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टमाटर की पूर्ति श्रृंखला को सुधारने की आवश्यकता
मध्य प्रदेश, जो टमाटर का प्रमुख उत्पादक राज्य है, की टमाटर आपूर्ति श्रृंखला पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 15 प्रतिशत टमाटर खेतों में ही नष्ट हो जाते हैं, जबकि 12 प्रतिशत टमाटर खुदरा स्तर पर नष्ट हो जाते हैं।
इलेक्ट्रिक कारें कैसे पैदा करेंगी डीएपी का संकट
फसलों की बुवाई के समय उपयोग होने वाले सबसे अहम उर्वरक, डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड का एक नया दावेदार खड़ा हो गया है। इससे डीएपी के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत जैसे देशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस नये दावेदार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार सब्सिडी भी दे रही है। वह दावेदार है इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी।
कृषि में सिंचाई प्रबंधन
सिंचाई के लिए पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता के आधार पर सिंचाई प्रबंधन की योजना बनाना कृषि कार्यों की सफलता के लिए आवश्यक है। सिंचाई प्रबंधन का उद्देश्य फसलों को आवश्यक मात्रा में पानी प्रदान करना है, ताकि उनकी वृद्धि, विकास और उत्पादन अधिकतम हो सके।
देहात-बीज से बाजार तक
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के अधिकांश लोग आज भी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। दूसरे शब्दों में हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है। इन परस्थितियों में कृषक की भूमिका अत्याधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
ज्ञान विज्ञान के सफल लेखक डॉ. फकीर चंद शुक्ला
डॉ. फकीर चंद शुक्ला व्यवसायिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि बहुत अमीर प्राप्त भोजन विज्ञानी हैं। वह पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से बतौर प्रोफैसर (भोजन विज्ञान) सेवा मुक्त हुए हैं।
प्याज की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-मनजीत सिंह
खेती से किसान अपनी तकदीर बदल सकते हैं और खुद को गरीबी से बाहर निकाल सकते हैं, बस सही समय पर सही तकनीक और तरीके से खेती करने की जरूरत है। पंजाब के मानसा जिले के अंतर्गत घरांगना गांव के किसान मनजीत सिंह ने भी इसी तरह से सफलता हासिल की है।
मूत्र के नमूनों में कीटनाशक अवशेष पाए जाने से स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ीं
अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2023 के बीच एक व्यापक अध्ययन में तेलंगाना के किसानों पर कीटनाशक संपर्क के प्रभाव के बारे में चिंताजनक जानकारी सामने आई है। यह शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार के सहयोग से प्रायोजित किया गया था। इस गहन जांच में तीन जिलों-यादाद्री-भुवनगिरी, विकराबाद और संगारेड्डी के 15 गांवों को शामिल किया गया और लंबे समय से उपयोग किए जा रहे कीटनाशकों का स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों पर नया अध्ययन किया गया। यह किसानों को इन रसायनों के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देता है। इस अध्ययन का उद्देश्य किसानों और कृषि श्रमिकों में कीटनाशक संपर्क के स्तर का आकलन करना था, जो फसल संरक्षण उत्पादों के करीब रहने के कारण खतरनाक रसायनों के संपर्क में रहते हैं। विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने 493 प्रतिभागियों के साथ व्यापक क्षेत्र में कार्य किया। किसानों को दो समूहों में विभाजित किया गया: कीटनाशकों के संपर्क में आने वाले और नियंत्रण समूह जिनका कोई ज्ञात संपर्क नहीं था।
कम हो रही मिट्टी की जैव विविधता मिट्टी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
एक नए शोध में पाया गया कि जमीन के अंदर रहने वाले जीवों में गिरावट आने का सबसे बड़ा कारण मिट्टी का प्रदूषण है। इस खोज ने वैज्ञानिकों को अचंभे में डाल दिया है, जिन्होंने इस बात के आसार जताए थे कि अंधाधुंध खेती और जलवायु परिवर्तन इस तरह की समस्याओं को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भूमि के ऊपर, भूमि उपयोग, जलवायु परिवर्तन और आक्रामक प्रजातियों का जैव विविधता पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमने मान लिया था कि यह जमीन के नीचे भी ऐसा ही होगा।
डेयरी पशुओं में भ्रूण स्थानांतरण के लिए देसी तकनीक तैयार
वैक्सीन निर्माता इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (आईआईएल) ने स्वदेशी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) मीडिया 'षष्ठी' लांच किया है, जिसे इसकी मूल कंपनी - राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से विकसित किया गया है।
फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए माइक्रोफ्लूडिक सिस्टम तैयार
फसल की पैदावार बढ़ाने के प्रयासों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने मिट्टी जैसी स्थिति बनाने के लिए एक पोर्टेबल और सस्ता माइक्रोफ्लूडिक सिस्टम विकसित किया है। उन्होंने इस सिस्टम का परीक्षण भी किया है, जिसमें पता चला है कि पोषक तत्वों के प्रवाह को बेहतर करने से जड़ों के बढ़ने और नाइट्रोजन अवशोषण में सुधार हो सकता है।
भूमिगत पानी को पुनर्जीवित करने के लिए धान की फसल का बदलाव आवश्यक
एक अध्ययन में पाया गया है कि चावल की खेती वाले लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र के स्थान पर अन्य फसलें उगाने से उत्तर भारत में वर्ष 2000 से अब तक नष्ट हुए 60-100 घन किलोमीटर भूजल को पुनः प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
आलू से बनेगा एथेनॉल
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान आलू के अपशिष्ट को इथेनॉल में बदलने के लिए एक पायलट प्लांट स्थापित करने की योजना बना रहा है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश भारत, फसल कटाई के बाद होने वाले भारी नुकसान का सामना करता है।
धान के भण्डारण के लिए कुछ आवश्यक सुझाव
भरपूर उपज प्राप्त करने के लिए किसान जी तोड़ मेहनत करता है। परंतु धान और अनाज के दुश्मन कीट आदि उसे उसकी मेहनत का लाभ नहीं लेने देते। इससे किसान का नुकसान तो होता ही है, यह नुकसान सिर्फ किसान का ही नहीं, बल्कि सारे राष्ट्र का है तथा उसका मुख्य कारण है, धान की उसके दुश्मनों से सुरक्षा न होना एवं उसका रखरखाव के लिए सही प्रबंध का न होना।
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन अप्रत्यक्ष रूप से भी कृषि को प्रभावित करता है जैसे खरपतवार को बढ़ाकर, फसलों और खरपतवार के बीच स्पर्द्धा को तीव्र करना, कीट-पतंगों तथा रोगजनकों की श्रेणी का विस्तार करना इत्यादि।
नैनो प्रौद्योगिकी का कृषि में महत्व
नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की एक नई दिशा है, जिसकी आधुनिक कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसके माध्यम से उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है, परन्तु कृषि में इसका उपयोग अभी सीमित ही है। किसानों के लिए यदि यह प्रौद्योगिकी लाभप्रद हो सके तो यह कृषि की दशा और दिशा बदलने में महत्वपूर्ण कदम होगा। नैनो प्रौद्योगिकी द्वारा यदि रासायसिक खादों को तैयार किया जाये तो खाद की गुणवत्ता और उपयोगिता दोनों बढ़ जायेंगी, जिसके फलस्वरुप खेती के लिए कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होगी।
उपभोक्ता मामलों में बीज उत्पादक बरते सावधानियां
बीज धरा का गहना है। कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में अन्य कारकों के साथ बीज मुख्य कारक है। अतः खाद्य समृद्धि के लिए बीज का उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम एवं चरित्रवान होना आवश्यक है। बीज कानूनों जैसे बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश 1983 तथा अन्य, बीज गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वाले बीज उत्पादक, बीज विक्रेता को कठोरत्तम दण्ड देता है, परन्तु बीज का निम्न गुणवत्ता के कारण हुई फसल क्षति पूर्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है। लोक सभा में प्रस्तावति बीज विधेयक (Seed Bill 2019) में कृषक क्षतिपूर्ति का स्पष्ट प्रावधान किया गया है परन्तु नये बीज अधिनियम के अन्तर्गत उपजे क्षति पूर्ति के विवादों का निपटारा भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार ही होगा।
अनार में जड़गांठ सूत्रकृमि का प्रबंधन
सूत्रकृमि (निमेटोड) एक तरह का पतला धागानुमा कीट होता है। यह जमीन के अन्दर पाया जाता है। इसे सूक्ष्मदर्शी की सहायता द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार तथा बिना खंडों वाला होता है। मादा सूत्रकृमि गोलाकार एवं नर सर्पिलाकार आकृति का होता है। इनका आकार 0.2 मि.मी. से 10 मि.मी. तक हो सकता है। सूत्रकृमि कई तरह के होते हैं और इनमें से प्रमुख जड़गांठ सूत्रकृमि है।
सतावर की आधुनिक वैज्ञानिक खेती
विभिन्न औषधीय पौधों में सतावर एक महत्वपूर्ण औषधीय पौध है जिसका उपयोग प्राचीन समय से ही पारम्परिक औषधि के रूप में किया जा रहा है।
चने की खेती की पैदावार कैसे करें?
चने की खेती हमारे देश में दलहनी फसलों में अपना प्रमुख स्थान रखती है। भारत विश्व में सबसे बड़ा चना उत्पादक (कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत) देश है। क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही दृष्टि में दलहनी फसलों में चने का मुख्य स्थान है। समस्त उत्तर से मध्य व दक्षिण भारतीय राज्यों में चना रबी फसल के रुप में उगाया जाता है।
सफल कृषि व्यापार के लिए अहम दस्तावेज लेने की प्रक्रिया
अपने कृषि व्यापार की पहुंच बढ़ाने, इसकी स्थिरता एवं और लाभ बढ़ाने के लिए निर्धारित व्यापारिक मानकों एवं दस्तावेजों को पूरा कर लेना भी आवश्यक है। कृषि उत्पादों की राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रयी मार्केट तक पहुंच बनाने के लिए, ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए, उद्यम रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए एवं भोजन सुरक्षा का विश्वास देने के लिए कानूनन प्रक्रियाएं (रजिस्ट्रेशनां/लाइसैंस) पूरी कर लेनी चाहिएं।
सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।