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वातावरण में बढ़ता तापमान
पृथ्वी का क्लाइमेट चेंज होना दुनियाभर के लिए घातक है. हालत यह है कि ठंडे देश भी इस समय गरमी की मार झेल रहे हैं. अगर यह जल्द नहीं रुका तो आने वाले समय में इस के में भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
शरीर में पोषण का महत्त्व
सही मात्रा में शरीर में पोषण लेने पर ही शरीर संतुलित और सेहतमंद होता है. इस के लिए जरूरी है कि पोषणयुक्त आहार कौन से हैं, इस बारे में जानकारी हो.
खत्म होते रिश्ते दोस्तों में तलाशें
लोगों के शहरों में बसने से रिश्तेदारी सिमटने लगी है हालांकि इस की जगह दोस्तों ने ले ली है. जरूरी है कि दोस्तों में ही रिश्तेदारी तलाशी जाए. हर संभव मदद का लेनदेन करते रहें.
एशिया कप 2022 हार अमीर क्रिकेट बोर्ड और कट्टर चैनलों की
क्रिकेट को धार्मिक उन्माद बना देने में ट्रोल सेना और खबरिया चैनलों का बहुत बड़ा हाथ है. इन्हें खेल से कोई मतलब नहीं है, बल्कि ये तो जानबूझ कर उन नफरती जड़ों को सींचते हैं जो लोगों में दरार पैदा कर देती हैं.
न्याय में देरी
न्याय लोकतंत्र का अहम आधार है जो तेजी से पंगु होता जा रहा है. न्याय मिलने में देरी से आम आदमी का न्यायिक प्रक्रिया पर से विश्वास उठता जा रहा है और लोग इस व्यवस्था से अब चिढ़ने लगे हैं. आखिर क्यों न्याय आम आदमी से दूर होता जा रहा है?
गुमराह करता मीडिया
लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका चौथे स्तंभ की है. मीडिया पर जनता को भरोसा होता है कि वह सरकार की कारगुजारियों से उसे अवगत कराए ताकि सहीगलत का मूल्यांकन किया जा सके. मीडिया सरकारी भोंपू बन कर रह जाए तो यह लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा.
"बौलीवुड में कलाकार की कद्र नहीं" गिप्पी ग्रेवाल
किसान परिवार से आने वाले पंजाबी गिप्पी ग्रेवाल एंटरटेनमैंट इंडस्ट्री की मशहूर हस्ती हैं. उन्होंने शोहरत कोई रातोंरात नहीं कमाई, इस के के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया.
महिलाओं की शिक्षा में खराब स्थिति
महिला सशक्त तभी बन सकती है जब वह आत्मनिर्भर हो और अपने फैसले खुद लेने की क्षमता रखती हो. इस के लिए जरूरी है कि वह अच्छी पढ़लिख कर जौब करे पर भारत में महिलाओं की शिक्षा की हालत वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए.
आस्था या दिखावा
आस्था जब दिखावे की चीज बन जाती है तब न सिर्फ आप इसे भोग रहे होते हैं बल्कि दूसरों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. आस्था ऐसी चीज होती है जिस में दूसरा व्यक्ति मरपिट रहा होता है जबकि आस्थावान को कोई फर्क ही नहीं पड़ता.
अकेलापन व सफल महिलाएं
सफलता पाने में हर किसी की एक तय उम्र खर्च होती ही है. ऐसे में महिलाएं सफलता पातेपाते समय की उस दहलीज पर पहुंच जाती हैं जहां उन्हें अकेलेपन के दौर से गुजरना पड़ता है. इस से निकलने के लिए वे क्या करें?
भू समाधि का विज्ञान अभ्यास या दैवीय चमत्कार
विभिन्न करतबों को अकसर लोग भ्रम मान लेते हैं और अंधविश्वास के जाल में फंस जाते हैं. ऐसे ही भू समाधि के करतब से कई भक्त लोग भ्रमित होते हैं. इस के पीछे का विज्ञान किसी को पता नहीं रहता.
क्रीमपाउडर नहीं ड्रीम जरूरी
युवतियों की आजादी के लिए जरूरी है कि वे आत्मनिभर बनें, अपने फैसले लेने में जरा भी न झिझकें या न डरें, घर में बंधी न रहें, खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं.
सिरदर्द हैं पैट्स लवर
लोगों में पैट्स पालने का ट्रैंड बढ़ रहा है पर इस के साथ वे जरूरी बातों पर ध्यान नहीं दे रहे, जो आगे जा कर उन की सिरदर्दी बन रही हैं.
लंबी बीमारी मन पर पड़ता दुष्प्रभाव
गंभीर बीमारी से मानसिक तनाव या स्ट्रैस का पैदा होना स्वाभाविक है. यह तनाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर हमेशा नकारात्मक प्रभाव डालता है और गंभीर बीमारियां तनाव के कारण और ज्यादा गंभीर हो जाती हैं. यही नहीं, तनाव के कारण मौजूदा बीमारी के साथ दूसरी बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं.
बिदके क्यों नीतीश कुमार
नीतीश कुमार का एनडीए छोड़ वापस कांग्रेस और आरजेडी के साथ हाथ मिलाना एक लंबी योजना का हिस्सा है. इस से न सिर्फ भाजपा को सबक मिला है, बल्कि भाजपा को आने वाले समय में कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है.
असहमति पर दुर्गति
असहमति स्वाभाविक व मौलिक मानवीय गुण है और इसी से मानव का विकास संभव हुआ है. अब लोकतंत्रों के विकास के इस दौर में असहमत लोगों की आवाज बंद करने की सत्ताधारियों की कोशिश बताती है कि राजनीति और धर्म के पैरोकार तरक्की नहीं, कुछ और चाहते हैं.
“मैं आज भी थिएटर कर अपनी प्रतिभा को तराशता रहता हूं" ललित पारिमू
‘शक्तिमान' में डा. जैकाल के किरदार से मशहूर हुए अभिनेता ललित पारिमू संजीदा अभिनय के लिए जाने जाते हैं. इस समय वे फिल्म 'नार का सुर' को ले कर चर्चा में हैं. उन्होंने सिनेमा के बदलते दौर पर बात की.
दफ्तर में कर्म धर्म नहीं
तथाकथित किस्मत के भरोसे बैठे रहने से काम कभी पूरे नहीं होते. ऐसी सोच इंसान को खोखला कर देती है. जरूरी है कि कर्म पर भरोसा किया जाए, तभी सफलता हासिल होगी.
प्रायश्चित्त
सिया ने सोम की आंखों में प्यार की कशिश देखी तो वह उस की ओर खिंचती चली गई. सोम के प्यार में सिया ने कच्ची उम्र में मुसीबत सिर पर ले ली. अफसर बन जाने के बाद क्या सोम अपने प्यार सिया को पा सका? आखिर क्या था उन का प्रायश्चित्त?
दरकता दांपत्य और तलाक
आज के युग में दांपत्य जीवन दरक रहा है जिस के अनेक कारण हैं, पर कोर्ट में तलाक के बढ़ रहे मामलों का जल्द निबटान न होना भी तो एक प्रताड़ना से कम नहीं.
शाकाहारी बनें बीमारियों से बचें
मांसाहारी होना गुनाह नहीं पर शाकाहार की तरफ बढ़ने में कई तरह के फायदे हैं. आज कई सैलिब्रिटी शाकाहार की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. यदि आप भी शाकाहार अपनाना चाहते हैं तो यह जान लें.
औनलाइन पूजा दक्षिणा का षड्यंत्र
कोरोना के डर और लौकडाउन ने पुरानी धार्मिक परंपराओं को बदलने पर मजबूर किया है. दानदक्षिणा के लोभ में विज्ञान की पीठ पर सवार हो कर संतपुजारी भी हाईटैक हो गए हैं. कस्टमर छूट न जाए, इस के लिए औनलाइन पूजापाठ व वैबसाइटों की भरमार होने लगी है. सवाल यह है कि धर्म के नाम पर मुफ्त का माल उड़ाने वाली इस जमात पर भरोसा क्यों किया जाए?
अंगदान जिंदगियां बचाने का रास्ता
किसी को जीवन देना नेक काम होता है. अंगदान सोच पर निर्भर करता है, यदि आप दूसरों को जीवनदान देना चाहते हैं तो अंगदान एक बेहतर जरिया है.
रणवीर की न्यूड फोटो हंगामा क्यों बरपा है
रणवीर सिंह ने विदेशी मैगजीन के लिए न्यूड फोटोशूट किया तो हंगामा मच गया. आरोप लगा कि वे अश्लीलता फैला रहे हैं. सवाल यह कि इसे अश्लीलता माना जाए या कला का एक फौर्म?
सैलिब्रेशन है खुशहाली नहीं
देश अब इवैंटनुमा सैलिब्रेशन की तरफ बढ़ चला है. परिस्थिति भले फटेहाल हो पर खुद को तसल्ली देने के लिए वह कुछ न कुछ सैलिब्रेट करना चाहता है. सैलिब्रेशन कुछ देर के लिए भले मुसकान ले आए पर चीजें नहीं बदलतीं. चीजें बदलती हैं लंबी नीतियों से, जो देश में इस समय गायब हैं.
75 साल का हिंदी सिनेमा
सिनेमा देश की सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों की आवाज होता है. आजादी से पहले आम जनता को देशभक्ति के लिए खड़े होने को प्रेरित करने वाला सिनेमा था मगर आजादी के बाद यह देश को बहकाने, फुसलाने, बहलाने या अंधविश्वासी बनाने वाला बन गया है.
आधी आबादी आजादी का अधुरा उत्सव
आजाद भारत में 75 साल बाद भी बड़े पैमाने पर पुरानी मानसिकता कायम है. यह तय है कि संपत्ति, गर्भपात, तलाक, महिला आरक्षण व महिलाओं से जुड़े कानूनों का इस्तेमाल वही महिलाएं कर सकती हैं जो तार्किक और व्यावहारिक हैं, बाकी तो निर्जला रह कर चांद दिखने का इंतजार करती रहती हैं. आधी आबादी संवैधानिक आजादी का सपना भर देख रही है.
'फिल्म इंडस्ट्री एक बुक शौप की तरह है' - रामगोपाल वर्मा
'शिवा', 'सत्या', 'रंगीला', 'कंपनी' जैसी ट्रैंडसेटर फिल्में बनाने वाले रामगोपाल वर्मा फिल्म इंडस्ट्री में कई नामी निर्देशकों के गुरु रहे हैं. वे इस समय मार्शल आर्ट करती महिला केंद्रित फिल्म ले कर आए हैं.
सेहत के लिए विटामिन जरूरी क्यों?
सेहत के लिए विटामिंस की जरूरत होती है. हर विटामिन के अपने फायदे हैं. इन की कमी से शरीर को बीमारियां घेर लेती हैं. जानें शरीर के लिए विटामिन जरूरी क्यों हैं?
सोली ट्रेवलिंग मस्ती करें, महफूज भी रहें
घूमना एक कला है जो व्यक्तित्व को निखारता है और निडर बनाता है. देश में महिलाएं अब सोलो ट्रैवलिंग करने लगी हैं, जो साहस की बात है. बेहतर यह है कि कुछ बातें ऐसी ट्रिप पर जाने से पहले समझ लें ताकि आगे कोई दिक्कत खड़ी न हो.