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गौभक्त का उन्माद
गौभक्ति ब्राह्मणों के लिए दोहरे फायदे का धंधा साबित होती रही है इसलिए गौदान की महत्ता से धर्मग्रंथ रंगे पड़े हैं. लेकिन इस खेल का दूसरा पहलू भी कम दिलचस्प नहीं, जो आंखें खोलता हुआ है.
चंचल छाया
मोतीचूर चकनाचूरशादी पर फिल्में बनाने का ट्रैंड बौलीवुड में अरसे से चला आ रहा है. “बैंड बाजा बरात', “हम आप के हैं कौन', 'विवाह', “तनु वेड्स मनु” और 'शादी का लड्डू” जैसी बहुत सी फिल्में बनीं. इन में से कुछ फिल्में तो खूब चलीं, कुछ फ्लौप हो गईं.
ऐसा भी होता है
मेरा तबादला दूसरे शहर में हो चुका था. माह के 2 इतवार में परिवार से मिलने जाता था और सभी व्यवस्था कर देता था.
उलटा दांव
जितेंद्र गाड़ी में अपने सामने वाली बर्थ पर बैठे 2 युवकों को देख कर बहुतकुछ अनुमान लगा चुके थे. यहां तक कि कुछ ज्यादा ही सपने बुनने लगे थे. लेकिन...
आप के पत्र
“सरकार का रुख' शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय पढ़ कर अच्छा लगा. आप ने रामजन्मभूमि और कश्मीर विषयों पर टिप्पणी करते हुए सही लिखा है कि इन के हल होने से न तो सड़कें बनेंगी और न ही बीमारियां दूर होंगी.
हैप्पी न्यू ईयर
पिंटू को अपने बेटे की तरह पाला था मीरा ने. बहन होते हुए मां की तरह अपना कर्तव्यपालन किया था, जिस का फल मीरा को देर से मिला. पर क्या वह फल मीठा था?
वर्कप्लेस में विविध ड्रेस कोड देगा आप को नई सोच
वक्त के साथसाथ कौर्पोरेट दुनिया में भी इंकलाबी तबदीली आ गई है, ऐसे में खुली सोच पर वर्कप्लेस में ड्रैस कोड की बात बेमानी लगने लगी है. वहां पर आप का काम महत्त्वपूर्ण है, ड्रैस कोड नहीं.
लिवर ट्रांसप्लांटेशन स्वस्थ जिंदगी की शुरुआत
स्पंज जैसा नाजुक शरीर का अंग लिवर, यदि खराब हो जाए तो पूरे शरीर की सेहत पर असर डालता है. अंतिम स्थिति में तो दवाएं भी काम करना बंद कर देती हैं, जिस में लिवर प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प होता है.
मस्तीभरा अकेला सफर
तन्हा दिल, तन्हा सफर. लेकिन उदासी क्यों? सोलो सफर को मजेदार बनाना आप के हाथ में है. क्यों का साथ जरूरी है, अकेले ही हो सकता है मस्तीभरा सफर. कैसे? हम बताते हैं.
भारत भूमि युगे युगे
भारत भूमि युगे युगे
प्रीवैडिंग इन्क्वायरी दोनों पक्षों के हित में
शादी का मतलब जिंदगीभर का साथ. लव मैरिज में लड़कालड़की एकदूसरे को काफी हद तक जान जाते हैं लेकिन अरेंज्ड मैरिज में दोनों पक्ष एकदूसरे से कई बातें छिपा लेते हैं. ऐसे में पूरी जांचपड़ताल करने में शर्म महसूस न करें.
टांसजेंडर - समाज के साथ मिला रहे कदम से कदम
शिक्षा और जागरूकता ने किन्नर समाज को भी बदलना शुरू कर दिया है. अब ये किन्नर नहीं ट्रांसजेंडर कहलाना पसंद करते हैं. फैशन शोज में भाग लेने से ले कर हवाईजहाज तक में शान से सफर कर रहे हैं.
चिकित्सा का बाजारीकरण
जब शारीरिक रूप से व्यक्ति की तकलीफ बढ़ जाती है तब वह निदान के लिए पूरे विश्वास के साथ अस्पताल की ओर रुख करता है. लेकिन, पैसे बनाने के चक्कर में डाक्टर ही मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगे तो? चिकित्सा के बाजारीकरण में आज ऐसा ही हो रहा है.
कैसा होगा भविष्य का इंसान?
वैज्ञानिक शोध हो रहे हैं, नईनई खोजें चल रही हैं. ऐसे में कभी आप ने कल्पना की है कि हम मनुष्य सैकड़ों साल बाद कैसे होंगे? क्या यही रहेगा हमारा रंगरूप? शायद नहीं. तो फिर कैसा होगा भविष्य का इंसान?
एक कहानी का अंत
कितने दुख झेले थे मां ने. शायद गिनना मुश्किल था मंजू के लिए. बेटी होने के नाते वही तो थी जिस ने मां के गमों को देखा, सुना और भोगा था.
उत्तर प्रदेश अपराध का अधर्म राज
सतयुग से ले कर कलयुग तक छलने का नारी को काम पुरुषों ने किया. शारीरिक शोषण के लिए गंधर्व विवाह और फर्जी कोर्ट मैरिज तक धोखे में रख कर की. हर युग में महिला को ही दोषी ठहराया गया. कानून से ले कर समाज तक पुरुष की जगह नारी को ही दोषी माना गया. उन्नाव कांड में भी इस की झलक देखने को मिल रही है.
इंटीमेट सींस को मर्यादित तरीके से दिखाने की जरूरत” - अनुप्रिया गोयनका
कई हिट फिल्में देने के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की अनुप्रिया गोयनका बौलीवुड में फेमस चेहरा बन चुकी हैं. फिल्मों का सफल होना और उन में काम की सराहना होना कितना जरूरी है, इस पर उन्होंने एक बातचीत में अपनी बेबाक राय रखी.
अकेले है तो क्या गम है
दिनभर अकेलेपन का रोना क्यों रोया जाए, स्वयं की क्षमता के अनुसार किसी भी सकारात्मक कार्य में व्यस्त रख कर खुद को उपयोगी क्यों न बनाया जाए. यही तो है जीवन का सदुपयोग.
सामूहिक आत्महत्याएं आखिर क्यों
आत्महत्या शब्द सुन कर ही दिल दहल जाता है. इन दिनों हर आयुवर्ग में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सामूहिक आत्महत्याएं अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं. आखिर वजह क्या है इस के पीछे?
सिंगल पेरेंट जब डेट पर जाएं
सिंगल पेरेंटिंग अपनेआप में एक चैलेंज है. समाज और परिवार को आप से बहुत अपेक्षाएं होती हैं. ऐसे में आप जब एक बार फिर डेट पर जाने की सोचें तो कई बातों का खयाल रखना जरूरी है.
सिर्फ काली लड़कियां
अन्नी के मन की खूबसूरती को कौन पढ़ सका था. उस के काले स्याह रंग की परत देख उसे 'न' का तमाचा मार घायल कर देते थे लड़के वाले. परिवार में सिर्फ अजय ही था जो बहन अन्नी के जज्बात समझ रहा था, लेकिन वह भी भला कहां कुछ कर पाया अन्नी के लिए.
“मेहनत करने वालों की कद्र नहीं
बौलीवुड में रजत कपूर को उन की बेहतरीन अदाकारी के लिए जाना जाता है. इस के लिए उन्हें फिल्मफेयर क्रिटिक अवार्ड से नवाजा भी गया. वैब सीरीज 'कोड एम' में दर्शक उन की अदाकारी का एक नया रूप देखेंगे.
माहवारी का न आना ओवरी कैंसर का संकेत तो नहीं
ओवरी कैंसर और माहवारी न आने के बीच की कड़ी के बारे में जानकारी, लक्षण और उस से जुड़े जोखिम के बारे में जानिए और यह भी जानें कि ऐसे मामले में डाक्टर के पास कब जाएं...
मंहगी होती उच्च शिक्षा गिरता देश
अगर डिग्री किसी प्रोडक्ट की तरह बिकेगी तो कोई वजह नहीं कि देश के अधिसंख्य युवा इसे खरीद पाएंगे. उच्च शिक्षा में यही हो रहा है. यह उस वर्ग के लिए सुलभ नहीं रह गई है जिसे इस की सब से ज्यादा जरूरत है. मौजूदा दौर में युवा हताश है क्योंकि शिक्षा उसे स्वाभिमानी नहीं बल्कि एक मशीन बना रही है जिस के कलपुरजे यानी फीस बहुत महंगी है और जो वह नहीं चुका पा रहा है.
झूठ का अड्डा सोशल मीडिया
विचारों के प्रचार के वैकल्पिक मंच के तौर पर सोशल मीडिया शानदार भूमिका निभाता है. लेकिन, झूठी खबरों को प्रचारित करने और लोकप्रिय बनाने के लिए भी सोशल मीडिया कुख्यात है. सोशल मीडिया पर फेक न्यूज या सूचनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करना आम हो चुका है, जिस के चलते देश में हिंसा, उपद्रव, नफरत फैलाने, भीड़ को उकसाने या छवि खराब करने जैसी वारदातें हो रही हैं.
जिंदगी जी लें जरा
जीवन नाम है खुशी का, प्यार का, स्वस्थ जीवनशैली का. पैसे के पीछे की दौड़ व्यक्ति को इन सब चीजों से दूर ले जाए तो क्या फायदा उस पैसे का. सब व्यर्थ ही रह जाएगा.
जापान में वसंत
जापान के बड़ेबड़े शहर बहुत सुंदर और आकर्षक हैं जिन का कोई मुकाबला नहीं. पर जापान में कई ऐसे कम मशहूर शहर भी हैं जिन्हें देखें तो देखते रह जाएं.
बहुत देर हो गई
विनय ने पूरी जिंदगी काम ही ऐसे किए थे कि अब उन्हीं के परिणाम भुगत रहा था. कितना दुख दिया था अपनों को उस ने. लेकिन, क्या उस की दुख की घड़ी में अपनों ने भी उस से मुंह मोड़ लिया?
वक्त की अदालत में
मेहर ने क्या चाहा था. बस, शादी के बाद एक सुकूनभरी जिंदगी. वह भी न मिल सकी उसे. पति ऐसा मिला जिस ने उसे पैर की जूती से ज्यादा कुछ न समझा. लेकिन वक्त की धारा में स्थितियां बदलती हैं और वह ऐसी बदली कि...
विवाह के समय तुनकमिजाजी अब दूर की बात
लड़कियों का आत्मनिर्भर और जागरूक बनना किस तरह विवाह की पुरानी परंपरा को बदल रहा है, जानें जरूर...