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न्यायपालिका में आरक्षण और धार्मिक दमन से दबती आधी दुनिया
महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण से ज्यादा जरूरत धार्मिक जकड़न से आजादी की है. धार्मिक भेदभाव ने उन्हें शुरू से पीछे रखा है. जब महिलाएं इस से बाहर आने से लगती हैं तो उन्हें कोई नया कर्मकांडी टोटका पकड़ा दिया जाता है जिस की मंशा उन्हें दबाए रखने की होती है.
सपनों का आशियाना रेडी टू मूव बेहतर विकल्प
अब घर लेना हुआ पहले से आसान. घर या फ्लैट लेते समय बायर्स को चिंता रहती है कि कहीं पैसे फंस न जाएं या कोई प्रौब्लम न हो जाए, पर इन चिंताओं को दूर करने के लिए 'रेडी टू मूव' एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आया है.
प्रेमकथा एक जैन मुनि की
धर्म का नशा जब साधकों पर चढ़ता है तो उन्हें लगता है कि वे सीधे ईश्वर की छत्रछाया में हैं और जैसे ही यह नशा उतरता है तो सांसारिक जीवन बहुत दूर हो जाता है. धर्म के रास्ते में एग्जिट के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है. यही संघर्ष जैन मुनि सुद्धांत और साध्वी प्रज्ञा को करना पड़ा, इन्हें प्रेम करने की सजा मिली.
कैसी बीवी चाहिए सुंदर या गुणवान
हर कोई चाहता है कि उस की जीवनसंगिनी बला की खूबसूरत हो. जब युवक शादी के लिए लड़की देखने जाता है तब उस की 'हां' खूबसूरती पर आ कर टिकती है, हालांकि, जरूरी नहीं कि हर सुंदर लड़की गुणवान भी हो.
राजनीति में युवा न दिशा न सोच
आज के युवा नेता शौर्टकट से सफलता पाना चाहते हैं. देश और समाज को ले कर उन की स्पष्ट सोच नहीं है. ये नेता देश के भविष्य के बेहतर होने की जगह अपना लाभ देखते हैं. इस वजह से देश और समाज को युवाशक्ति का लाभ नहीं मिल पा रहा.
50 साल आगे की दुनिया देखने वाले एलन मस्क
'खुद में वह बदलाव लाइए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं,' यह बात कभी महात्मा गांधी ने कही थी और उन के इस वाक्य को किसी ने हकीकत में बदला है तो वे हैं एलन मस्क. एक ऐसा आदमी जो भविष्य में झांकता है और उसे कंट्रोल करना जानता है. जिस की सोच हमेशा इंसानों की परेशानियां दूर करने पर ही केंद्रित रही और इसीलिए दुनिया उसे 'जीनियस बिजनेसमैन' के नाम से पुकारती है.
शिवराज सिंह चौहान मोदी का भय कुरसी से प्यार
सत्ता पाने के बाद उसे जनताजनार्दन का आशीर्वाद बताने वाले शिवराज सिंह चौहान अचानक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को नरेंद्र मोदी की कृपा समझने लगे हैं. वे इतने डरे हुए हैं कि जनता की छोड़ अपनी फिक्र करने लगे हैं. उन का अधिकांश वक्त मोदी की तारीफ में जाया हो रहा है.
हिंदी चैनलों की भक्ति गायब जन मुद्दे
सरकार को चारों तरफ से घेरने की अग्र जिम्मेदारी जिन मीडिया चैनलों पर थी, वे पहरेदार बन उस का बचाव करने में जुटे हैं. टीवी न्यूज चैनलों द्वारा किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, महंगाई जैसी दिक्कतों को छिपाने के भरसक प्रयास और गैरजरूरी मुद्दे उठाए जाना एक सोचेसमझे षड्यंत्र का हिस्सा है. अधिकांश चैनलों द्वारा असल मुद्दों को धूल की तरह कारपेट के नीचे छिपाया जा रहा है.
मौत के मुआवजे की घिनौनी प्रथा मौताणा
'मौताणा' राजस्थान के आदिवासी समुदाय के बीच प्रचलित प्रथा है जो अब वसूली करने की कुप्रथा बन कर रह गई है. कुछ वर्षों से देखने में आया है कि यह प्रथा अब जबरन वसूली का तंत्र बन गई है.
हमेशा से अपने होने का अर्थ ढूंढती रही नारी
भारत की नारियों ने हमेशा अपने होने का अर्थ ढूंढ़ना चाहा है, पर इस पुरुष समाज ने उसे अपनी इच्छाओं के नीचे दबा कर रखा. आखिर एक नारी भी अपने मन में सपने संजोती है, उन्हें पूरा करना चाहती है, किसी का हक नहीं बनता कि उस के सपनों को दबाए.
पौराणिक काल से चले आ रहे मंदिर,मठ और आश्रम में झगड़े
नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामला कोई नया मामला नहीं है. मंदिर, मठ और आश्रम के झगड़े काफी पहले से चलते आ रहे हैं. बदलाव यह आया है कि पहले ये झगड़े पद श्रेष्ठता के चलते होते थे, अब इन मठों में दानस्वरूप अथाह संपत्ति और धनवर्षा होने से इन का रूप दानपात्र पर नियंत्रण पाने का हो गया है.
परफोर्मेंस बढ़िया पर जयललिता के साथ अधूरा न्याय
यह फिल्म नएनए युवा हुए दर्शकों, जिन्हें 70-80 के दशक की ज्यादा जानकारी नहीं है, को देखनी ,चाहिए, अच्छी लगेगी.
कैप्टन हुए आउट चन्नी नए कप्तान
अपमान का बोझ लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब इस्तीफा देने गवर्नर हाउस पहुंचे तो उस वक्त उन के साथ पत्नी परनीत कौर भी मौजूद थीं. राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुल कर कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की.
अब सोनू सूद पर आयकर विभाग की रेड
ऐसा पहली बार नहीं है कि सत्ता को उस की खामियों का एहसास कराने वाले किसी व्यक्ति को जांच एजेंसियों के उत्पीड़न से गुजरना पड़ा हो. हर्ष मंदर, यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास बीवी, सिद्दीक कप्पन जैसे बहुतेरे नाम हैं.
भिक्षावृत्ति महानवृत्ति
कहने को यह देश युवाओं का है, यहां 65 प्रतिशत युवा रहते हैं पर असल में यह बूढ़ों और भिखारियों की संस्कृति का देश बन चुका है. यहां जवानी पैदा नहीं होती, बल्कि जवान होने से पहले ही युवाओं को बूढ़ा कर दिया जाता है. ऐसे में फिर कैसे महान बना जा सकता है?
"एलजीबीटी समुदाय का इंसान भी हमारे जैसा ही है" -फराज अंसारी
सिनेमा में फराज अंसारी एलजीबीटीक्यू समुदाय के चित्रण को ले कर विशेष समझ रखते हैं. उन का मानना है कि एक 'गे' फिल्मकार ही सिनेमा में 'गे' किरदार को असल न्याय दे सकता है. इसीलिए समाज की समलैंगिकता, स्त्री व मुसलिम विरोधी प्रकृति को उजागर करने के मकसद से वे फिल्म 'शीर कोरमा' ले कर आए हैं.
राष्ट्रीय संपत्तियों की सेल का बाजार
निजीकरण के दौर में सबकुछ खोता जा रहा है. बढ़ते प्राइवेटाइजेशन में लोगों को अधिकार देना तो दूर, सरकार को उन के हितों के बारे में सोचने तक की फुरसत नहीं है. वह सिर्फ निजी हाथों को मजबूत करने में लगी हुई है. निजी व्यवस्था में पूंजीपति कमा रहे हैं और जनता भूखी मर रही है.
महाशक्ति की महा हार
अफगानिस्तान ने अमेरिकी फौज को बाहर का रास्ता दिखाया है, उस ने अमेरिका के ढहते प्रभुत्व को दुनिया के सामने उजागर कर दिया है. दुनियाभर में यह संदेश भी गया कि अमेरिका ऐसा देश है जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता और वह दुनिया का पुलिसमैन नहीं रह गया है. यह हार लड़ाकू तालिबानियों के दम के चलते ही नहीं हुई बल्कि अंदर से खोखले होते अमेरिका के कारण भी हुई है.
युद्ध में औरतें होती हैं जीत का पुरस्कार
इतिहास गवाह है, किसी भी युद्ध में धरती के बाद यदि किसी को पैरोंतले रौंदा जाता है तो वे औरतें होती हैं. चाहे कब्जा किसी का हो, औरतें हमेशा बर्बर युद्धवीरों के लिए जीत का इनाम होती हैं. औरतें न सिर्फ हवस पिपासा के लिए न शिकार बनाई जाती हैं, बल्कि उन की देह पर कब्जे को जीत के शंखनाद के रूप में समझा जाता है, तभी तो अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा महिलाओं को डरा रहा है.
भूस्खलन का दंश झेलते पर्वतीय क्षेत्र
कोई भी शर्त एकतरफा लागू नहीं हो सकती, शर्त ऐसी हो कि जिस पर दोनों की सहमति हो. पर मानव ने प्रकृति पर लंबे समय से एकतरफा दोहन की शर्त रखी है जिसे वह अब भुगत रहा है.
जातीय जनगणना क्या एकजुट होंगे पिछड़े
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को लगता है कि जातीय जनगणना से पिछड़ी जातियों का वोटबैंक मजबूत दिखेगा, जिस से उन को लाभ होगा. जातीय जनगणना के सहारे वे भाजपा के जनसंख्या कानून मुद्दे को भी पीछे धकेलना चाहते हैं.
नीतीश कुमार पीएम मैटीरियल या पलटीमार
बिहार की राजनीति के क्या ही कहने, यहां कब कौन सियासी दांव खेल जाए, कहा नहीं जा सकता. इन दिनों नजरें फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिक गई हैं, उन का बदलाबदला मिजाज फिर खटकने लगा है. बहस है उन के पीएम मैटीरियल या पलटीमार मैटीरियल होने की.
पुनर्विवाह में झिझक सही नहीं
हर व्यक्ति को उम्र के हर पड़ाव में साथी की जरूरत जरूर पड़ती है चाहे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए या शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए. इंसान सामाजिक प्राणी है तो समाज से अलग कट कर नहीं रह सकता. जीवनसाथी की जरूरत भी सामाजिक जरूरत के दायरे से अलग नहीं है.
अमूल्य है गाय तो फिर दान क्यों?
इन दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट सुखियो में है. इस की वजह गौकशी से जुड़े मामले में गायों को ले कर उस की टिप्पणी है. कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही व गाय को एकमात्र पशु बताया जो औक्सीजन लेती व छोड़ती है. 12 पन्ने के कोर्ट के आदेश में गायों से जुड़ी ऐसी कई बाते हैं जिन्हें मौडर्न साइंस मान्यता नहीं देती है.
लाठीडडे नहीं समाधान मांगता है युवा
आज युवा रोजगार मांग रहे हैं तो उन्हें यहांवहां की अनर्गल घुट्टी पिलाई जा रही है. सरकार के पास भटकाने के रास्ते हैं, समाधान के नहीं. मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने नौकरी मांग रहे बेरोजगार युवाओं पर लाठीडंडे चला कर यह साबित कर दिया है कि वह इन मुद्दों पर संवेदनशील नहीं है.
क्यों आते हैं कम उम्र में हार्टअटैक
महज 40 की उम्र में ऐक्टर सिद्धार्थ शुक्ला इस दुनिया को अलविदा कह गए. उन की मौत हार्टअटैक से हुई. युवावस्था में हार्टअटैक आना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. आइए जानें क्यों और क्या हैं इस के बचाव.
जल्दीजल्दी खाने की आदत पैदा कर सकती है मुसीबत
आज की दौड़भाग भरी जिंदगी में खाना तो नसीब है लेकिन उसे चबाना नहीं. हर कोई जल्दीजल्दी खा लेना चाहता है. लेकिन ध्यान रहे, यह आदत भविष्य में मुसीबत बन सकती है.
तेरा यार हूं मैं
अनुशासन के नाम पर बच्चों पर अत्यधिक नियंत्रण उलटा साबित हो सकता है. यदि आप चाहते हैं कि आप के बच्चे आप से खुल कर घुलेंमिलें तो अभिभावक से एक कदम आगे बढ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.
जमीन में हिस्सेदारी विधवाओं की जान पर भारी
जो समाज महिलाओं की ऊंची आवाज बरदाश्त नहीं कर सकता, क्या वह किसी विधवा महिला की जमीन में हिस्सेदारी बरदाश्त कर सकता है...
जनसंख्या नियंत्रण नहीं प्रबंधन है जरुरत
यह बात तो हर कोई समझता है कि कानून से जनसंख्या नियंत्रित नहीं हो सकती लेकिन यह कम ही लोग समझ रहे हैं कि इस कानून के बहाने साजिश बैडरूम में झांकने और आप के सहवास तक पर पहरे की है. बढ़ती आबादी कोई समस्या नहीं है, समस्या है बेवजह के बेतुके कानून.