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धार्मिक लपेटे में मन के रोगी
आज जहां सबकुछ वैज्ञानिक और हाईटैक है वहां गरीबों और पिछड़ों से कहा जाता है कि मानसिक रोग कुछ नहीं, यह देवीदेवताओं का प्रकोप है जो जादूटोने से दूर होता है. यह तो बीमारों को और बीमार कर देता है. मानसिक रोगों से जुड़ी भ्रांतियों का समाधान यहां पेश है.
आईसाइट का गुपचुप चोर ग्लूकोमा
ग्लूकोमा आंखों की समस्या है. यह बीमारी अगर बढ़े तो आंखों की रोशनी जा सकती है, इसलिए इसे ले कर सतर्क रहने की खास जरूरत है.
घरेलू हिंसा औरतों को राहत नहीं
21वीं सदी में भी औरतें घर व बाहर उत्पीड़न और हिंसा की शिकार हो रही हैं. इन में वे औरतें तो हैं ही जो पूरी तरह से पति पर निर्भर हैं, साथ ही कमाऊ औरतें भी हैं. दिक्कत यह है कि धर्मकर्म के कार्यों से जुड़े व पूजापाठी बन महिलाओं को हिंसा पर चुप्पी साधने की शिक्षा लगातार मिल रही है.
इमरान खान भी हुए ट्रिपल ए के शिकार
पाकिस्तान में तख्ता पलट का खेल कोई नई बात नहीं है. वहां के शासक तो मिलिट्री के मोहरे रहे हैं. ऐसे में लोकतंत्र प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ पाया और कट्टरवाद पहचान बन गया. इमरान खान के साथ जो हुआ, कुछ इसी का नतीजा है और बहुत हद तक वे खुद भी जिम्मेदार हैं.
'दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे' -शरद केलकर
हकलाने के चलते शरद केलकर को उन के पहले टीवी सीरियल से बाहर का रास्ता दिखाया गया. यह बात उन के दिल पर लग गई, मेहनत इतनी की कि वह दिन आया जब ‘बाहुबली' में उन्हें प्रभास की डबिंग के लिए बुलाया गया. आज वे सफल अभिनेता हैं.
तलाक से परहेज नहीं
मुसलिम समाज में तलाक को ले कर हकीकत से ज्यादा हल्ला मचाया गया, आज मुसलिम महिलाएं पढ़लिख रही हैं, अपने अधिकार जान रही हैं.
धर्म और बेवकूफी का शिकार श्रीलंका
श्रीलंका में इन दिनों भारी उथलपुथल मची हुई है, लोग महंगाई से त्रस्त हैं और आम जनजीवन ठप है. सड़कों पर लोगों के भारी प्रदर्शन बता रहे हैं कि श्रीलंका में कुछ भी ठीक नहीं. इस स्थिति का जिम्मेदार चीन को ठहराया जा रहा है, पर जितना जिम्मेदार चीन है उस से कहीं ज्यादा राजपक्षे ब्रदर्स की नीतियां हैं.
सीयूईटी परीक्षा पिछडों पर भारी रभ ऊंचों की चतुराई
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अब दाखिले के लिए 12वीं के अंकों की जगह एंट्रेंस एग्जाम को लागू किया गया है. सतही तौर पर देखने में यह फैसला क्रांतिकारी लग रहा है, पर भीतर से यह विनाशकारी और कुछ को कमाई के अपार अवसर देने की साजिश वाला लग रहा है. इस से विश्वविद्यालयों में दाखिले तो उन्हीं के होंगे, जिन के पास पैसा है अब इस ने शिक्षा को ले कर नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं.
शहरों में गंवार
नए गंवार शहरों में बसे हैं. ये पढ़ेलिखे हैं, खुद को आधुनिक कहते हैं, पर इन के तौरतरीके ऐसे हैं कि गांव का अनपढ़ आदमी भी शरमा जाए. गंवारों की इस पौध का इलाज जरूरी है.
एलोपेसिया ग्रसित महिला का मजाक पड़ा महंगा
एलोपेसिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन इस से ग्रसित किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाना बिलकुल ठीक नहीं, जैसा औस्कर अवार्ड में देखने को मिला. आइए जानें कि क्या है एलोपेसिया.
खाली घोंसला जब घर छोड कर चले जाएं बच्चे
जमाना बदल रहा है. बच्चे अब घरपरिवार से दूर रह कर अपना कैरियर और जौब तलाशने लगे हैं. इसे समय की मांग भी कहा जा सकता है. ऐसे में घबराए नहीं.
आम आदमी पार्टी सीटें हैं नीति नहीं
आम आदमी पार्टी विकल्प के रूप में भले ही कुछ चुनाव जीत ले लेकिन राजनीतिक विचारधारा के अभाव में उस का लंबे समय तक राजनीति करना आसान नहीं होगा. सामाजिक, आर्थिक व विश्व विचारधारा के अभाव में कोई भी दल न केवल अपने देश बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप नहीं छोड़ पाता है.
'वीकली हाट' हो गई कंटैंट राइटिंग
मीडिया आज पूरी तरह से व्यवसाय का रूप ले चुका है, इस से कंटेंट राइटर की लेखनी ने पैशन की जगह पेशे का रूप ले लिया है. आज लेखक कम, कंटेंट राइटर हर जगह खड़े हैं, जो सहीगलत का नजरिया पेश नहीं कर पाते.
“मैं ऐक्शन और कट के बीच में रहता हूं
प्योर हरियाणवी बोलने वाले मोहित कुमार ऐक्टिंग जगत में कदम रखने से पहले हिंदी नहीं बोल पाते थे, लेकिन अब चीजें ऐसी बदली हैं कि 'सब सतरंगी' शो में वे लखनवी बोली फर्राटे से बोल रहे हैं.
विधानसभा चुनाव 2022 नारे और वादे की जीत
भाजपा ने हिंदुत्व के एजेंडे को सामने रख कर चुनाव लड़ा. इस में लोकलुभावन वादे और नारों की भरमार थी. 'आप' के अलावा विपक्ष अपना एजेंडा जनता के सामने रख पाने में असफल रहा. वहीं, नारे और वादे के बल पर चुनाव तो जीते जा सकते हैं पर देश नहीं चलाया जा सकता. देश चलाना एक 'स्टेट क्राफ्ट' है, जिस में भाजपा फेल हुई या पास, यह सवाल सदा खड़ा रहेगा.
हैल्थ टिप्स
बीमारियां न सिर्फ शारीरिक स्तर पर चोट करती हैं बल्कि आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख देती हैं. अगर स्वस्थ जीवनशैली से शरीर को हैल्दी व मैंटेन रखा जाए तो बीमारियां पास नहीं फटकेंगी. जानिए हैल्दी रहने के कुछ अचूक टिप्स.
विधवाविधुर विवाह क्या पहली शादी जैसा है
विधवाविधुर की शादी के प्रति लोगों का नजरिया अब पहले जैसा कटु नहीं रहा. भले वे खुले मन से स्वीकार नहीं कर रहे, पर इन शादियों को मूक समर्थन देने लगे हैं. चर्चा अब इस बात पर हो कि इन शादियों में पहली शादी जैसी ताजगी हो.
बिन चेहरे की औरतें
प्यार हम सभी के जीवन में किसी खूबसूरत सपने की तरह प्रवेश करता है. सुकुमार के जीवन में भी 30 वर्षों पहले प्यार की शीतल बयार आई थी लेकिन उस के बाद ऐसा पतझड़ आया जिसे कोई बहार हराभरा नहीं कर पाई...
बढ़ती उम्र में विवाहेतर संबंध
बढ़ती उम्र में विवाहेतर संबंध बनना बड़ी बात नहीं, पर इन संबंधों के चलते कई तरह की समस्याएं भी सामने आती हैं, जिन में वे गहरे भंवरजाल में भी फंस सकते हैं.
ज्योतिष विज्ञान नहीं सिर्फ अज्ञान
हमारे यहां अधिकतर लोग भाग्य की रेखाओं को खोजनेबनाने में ही समय गुजार देते हैं और पंडेपुरोहित से ले कर ज्योतिषी तक भाग्य बदलने व गृहनक्षत्रों के नाम पर पैसा ऐंठते रहते हैं. होताजाता कुछ नहीं, बस, आदमी हाथ मलता रह जाता है. आखिर क्या है ज्योतिष ?
कांग्रेस खत्म?
कांग्रेस का लगातार घटता जनाधार किसी सुबूत का मुहताज नहीं रह गया है. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने तो उस के खात्मे की तरफ इशारा कर दिया है. कांग्रेस के दिग्गज बैठकों में कुछ ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. लगता है उन्हें पार्टी के भविष्य की परवा ही नहीं. कांग्रेस और इस का भविष्य क्या होगा, जानिए आप भी.
आखिरी दशकों की तैयारी
कोविड के दौरान बढ़ी बेरोजगारी, ठप हुए व्यापार, मंदी, महंगाई ने एक बार फिर चेतावनी दे दी है कि पैसा तो बचा कर रखना ही पड़ेगा क्योंकि आफत किसी भी कोने से आ सकती है.
अपने पैर कुल्हाड़ी
मोहिनी और शिप्रा आपस में सहेलियां थीं, पर बौयफ्रैंड आशीष को ले कर दोनों में अनबन थी. इस बीच परेश के साथ शादी हो जाने के बाद मोहिनी अपने पति से क्यों नाराज थी? मोहिनी को ऐसा क्यों लगने लगा कि उस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी खुद मारी है ?
प्रदीप जैसे युवाओं की दौड़ शोर में धीमी न पड़ जाए
निश्चित तौर पर प्रदीप मेहरा की मेहनत अद्भुत है. उस का आत्मविश्वास और संघर्ष आश्चर्यजनक है, पर प्रदीप की इस मेहनत पर टीवी जिस तरह टीआरपी की होड़ मचा कर जरूरत से ज्यादा एक्सपोजर दे रहा है, उस से प्रदीप जैसे युवाओं के सपने चकनाचूर न हो जाएं.
बहुमत को जंजीर में जनहित
राष्ट्रहित को तमाम देश सर्वोपरि मानते हैं. इस के लिए वे युद्ध करने को भी तैयार रहते हैं. राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रहित के नाम पर बहुमत पा कर सरकार तो बना लेती हैं, पर क्या इस से जनहित भी सधता है ?
रुस-यूक्रेन धर्मयुद्ध में नरसंहार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बेहद संकीर्णवादी धार्मिक और्थोडौक्स ईसाई हैं, उन्हें मध्य युग की धर्म की हिंसा को दोहराने के लिए यूक्रेन को तहसनहस करने से कोई गुरेज नहीं.
दोस्ती में जाति का भेद
कहते हैं दोस्ती में कोई भेद न छिपाना चाहिए न रखना चाहिए, इस से विश्वास कमजोर होता है. लेकिन आज धर्म और जाति का भेद समाज में इस कदर हावी है कि इस ने ने दोस्ती में कड़वाहट भरनी शुरू कर दी है.
ब्रह्मांड को जानिए पाखंड को नहीं
भगवान ने इंसानों को बनाया या इंसानों ने अपनी सहूलियत के लिए भगवानों को गढ़ा, यह सवाल आस्तिकनास्तिक की बहस का मुख्य बिंदु रहता है. ब्रह्मांड में छिपे अनंत रहस्यों के खुलासे के नाम पर धर्म के ठेकेदारों ने भगवानों को गढ़ कर लोगों के दिमाग से पड़ताल और सोचनेसमझने की क्षमता खत्म कर दी है.
दलित दूल्हे घोड़ी पर
घुड़चढ़ी जैसी कुतार्किक परंपरा का भले हिंदू ग्रंथों में कहीं कोई जिक्र नहीं पर इस का जुड़ाव अतीत में सवर्णों से रहा है. आज दलित समाज बराबरी के लिए इस परंपरा को अपना रहा है. इस पर ऊंची जातियों द्वारा लगातार बवाल काटना बताता है कि उन्हें दलितों का सिर उठा कर चलना तक सहन नहीं हो रहा.
चित्रा रामकृष्ण का बाबाई स्टौक एक्सचेंज
चित्रा रामकृष्ण का किसी रहस्यमयी बाबा की गिरफ्त में फंसने का मामला ताजा सामने है. पढ़ेलिखे, ऊंचे ओहदेदार व नामी लोग अगर इस तरह के बाबाओझाओं को नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के रहस्य बताएं तो विषय गंभीर है. नेता और उद्योगपति तक इस तरह के ब्रेनवाश में शामिल हैं.