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नायब माथे चुनावी दांव
जपा से गठबंधन टूटा, खट्टर की छुट्टी, आम चुनाव के मद्देनजर ओबीसी नायब सैनी को गद्दी
ये अनुमान अटकलबाजी जैसे
पारिवारिक उपभोग व्यय के आंकड़े अभी अधूरे, गरीबी में कमी के सरकारी दावे ठोस निष्कर्ष नहीं
'यह चुनावी प्रचार के लिए ज्यादा लगता है'
सरकार ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी के नए पैमाने और हाल में जारी कंजप्शन सर्वे के आधार पर बताया कि करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से ऊपर उठ गए हैं और देश में गरीब सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास बच गए हैं। क्या है सच्चाई, इस पर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार से हरिमोहन मिश्र की बातचीत के अंश:
सेलेब्रिटी की खोज
पहली सूची के अपने उम्मीदवारों में कई के इनकार और संन्यास के ऐलान के बाद पंजाब में भाजपा की राह आसान नहीं
राहें आसान नहीं
भाजपा के लिए जांजगीर, कांकेर और राजनंदगांव लोकसभा सीटें कठिन तो कांग्रेस के लिए रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा, सरगुजा और बस्तर बड़ी चुनौती
चुनौतियां नई
पहले सूची जारी कर भाजपा ने ली बढ़त लेकिन कांग्रेस से आए प्रत्याशियों की चुनौती
बुश्नेल, नवलनी और शाशा की कतार में
तानाशाह निजामों के खिलाफ अकेले मनुष्य के साहस और बलिदान के ताजा प्रसंग
बल्ले का यश
टीम इंडिया को शायद यशस्वी जायसवाल के रूप में दूसरा सहवाग मिल गया
कूटनीति के बुद्ध
30 साल के बाद बुद्ध के पवित्र अवशेष की थाईलैंड में प्रदर्शनी
मानवाधिकारों का बुलंद पैरोकार
सबसे प्रतिष्ठित न्यायविद और देश के कानूनी इतिहास के इस दिग्गज का ऐतिहासिक मामलों और संवैधानिक कानून में योगदान अद्वितीय है। 1929 में जन्मे नरीमन ने 1950 में बॉम्बे के सरकारी लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1949 में बॉम्बे हाइकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और 1971 में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील की हैसियत से पहुंचे।
रेडियो का हिंदुस्तानी लहजा
अफसोस, आवाज की दुनिया का सुनहरा पंछी उड़ गया और उनके जाने से सूनी हो गई है वह डाली। यह ख्वाब भी नहीं देखा था कि कभी हमारे कदम भी रेडियो की दुनिया में आएंगे। वह कौन-सी पहली आवाज थी, जिसने मुझे लुभाया था। यकीनन वे अमीन सायानी थे। मन में सवाल उठता था, वे दिखते कैसे होंगे? बहुत बरस तक दुनिया सिर्फ इस आवाज से वाकिफ थी। उस आवाज का चेहरा कैसा है, लोगों को पता न था।
शायर, संन्यासी और पुरस्कार
इस बार ज्ञानपीठ पुरस्कार दो लोगों को मिला तो विवाद भी उछल पड़े, रचनाकारों के काम पर एक नजर
गए, गए, नहीं गए नाथ
पार्टी से खुली छूट और भरपूर संभावनाओं के बावजूद विधानसभा चुनाव में हार शायद कमलनाथ को भारी पड़ी
दिल और दिल्ली की दूरी
लोगों की नजर में मोदी की 'अच्छे आदमी' की छवि के बावजूद लगता है कि भाजपा को चुनाव में उतना राजनैतिक लाभ नहीं मिलेगा
क्या होगा असर
सबकी नजर इस पर रहेगी कि चंदा देने वालों की सूची उजागर होती है, तो राजनैतिक परिदृश्य में कोई फर्क पड़ता है भी या नहीं
अपारदर्शी चुनावी बॉन्ड
चुनावों के माध्यम से एक राष्ट्र के जीवन की पड़ताल करने वाली एस. वाइ. कुरैशी की लिखी किताब इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी का एक अंश, जिसमें बताया गया है कि चुनावी बॉन्ड क्यों पारदर्शी नहीं हैं
बॉन्डनामा
राजनैतिक फंडिंग की मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से असंवैधानिक करार दिया, तो क्या तकरीबन छह साल से जारी योजना से राजनीति के रंगढंग में आए बदलावों को बदला जा सकेगा?, क्या चुनाव निष्पक्ष और परदर्शी हो पाएंगे?, क्या काले धन की पॉलिटिकल इकोनॉमी से मुक्ति मिल पाएगी?
कांग्रेस बनाम शाही खानदान!
दिवंगत वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सांसद पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटा विक्रमादित्य विरासत को बढ़ा रहे
गाठें बांधने तोड़ने के जुगाड़
राज्यसभा चुनावों में हिमाचल और उत्तर प्रदेश में भाजपा का रणनीतिक कौशल दिखा तो विपक्ष सड़क को गरम करने में जुटा
चुनाव छोटा संदेश बड़ा
आखिरकार अदालती आदेश से 'इंडिया' गठबंधन का मेयर बनने के मायने
सियासी संभावनाओं पर ग्रहण
अप्रैल में संभावित लोकसभा चुनाव के चलते पंजाब में एक पखवाड़े पहले तक तेजी से बदल रहे सियासी समीकरण पर किसान आंदोलन का घना साया पड़ गया है।
न्यूनतम की लड़ाई
एमएसपी और दूसरी मांगों पर कोई सकारात्मक पहल न होने और सख्त पुलिसिया कार्रवाई से किसान संगठनों में एकजुटता बढ़ी
संगीत की 'शक्ति'
विश्वभर के संगीतज्ञों के जुटान के इस प्रतिष्ठित समारोह में इस बार भारत के संगीतकारों का रहा बोलबाल
गांधीवादी स्त्रीवादी
स्तक मेले की भीड़, नई किताबों की गंध, दोस्तों-परिचितों की मुस्कराहटों, संवाद, बतकहियों के बीच लेखक रत्नेश्वर जी मिले और एकाएक उन्होंने धीमे से कहा, 'शायद उषा किरण खान नहीं रहीं!' क्या यह कोई संयोग था या प्रकृति से मिला कोई उनसे जुड़ा आभास?
उम्र '43' नहीं लेवल '43' कहो
रोहन बोपन्ना ने युगल खिताब जीतकर और विश्व युगल रैंकिंग में शिखर पर पहुंच पहुंच कर उम्र को पीछे छोड़ा
दहल उठा हरदा
राज्य में अवैध कारखानों और उनमें होने वाले हादसों का थम नहीं रहा सिलसिला
सरकारी मास्टर या भेड़िये?
एक के बाद एक सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप, स्कूलों में बुनियादी सुविधा के अभाव के कारण लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर बढ़ी
समाज का ऋण चुकाना जरूरी है
अपने कार्यकाल के दौरान अभयानंद ने बिहार में पुलिस महानिदेशक रहते हुए स्पीडी ट्रायल और फास्ट कोर्ट के माध्यम से रिकॉर्ड गिरफ्तारियों के साथ कई अपराधियों को सींखचों के भीतर किया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान इससे कहीं भी कम नहीं है। उनके मार्गदर्शन में हजारों छात्र या तो पढ़ रहे हैं या आइआइटियन बन देश-विदेश में सम्मानजनक नौकरी कर रहे हैं। पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज के स्वर्ण पदक विजेता छात्र रहे अभयानंद सुपर 30 के सह-संस्थापक हैं। स्नातक के बाद ही वह संघ लोक सेवा आयोग जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में बैठे और पहली ही बार में बाजी मार ले गए। उन्होंने आइपीएस चुना और बिहार कैडर में अपनी सेवाएं देने लगे। पुलिस महानिदेशक के रूप में उनके काम को खूब सराहना मिली। अनबाउंड नाम से पुस्तक लिखने वाले अभयानंद अब शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आउटलुक के लिए अभयानंद की यात्रा, शिक्षा के प्रति समर्पण पर संजय उपाध्याय ने उनसे लंबी बातचीत की।
...ताकि बच्चों में जज्बा और स्वाभिमान जगे
कम्युनिटी पुलिसिंग संतुष्टि मिली कि उचित मार्गदर्शन से कई युवकों ने सफलता पाई
पढ़ाकर कुछ सार्थकता का एहसास
अपराधियों के पीछे भागते रहने की बोझिलता मुझे छात्रों के बीच ले जाती है