्ट्रीय ध्वज का यह स्वरूप हमारी संस्कृति और प्रकृति का प्रतीक था।
धागों में बंधा रक्षाकवच है रक्षाबंधन
सभी त्योहारों में रक्षा बंधन एक अनुठा उत्सव है, जो न तो किसी जयंती से संबंधित है और न ही किसी विजय राज तिलक से। इस त्योहार के तीन नाम हैं- रक्षाबंधन, वष तोड़क और पुण्य प्रदायक पर्व। यद्यपि प्रथम नाम अधिक प्रचलित है।
जन्माष्टमी मनाने के परम्परागत रूप
जन्माष्टमी का पर्व हिंदुओं में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भले ही इस पर्व को मनाने के तरीके हर सम्प्रदाय में थोड़े-थोड़े भिन्न हैं, पर भाव बिल्कुल एक ही है कि अपने बाल रूप प्रभु का अन्तर्मन से खूब लाड़ लड़ाना और आनन्दित होना। बड़े मंदिरों में और जिनके घरों में भी ठाकुरजी की विधिवत सेवा होती है, वहां पांच-छह दिन पहले से ही तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं।
क्रान्तिकारी पुरोधाओं का अप्रतिम बलिदान
आज भारत को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। जिस आजाद भारत में हम सांस ले रहे हैं उसके लिए एक लंबा संघर्ष चला था। कई शूरवीरों के बलिदान के बाद हमें यह सुरव प्राप्त हुआ है।
क्या है ब्रज की चौरासी कोस यात्रा?
हिन्दू मान्यताओं में ईश्वरीय धामों की यात्राओं से घर-परिवार को बुद्धि, समृद्धि, निर्मलता, एवं ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी ही एक पुण्यदायी यात्रा है ब्रज की चौरासी कोस यात्रा।
सुहागनों का पर्व तीज
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। उत्तर भारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है। तीज विशेष रूप से महिलाओं का त्यौहार होता है। इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुरवी दांपत्य के लिए करती हैं।
बचें मानसून के रोगों से
आमतौर पर मानसून को आशिकाना मौसम माना जाता है, किंतु जरा बच के रहिएगा इस मौसम में। नहीं तो मौसम का आशिकाना अंदाज सेहत पर भारी पड़ सकता है।
क्या आपकी कुंडली में धन प्राप्ति योग है?
धन की चाह सबकी होती है लेकिन धन केवल मात्र हमारे चाहने भर से नहीं मिल जाता, इसके लिए कुंडली में धन योग का होना भी आवश्यक है। कुंडली में कैसे धन योग है या नहीं एवं धन प्राप्ति के टोटके जानें इस लेख से।
सावन, सोमवार और श्रद्धा
सावन का हर सोमवार जैसे शिव के नाम समर्पित हो जाता है । वर्षा की फुहारें पड़ते ही किसान फसलों के लहलहाने का सपना देखते हैं तो शिव भक्त भोलेनाथ को मनाने का। सावन की महत्ता को आइए जानते हैं इस लेख से।
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकती हैं ये 10 जड़ी-बूटियां
जब रक्तचाप अधिक होता है तो, रक्त धमनियों के माध्यम से अधिक बलपूर्वक चलता है। यह धमनियों में नाजुक ऊतकों पर बढ़ा हुआ दबाव डालता है और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इस नुकसान से बचा सकती हैं कुछ जड़ी-बूटियां।
कैसे बनता है जगन्नाथ का रथ?
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पूरे विश्व में मशहूर है और इस यात्रा का मुख्य आकर्षण है तीन भव्य रथ जिन्हें प्रतिवर्ष विशेष शिल्पकारों और औजारों से बनाया जाता है। रथ निर्माण प्रकिया को जानें लेख से।