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आपके अपनों के लिए भी घातक है धूमपान
आज के बदलते माहौल में सिगरेट पीना यानी कि धूम्रपान करना लोगों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया है। इसके चलते आज अधिक से अधिक युवा और खासकर महिलाएं भी इस लत का शिकार होती जा रही हैं। लेकिन धूम्रपान की ये लत आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। ये आपके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। धूम्रपान से होने वाली स्वास्थ्य हानि तथा इसके नकारात्मक पहलू को समझें इस लेख से।
होली के रंग रंगीन पकवानों के संग
कोई भी त्योहार पकवानों के बिना अधूरे हैं और हर त्यौहार के अपने विशेष पकवान होते हैं। होली के त्योहार को आप कैसे बनाएं पकवानों से रवास एवं उसे बनाने की रेसिपी चलिए जानते हैं।
रम जाइए 'कच्छ के रण में'
गुजरात की लोक संस्कृति और परंपरा का मेल देवना हो तो आइए कच्छ के रण महोत्सव में, जहां का प्रमुख आकर्षण है 'ग्रेट रण ऑफ कच्छ', जिसका नाम सुनते ही ऊंट, रेगिस्तान, रेत और रंग-बिरंगी पोशाकों से सजे-धजे स्थानीय निवासी और पर्यटकों का ध्यान आता है जो इस उत्सव को महोत्सव में बदलते हैं और इसे विश्व प्रसिद्ध बनाते हैं।
पक्षाघात में आयुर्वेदिक चिकित्सा
पक्षाघात या लकवा मारना एक बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है। इसमें शरीर काफी पीड़ा से गुजरता है । पक्षाघात शरीर के जिस अंग पर होता है उस भाग में कोई हलचल नहीं होती। पक्षाघात क्या है, क्या हैं इसके कारण, लक्षण एवं निवारण? आइए जानते हैं।
भारतीय संस्कृति का महापर्व 'कुंम्भ'
कुम्भ हमारी भारतीय संस्कृति का अत्यंत प्राचीन महापर्व है, जो कि बारह साल में एक बार आता है। इस बार यह 15 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक प्रयाग (इलाहाबाद) में मनाया जाएगा। कुम्भ हमारी संस्कृति के साथसाथ हमारी आस्था का भी प्रतीक है। महाकुम्भ का अर्थ क्या है? क्यों यह बारह साल में एक बार आता है तथा इसका सांस्कृतिक महत्त्व क्या है? जानिए इस लेख से।
विज्ञान से भी सर्वोपरि ज्योतिष शास्त्र
वर्तमान युग विज्ञान का युग है किंतु हम ज्योतिष को नकार नहीं सकते, या कहें विज्ञान से भी सर्वोपरि है ज्योतिष, कैसे? आइए जानें इस लेख से।
ब्रेन पॉवर कैसे बढ़ाएं
सारा खेल दिमाग का है विशेष तौर पर परीक्षाओं के समय यदि दिमाग दुरुस्त तो समझो सब ठीक है। परंतु परीक्षा के समय डर के कारण तो अच्छे-अच्छों के दिमाग को जंग लग जाती है और सब कुछ जानते हुए भी गलतियां हो जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपने ब्रेन की पावर बढ़ाएं ताकि सही समय पर इसका सही व बेहतर उपयोग हो सके।
ज्ञान, कला और वाणी की देवी सरस्वती
वाग्देवी, वीणावादिनी तथा भारती, जैसे नामों से हमारी संस्कृति में विरव्यात देवी सरस्वती ज्ञान व विद्या की देवी हैं। उनकी आराधना से व्यक्ति परम ज्ञान प्राप्त कर सकता है। भारतीय संस्कृति में देवी सरस्वती का स्थान बहुत उच्च है। इन्हीं पूजनीय देवी सरस्वती के नाम का अर्थ, उनकी जन्म कथा तथा रूप-स्वरूप को विस्तारपूर्वक जानें इस लेख से।
क्या है आर.ओ.वॉटर का सच?
शुद्धता व स्वच्छता के नाम पर आजकल बाजार में फिल्टर पानी बेचा जा रहा है, जो हमारे सेहत के लिए ठीक नहीं है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या है। कैसे, जानें इस लेख से।
बसंत पंचमी से जुड़ी कथाएं और घटनाएं
विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी एक पवित्र हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा उत्तर प्रदेश, पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।
आदर्श प्रेम के प्रतीक देवी-देवता
यूं तो हर इंसान का प्रेम अपने आप में सम्पूर्ण व अनुकरणीय होता है परन्तु कुछ लोगों का प्रेम इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाता है। आइये नमन करें कुछ ऐसे ही प्रेम के प्रतीकों को।
सूर्य उपासना का महापर्व मकर संक्रांति
मकर संक्रांति सूर्य उपासना का विशेष पर्व है, इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू होते हैं। इस पर्व को समस्त भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। क्या है इस पर्व का महात्म्य ? आइए लेव से विस्तारपूर्वक जानें।
विश्व भर में नववर्ष का स्वागत
पूरी दुनिया में नए साल के स्वागत की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। सभी देशों में इसे मनाने की अपनी-अपनी परम्पराएं हैं, पूरी दुनिया में नए साल का स्वागत कैसे होता है। आइए जानते हैं।
मेवों में छिपा है सेहत का राज
सर्दियों के आते ही रवांसी, जुकाम, बुरवार जैसी छोटी-मोटी बीमारियां परेशान कर देती हैं। महज गरम कपड़े पहनना और चाय-कॉफी पीना ही पर्याप्त नहीं होता। सर्दियों में सूरवे मेवे आपको फ्लू, सर्दी, कफ आदि कई रोगों से बचाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं। जानें सेहत से जुड़े इनके लाभ इस लेख से।
हर्ष, उमंग एवं सद्भावना का त्योहार- लोहड़ी
लोहड़ी की बात करते ही आंखों के सामने छा जाती है आग, मूंगफली और रेवड़ी की तस्वीर और साथ ही उभर आता है ढोल और भंगडे का शोर, क्यों? आइये जानते हैं।
भारतीय संविधान का प्रतीक गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस का नाम लेते ही हमारे मन मस्तिष्क में 26 जनवरी को राजपथ पर चलती परेड का दृश्य उभर आता है। जबकि इसका संबध हमारे देश के संविधान से है जो इस दिन पारित हुआ था। क्या है इस संविधान का इतिहास व महत्त्व आइए जानते हैं।
ओशो ने कभी अपने अधिकारों का स्वामित्व नहीं किया
ओशो की शिष्या एवं एडवोकेट, मा प्रेम संगीत नियमित रूप से 'विहा कनेक्शन' और 'ओशो न्यूज' के लिए लिखती हैं। आपको पता ही होगा कि अमेरिका में करीब दस साल तक चले मुकदमे में दिल्ली की 'ओशो वर्ल्ड' नामक संस्था की विजय घोषित करते हुए, न्यायाधीश ने स्पष्ट निर्णय दिया था कि 'ओशो' शब्द को कॉपीराइट कराने का अधिकार किसी को भी नहीं हो सकता है। तब यू.एस.ए. से पराजित होकर ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन (ओ.आई.एफ.) ने नया षड्यंत्र रचायूरोप में कॉपीराइट कराने की कोशिश की। वहां पर 'ओशो लोटस' नामक संस्था ने विरोध में आपत्ति उठाते हुए मुकद्दमा दायर किया। किंतु ओ.आई.एफ.की जीत हुईसत्य की नहीं, झूठ-फरेब की जो कि शीघ्र ही उजागर होने लगे।
ऐसे रहें सर्दियों में भी फिट
सर्दियों के मौसम में जितना खुद को ठंड से बचाना जरूरी है, उतना ही जरूरी है खुद को फिट ररवना भी। कैसे रख सकते हैं आप अपने को इन सर्दियों में फिट? आइए लेख से जानें।
पृथ्वी पर घटा चमत्कार था रजनीशपुरम
अमेरिका के ओरेगोन में बना रजनीशपुरम आज एक बार फिर चर्चा में है, और चर्चा का कारण नेटफ्लिक्स पर आई डॉक्यूमेंट्री 'वाइल्ड-वाइल्ड कंट्री' है। जिसमें ओशो के अमेरिका में बसने और वहां रजनीशपुरम के बनाने और मिटाने की कहानी को दर्शाया गया है। आरिवर रजनीशपुरम था क्या, क्या रजनीशपुरम की हकीकत वही थी जिसे फिल्म में दिरवाया गया या कुछ और? अमेरिका में ओशो को जेल क्यों जाना पड़ा? क्या रजनीशपुरम ओशो की असफलता का कारण था? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आइए ओशो की जुबानी ही जानते हैं।
ठण्डी हवाएं और स्वास्थ्य समस्याए
सर्दी के इस मौसम में हमारा शरीर स्वस्थ रहे उसके लिए कई सावधानियां बरतनी जरूरी है वरना आप रोग की चपेट में आ सकते हैं। ऐसी ही कुछ सावधानियों को आइए जानें लेख से।
शीला की कहानी ओशो की जुबानी
फिल्म 'वाइल्ड-वाइल्ड कंट्री' भले ही ओशो के हर प्रेमी व विरोधी ने न देवी हो पर सवाल देर-सबेर उभर ही गए हैं या भविष्य में उभर ही जाएंगे। सवाल, बवाल न बने, इसके लिए जरूरी है, शीला के बयानों पर ओशो के जवाब।
सर्वाधिक लोकप्रिय पेय-चाय
कई लोगों में चाय की दिवानगी इस कदर है कि बिना चाय पीएं उनका दिन शुरू ही नहीं होता। भारत में तो चाय पीनापिलाना एक आम रिवाज सा है। वहीं इसका इतिहास भी रवासा दिलचस्प है।
स्वाद ही नहीं, सेहत भी जरूरी
त्योहारों का मौसम आते ही तरह-तरह के पकवानों का भी दौर शुरू हो जाता है, लेकिन त्योहारों के मौसम में अपने खान-पान और सेहत पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है नहीं तो कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटारवों की गूंज होती है। लेकिन यह त्योहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
भारत में सूर्योपासना एवं सूर्य मन्दिर
जीवन का आधार एवं शक्ति प्रदाता सूर्य है, ऐसा वर्णन करती अनेक ऋचाएं वेदों में आती हैं। भारतीय महाद्वीप में भी सूर्य उपासना की युगों पुरानी परंपरा के दर्शन सूर्य मंदिरों में होते हैं।
बाल मजदूरी की आग में झुलसता बचपन
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकलन के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 12 करोड़ बाल श्रमिक हैं जिनमें से अकेले भारत में ही 3 करोड़ बाल श्रमिक हैं। सबसे अधिक बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जो प्रायः बंधुआ मजदूर के रूप में रखेतों में या ईंट भट्ठों पर कार्य करते हैं।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम है सत्यः नानक
सिखों के प्रथम गुरु थे नानक । अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है । गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है । संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
धर्म की साधना होती है, शिक्षा नहीं
इस दुनिया में दो-तीन अरब लोग हैं। चार-छः अरब आंखें हैं। एक अंधे आदमी की दो आंखों का जो मूल्य है, वह छ: अरब आंखों का नहीं है। मैं आपसे यह कहना चाहूंगा। अपने भीतर श्रद्धा की जगह विवेक को जगाने के उपाय करने चाहिए और विवेक को जगाने के क्या नियम हो सकते हैं, उस संबंध में थोड़ी-सी बात आपसे कहूं।
सीढ़ियां चढ़ें, सूप पिएं और वजन घटाएं
बढ़ते वजन और मोटापे से आज हर दूसरा व्यक्ति ग्रस्त है । वयस्क से लेकर छोटे बच्चे भी इस कतार में शामिल हैं। अस्त-व्यस्त जीवनशैली भी बढ़ते मोटापे का एक कारण है। कुछ आसान तरीकों को अपनाकर हम अपना शरीर सुडौल बना सकते हैं। कैसे, जानें इस लेख से।
रंग-बिरंगी आतिशबाजी का सफर
रंग-बिरंगी आतिशबाजियां हर खुशी के मौके को और भी रंगीन कर देती हैं। लेकिन इन आतिशबाजियों की परंपरा कब, कहां और कैसे शुरू हुई, जानते हैं इस लेख से।