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खत्म होती जा रही नदियों की अविरलता
दरअसल में नेपाल में होने वाली बारिश से बिहार में होने वाली तबाही को रोकने के लिए बिहार सरकार ने चार बराज बनाने का निर्णय लिया है। ऐसे में फरक्का बैराज के निर्माण में दिखाई गई अदूरदर्शिता को एक सीख की तरह देखा जाना चाहिए।
सिर्फ कानून बनाने से नहीं रुकेंगे महिला अपराध
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।
पर्यावरण संरक्षण कागजों पर
प्रदूषण पर नियंत्रण, नियंत्रण से बाहर और एनजीटी के आदेशों पर अमल संतोषजनक नहीं
राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों का राष्ट्रनिर्माण में अहम योगदान : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। स्वयं सेवको ने ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी सेवा की अलख जगाई है। स्वच्छता अभियान, साक्षरता अभियान सहित शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में रचनात्मक योगदान देकर एक मिसाल प्रस्तुत की है।
छत्तीसगढ़ की 78 शालाएं पीएम श्री योजना में हुई शामिल : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के 78 और स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने के लिए पीएम श्री योजना में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है।
संगठन पर्व से राष्ट्र निर्माण ... विकसित भारत की संकल्प सिद्धि का अभियान
लोकतंत्र की भावना भारतीय जनता पार्टी संगठन की पंच निष्ठाओं में से एक है। यह भावना सिर्फ वैचारिक स्तर पर ही नहीं, अपितु पार्टी के आचरण और उसकी कार्यपद्धति में भी स्पष्ट दिखाई देती है।
जम्मू-कश्मीर में मोदी दांव के निहितार्थ
श्रीनगर में आज वह शांति व्याप्त है, जो पिछले कई सालों में देखने को नहीं मिली थी। पार्क फुटबॉल खेलते बच्चों से भरे हुए हैं और अभिभावक आसपास बैठकर गपशप कर रहे हैं।
हैरिस या ट्रम्प कौन बनेगा अमेरिकी राष्ट्रपति
अमेरिका में बसे लाखों भारतीय डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हैं या कमला हैरिस के पक्ष में अगर मीडिया पर आ रही खबरों पर यकीन करें तो कमला हैरिस को तो आज के दिन अधिक लोकप्रिय बताया जा रहा है और प्रतिदिन कमला की लोकप्रियता बढ़ती ही चली जा रही बताते हैं। भारत सरकार किसे विजयी देखना चाहती है? यह तय है कि भारत सरकार जो भी जीतेगा उसके साथ तो ताल-मेल बैठकर काम तो करेगी ही ! यह बात भारत-अमेरिका के गहरे द्विपक्षीय संबंधों की रोशनी में कही जा सकती है, जो लगातार मजबूत होते ही चले जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत मिशन हो रहा पूरा
इन दिनों समूचे भारत में स्वच्छता ही सेवा अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत विशेष रूप से केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, कार्यालयों, सार्वजनिक व पर्यटक स्थलों, रेलवे स्टेशनों तथा आसपास के परिसरों आदि की साफ-सफाई के लिये विशेष सफाई अभियान चलाकर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है ताकि स्वच्छता अभियान सतत चलता रहे।
बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों का जोखिम
बेतहाशा बढ़ती हुई जनसंख्या आज दुनिया की सबसे बड़ी परेशानियों में से एक बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि के कारण दुनिया के कई देशों में संसाधनों का बंटवारा ठीक तरह से नहीं हो पाता है। वहीं, कई देशों में वहां की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में उपलब्ध संसाधन अब कम पड़ने लगे हैं। जाहिर है कि यदि किसी भी देश की जनसंख्या लगातार तीव्र गति से बढ़ेगी तो उसी अनुपात में वहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी बढ़ेगा। इसे भारत के संदर्भ में देखा जाए तो 13 सितंबर 2024 को भारत की जनसंख्या लगभग 1,453,567,738 थी, जो विश्व की कुल जनसंख्या (लगभग 8,176,283,486) का करीब 18 प्रतिशत है। गौरतलब है कि विश्व के महज ढाई प्रतिशत भू-भाग पर दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा जीवन यापन करने के लिए विवश जरा सोचिए कि ऐसे में क्या देश में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा।
श्रावण मास और भगवान शिव की महिमा
भारत में श्रावण मास ऐसा महीना है, जिसमें पूरे माह भगवान शिव की आराधना की जाती है।
रूस के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान से नवाजे गए मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर रूस के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से भले सम्मानित किया ही लेकिन से मोदी जी की चाल, चरित्र और चेहरे में कोई तबदीली नजर नहीं आ रही।
नमो बजटः विकसित भारत 2047 की संकल्पना
भाजपा की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट वर्ष 2024- 25 संसद के पटल पर प्रस्तुत किया गया है।
सुविधाओं के नाम पर भारी पड़ती बैंकों की वसूलियां
देश में बैंकिंग नेटवर्क का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 22 निजी क्षेत्र के बैंक, 44 विदेशी बैंक, 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, 1485 अरबन कोआपरेटिव बैंक और हजारों की संख्या में ग्रामीण सहकारी बैंकिंग संस्थाएं हैं।
प्रदेश के ईएसआईसी अस्पतालों की व्यवस्थाएं होंगी दुरूस्त : केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया
प्रदेश के ईएसआईसी अस्पतालों की व्यवस्थाएं होंगी दुरूस्त
छत्तीसगढ़ में स्किल्ड-बेस्ड एजुकेशन, प्राकृतिक औषधालय और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मिलेगा बढ़ावा: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
मुख्यमंत्री ने रायपुर में वर्षा जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र की जरूरत जताई
नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने की तैयारी में भाजपा
लोकसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी मंडल व जिला अध्यक्षों तथा विधायकों से मिलकर पराजय की गहन समीक्षा कर रहे हैं, जिसमें वह पूछ रहे हैं कि 2019 और 2022 में हमारी विजय का आधार क्या था और 2027 में पीछे रहने का क्या कारण है?
रेल दुर्घटनाओं से उपजते सवालों के जवाब आखिर कौन देगा?
लीजिए, एक और ट्रेन दुर्घटना हो गई। यह घटना उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले में घटित हुई, इसलिए इसे गोंडा ट्रेन दुर्घटना के नाम से जाना गया।
पौधारोपण को बनाएं सार्थक जन आंदोलन
उस कोरोना काल को याद कीजिये जब कोविड प्रभावित लोग ऑक्सीजन के बिना तड़प तड़प कर मर रहे थे।
क्या धर्म व धर्मगुरुओं को राजनीति से दूर रखना संभव है ?
हाल ही में महाराष्ट्र में ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बयान पर जहां राजनीति गरमाई हुई है तो वहीं दूसरी ओर शंकराचार्य अपने बयान पर कयाम बने हुए हैं।
प्रभात का कभी सूर्यास्त नहीं हो सकता
मनुष्य जब अस्तित्व में आता है, तो उसकी प्रारंभिक पहचान उसकी देह से होती है। सामान्य व्यक्ति इसी देह के साथ ही एक दिन समाप्त भी हो जाता है। लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी जन्म लेते हैं, जिन्हें उनकी देह से नहीं दैदीव्यता से पहचाना जाता है।
नेतृत्व की शालीनता से ही समृद्ध लोकतंत्र
हमारा भारत दुनिय का सबसे बड़ा और सबसे पुराना जनतांत्रिक देश है।
जग कल्याण के लिए अवतरित हुए थे भगवान झूलेलाल
यह हिन्दुस्तान की खूबसूरती ही है कि यहाँ सभी मजहबों के तीज-त्योहार उत्साह, सदभाव, आस्था के साथ मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है झूलेलाल जयंती। भारत और पाकिस्तान के साथ ही दुनिया भर में जहां भी सिंधी समाज के लोग रहते हैं वो झूलेलाल जयंती पूरे उत्साह के साथ मनाते है।
अदालत की बेंच की तरह काम करता है चुनाव आयोग
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे ने आयोग के भीतर सर्वसम्मति से होने वाले कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए। वैसे, कुछ बरसों के अंतराल में संस्था के भीतर गंभीर मतभेद सामने आते रहे हैं।
भाजपा के राजनीतिक करिश्मे के कर्णधार अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व सांसद एवं पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा देश में जनसंघ का पहला अपना निजी कार्यालय जो ग्वालियर में बना था, उसमें रहता था, मैं भी स्वर्गीय शेजवलकर जी के साथ बैठक में बतौर पत्रकार चला गया।
धर्म आधारित आरक्षण में सेंधमारी का मुद्दा
अल्पसंख्यका बनाम मुस्लिमों को पिछड़ों, दलित और आदिवासियों के संविधान में निर्धारित कोटा के अंतर्गत 4.5 प्रतिशत आरक्षण देने की केंद्र सरकार की मंशा रही थी। लेकिन न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते इस मंशा को पलीता लग गया था।
बंगाल में इस बार रोचक होगा चुनावी मुकाबला
यह स्वतंत्र भारत के इतिहास का पहला अवसर है जब किसी राजनीतिक दल के सांसदों ने चुनाव आयोग का दरवाजा इसलिए खटखटाया कि केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई ईडी और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदल जाए।
राजनीतिक बयानों की चल रही है आंधी
देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों में बयानों की आंधी सी चल रही हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने आपको आम जनता का हितैषी सिद्ध करने का प्रचार कर रहे हैं। इन बयानों में कहीं कहीं राजनीति की मर्यादा का भी उल्लंघन भी होता दिख रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान सभी दल अपने अपने हिसाब से ढोल पीटकर जनता को अपने पाले में लाने की कवायद कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि राजनीतिक दलों द्वारा जो बयान दिए जा रहे हैं, वह देखने में तो ऐसा ही लगता है कि यह सब बातें अप्रमाणिक सी लगती हैं।
अन्नामलाई की भाजपा को दक्षिण में कमल खिलाने की गारंटी?
पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इस धारणा को बदल दिया है और फिर पूर्व आईपीएस अधिकारी के अन्नामलाई को तमिलनाडु का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद द्रविड़ पार्टी के प्रभुत्व वाले दक्षिणी राज्य में बीजेपी की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं।
देश में 83 प्रतिशत है बेरोजगारी!
हालांकि हम लोग एक भयावह रूप से हिंसाग्रस्त विश्व में जी रहे हैं, वह जिसमें लगातार होने वाले युद्ध, सैन्यीकरण, नए किस्म का अधिनायकवाद, बढ़ती आर्थिक असमानता, पर्यावरण संकट और सामाजिक कारणों से बना मानसिक संताप इसका चरित्र बन गया है और मानो इन सबके बीच 'खुशी' ढूंढ़ना एक अनन्त खोज बन गई है।