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हैंड सैनिटाइजर खरीदने से पहले जान लें
सैनिटाइजर में अल्कोहल होने से वह हाथों की त्वचा से वायरस को घेरने वाले एन्वेलप प्रोटीन को नष्ट करता है. जिन सैनिटाइजरों में अल्कोहल की मात्रा 60 फीसदी से कम होती है वे वायरस नष्ट करने में कम प्रभावी होते हैं अथवा अप्रभावी होते हैं.
बिगड़ती अर्थव्यवस्था का जिम्मेदार कौन कोरोना या सरकार की नीतियां
देश की अर्थव्यवस्था इस समय नाजुक दौर से गुजर रही है. लोगों के पास खर्च करने को पैसा नहीं है जबकि महंगाई चरम पर है. सरकार इस स्थिति का जिम्मेदार कोरोना को बता रही है. लेकिन क्या सिर्फ कोरोना ही जिम्मेदार है?
बच्चों की इम्यूनिटी को बढ़ाएं ऐसे
छोटे बच्चों में इम्यूनिटी कम होने के चलते अधिक इन्फैक्शन होने का खतरा बना रहता है. इस कारण आजकल पेरेंट्स के सामने सब से बड़ा प्रश्न बच्चों की हैल्दी डाइट को ले कर रहता है. सो यहां जानते हैं कि बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं.
धर्म बेचता ओटीटी
हिंदी के ओटीटी प्लेटफौर्स पर अब धर्म और सैक्स का कारोबार फलफूल रहा है. युवाओं का ब्रेनवाश करने के लिए धर्म को सैक्स की चाशनी में डुबो कर बेचा जा रहा है. जीवन व देश के मुद्दों की बातें गायब हैं. वही हो रहा है जो सरकार व धर्म के ठेकेदार चाहते हैं. कभीकभार थोड़ा सच कोई परोस भी देता है तो धर्म के धंधेबाज व अंधभक्त इतना हल्ला मचाते हैं कि देश, धर्म तथा संस्कृति सब खतरे में पड़ते नजर आने लगते हैं. पेश है इस गोरखधंधे पर खास रिपोर्ट.
धर्म के शब्दजाल में उलझते लोग
जो मिल जाए उस से संतुष्ट हो लो और जो न मिले उस के प्रति असंतुष्टि मत जताओ यानी स्थितप्रज्ञ हो जाओ.भगवान की तरह सरकार से सवाल मत करो और न ही असहमति प्रकट करो, इसी में सार है. क्या ऐसा हो सकता में खुश और दुख में व्यथित न हो? है कि कोई सुख
आप के पीछे नौकरी भागे
सरकारी नौकरी का आकर्षण पहले भी था और आज भी पढ़ेलिखे नौजवान सरकारी नौकरी के पीछे जीतोड़ मेहनत करते हैं लेकिन अकसर निराशा हाथ लगती है. ऐसे में स्वरोजगार और प्राइवेट जौब के औप्शन बेहतर कह सकते हैं.
कांग्रेस से डरी हुई डबल इंजन सरकार
कांग्रेस पार्टी का सब से खराब समय होने के बावजूद भाजपा को आज भी उस की आहट डरा रही है. मोदी और शाह अपनी सरकार के कार्यकाल की रीतिनीति और उपलब्धियों का बखान करने की जगह कांग्रेस के 70 साल का अपना पुराना राग आलाप रहे हैं. इस डर के पीछे आखिर वजह क्या है?
"जंगल और जंगली जानवरों को नाश कर विकास किया जाना ठीक नहीं" श्रिया पिलगांवकर
'मिर्जापुर' सीरियल में स्वीटी के किरदार को कौन नहीं जानता.मस्तमौला, बिंदास, बेधड़क. अपनी अलग ही फैनबेस बना कर स्वीटी का किरदार निभाने वाली श्रिया पिलगांवकर अब फिल्म 'हाथी मेरे साथी' में क्या अलग कर रही हैं, जानते हैं.
अब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हुए भगवा
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. यह महज संयोग है, प्रयोग है या एक प्रकार का लालच. जो भी है, हकीकत यह है कि जो कलाकार, फिल्मकार भाजपा सरकार की विचारधारा के पक्ष में हैं, उन का चयन तो होगा ही.
महाराष्ट्र ड्रामे का अर्धसत्य
राजनीतिक संरक्षण में फलताफूलता पुलिसिया भ्रष्टाचार कभी किसी सुबूत का मुहताज नहीं रहा.इस के लिए किसी एक दल या नेता को ही गुनाहगार नहीं ठहराया जा सकता. असल जिम्मेदार तो वह सिस्टम है जिसे लोग अकसर कोसा करते हैं. महाराष्ट्र का ड्रामा इस का अपवाद नहीं, जिस पर मुद्दे की बात कम राजनीति ज्यादा हुई.
तीरथ सिंह बने मुख्यमंत्री 'अपना पत्ता' किया फिट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को हटा कर भाजपा ने अपने नेताओं को संदेश देने का काम किया है कि हर विद्रोह को दबाया जाएगा. कांग्रेस की तरह अब भाजपा में भी विद्रोही स्वरों को दबाने के लिए पार्टी नेताओं पर हाईकमान के फैसले थोपे जाने की शुरुआत हो गई है.
डिजिटल मीडिया पर कसती नकेल
देश में तमाम डिजिटल प्लेटफौर्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को ले कर सरकार द्वारा 30 पृष्ठों के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इन दिशानिर्देशों के जारी किए जाने के बाद सरकार की मंशा पर कई सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. इसे व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता पर चोट भी समझा जा रहा है. ऐसा क्यों और सरकार को ये दिशानिर्देश क्यों जारी करने पड़े, जानें इस खास रिपोर्ट में.
5 राज्य चुनाव - राम, वाम या काम
5 राज्यों के विधानसभा चुनावों का रोमांच चरम पर है. भाजपा धार्मिक शोरशराबे के जरिए चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश कर रही है जो पश्चिम बंगाल में सिमट कर रह गया है, जहां लड़ाई ममता बनाम मोदी की हो कर रह गई है. बाकी राज्यों मे क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. कांग्रेस अपने मुनाफे के लिए जोड़तोड़ में लगी है. देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसे चुनता है.
चटकदार महंगाई से होली का रंग फीका
महंगाई, बेरोजगारी व तालाबंदी के चलते होली का बाजार ठिटका सा है. कोविड अभी भी लोगों को डरा रहा है, तालाबंदी का भूत फिर से भयभीत कर रहा है. ऐसे में होली का रंग फीका है और बाजार की रौनक गायब है. खरीदारी की कमी से दुकानदार माल लाने से कतरा रहे हैं. जो माल बाजार में है उस के दाम बढ़े हुए हैं जो जेब पर भारी पड़ रहे हैं.
लेडीज टौयलेट की कमी क्यों?
हमारा समाज बाजार को मर्दो की जगह मानता आया है. यह सोच औरतों को हमेशा चारदीवारी के अंदर समेटने की रही है. बदलते समय के साथ औरतों ने बाजारों में जाना शुरू तो कर दिया है किंतु पब्लिक प्लेसेज में महिला शौचालयों की भारी कमी के चलते उन को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.
पश्चिम बंगाल विभीषण के रोल में शुभेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के रण में तृणमूल कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकने की चाहत में भारतीय जनता पार्टी अपना पूरा जोर लगाए हुए है. उस की इस मुहिम में बड़े मददगार साबित हो रहे हैं तृणमूल छोड़ कर भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला ससुराल से मिली संपत्ति पर मायके वालों का भी हक
संपत्ति उत्तराधिकार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए हिंदू महिला के मायके पक्ष को उस के परिवार का हिस्सा कहा और उस की संपत्ति पर उन का हक कायम किया है.
पंजाब चुनाव अब शहरी भी नाराज
पंजाब की राजनीति आमतौर पर राष्ट्रीय राजनीति से मेल नहीं खाती और न ही किसी लहर या आंधी से प्रभावित होती है. वजह साफ है कि वहां का वोटर हिंदुत्व मुद्दों पर वोट नहीं करता. हालिया निकाय चुनाव में भी यही हुआ. पढ़िए इस खास रिपोर्ट में : .
इंटरनैट शटडाउन विरोधों को रोकने का जरिया
लगातार हर साल यह ट्रेंड देखने में आ रहा है कि मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध को देख सरकार द्वारा इंटरनैट शटडाउन को अधिकाधिक इस्तेमाल किया जा रहा है. खुद आंकड़े गवाही देते हैं.
मंदिरमूर्तियों से नहीं रोजगार से होगा विकास
जनता को लोकलुभावन वादों से भरमाने वाली तमाम सरकारें यदि करोड़ोअरबों रुपयों से मूर्तियां व स्मारक बनाने के बजाय देश में कारखाने और फैक्ट्रियां खोलतीं तो देश के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिल जाता. आज देश की जनता को स्मारकों की नहीं, अच्छे स्कूल, कालेज और अस्पतालों की जरूरत है.
सरकारी नीतियों से बदतर होती फिल्म इंडस्ट्री
फिल्म इंडस्ट्री को उद्योग का दर्जा मिलने के साथसाथ बौलीवुड पर राजनीतिक शिकंजा कसना शुरू हुआ और बौलीवुड जाति, धर्म, ऊंचनीच व राजनीतिक सोच के अनुसार कई खेमों में बंटता चला गया. मौजूदा समय में अतिराजनीतिक घुसपैठ के चलते फिल्म इंडस्ट्री यानी बौलीवुड के भीतर जंगलराज पनपता जा रहा है.
वृद्ध अपनी संपत्ति बेटों से बचाएं
वो कहते हैं न, 'न बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया.' यह शतप्रतिशत सच है. संपत्ति वह चीज है जो रिश्तों में अच्छेअच्छों का असल चेहरा सामने ला कर रख देती है. वे वृद्ध मातापिता जिन का सहारा ही उन की संपत्ति होती है, वही कष्ट का कारण बन जाती है.
लव जिहाद कानून में आर्य समाज की शुद्धि गैरकानूनी
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी लव जिहाद कानून वजूद में आया है. इस के आने के बाद युवाओं में दहशत फैल गई है. उन की प्रेम करने की आजादी पर पहरा लग गया है जिस में खुला समर्थन उन के अभिभावकों का भी शामिल है. मसलन, इस नए कानून में शुद्धिकरण पर प्रतिबंध आरएसएस का मंसूबा दिखाता है.
दूसरी शादी से डर क्यों
भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण के मुताबिक देश में विधवा, अपने पति से अलग रह रहीं और तलाकशुदा महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है. आयु के तमाम वर्गों में ऐसी महिलाओं की अधिक संख्या यह इशारा करती है कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं दूसरी शादी कम कर रही हैं.
जो बोलेगा राजद्रोह झेलेगा
आम और खास लोगों के मुंह बंद करने के लिए सरकार जिस तेजी से राजद्रोह कानून को हथियार बना रही है उसे देख कर लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है. सरकार नहीं चाहती कि कोई मौजूदा हालात पर सोचे और बोले, उस ने बगैर आपातकाल लगाए उस से भी ज्यादा कहर ढाना शुरू कर दिया है. इस के पीछे एक छिपा एजेंडा है कि औरतें, पिछड़े, शूद्र, युवा भी अपना मुंह बंद रखें और पौराणिकवाद को सिर नवा कर मानते रहें.
किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी की नई गालियां
नरेंद्र मोदी समर्थकों ने किसान आंदोलन को बदनाम व खत्म करने के लिए आंदोलनरत किसानों को खालिस्तान, चीन, पाकिस्तान समर्थक और न जाने क्याक्या कहा. संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने तो अब आंदोलन का उपहास उड़ाते उन किसानों पर 'आंदोलनजीवी' और 'परजीवी' जैसे शब्दों से हमला कर दिया है.
मध्यवर्ग के लिए निवेश के अवसर
मध्यवर्ग के लोग अपनी सीमित आय तथा अधिक खर्च के कारण थोड़ी बचत ही कर पाते हैं. ऐसे में यह आवश्यक है कि वे अपनी बचत राशि को सुनियोजित तथा सुरक्षित तरीके से निवेश करें जो वृद्धावस्था में किसी आपातकाल की स्थिति में अथवा किसी और जरूरत के समय उन के काम आ सके. बेहतर तरीके से निवेश के लिए बेहतर प्लानिंग जरूरी होती है.
अंधविश्वास का वीभत्स रूप
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में घटी अंधविश्वास की घटना ने साबित किया कि धार्मिक पाखंडों पर कौपीराइट सिर्फ गरीब, दलित या आदिवासी का ही नहीं है बल्कि इस मामले में पढ़ालिखा सभ्य समाज भी पूरी तरह जकड़ा हुआ है. फर्क बस, झोंपड़े और बंगले का है, भीतरखाने कर्मकांड में कोई फर्क नहीं.
एक अंधे को बौक्सिग सिखाने और उस पर फिल्म बनाने की चुनौती -अली: द ब्लाइंड बौक्सर
कोलकाता में जन्मे बिजौय बनर्जी 'अली : द ब्लाइंड बौक्सर' से काफी चर्चा में हैं. इस फिल्म ने कई अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड जीत लिए हैं. आखिर क्या खास है इस फिल्म में.
समाजसेवा और नेतागीरी भी है जरूरी
आज देश में ऐसा माहौल बन गया है कि समाजसेवी और नेता का नाम सुनते ही लोग सब से पहले यह सोचते हैं कि वह जरूर अपने फायदे के लिए लोगों की सेवा कर रहा है या उन के काम बनवा रहा है, पर आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो निस्वार्थ दूसरों की सेवा करते हैं और समाजसेवा जैसे काम को आगे बढ़ा रहे हैं.