CATEGORIES
Categories
कश्मीर में बंदिशभरा माहौल
संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म हो जाने के बाद भी कश्मीर के हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है. यह कहा गया था कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद विकास की गति बढ़ जाएगी. पर एक साल के बाद भी एक कदम नहीं बढ़ पाए हैं.
पर्यटन से बदलेगी झारखंड की तसवीर
टूरिज्म से न सिर्फ सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है, बल्कि, इस से लोगों को रोजगार भी मिलता है. इस परिप्रेक्ष्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार की दूरगामी योजना काफी उम्मीद जगाती है.
कुंडली मिलान
समाज को बांटे रखने का बड़ा हथियार
करें खुद को मोटिवेट
जीवन में कुछ हासिल करना है या आगे बढ़ना है तो खुद पर भरोसा होना जरूरी है. आज प्रतियोगिता इतनी बढ़ गई है कि कई बार व्यक्ति को हताशा का सामना करना पड़ जाता है. कई बार खुद की हार से आत्महत्या करने जैसा खयाल भी आ जाता है. ऐसे में जब तक खुद को मोटिवेट न किया जाए तो चीजें सामान्य नहीं हो पातीं.
एशिया का नया आर्थिक टाइगर बंगलादेश
छोटे व बेहद गरीब कहे व माने जाने वाले बंगलादेश ने 10-15 सालों में अपने से बड़े अपने ही हिस्से पाकिस्तान को ही नहीं, दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र भारत को भी कई मामलों में पीछे कर दिया है. उस ने ऐसी सफलता कैसे हासिल की, जानने के लिए पढ़िए यह खास लेख.
"रिऐलिटी शो में पैसे बहुत अच्छे मिलते हैं" डेलनाज ईरानी
'कल हो ना हो' फिल्म में चुलबुली और हंसमुख स्वीटू का किरदार डेलनाज पर ऐसा जमा कि लंबे समय तक दर्शक उन की क्यूटनेस के कायल हो गए और उन्हें महिला कौमेडियन कलाकार के रूप में पहचान मिली. अपनी भूमिका को संजीदगी से जीने वाली डेलनाज ईरानी ने ऐक्टिग के हर क्षेत्र में काम किया है.
महिलाओं के परिधानों में पौकेट अ आर्थिक मजबूती का परिचायक
कमाऊ युवतियां आज ऐसे कपड़ों को तलाशती हैं जिन में पौकेट्स हों, ताकि छोटेमोटे सामान को हाथ में कैरी करने की जगह पौकेट में रखा जा सके. यह दिखाता है महिलाएं आर्थिकतौर पर खुद को नियंत्रित करने की तरफ आगे बढ़ रही हैं.
अंतर्भाषीय विवाह प्रोत्साहन का मुहताज
मौजूदा दौर में अपनी ही भाषा, जाति व धर्म में जो अरेंज्ड शादियां हो रही हैं उन में कलह, विवाद और पतिपत्नी के बीच घुटन ज्यादा है. ऐसी शादियों का मकसद वंशवृद्धि और परंपराओं को बनाए रखना होता है. ऐसे में इस लीक से हट कर अंतर्भाषीय विवाह इन कुरीतियों को तोड़ रहा है लेकिन अपने प्रेम को हासिल करने के संघर्ष में प्रेमी जोड़ों को कट्टर के समाज के एजेंटों की दुत्कारों का सामना करना पड़ता है.
स्वस्थ खानपान से मीनोपौज के बाद हार्टअटैक से बचें
मीनोपौज के बाद हर 3 वयस्क महिलाओं में से एक किसी न किसी प्रकार की कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से पीड़ित होती है. ऐसा पाया गया है कि 50 साल की आयु के बाद हृदय संबंधी बीमारियां महिलाओं की मौत की मुख्य वजह होती हैं
अबला कहो या सबला समाज नहीं बदला
समाज में बदलाव के बावजूद महिलाएं संघर्ष में जीती हैं. इस का बड़ा कारण हजारों वर्षों से जमी पुरुषसत्तारूपी गंदगी है. धार्मिक स्थलों व धर्म के ठेकेदारों से इसे बराबर खादपानी मिलता रहता है. यही कुतर्क महिलाओं से सहमति उगलवा कर उन के लिए अड़चन बन जाते हैं.
स्कूलों का चुनाव नाम नहीं फीस और जेब देख कर
विश्वव्यापी आपदा में महंगी शिक्षा के बाद प्रतिफल में नौकरियां नहीं हैं. ऐसे में मातापिता आर्थिक रूप से पिस रहे हैं. सोशल स्टेटस की चिंता कीजिए बच्चों की पढ़ाई और अपनी जेब की पहले चिंता करें.
बच्चों को बनाया जा रहा है हिंदू मुसलिम ईसाई
बचपन में हम सभी ऐसी मान्यताओं का शिकार थे जिन का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हुआ करता था. जो चीजें हम अपने घर, अपने दोस्तों से सीखा करते थे, बड़े होने के बाद कहीं न कहीं वही हमारी पहचान बन गईं. व्यक्तित्व निर्माण में धार्मिक अंधविश्वास, रूढिबद्ध धारणाएं आदि का बड़ा रोल होता है. बड़े हो कर क्या हम उन्हें त्याग देते हैं या फिर अपने बच्चों में उन्हीं अवैज्ञानिक मूल्यों को इंजैक्ट करते हैं?
बिहार चुनाव परिणाम सरकारी नीतियों से दूर होता जनमत
बिहार विधानसभा चुनाव में जिन मुद्दों पर वोट होना चाहिए, उन की चर्चा में किसी ने दिलचस्पी नहीं ली. यह बात हर लिहाज से चिंताजनक है.
भाईभतीजावाद हर जगह है" मीता वशिष्ठ
अभिनेत्री मीता ने दशकों से अपनी शर्तों पर अभिनय करना जारी रखा है. संजीदा अदाकारा ने अपनी ऐक्टिग कला से अलग पहचान बनाई है. फिल्म 'चांदनी' से कैरियर की शुरुआत करने वाली मीता से जानें इंडस्ट्री में उन के खट्टे मीठे अनुभवों के बारे में.
उफ यह कमजोर वाई क्रोमोजोम
समाज न जाने क्यों बेटों को महत्त्व देता है. बेटी की बड़ाई भी की जाएगी तो मांबाप का पैमाना बेटा होता है. यानी कि नारी जाति का वजूद केवल इसलिए माने रखता है कि पुरुष की सहीसलामती बनी रहे. कैसी है यह दोगली मानसिकता?
अमेरिका में जो बाइडेन की जीत कटरता के कालेपन से उदारता की उम्मीद
अमेरिका की जागरूक जनता ने आखिरकार दंभी और बड़बोले नेता डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा ही दिया. जो बाइडेन की जीत से कहीं ज्यादा ट्रंप की हार की खुशी है. पर देश और दुनिया के सामने अभी खतरा मौजूद है.
अंधविश्वासों के प्रति जागरूकता या प्रचार
पहले इस फिल्म का टाइटल 'लक्ष्मी बौंब' रखा गया था, परंतु सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग होने और हिंदूवादी संगठनों की धमकियों के कारण इस का टाइटल बदल कर 'लक्ष्मी' कर दिया गया.
"हम उत्तरपूर्वी राज्यों के सिनेमा के लिए कुछ नहीं कर रहे" सुधांशु सरिया
सुधांशु सरिया भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे डायरैक्टर हैं जिन्हें 2016 में अपनी पहली फिल्म 'लव' से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर खूब ख्याति प्राप्त हुई. इस उपलब्धि से वे व्यावसायिक सिनेमा की तरफ नहीं झुके, बल्कि उन्होंने अपनी यूएसपी में चुनौतीपूर्ण विषयों को बनाए रखा.
जेब खाली कैसे मने दीवाली
कोरोना वायरस के भय ने लोगों के हर्षोल्लास, जोश व उत्साह को बुरी तरह प्रभावित किया है. एक तरफ संक्रमण का डर है, अपनों की मौते हैं और दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है, व्यवसाय डूब चुके हैं, लोगों के पास नौकरियां नहीं हैं, जेबें खाली हैं. त्योहार सिर पर हैं मगर कोई भी फालतू का एक रुपया भी खर्च करने के मूड में नहीं है.
376 डी उठाती है कुछ बड़े सवाल
जोरजबरदस्ती यानी किसी की इच्छा के विरुद्ध उस पर हावी होना, उस से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना और यह जोरजबरदस्ती स्त्री हो या पुरुष दोनों में से किसी के भी साथ की जाए तो गुनाह है और अपराधी सजा का हकदार है. 376 डी में इसी की स्पष्ट व्याख्या दे कर कुछ सवालों को उठाया गया है.
झूठी एफआईआर और खत्म होती जिंदगिया
देशभर के पुलिस स्टेशन झूठे मुकदमों की फाइलों से पटे पड़े हैं. ऐसे मामलों में फंसे लोग सालोंसाल जेल की सलाखों में कैद रहते हैं क्योंकि उन के मुकदमे सुनवाई की स्टेज तक पहुंचने में लंबा वक्त लेते हैं. कभीकभी तो अदालत में केस पहुंचने से पहले ही पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति का मीडिया ट्रायल हो जाता है. ऐसे में उस निर्दोष व्यक्ति के लिए अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करना और भी ज्यादा कठिन हो जाता है.
धर्म व बाजार के तानेबाने में महिला श्रम की क्या इज्जत
आज आधुनिक बाजार भी पुरुषवादी सोच को सिर्फ मदद तक ही सीमित कर रहे हैं. जैसे, टीवी प्रचार में अधिकतम ग्रौसरी सामानों को महिलाओं से ही लिंक किया जाता है जिस में महिलाएं जिम्मेदार की भूमिका में होती हैं और पुरुष उन के मददगार.
महंगी शिक्षा सस्ते ग्रेजुएट
कंपनियां मौजूदा कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, तो नए ग्रेजुएट्स को नौकरी पर रखने की बात कौन करे? हालत यह है कि ग्रेजुएट डिग्री लिए बाजार में खड़े हैं, लेकिन कोई भी कंपनी इस समय इन्हें रखने का रिस्क नहीं ले रही.
फेफड़े खराब कर रहा कोरोना
कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों को दवाएं व एंटीबायोटिक्स न दी जाएं तो आगे चल कर वे पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो सकते हैं क्योंकि यह फेफड़ों को बड़ी तेजी से डैमेज करता है.
सुस्त और कमजोर काया
अधिक मोटापे की तरह अधिक दुबलापन भी परेशानी का सबब हो सकता है. कमजोरी से शरीर की स्वाभाविक कार्यप्रणाली ठीक से क्रियाशील नहीं हो पाती, जिस के चलते दुबले इंसान को कई बीमारियों से ग्रस्त होने का भय बना रहता है.
हक मांगने में परहेज कैसा? .
संपत्ति पर अधिकार हमेशा पुरुषों का रहा है. पौराणिक व्यवस्था में महिला को संपत्ति रखने का अधिकार भी नहीं. सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से पिता की संपत्ति पर बेटी का वैधानिक बराबर का हक बन तो गया है किंतु क्या विरासत की संपत्ति पर मात्र पुरुष हक वाली सामाजिक सोच पर यह कानून लागू हो पाएगा?
हाथरस गैंगरेप लुटतीमरती लड़कियां
हाथरस में दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और फिर उस की हत्या करना आधुनिक इतिहास का वह काला पन्ना है जिसे बीते 6 सालों से लगातार छिपाने की कोशिश की जाती रही. उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मामले को रफादफा किए जाने की कोशिश समाज में व्याप्त बीमारू धर्मप्रणाली और जहरीली मानसिकता का जीताजागता उदाहरण है.
नवाज ने रंग दिया फिल्म 'सीरियस मैन' को
काले अतीत से लड़ते और अगली पीढ़ी के सम्मान की खातिर सबकुछ करगुजरने को तैयार अय्यन मणि यानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी जाति, वर्ग और दलित राजनीति जैसे कई विषयों पर एकसाथ व्यंग्य करते सीरियस मैन का लबादा ओढ़े रहे जो फिल्म की खास बात है.
ड्रग्स के चक्रव्यूह में दीपिका पादुकोण
फिल्म इंडस्ट्री में कलाकार और विवाद मानो एक सिक्के के दो पहलू हैं. इन दिनों आम लोगों से ले कर सोशल मीडिया और सरकारी तंत्र तक बौलीवुड सितारों को खासा आड़ेहाथों लेते नजर आ रहे हैं. चर्चित अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी इन सब की रडार पर हैं.
क्यों है पुरुषों को हार्ट अटैक का अधिक जोखिम
तेज रफतार जिंदगी, बदलती जीवनशैली व गलत खानपान ने इंसान के हार्ट को खासा नुकसान पहुंचाया है. भारत में हार्ट संबंधी समस्या पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक बढ़ने लगी है. युवाओं में भी अब हार्टअटैक कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है.