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शरीर की दवाई कम करो, मन की दवाई करो
यदि मन अपनी असलियत का चिंतन करता है तो वह मन ही परब्रह्मरूप हो जाता है।
रोग निवारण की अनंत शक्ति आपमें ही है!
मनुष्य अपने `मुक्त स्वभाव को जान सकता है, अपने परम स्वभाव को पा सकता है।
ईश्वर के रास्ते पग रख दिया तो पीछे हटना क्यों?
दुर्बलता के विचारों को पोषना अपने लिए खड्डा खोदना है।
मन का प्रभाव तन पर
ईश्वर के जगत में ऊँचे-से-ऊँचा कोई प्राणी बना है तो वह मनुष्य है।
भगवान के पिता : मेरे गुरुदेव
ब्रह्मलीन साँई श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस : २ नवम्बर
ऋषियों द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार : दीपावली
दीपावली पर्व : २२ से २६ अक्टूबर
रोग का रहस्य और निरोगता का मूल
जो अपने को शरीर मानेगा और मन के साथ जुड़ा रहेगा वह पूर्ण संतुष्ट कभी नहीं होगा।
दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति के लिए लक्ष्मीजी का मूलमंत्र
किसीको त्रिलोकी का राज्य भी मिल जाय पर ब्रह्मविद्या नहीं मिली तो वह व्यक्तिअभागा है।
आयुर्वेद के क्षेत्र में संत श्री आशारामजी बापू का योगदान
शाश्वत संबंध की स्मृति किये बिना जीव का कहीं परम कल्याण नहीं होता।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूज्य बापूजी द्वारा भेजा गया पावन संदेश
कैसी अद्भुत है श्रीकृष्ण की समता !
दोष प्रकृति में हैं और निर्दोष होने का सामर्थ्य तुममें है
मन को वश करने की कुंजी
सबसे ऊँची विद्या क्या है ?
आप अपने आत्मा-परमात्मा में बैठो।
ईश्वर के रास्ते पग रख दिया तो पीछे हटना क्यों ?
विद्यार्थी संस्कार
लम्बी आयु की सरल कुंजी
दीर्घायु का साधन
शुभ संकल्प की अथाह शक्ति को उजागर करनेवाला पर्व
रक्षाबंधन पर पूज्य बापूजी का मंगलमय संदेश
वटवृक्ष का महत्त्व क्यों?
दूसरे के हित की भावना से बुद्धि में अच्छे स्फुरण होने लगते हैं।
जीवन में गुरु की अनिवार्यता
जो गुरु व परमात्मा के प्रति अहोभाव रखते हैं, उन्हें प्रेमाभक्ति, परमात्म-रस मिलता है।
... तभी आपकी जन्माष्टमी पूर्ण हुई
जन्माष्टमी : १८ व १९ अगस्त
सद्गुरु देते भवरोग से मुक्ति की युक्ति
ब्रह्मज्ञानी गुरु की भली प्रकार सेवा करनी चाहिए, उनका बड़ा उपकार है।
श्रवणद्वादशी - व्रत की कथा
भविष्य पुराण में श्रवणद्वादशी के व्रत की सुंदर कथा आती है।
पात्रता विकसित कीजिये
अपना कल्याण करना हो तो संतों का संग, सत्शास्त्र का विचार, भगवन्नाम-जप - इन तीनों को महत्त्व दे दो।
यदि ईश्वर के रास्ते जाने से कोई रोके तो...
वे धनभागी हैं जो आत्मविश्रांति के रास्ते चल पड़ते हैं।
साधना प्रकाश
साधना में शीघ्र सफलता के नियम
ऐसे मनायें रक्षाबंधन
रक्षाबंधन : ११ अगस्त
संस्कृति विज्ञान - पीपल वृक्ष का महत्त्व क्यों?
वास्तव में भगवान ही है, बाकी सब धोखा है।
हमारा हित किसमें है?
हरि रूठ जायें तो गुरु बचा लेते हैं पर गुरु रूठ जायें तो हरि बीच में नहीं आते।
साधना में शीघ्र सफलता हेतु १२ नियम
गुरुपूनम महापर्व पर विशेष उपहार
पीपल वृक्ष का महत्त्व क्यों?
सर्वदा, सर्व कार्यों में उनका मंगल होता रहता है जो हृदय में मंगलमय हरि का सुमिरन करते रहते हैं।
सद्गुरु देते भवरोग से मुक्ति की युक्ति
गुरु की आज्ञा बहुत कल्याण करती है।
निःस्वार्थ कर्म का बल
विद्यार्थी संस्कार