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औब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर उलझनभरी समस्या
औब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर यानी ओसीडी ऐसी मनोवैज्ञानिक समस्या है जिस में व्यक्ति के दिमाग में बारबार ऐसे विचार आते हैं जो अनावश्यक हैं, पर उन विचारों के चलते वह तनाव में रहता है.
'द कश्मीर फाइल्स' पर विवाद
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स' पर विवाद जानबूझ कर खड़ा किया गया, स्वार्थ जो भी हो उस ने 2 समुदायों के बीच विभाजन के लिए सिनेमा को माध्यम चुना है. यह समाज के लिए घातक है.
हिजाब जरूरी या आजादी
कर्नाटक में मुसलिम छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने की जिद हजम नहीं होती. हिजाब महिला आजादी की पहचान नहीं हो सकता, बल्कि यह गुलामी को दर्शाता है. हिजाब विवाद की आग एक जिले से निकल कर पूरे राज्य में ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राज्यों तक पहुंच चुकी है.
रुसी बर्बर हमला पुतिन दुनिया का विलेन
व्लोदोमीर जेलेंस्की ने अद्भुत साहस और क्षमता का प्रदर्शन कर सारे विश्व को संदेश दे दिया है कि एक बहुत छोटा देश भी बड़े देश के सामने सिर झुकाने से इनकार कर सकता है. अमेरिका और यूरोप अभी आर्थिक शिकंजा ही कस रहे हैं पर उन से भी रूस गरीबी के गहरे गड्ढे में दशकों तक के लिए सिर्फ व्लादिमीर पुतिन की हठधर्मिता के कारण गिर जाएगा.
मदद बिना पैसे
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए वह एकदूसरे से अपने सुखदुख साझा कर तनावमुक्त महसूस करता है. दिलचस्प यह है कि इस में मदद लेने वाला तो खुशी महसूस करता ही है, पर जो मदद दे रहा है उसे भी आत्मसंतुष्टि का आभास होता है. जानें ऐसा क्यों?
बच्चों में दिल की बीमारी
देश में हर साल 17 लाख लोग हृदय संबंधी रोग के कारण मौत के मुंह में समा जाते हैं. इस में एक बड़ी संख्या छोटे बच्चों की भी है. विडंबना यह है कि सरकारी अस्पतालों की कमी और प्राइवेट अस्पतालों की ऊंची फीस ने इस बीमारी को बच्चों के लिए घातक बना दिया है.
फैसला हमारा है
प्रिया के मन को पहली ही मुलाकात में उस के बौस मल्होत्रा के आकर्षक व्यक्तित्व ने जीत लिया था, बावजूद इस के उन की उम्र और जाति में भारी अंतर था, पर उन का रिश्ता परवान चढ़ने के बाद भी क्या वे एकदूसरे के हो पाए, आखिर दिक्कत कहां आ रही थी?
प्रियंका का दांव महिलाओं पर
कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश विधानसभा में महिला कैंडिडेट्स को 40 प्रतिशत सीटें देना बड़े बदलाव वाला कदम है. ये महिलाएं जीतें या न, लेकिन देश की राजनीति में यह कदम महिला नेतृत्व को उभारेगा जरूर.
परदे
स्नेहा से चैटिंग का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर चलता ही गया. अजीब सा नशा आ गया था इस बातचीत में. मैं स्नेहा के बारे में दिन पर दिन उत्सुक होता जा रहा था. उस की एक झलक देखने की कशिश ने मुझे उस के सामने खड़ा कर दिया, पर चाह कर भी क्यों मैं उस के सामने न आ सका?
नशे का कारोबार युवाओं की चिंता
अब युवाओं की नसों में खून की जगह ड्रग्स दौड़ रहा है. पहले केवल शहरों में फलफूल रहे ड्रग्स के धंधे ने अब गांवदेहातों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. चिंताजनक यह भी है कि इस गैरकानूनी व जानलेवा कृत्य में युवाओं की भारीभरकम लिप्तता है.
दलबदल तो पौराणिक है
जब लालच में या डर में नेता दूसरी पार्टी में खिसक लेते हैं, तो यह आज की दलबदल राजनीति नहीं, बल्कि पौराणिक संस्कृति है जिस पर हम फूले नहीं समाते.
“काम को जिंदगी का हिस्सा बनाएं" अहम शर्मा
बिहार की ग्रामीण पृष्ठभूमि से मुंबई की चमकधमक में कदम रखने वाले अहम शर्मा को शुरू में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने टीवी इंडस्ट्री के साथ फिल्म इंडस्ट्री में धीरेधीरे ही सही अपने पैर जमा लिए हैं.
हिंदी क्षेत्र में साउथ सिनेमा के जमते पैर
मुंबई के कट्टरपंथी और पुरातनी सिनेमा निर्माता तो सामाजिक चुनौतियों को लेने को तैयार नहीं हैं पर डबिंग के सहारे दक्षिण के निर्माता पिछड़ों व दलितों के इर्दगिर्द बनने वाली फिल्मों को 1970 के दशक के बाद एक बार फिर हिंदी परदे पर ला रहे हैं.
सांभरवड़ा की यूट्यूब विधि
'अच्छे दिन' तो बस एक मुहावरा ही है, जो सुनने में तो अच्छा लगता पर अच्छे दिन कभी आते नहीं. श्रीमतीजी का सांभरवड़ा बना कर खिलाने का अच्छे दिन का वादा प्रधानमंत्री के जैसा ही रहा.
पैसा ही शक्ति है
सफलता के लिए पैसे बहुत जरूरी हैं. आप की सोच और क्रिएटिविटी उस के बिना बेकार है. पैसे को भक्ति के चक्कर में बरबाद हरगिज न करें.
पंच प्यारे बनेंगे सियासी शतरंज के नए सितारे?
मौजूदा राजनीति अब एक नए मोड़ पर खड़ी है जहां सारी लड़ाई भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की है. विपक्ष को भी अब समझ आ गया है कि भाजपा को हराने के लिए उसे आपस में तालमेल बैठाना ही पड़ेगा ठीक उसी तरह जैसे अतीत में कांग्रेस के खिलाफ गैरकांग्रेसी पार्टियों ने बैठाया था.
धर्म का टैक्स डर का हथियार
डर एक सामान्य मनोभाव है जिस के धर्म की गिरफ्त में जाते ही उस का व्यवसाय शुरू हो गया. लोगों को तरहतरह के धार्मिक डर दिखा कर उन से पैसा झटका जाता है. जब युग तर्क, तथ्य और तकनीक का हो तो धर्म के नाम पर पैदा किया गया डर एक बड़ी रुकावट भी है और जेबों पर भारी डाका भी.
दूसरी औरत के सुबूत पति से छूट जाते हैं करतूतों के संकेत
पतिपत्नी के बीच किसी तीसरी की एंट्री शादीशुदा जीवन में खलल डालती है. ऐसे में सुखशांति को बनाए रखने के लिए पत्नी को उस तीसरी का पता लगाना चाहिए. पत्नियां जानें पति में उन बदलावों को जिन से तीसरे का पता लगाया जा सके.
तुम देना साथ मेरा
कहते हैं कि प्यार अगर असल है तो किसी भी परिस्थिति में कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता ही है. नैनीताल में हुए जानलेवा हादसे में अजय ने अपनी टांगें भले गंवा दीं पर नेहा का प्यार कम होने की जगह नए रूप में बढ़ता हुआ सामने आया, पर एक दिन...
टौक्सिक मैरिज अच्छी या डाइवोर्ड पैरेंट्स
टौक्सिक मैरिज को आप सिर्फ अपने बच्चे की खुशी व उस के आने वाले जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए निभा रहे हैं तो आप को इस पर विचार करना चाहिए.
अल्जाइमर्स मरीज दवा भी और अपनों का साथ भी
आमतौर पर अल्जाइमर्स यानी भूलने की बीमारी बुजुर्गों को होती है, पर अब युवाओं में भी इस के मामले आने लगे हैं. इस बीमारी में दवा के साथसाथ मरीज के साथ उचित व्यवहार बरतने की जरूरत होती है.
अमीर आसमान में गरीब दलदल में
इंसान की यदि एक उंगली टांग बराबर हो और दूसरी नाखून बराबर तो कैसा लगेगा? जाहिर है इसे विकृति से जोड़ा जाएगा. सच मानो इस समय देश आर्थिक गैरबराबरी वाली इसी विकृति से ग्रसित है. यहां किसी के पास खाने को रोटी नहीं तो किसी दूसरे का उस की रोटी पर कब्जा है.
“निजी समीकरण के आधार पर फिल्में व सीरियल बन रहे हैं"- देवेंद्र खंडेलवाल
देवेंद्र खंडेलवाल मल्टीटैलेंटेड पर्सनैलिटी हैं. वे अभिनेता, लेखक, निर्माता व निर्देशक रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में 550 से अधिक डौक्यूमैंट्री और ऐड फिल्में बनाई हैं, जिन के लिए 'लिम्का बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड' में उन का नाम दर्ज है.
अधिकार
लक्षिता ने लजीज खाना बनाया, पर उस खाने की तारीफ न किया जाना उस के अहम को चोट पहुंचा गया. लक्षिता नाराज हो कर मायके आ गई. सच जानने के बाद उस के मम्मीपापा ने जो काउंसलिंग की, क्या उस से उसे एहसास हुआ कि उस ने कुछ गलत किया है? क्या लक्षिता को अपराधबोध हुआ? क्या वह अपने पति लव्य के पास लौटी?
उस की डायरी
12 साल बाद शिशिर जब विदेश से घर लौटा तो उसे अपनी पहली पत्नी नेत्रा की पर्सनल डायरी मिली. वही नेत्रा, जिसे उस ने गंवारू और चरित्रहीन कह कर तलाक दिया था. आखिर उस डायरी में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़ कर उस के पैरोंतले जमीन खिसक गई?
वास्तु तर्क पर भारी पड़ता वहम
देश में आज भी ऐसे लोग हैं जो अजीबोगरीब अंधविश्वासों से घिरे हुए हैं. गरीब टोनाटोटका से घिरे रहते हैं तो पौश वास्तुदोष में फंसे रहते हैं. अधिक दिक्कत इन्हीं शिक्षित पौश लोगों से है जो पढ़लिख कर भी अंधविश्वासों को अपना रहे हैं.
'इनसाइड ऐज' क्रिकेट के मैदान पर जातिवाद के सुलगते सवाल
मैदान से होते हुए क्रिकेट की अंदरूनी हकीकतों से रूबरू कराती 'इनसाइड ऐज' जातिवाद के ऐसे सवालों को उठाती है जो बहुतकुछ सोचने पर मजबूर करते हैं.
पैरेंट्स से दूरी नहीं बढ़ाएं नजदीकियां
पेरेंट्स अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहते, सभी अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनते देखना चाहते हैं. हो सकता है समझनेसमझाने के तरीकों में अंतर हो, पर सभी मातापिता बच्चे की खुशी चाहते हैं. अब तय यह करना है कि पेरेंट्स से बढ़ रही दूरी को नजदीकियों में कैसे तबदील करें.
गृहयुद्ध के मुहाने पर कजाखिस्तान
कजाखिस्तान में जारी हिंसा के पीछे वजहें गहरी हैं. इस के पीछे तख्तापलट की कोशिशें, उस के तेल भंडारों पर रूस व चीन की गिद्ध नजरें और कब्जे की बढ़ती आकांक्षा जिम्मेदार हैं.
मोक्ष के लिए आत्महत्या और हत्याएं
मोक्ष का जिक्र हर धर्म में है. यह इसलिए ताकि मेहनत का फल मांगने वालों को उन के मेहनताने से दूर किया जा सके व उन्हें पंडेपुजारियों द्वारा समझाया जा सके कि असल फल या मुक्ति तो मोक्ष मिलने पर है. आज भी इस काल्पनिक मोक्ष के चक्कर में कई परिवार उजड़ रहे हैं.