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किसान की पहल से काला नमक धान को मिली वैश्विक पहचान
सुगंधित धान काला नमक अपने न्यूट्रेशन वैल्यू और एरोमा के चलते पूरी दुनिया में अहम पहचान रखता है. वैसे तो काला नमक धान की खेती देश के अलगअलग हिस्सों में व्यावसायिक लैवल पर किए जाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन इस की मूल पहचान उत्तर प्रदेश के नेपाल बौर्डर से सटे जिले सिद्धार्थ नगर से है, क्योंकि यहां के बर्डपुर ब्लौक से ले कर जनपद के कई ब्लौकों की विशेष जलवायु के चलते काला नमक चावल की गुणवत्ता, स्वाद और महक दूसरे जिलों से कई गुना बेहतर है, इसलिए सिद्धार्थ नगर जिले के काला नमक चावल की मांग देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब है.
उत्तर प्रदेश आम महोत्सव - आम की सैकड़ों किस्मों से कराया रुबरु
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित अवध शिल्पग्राम में 14 जुलाई से 16 जुलाई तक चला यह आम महोत्सव इतना प्रभावी रहा कि लखनऊ सहित प्रदेश के अलगअलग जिलों के हजारों किसान आम की विभिन्न किस्मों का दीदार करने आए और आम के सफल बागबानों से आम की बागबानी के टिप्स भी लिए.
गरमी के मौसम में पशुओं को खिलाएं हरा चारा
गरमी में पशुओं को सेहतमंद रखने में हरे चारे की अपनी अहमियत है. हरा चारा जल्दी पचने और रुचिकर होने की वजह से पशुओं के लिए स्वास्थ्यवर्धक भी है.
'भारत में जल परिवहन' पुस्तक के लिए अरविंद सिंह को राजभाषा सम्मान
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 30 जुलाई, 2023 को राजभाषा शील्ड एवं मौलिक पुस्तक योजना के तहत वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरविंद कुमार सिंह को उन की पुस्तक 'भारत में जल परिवहन' के लिए सम्मानित किया.
मोटे अनाजों की खेती से जुड़े कुछ सवाल
मोटे अनाज की खेती को ले कर अब किसान भी जागरूक हो रहे हैं, फिर भी इन अनाजों की खेती को ले कर कुछ सवाल किसानों के मन में हैं. ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में जानते हैं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक प्रो. रवि प्रकाश मौर्य से.
धान में लगने वाले कीटों और उन का प्रबंधन
खरीफ फसलों में धान की खेती खास माने रखती है. देश के अनेक हिस्सों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल वगैरह में काफी मात्रा में धान की खेती की जाती है.
केले की वैज्ञानिक खेती
भारत में केला सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण फल है और लाखों लोगों के जीवनोपार्जन का साधन है.
कीटों से रहें सावधान फसल को कर सकते हैं नुकसान
गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लगने का खतरा रहता है, जो पूरी फसल को बरबाद कर सकते हैं. इन से बचने के लिए किसानों को सब से पहले तो बोआई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिस से कीट न लगें. लेकिन फिर भी अगर कीट लग जाते हैं, तो उस के लिए किसानों को उचित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए.
भिंडी की लाल किस्म 'काशी लालिमा'
हमारे देश में भिंडी को खेती के नजरिए से देखा जाए, तो अभी तक देश के अधिकांश भूभाग पर भिंडी के हरे किस्म की खेती की जाती रही है.
धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधी बिजाई करे सुपर सीडर
सुपर सीडर मशीन से धान की कटाई के फौरन बाद गेहूं की बिजाई कर सकते हैं, जिस से धान और गेहूं की लंबी अवधि की किस्में उगाई जा सकती हैं.
मक्का की खेती
सवाल किसानों के, जवाब प्रो. रवि प्रकाश मौर्य के
मेज थ्रैशर यंत्र से मक्का की गहाई
मक्का फसल तैयार होने के बाद भुट्टे यानी गिल्ली में से अनाज अलग करने के लिए ज्यादातर मक्का थ्रैशर यंत्र का प्रयोग किया जाता है. मक्के की गहाई के लिए इस यंत्र को ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है.
बढ़ते तापमान में मुरगीपालक बरतें सावधानी
अंडा उत्पादन के लिए 20 से 25 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान जरुरी होता है, जबकि मुरगियों का तापमान 37 से 39 डिगरी सैंटीग्रेड तक तापमान होता है. इस कारण गरम मौसम में लेयर मुरगियों पर काफी प्रभाव पड़ता है.
नमो चौपाल के जरीए खेती की जानकारी
मध्य प्रदेश में किसानों की सहायता के लिए यह एक प्रशासनिक और सामाजिक पहल है, जो ग्राम पंचायतों में अपनाई जाएगी. इस का मुख्य उद्देश्य किसानों, ग्रामीणों और कृषि वैज्ञानिकों को एकसाथ आ कर खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और चर्चा करना है.
रूरल एग्रो टूरिज्म : सुकून और सेहत भरी जिंदगी का एहसास
गरमियों की छुट्टियों में जो लोग कुछ पल के सुकून और शांति के लिए हिल स्टेशनों, ठंडे और पहाड़ी पर्यटक स्थलों पर घूमने जाने का मूड बना रहे हैं, पर वहां भीड़भाड़ ज्यादा है तो उन के लिए एग्रो और रूरल टूरिज्म काफी अच्छी जगह साबित हो सकती है, क्योंकि यहां न केवल प्रकृति से जुड़ने का मौका मिलता है, बल्कि यहां ठहरने और खाने का देशी अंदाज भी आप को रोमांच से भर देता है.
पत्तागोभी की फसल के बीज उत्पादन से कमाएं ज्यादा मुनाफा
भारत में शरद ऋतु में उगाई जाने वाली सब्जियों में पत्तागोभी का विशेष स्थान है, फिर भी इस की खेती विभिन्न ऋतुओं में लगभग पूरे वर्ष हमारे देश में की जाती है. पत्तागोभी में खनिज पदार्थ, विटामिन ए, विटामिन बी-1 और विटामिन सी की अधिक मात्रा पाई जाती है, जिस के कारण इस के बीज की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.
पशुओं में खुरपकामुंहपका रोग
खुरपकामुंहपका (एफएमडी) बेहद संक्रामक वायरल रोग है. यह मवेशियों, भैंसों, बकरियों, भेंड़ों, सूअरों और जुगाली करने वाले जंगली पशुओं को प्रभावित करता है.
कृषि पत्रकारिता का बढ़ रहा दायरा
अखबारों, पत्रपत्रिकाओं और टीवी चैनलों की खबरों में बीते दशकों में खेती से जुड़ी खबरों को उतनी तरजीह नहीं मिल पाई है, जितनी राजनीति, क्राइम, साहित्य और अन्य खबरों को दी गई. ऐसे में इन मीडिया संस्थानों का जुड़ाव भी किसानों से नहीं हो पा रहा था. किसान अखबारों, टीवी चैनलों और पत्रपत्रिकाओं में खुद को खोजता था.
फलदार पौधों की नर्सरी का कारोबार आमदनी की बहार
फलदार वृक्षों में सर्वाधिक बागबानी में आम, लीची, बेल, अनार, आंवला, अमरूद आदि शामिल हैं. इस में कुछ की नर्सरी कलम विधि से, तो कुछ की नर्सरी गूटी विधि से तैयार करना अच्छा होता है.
अंजीर (तिमला) और बेडू की खेती
उत्तराखंड के जंगलों में अधिकांश ऐसे पौधे उगते हैं, जिन का औषधीय उपयोग है. इन में से अंजीर (तिमला) व बेडू मुख्य हैं.
लाभकारी फसल अश्वगंधा
व्यावसायिक दृष्टि से भी यह काफी लाभकारी फसल है. कम खर्चे, कम पानी और कम उपजाऊ जमीनों में इस का उगना और बिक्री में आसानी के कारण इस का भविष्य उज्ज्वल है.
रोपे बांस कमाएं पैसा
देश में लाखों परिवार बांस आधारित उद्योग से अपना जीवनयापन कर रहे हैं. बांस से बनी हुई चीजें देशी पर्यटकों द्वारा महंगे दामों पर खरीदी जाती हैं. इस से महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन, हेयर क्लिप, ग्रीटिंग कार्ड, चम्मच, तीरधनुष, खेती के उपकरण, कुरसीमेज, मछली पकड़ने का कांटा, चारपाई, इलिया जैसी हजारों वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, इसलिए बांस को हरा सोना भी कहा जा सकता है.
फसलों के रोग प्रबंधन में रासायनिक जीवनाशियों के वानस्पतिक विकल्प
हमारे देश में कीटों और रोगों के प्रकोप से हर साल 18-30 फीसदी फसल खराब हो जाती है, जिस से देश को हर साल तकरीबन 1,00,000 करोड़ रुपयों का नुकसान होता है.
लौकी की खेती में कीट व रोगों से बचाव
ताजगी से भरपूर लौकी कदूवर्गीय सब्जी है. इस में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व खनिज लवण के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. लौकी की खेती पहाड़ी इलाकों से ले कर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. निर्यात के लिहाज से सब्जियों में लौकी खास है.
जुलाई महीने के खेती से जुड़े जरूरी काम
यह महीना खेती के नजरिए से किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून पहुंच चुका होता है, जिस से खरीफ सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई और रोपाई का काम शुरू कर देते हैं.
जंगली सब्जी कसरोड़
जम्मूकश्मीर में प्राकृतिक रूप में पाई जाने वाली कई सब्जियां होती हैं, जिन के लिए खेतीबारी नहीं की जाती है. ये प्राकृतिक तौर पर समय के अनुसार खुद ही तैयार हो जाती हैं. इन्हीं सब्जियों में से एक है कसरोड़, जो खाने में बहुत ज्यादा स्वादिष्ठ होती है.
बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल
बरसात में अगर पशुशाला में कीचड़ रहता है और पशु उसी में बैठता है, तो उसे थनैला रोग हो सकता है. उसे फुट रोग भी हो सकता है यानी उस के खुर गलने लग जाते हैं. इन समस्याओं से अगर पशु को बचाना है, तो कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.
‘एमएसपी' में बढ़ोतरी किसानों को कितना फायदा?
केद्र सरकार ने पिछले दिनों फसलों का वर्ष 2023-24 खरीफ का घोषित किया है.
काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी विशेष पहचान
बस्ती जिले की आबोहवा में पैदा होने वाले धान की खास किस्म काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों की भी जीआई टैगिंग की जाएगी, जिस से इन किसानों को काला नमक धान के उत्पादन और इस के बिजनैस का विशेष अधिकार मिल जाएगा.
कलम विधि से तैयार करें आम की नर्सरी
भारत में फलदार वृक्षों की बागबानी में सर्वाधिक आम की ही बागबानी की जाती रही है. लेकिन आम की बागबानी शुरू करने के लिए जरूरत होती है अधिक पैदावार देने वाली अच्छी प्रजाति के आम के पौधों की. ये पौधे उद्यान विभाग की नर्सरी या प्राइवेट नर्सरियों से खरीद कर लाते हैं, जिस के लिए आम की किस्मों के अनुसार 30 रुपए से ले कर 500 रुपए प्रति पौधों की दर से भुगतान कर के खरीदना पड़ता है.