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इंटीमेट सींस को मर्यादित तरीके से दिखाने की जरूरत” - अनुप्रिया गोयनका
कई हिट फिल्में देने के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की अनुप्रिया गोयनका बौलीवुड में फेमस चेहरा बन चुकी हैं. फिल्मों का सफल होना और उन में काम की सराहना होना कितना जरूरी है, इस पर उन्होंने एक बातचीत में अपनी बेबाक राय रखी.
अकेले है तो क्या गम है
दिनभर अकेलेपन का रोना क्यों रोया जाए, स्वयं की क्षमता के अनुसार किसी भी सकारात्मक कार्य में व्यस्त रख कर खुद को उपयोगी क्यों न बनाया जाए. यही तो है जीवन का सदुपयोग.
सामूहिक आत्महत्याएं आखिर क्यों
आत्महत्या शब्द सुन कर ही दिल दहल जाता है. इन दिनों हर आयुवर्ग में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सामूहिक आत्महत्याएं अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं. आखिर वजह क्या है इस के पीछे?
सिंगल पेरेंट जब डेट पर जाएं
सिंगल पेरेंटिंग अपनेआप में एक चैलेंज है. समाज और परिवार को आप से बहुत अपेक्षाएं होती हैं. ऐसे में आप जब एक बार फिर डेट पर जाने की सोचें तो कई बातों का खयाल रखना जरूरी है.
सिर्फ काली लड़कियां
अन्नी के मन की खूबसूरती को कौन पढ़ सका था. उस के काले स्याह रंग की परत देख उसे 'न' का तमाचा मार घायल कर देते थे लड़के वाले. परिवार में सिर्फ अजय ही था जो बहन अन्नी के जज्बात समझ रहा था, लेकिन वह भी भला कहां कुछ कर पाया अन्नी के लिए.
“मेहनत करने वालों की कद्र नहीं
बौलीवुड में रजत कपूर को उन की बेहतरीन अदाकारी के लिए जाना जाता है. इस के लिए उन्हें फिल्मफेयर क्रिटिक अवार्ड से नवाजा भी गया. वैब सीरीज 'कोड एम' में दर्शक उन की अदाकारी का एक नया रूप देखेंगे.
माहवारी का न आना ओवरी कैंसर का संकेत तो नहीं
ओवरी कैंसर और माहवारी न आने के बीच की कड़ी के बारे में जानकारी, लक्षण और उस से जुड़े जोखिम के बारे में जानिए और यह भी जानें कि ऐसे मामले में डाक्टर के पास कब जाएं...
मंहगी होती उच्च शिक्षा गिरता देश
अगर डिग्री किसी प्रोडक्ट की तरह बिकेगी तो कोई वजह नहीं कि देश के अधिसंख्य युवा इसे खरीद पाएंगे. उच्च शिक्षा में यही हो रहा है. यह उस वर्ग के लिए सुलभ नहीं रह गई है जिसे इस की सब से ज्यादा जरूरत है. मौजूदा दौर में युवा हताश है क्योंकि शिक्षा उसे स्वाभिमानी नहीं बल्कि एक मशीन बना रही है जिस के कलपुरजे यानी फीस बहुत महंगी है और जो वह नहीं चुका पा रहा है.
झूठ का अड्डा सोशल मीडिया
विचारों के प्रचार के वैकल्पिक मंच के तौर पर सोशल मीडिया शानदार भूमिका निभाता है. लेकिन, झूठी खबरों को प्रचारित करने और लोकप्रिय बनाने के लिए भी सोशल मीडिया कुख्यात है. सोशल मीडिया पर फेक न्यूज या सूचनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करना आम हो चुका है, जिस के चलते देश में हिंसा, उपद्रव, नफरत फैलाने, भीड़ को उकसाने या छवि खराब करने जैसी वारदातें हो रही हैं.
जिंदगी जी लें जरा
जीवन नाम है खुशी का, प्यार का, स्वस्थ जीवनशैली का. पैसे के पीछे की दौड़ व्यक्ति को इन सब चीजों से दूर ले जाए तो क्या फायदा उस पैसे का. सब व्यर्थ ही रह जाएगा.
जापान में वसंत
जापान के बड़ेबड़े शहर बहुत सुंदर और आकर्षक हैं जिन का कोई मुकाबला नहीं. पर जापान में कई ऐसे कम मशहूर शहर भी हैं जिन्हें देखें तो देखते रह जाएं.
बहुत देर हो गई
विनय ने पूरी जिंदगी काम ही ऐसे किए थे कि अब उन्हीं के परिणाम भुगत रहा था. कितना दुख दिया था अपनों को उस ने. लेकिन, क्या उस की दुख की घड़ी में अपनों ने भी उस से मुंह मोड़ लिया?
वक्त की अदालत में
मेहर ने क्या चाहा था. बस, शादी के बाद एक सुकूनभरी जिंदगी. वह भी न मिल सकी उसे. पति ऐसा मिला जिस ने उसे पैर की जूती से ज्यादा कुछ न समझा. लेकिन वक्त की धारा में स्थितियां बदलती हैं और वह ऐसी बदली कि...
विवाह के समय तुनकमिजाजी अब दूर की बात
लड़कियों का आत्मनिर्भर और जागरूक बनना किस तरह विवाह की पुरानी परंपरा को बदल रहा है, जानें जरूर...
सैक्स में नीरसता क्यों
जिस तरह से शरीर के लिए खाना जरूरी है उसी प्रकार सैक्स भी दांपत्य जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है. पति या पत्नी किसी एक की भी असंतुष्टि उन की सैक्स लाइफ पर असर डाल सकती है.
पति की नीति निर्देशक पत्नी
पत्नी ही सर्वेसर्वा है, पत्नी ही पथगामिनी है. पत्नी परमो धर्मः की तर्ज पर यह जान लो कि पत्नी अगर बोले कि तुम्हारी चार आंखें हैं तो भैया मान लो कि चार आंखें हैं, खैरियत इसी में है.
धर्म की कैद में स्त्रियाँ
महिलाओं के लिए समाज शुरू से पक्षपाती रहा है. उन पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए वह धर्म का बखूबी इस्तेमाल करता है. इस काम के लिए धर्म ही सब से मजबूत व आसान जरिया है.
तेरी मेरी यारी सबसे न्यारी
अच्छे दोस्त जीवन में बहुत माने रखते हैं. दोस्ती के कारण ही हम एकदूसरे का साथ देना तथा अपनी चीजों को शेयर करना सीखते हैं. बस, हमें एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम दोस्ती सही व्यक्ति से ही करें.
तनाव करें दूर
भागदौड़भरी जिंदगी और बिजी शैड्यूल के कारण आजकल हर कोई किसी न किसी चीज को ले कर परेशान है. ऐसे में क्यों न कुछ ऐसे टिप्स अपनाएं जिन से सारी टैंशन और स्ट्रैस मिनटों में दूर हो जाए.
झारखंड से क्या बदलेगी हवा
लोकसभा चुनाव में बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम पर वोटों की फसल काट चुकी भाजपा झारखंड में राममंदिर और बदलते कानूनों के नाम पर कोई गुल नहीं खिला पाई, तो इशारा साफ है कि जनता अब खुद से जुड़े मुद्दों पर सरकारें चुन रही है. वह दौर जाता दिख रहा है जिस में लोग आंख, कान बंद कर वोट देते रहे. यानी, सियासी हवा बदल रही है. "
कैंसर सपोर्ट ग्रुप नई शक्ति
कैंसर ऐसी बीमारी है जिस का जिक्र आते ही शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है. जीवन में अगर इस से सामना हो ही जाए, तो हर हाल में इस से उबरने की दृढ़शक्ति बनाए रखनी है.
किस के लिए होगा राममंदिर ?
सदियों बाद आबाद हो रही अयोध्या में बन रहा भव्य राममंदिर सभी के लिए नहीं होगा, खासतौर से उन दलित, पिछड़ों के लिए तो कतई नहीं जो वर्णव्यवस्था के तहत शूद्र करार दिए गए हैं. ये लोग क्यों मंदिरों में प्रवेश के पात्र नहीं हैं, इस पर एक नजर.
एलोवेरा के साइड इफैक्ट्स
एलोवेरा के जूस को पीने व चेहरे पर लगाने जैसे और अन्य भी कई फायदों के बारे में आप ने खूब सुना होगा. लेकिन, क्या कभी आप ने इस के नुकसानों के बारे में सुना है?
40 की उम्र में भी दिखें 20 की
महिलाओं की बाहरी दुनिया का भी विस्तार हो रहा है. और यही वजह है कि शायद अब 40 की उम्र होने पर भी वे अपने को खूबसूरत और चुस्तदुरुस्त रखना चाहती हैं.
समाचारपत्र व पत्रिकाओं के नाम न काम, न धाम, न दाम
जब समाचारपत्र या पत्रिका का नाम या शीर्षक ही हास्यपरिहास की फुलझड़ी को बिखेरेगा, तो उन में प्रकाशित खबरों, लेखों, कविताओं का स्तर क्या होगा, आप समझ सकते हैं.
शाहीन बाग सुलगता आंदोलन
सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं अपने बच्चों के साथ बैठी हैं. पर अफसोस कि अभी तक इस आंदोलन का परिणाम नहीं दिख रहा है क्योंकि सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
रस्मे विदाई
बरसों बाद दिन आया मिट्ठी की विदाई का, लेकिन वह रोई नहीं. वह तब नहीं रोई थी जब सारा समाज उसे रुलाना चाहता था, फिर भला वह आज क्यों रोती?
युवा आक्रोश घटता विश्वास घटती आस
राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले युवा अगर बेचैन हैं और सरकार उन की बात सुनने और समझने को तैयार नहीं है तो यह तो होना ही था कि वे कौपियां किताबें छोड़ हाथ में पत्थर ले कर सड़कों पर दिखें. यह बेहद अफसोसजनक स्थिति है कि शिक्षण संस्थानों में हिंसा तो सरकार की ढील के चलते हो रही है लेकिन उस का जिम्मेदार उन युवाओं को ठहराया जा रहा है जो हताशा से भरे हैं. इस रिपोर्ट में पढ़ें युवाओं के मन की बात.
भारत भूमि युगे युगे
भारत भूमि युगे युगे
प्रतिभा के सदपयोग से जीवन सार्थक
धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में आईएएस जैसे पदाधिकारी भी आएदिन अखबारों की सुर्खियां बनते हैं. पर हर आईएएस अफसर ऐसा नहीं होता है. कुछ ऐसे भी आईएएस अफसर होते हैं जो न सिर्फ पद की प्रतिष्ठा बनाए रखते हैं, बल्कि ईमानदारी का भी उदाहरण पेश करते हैं.